उसकी सोचने समझने की क्षमता कमजोर हो सकती है। देखने और सुनने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा शिशु के दिल, गुर्दों और हड्डियों में परेशानी हो सकती है।
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शिशु को हो सकती हैं लाइलाज बीमारियां
अमेरिकन प्रेग्नेंसी एसोसिएशन के अनुसार प्रेग्नेंट महिला के एल्कोहॉल पीने से यह प्लेसेंटा द्वारा भ्रूण तक पहुंच जाती है। इससे कई बार मिसकैरिज, गर्भ में शिशु की मृत्यु तक हो सकती है। इसके साथ ही बच्चा व्यवहारिक और मानसिक रूप से अपंग हो सकता है। इन बीमारियों को फेटल एल्कोहॉल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एफएडी) के नाम से जाना जाता है। प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल पीने से शिशु में एफएडी होने से उसके नाक-कान, आंख और मुंह में असामान्यता हो सकती है।
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सीडीसी की हिदायत
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, ‘प्रेग्नेंसी के दौरान एल्कोहॉल के सेवन के लिए कोई भी समय सुरक्षित नहीं है। एल्कोहॉल प्रेग्नेंसी की पूरी अवधि के दौरान समस्या पैदा कर सकती है।
यहां तक कि जब तक महिला को पता नहीं चलता कि वह प्रेग्नेंट है तब भी यह नुकसानदायक है। प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीनों में एल्कोहॉल का सेवन करने से शिशु का चेहरा असामान्य हो सकता है। प्रेग्नेंसी की किसी भी अवधि के दौरान एल्कोहॉल का सेवन करने से शिशु का विकास और उसका सेंट्रल नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है।’
सीडीसी के अनुसार पूरी गर्भावस्था के दौरान शिशु के मस्तिष्क का विकास होता है और इस अवधि के दौरान एल्कोहॉल के संपर्क में आने से यह प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। यदि कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौरान एल्कोहॉल का सेवन करती है तो जितनी जल्दी हो सके वह इसे बंद कर दे।
अब तो आप समझ ही गईं होगीं कि प्रेग्नेंसी के दौरान शराब का सेवन खतरनाक हो सकता है। एल्कोहॉल का सेवन वैसे भी नुकसान पहुंचाता है तो प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल तो पूरी तरह छोड़ ही देना आपके और शिशु के लिए बेहतर होगा क्योंकि इस दौरान आप जो भी खाती हैं उसका सीधा असर बच्चे पर होता है। सुरक्षा के लिहाज से प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल का सेवन बिल्कुल न करना ही शिशु के लिए सबसे सुरक्षित होता है। उम्मीद है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा अगर आपका कोई और सवाल है तो कमेंट बॉक्स में आप हमसे पूछ सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।