हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी, किसी हेल्थ प्रॉब्लम का सामना अवश्य करता है, जिसके लिए उसे डॉक्टर की सलाह ही जरूरत होती है। किसी भी सेहत संबंधी परेशानी से बचने के लिए डॉक्टर उसे सही उपचार के साथ ही व्यायाम की सलाह भी देते हैं। खासतौर पर मधुमेह यानी डायबिटीज की स्थिति में यह और भी जरूरी है। डायबिटीज के कई प्रकार हैं और इसकी टाइप चाहे कोई भी हो, रोगी इसके लक्षणों को मैनेज करके सामान्य जीवन जी सकता है। आज हम बात करने वाले हैं IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM) के बारे में। IDDM को इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin-dependent diabetes mellitus) के नाम से भी जाना जाता है। IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM) से पहले IDDM क्या है, यह जान लेते हैं।
किसे कहा जाता है IDDM?
यह तो आप जानते ही होंगे कि डायबिटीज के दो मुख्य प्रकार हैं टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज। IDDM की फुल फॉर्म है इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin-dependent diabetes mellitus)। इसे टाइप 1 डायबिटीज के नाम से भी जाना जाता है। यह वो स्थिति है जिसमें हमारा इम्यून सिस्टम पैंक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को नष्ट कर देता है। इन सेल्स को बीटा सेल्स कहा जाता है। यह समस्या अधिकतर बच्चों और यंग लोगों में पाई जाती है, इसलिए इसे जुवेनाइल डायबिटीज भी कहा जाता है। कई फैक्टर्स जैसे जेनेटिक्स और कुछ वायरस इसमें कंट्रीब्यूट कर सकते हैं।
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि यह समस्या आमतौर पर बचपन और किशोरावस्था में होती है लेकिन, यह वयस्कों में भी विकसित हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) का कोई उपचार नहीं है। इसके ट्रीटमेंट का फोकस ब्लड शुगर लेवल को इंसुलिन, डायट और हेल्दी लाइफस्टाइल में बदलाव आदि होता है। IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM) से पहले जान लेते हैं क्या हैं इसके लक्षण?
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IDDM के लक्षण (Symptoms of IDDM)
इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin-dependent diabetes mellitus) यानी टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के सही कारण का पता नहीं है। आमतौर पर, शरीर का अपना इम्यून सिस्टम जो सामान्य तौर पर हार्मफुल बैक्टीरिया और वायरस से लड़ता है, गलती से पैंक्रियाज में इंसुलिन प्रोड्यूसिंग सेल्स को नष्ट कर देता है। इसके लक्षण स्थिर होते हैं, लेकिन गंभीर हो सकते हैं। IDDM के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- अत्यधिक प्यास (Extreme thirst)
- अधिक बढ़ती भूख (Increased hunger)
- ड्राय माउथ (Dry mouth)
- पेट का खराब होना या उल्टी आना (Upset stomach and vomiting)
- लगातार यूरिनेशन (Frequent urination)
- अनएस्प्लेनेड वेट लॉस (Unexplained weight loss
- थकावट (Fatigue)
- नजरों का धुंधला होना (Blurry vision)
- त्वचा, यूरिनरी ट्रैक्ट या वजाइना में लगातार इंफेक्शन होना (Frequent infections)
- मूड चेंज (Mood changes)
इसके अलावा इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस यानी टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के आपातकालीन लक्षण इस प्रकार हैं:
- शेकिंग और कंफ्यूजन (Shaking and confusion)
- रेपिड ब्रीदिंग (Rapid breathing)
- सांसों से फ्रूटी स्मेल आना (Fruity smell to breath)
- पेट में दर्द (Belly pain)
- बेहोशी (Loss of consciousness)
यह तो थे इस समस्या के लक्षण। इसका कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है। अब जान लेते हैं कि IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM) कितना महत्वपूर्ण है।
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IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM): कितना है जरूरी?
