वजायना फीमेल जेनाइटल ऑर्गेन है। वजायन वर्ष की आयु वाली 90 प्रतिशत महिलाएं वजायना से जुड़ी समस्या से परेशान रहती हैं। आज इस आर्टिकल की मदद से यह समझने की कोशिश करेंगे की वजायना की देखभाल कैसे करें और क्यों जरूरी हैं प्राइवेट पार्ट की देखभाल करना?
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
वजायना फीमेल जेनाइटल ऑर्गेन है। वजायन वर्ष की आयु वाली 90 प्रतिशत महिलाएं वजायना से जुड़ी समस्या से परेशान रहती हैं। आज इस आर्टिकल की मदद से यह समझने की कोशिश करेंगे की वजायना की देखभाल कैसे करें और क्यों जरूरी हैं प्राइवेट पार्ट की देखभाल करना?
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वजायनल इंफेक्शन बैक्टीरिया, फंगस या फिर सामान्य से ज्यादा ऑर्गैनिज्म की वजह से होता है। दरअसल वजायना में पहले से ही अच्छे ऑर्गेनिज्म जो वजायना को हेल्दी रखने में मददगार होते हैं। हालांकि, अगर वजायना की ठीक तरह से देखभाल नहीं की गई तो इंफेक्शन की संभावना बढ़ सकती है। इसके साथ ही सेफ सेक्स का विकल्प नहीं आपनाने की वजह से भी इंफेक्शन की समस्या शुरू हो सकती है। इसके साथ ही वजायनल इंफेक्शन का कारण कैंडिडा एल्बीकैंस (Candida albicans) होता है। कैंडिडा एल्बीकैंस एक तरह का फंगस है, जो मुंह और गले में मौजूद होता है और यही फंगस वजायना में भी मौजूद होता है। अगर कैंडिडा एल्बीकैंस तेजी से बढ़ने लगे तो यह नुकसानदायक होता है।
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वजायना की देखभाल के लिए निम्नलिखित टिप्स अपनाएं। जैसे-
हमेशा सूखे और आरामदायक अंडरगार्मेंट्स का चयन करें। गीले और अनकंफर्टेबल अंडरगार्मेंट्स की वजह से संक्रमण हो सकता है। टॉयलेट के बाद अगर वजायना को ठीक तरह से वाइप नहीं किया गया, तो ऐसी स्थिति में भी इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। वजायनल फ्लूइड या वजायनल डिस्चार्ज वजायना को हेल्दी रहने में मददगार होते हैं लेकिन, जरूरत से ज्यादा वजायनल डिस्चार्ज परेशानी का कारण भी बन सकता है। वजायना अगर ड्राई होती है, तो ऐसी स्थिति में इचिंग (खुजली) और वजायनल ड्रायनेस की समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में सेक्स के दौरान दर्द होने के साथ-साथ इंजुरी का भी खतरा बना रहता है। कई महिलाएं वजायना को ड्राई रखने के लिए टेलकम पाउडर का इस्तेमाल करती हैं लेकिन, रिसर्च के अनुसार टेलकम पाउडर के इस्तेमाल से एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial cancer) का खतरा बढ़ सकता है।
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गायनोकोलॉजिस्ट के अनुसार अगर किसी महिला को पीरियड्स (मासिक धर्म) के दौरान नॉर्मल ब्लीडिंग होती है, तो उन्हें तकरीबन 5 से 6 घंटे के बाद सेनेटरी पैड (सेनेटरी नैपकिन) बदलना चाहिए। वहीं अगर किसी महिला को हेवी ब्लीडिंग होती है, तो उन्हें 3 से 4 घंटे में सेनेटरी पैड चेंज करते रहना चाहिए। अगर आप टैम्पून्स का इस्तमाल करती हैं, तो 6 घंटे के अंतराल पर इसे चेंज करते रहना चाहिए। एक ही टैम्पून या सेनेटरी नैपकिन को लंबे वक्त तक इस्तेमाल करने से स्किन रैशेस की संभावना बढ़ जाती है और ऐसी स्थिति में इंफेक्शन की भी संभावना बनी रहती है। कुछ महिलाएं टैम्पून्स या सेनेटरी नैपकिन न इस्तेमाल कर कपड़े का इस्तेमाल करती हैं और उन कपड़ों को फिर से धोकर इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि कपड़ा इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह से क्लीन हो गया हो और ड्राई भी हो। इसके साथ ही टॉयलेट के बाद वजायना की अच्छी तरह से क्लीन करना न भूलें। वजायना की देखभाल के लिए पीरियड्स के दौरान हाइजीन का विशेष ख्याल रखें।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTIs) से बचने के लिए और इंफेक्शन से बचने के लिए कॉन्डम का इस्तेमाल करें और सेक्स के बाद वजायना को क्लीन करने के लिए पानी का इस्तेमाल करें।
वजायना को क्लीन रखने के लिए साबुन का इस्तेमाल न करें क्योंकि इनमें ग्लीसरॉल, परफ्यूम और एंटीसेप्टिक्स का इस्तेमाल किया जाता है जो वजायना में मौजूद हेल्दी बैक्टीरिया के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। यही नहीं साबुन की वजह से pH लेवल भी बदल सकता है, जिस वजह से एरिटेशन होती है और बैड बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं। इसलिए वजायना की देखभाल के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना विशेष लाभकारी होता है।