एक्सरसाइज टाइप 1 डायबिटीज उपचार का महत्वपूर्ण भाग है। फिट और हेल्दी रहने के कई लाभ हैं। किंतु, डायबिटीज से पीड़ित लोगों में इस समस्या को कंट्रोल करने के लिए व्यायाम बेहद जरूरी है। एक्सरसाइज करने से इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin-dependent diabetes mellitus) यानी टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। क्योंकि, इससे इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो एक्सरसाइज के बाद शरीर को कार्बोहाइड्रेट को प्रोसेस करने के लिए अधिक इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होती है। इससे IDDM से पीड़ित व्यक्ति लॉन्ग-टर्म कॉम्प्लीकेशन्स को भी नजरअंदाज किया जा सकता है।
जैसे डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को ब्लॉक आर्टरीज की समस्या हो सकती है, जो हार्ट अटैक (Heart attack) का कारण बनती है। एक्सरसाइज करने से हार्ट भी हेल्दी और स्ट्रांग रहता है। इसके साथ ही एक्सरसाइज से गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल को मेन्टेन रखने में भी मदद मिलती है। इसके साथ ही व्यायाम के अन्य लाभ इस प्रकार हैं:
- ब्लड प्रेशर का लो होना (Lower blood pressure)
- लीन और स्ट्रांग मसल्स (Lean and stronger muscles)
- स्ट्रांग बोन्स (Stronger bones)
- अधिक एनर्जी महसूस होना (More energy)
IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM) करना थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड हो सकता है। एक्सरसाइज के प्रकार, वर्कआउट की लेंथ, इंसुलिन का प्रकार, पंप vs. इंजेक्शंस, लास्ट टाइम आप क्या खाया आदि कुछ ऐसे वेरिएबल हैं, जो निर्धारित करते हैं कि यह आपकी ब्लड शुगर को कैसे प्रभावित करेंगे। जनरल हेल्थ और IDDM को मैनेज करने के लिए नियमित एक्सरसाइज बेहद जरूरी है। लेकिन, इस समस्या से पीड़ित लोगों के लिए फिजिकल एक्टिविटीज से कुछ रिस्क्स भी जुड़े हो सकते हैं, जैसे:
IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम और हायपरग्लाइसीमिया (Hyperglycemia)
हाय इंटेंसिटी एक्सरसाइज से हॉर्मोन्स लेवल में बढ़ोतरी होती है जैसे एपिनेफ्रीन (Epinephrine) और ग्लूकागन (Glucagon)। इससे ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ सकता है जिसे हायपोग्लाइसेमिया कहा जाता है। इससे बचने के लिए अगर रोगी का एक्सरसाइज से पहले ब्लड शुगर लेवल हाय हो, तो उन्हें एक्सरसाइज के दौरान भी इसके लेवल की जांच करनी चाहिए। पर्याप्त रूप से हायड्रेट रहने से भी ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को बहुत अधिक होने से रोका जा सकता है।
अगर किसी का एक्सरसाइज के बाद ब्लड शुगर लेवल अधिक है, तो उन्हें कीटोन लेवल को भी जांचना चाहिए। अगर कीटोन लेवल अधिक हो तो डॉक्टर से बात करें। क्योंकि, ऐसे में व्यायाम करना घातक हो सकता है। IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM) के बारे में यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है।
IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम और हायपोग्लाइसेमिया Hypoglycemia
लो ब्लड शुगर को डॉक्टर हायपोग्लाइसेमिया कहते हैं। IDDM की स्थिति में कुछ लो वर्कआउट के बाद इसका अनुभव कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस समस्या से पीड़ित लोगों के पास हमेशा कार्बोहाइड्रेट का स्रोत हो, ताकि वे हायपोग्लाइसीमिया का तुरंत इलाज कर पाएं। किसी व्यक्ति द्वारा व्यायाम को पूरा करने के बाद ब्लड ग्लूकोज लेवल 24 घंटे तक डाउन हो सकता है, इसलिए लोगों को अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल की निगरानी के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। अगर वर्कआउट के बाद लगातार रोगी को लो ब्लड शुगर की समस्या हो, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए। उन्हें लो ब्लड ग्लूकोज लेवल को विकसित होने से रोकने के लिए अपने इंसुलिन इंटेक को एडजस्ट करने की आवश्यकता हो सकती है।
IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम(Exercise in Individuals With IDDM) करना कोई समस्या नहीं है। लेकिन, उन्हें अतिरिक्त प्रीकॉशन्स बरतने की जरूरत होती है। एक्टिव लाइफस्टाइल से कॉम्प्लीकेशन्स और हेल्थ कंडिशंस के रिस्क्स से बचा जा सकता है। अब जानते हैं कि इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस (Insulin-dependent diabetes mellitus) यानी टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) के लक्षणों को मैनेज करने के तरीकों के बारे में।
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इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस को कैसे करें मैनेज?
इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज मेलिटस में रोगी के लिए इंसुलिन लेना आवश्यक हो सकती है। यही कारण है कि इसे इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज कहा जाता है। इस स्थिति को मैनेज करने के लिए कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी है, जैसे:
- सही आहार का सेवन करें। अपने आहार में अधिक से अधिक फल सब्जियों और साबुत अनाज को शामिल करें।
- अगर आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने के उपाय अपनाएं। जैसे सही आहार का सेवन करें और व्यायाम करें। अपने वजन को संतुलित बनाए रखें।
- नियमित व्यायाम करें। रोजाना व्यायाम करने से न केवल डायबिटीज बल्कि कई अन्य समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है।
- तनाव से बचें। तनाव को भी डायबिटीज का मुख्य रिस्क फैक्टर माना जाता है। इसके साथ ही पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है।
- इस समस्या के पेशेंट्स के लिए नियमित ब्लड शुगर की जांच करना, डॉक्टर की सलाह के अनुसार इंसुलिन और अन्य दवाइयां लेना और डॉक्टर की राय का पालन करना बेहद जरूरी है।
यह तो थी जानकारी IDDM पेशेंट्स के लिए व्यायाम (Exercise in Individuals With IDDM) के बारे में। यह समझना बेहद जरूरी है कि डायबिटीज की स्थिति में नियमित व्यायाम जरूरी है। किंतु, टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) में व्यायाम करते हुए कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। यही नहीं, इस स्थिति में एक्सरसाइज से पहले, दौरान और बाद में ब्लड शुगर लेवल की जांच करना भी आवश्यक है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात अवश्य करें।
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