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वजायना की देखभाल के लिए कई महिलाएं डूशिंग का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स के अनुसार डूशिंग का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दरअसल डूशिंग में केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में pH लेवल में बदलाव हो सकता है। इसके इस्तेमाल से वजायनल इंफेक्शन या सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) के बचने का कोई प्रमाण नहीं है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार अंडरगार्मेंट्स कॉटन का ही इस्तेमाल करना चाहिए। सिंथेटिक और नायलोन के अंडरगार्मेंट त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही इन कपड़ों से पसीने की समस्या बढ़ सकती है और एयर सर्कुलेशन भी ठीक तरह से नहीं हो पाता है। इन कपड़ों में अत्यधिक पसीना होने के कारण बैड बैक्टेरिया और यीस्ट इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। यही नहीं ज्यादा वक्त तक गीले कपड़े पहने रहने से भी वजायना में संक्रमण का खतरा बना रहता है। अगर आप वर्कआउट करती हैं, तो एक्सरसाइज के बाद भी अपने कपड़ों को बदलने की आदत डालें।
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वजायना को क्लीन रखने के लिए कुछ महिलाएं वाइप भी करती हैं, लेकिन क्या वाइप करने का तरीका सही है? दरअसल वजायना क्लीन करने का सही तरीका फ्रंट से बैक है। सामने से क्लीन करते हुए पीछे जाना चाहिए। अगर वजायना ठीक तरीके से क्लीन नहीं किया गया तो बैक्टीरिया बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए वजायना को सही तरीके से वाइप करें।
कई महिलाएं प्यूबिक हेयर शेव कर लेती हैं या वैक्स करवा लेती हैं। महिलाओं का मानना है की इससे वजायना को क्लीन रखा जा सकता है। जबकि रिसर्च के अनुसार प्यूबिक हेयर वल्वा को बैक्टेरियल इंफेक्शन से बचाए रखने में मददगार होता है। नॉन-इलेक्ट्रिक शेविंग मेथड जैसे रेजर के इस्तेमाल से इंजुरी का खतरा बना रहता है। अगर आप पार्लर में प्यूबिक हेयर क्लीन करवाती हैं, तो इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोडक्ट्स की जानकारी अवश्य लें क्योंकि हो सकता इन प्रोडक्ट्स में केमिकल्स का इस्तेमाल किया गया हो जो वजायना को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वहीं जिन इंस्ट्रूमेंटस का इस्तेमाल किया जा रहा है वो ठीक तरह से सेनेटाइज किया गया है या नहीं। इन सभी बातों पर अवश्य गौर करें।
वजायना से अगर सामान्य से ज्यादा डिस्चार्ज हो, वजायनल डिस्चार्ज का रंग बदल जाए या फिर स्मेल आए तो ऐसे में डॉक्टर से जल्द से जल्द कंसल्ट करना चाहिए। इसके साथ ही अगर वजायना में खुजली हो या दर्द हो तो इसे भी अनदेखा न करें। यह छोटी सी परेशानी गंभीर समस्या भी पैदा कर सकती है।
पौष्टिक आहार शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ वजायना के लिए अच्छा माना जाता है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए रिसर्च के अनुसार वजायना को हेल्दी रखने के लिए क्रेनबेरी सप्लिमेंट्स रोजाना लेना चाहिए।
अपने तौलिए को साफ रखें और किसी अन्य का तौलिया इस्तेमाल न करें और न ही अपना तौलिया किसी अन्य के साथ शेयर करें।
महिलाओं को वजायना को स्वस्थ रखने के लिए कीगल एक्सरसाइज करना चाहिए। कीगल वर्कआउट की मदद से मसल्स को टोन किया जा सकता है, यूरिन लिकिंग और पेल्विस फ्लोर को कमजोर होने से बचाया जा सकता है। वैसे कीगल एक्सरसाइज के साथ-साथ लेग राइजेस, स्क्वॉट्स और योग भी किए जा सकते हैं।
हेल्दी रहने के लिए एल्कोहॉल का सेवन कम से कम करें। अगर आपको स्मोकिंग की आदत है, तो स्मोकिंग न करें क्योंकि इसका शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वजायना को ड्राई होने से बचाने के लिए लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन, लुब्रिकेंट के तौर पर कोकोनट ऑयल या ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करना लाभकारी हो सकता है। इनका डायरेक्ट इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। वजायना को लुब्रिकेंट करने के लिए पेट्रोलियम जैली का इस्तेमाल न करें।
शरीर में संक्रमण को बढ़ावा देने में तनाव की अहम भूमिका होती है। तनाव की वजह से नींद पूरी नहीं हो पाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। इसलिए तनाव से बचें और रोजाना 7 से 8 घंटे की भरपूर नींद लें। अच्छी नींद (साउंड स्लीप) वजायनल इंफेक्शन से बचाए रखने के साथ-साथ अन्य बीमारियों से बचाए रखने में मददगार है।
इन टिप्स को फॉलो कर वजायना की देखभाल बेहतर तरह से की जा सकती है।
वजायना का pH लेवल बैलेंस होना बेहद जरूरी है। क्योंकि इसमें गुड बैक्टेरिया मौजूद होते हैं। गुड बैक्टेरिया संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं और वजायना को लुब्रिकेंट करते हैं (वजायना को ड्राई होने से बचाते हैं)। कभी-कभी इंफेक्शन की वजह से भी वजायनल डिस्चार्ज बढ़ जाता है। वजायना का pH लेवल 3.8 से 4.5 होना चाहिए। pH लेवल बैलेंस्ड रखने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करना आवश्यक होता है।
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निम्नलिखित परिस्थितियों में डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए। जैसे-
इन परेशानियों के साथ-साथ कोई अन्य परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से अवश्य सलाह लें और खुद से इलाज न करें।
अगर आप वजायना की देखभाल से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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