परिचय
हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) क्या है?
हीमोलिटिक एनीमिया एक प्रकार का एनीमिया होता है। इसमें ब्लड सेल्स काउंट में कमी आ जाती है, क्योंकि ब्लड सेल्स नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा हीमोलिटिक एनीमिया की स्थिति तब भी आती है जब ब्लड सेल्स का निर्माण बहुत कम होता है। हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) में प्लीहा यानी कि स्पलीन स्वस्थ रेड ब्लड सेल्स (RBC) को पकड़ कर नष्ट करने लगता है।
हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) एक्सट्रिनसिक या इंट्रिंसिक हो सकता है। एक्सट्रिनसिक हीमोलिटिक एनीमिया में स्प्लीन रेड ब्लड सेल्स को पकड़ लेता है और नष्ट कर देता है। इसके अलावा ऑटोइम्यून रिएक्शन (Autoimmune reaction) के कारण भी एक्सट्रिनसिक हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) हो सकता है। इंट्रिंसिक हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) में शरीर के द्वारा बनाई गई रेड ब्लड सेल्स सही से काम नहीं करती हैं।
रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells) का विनाश कुछ अन्य कारणों से भी हो सकता है :
- संक्रमण (Infection) की वजह से
- ट्यूमर (Tumor) होने पर
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Autoimmune Disorder) की परेशानी होने पर
- दवाओं के साइड इफेक्ट्स (Medication side effects) के कारण
- ल्यूकेमिया (Leukemia) की शिकायत होने पर
- लिम्फोमा की समस्या होने पर
हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) में शरीर डिफेक्टिव रेड ब्लड सेल्स का निर्माण शुरू कर देता है। एक तरह से ये समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है, जैसे- सिकल सेल एनीमिया (Sickle cell anemia) या थैल्सीमिया (Thalassemia)।
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कितना सामान्य है हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) होना?
हीमोलिटिक एनीमिया कॉकेशियन की तुलना में अफ्रिकन-अमेरिकन को ज्यादा प्रभावित करता है, क्योंकि उनमें सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia) होने का जोखिम ज्यादा होता है। हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) व्यक्ति को किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है। ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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लक्षण
हीमोलिटिक एनीमिया के क्या लक्षण हैं? (Symptoms of Haemolytic Anemia)
हीमोलिटिक एनीमिया होने के कई कारण हैं, इसलिए इसके लक्षण भी हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकता है। हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) के सामान्य लक्षण निम्न हैं :
- त्वचा (Skin) में पीलापन आना
- थकान (Fatigue) महसूस होना
- बार-बार बुखार (Fever) आना
- भ्रम के स्थिति में रहना
- सिर का घूमना
- चक्कर आना
- शारीरिक गतिविधियों में कमजोरी महसूस होना
इसके अलावा हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) के अन्य लक्षण भी हैं जो दिखाई देते हैं :
- गहरे रंग का यूरीन होना (Dark urine)
- आंखों और त्वचा का पीला पड़ जाना
- हार्ट रेट (Heart rate) का बढ़ जाना
- स्पलीन का बढ़ जाना
- लिवर (Liver) का बढ़ना
इसके अलावा हीमोलिटिक एनीमिया के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
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कारण
हीमोलिटिक एनीमिया होने के कारण क्या हैं? (Cause of Haemolytic Anemia)
हीमोलिटिक एनीमिया होने के लिए रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells) जिम्मेदार होते हैं। प्लीहा (Spleen) जब बढ़ जाता है तो लाल रक्त कोशिकाओं पर तनाव बनाने लगता है जिससे वह रेड ब्लड सेल्स को नष्ट करने लगता हैं। इसके अलावा सिकल सेल एनीमिया (Anemia) और थैलेसीमिया जैसी आनुवंशिक बीमारी के कारण भी हीमोलिटिक एनीमिया हो जाता है।
इसके निम्नलिखित कारणों पर भी ध्यान दें –
- सिकल सेल एनीमिया (Anemia) और थैलेसीमिया (Thalassemia) के पेशेंट को हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) का खतरा ज्यादा होता है।
- कोई ऐसे खाद्य पदार्थ जिनसे एलर्जी (Allergy) हो या ऐसे किसी ड्रग्स के सेवन से नकारात्मक प्रभाव पड़ना।
- लिवर या किडनी डिजीज (Kidney disease) के कारण हीमोलिटिक एनीमिया की समस्या हो सकती है।
- इम्यून सिस्टम से जुड़ी परेशानी होना या इम्यून सिस्टम कमजोर होना।
इन शारीरिक परेशानियों के साथ-साथ अन्य सेहत से जुड़ी परेशानी होने पर इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।
इस बीमारी का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? (Haemolytic Anemia in Child)
यूनिवेर्सिटी ऑफ शिकागो के अनुसार बच्चों पर वायरल इलनेस के कारण इसका प्रभाव पड़ सकता है। जिससे बच्चों में निम्नलिखित परेशानी हो सकती है। जैसे-
- बच्चों में इंफेक्शन (Infection) का खतरा बढ़ सकता है
- ऑटोइम्यून डिजीज जैसे टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) का खतरा बढ़ सकता है
- कैंसर (Cancer) होने की संभावना हो सकती है
- एवन्स सिंड्रोम जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है
इन बीमारियों के साथ-साथ अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है, क्योंकि कमजोर इम्यून सिस्टम (Immune system) कई सारी बीमारियों को दावत देने के लिए काफी हैं।
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जोखिम
हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anemia) के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
हीमोलिटिक एनीमिया हिमोलिम्फ हैमरेज होने का जोखिम बढ़ा देता है। वहीं, हीमोलिटिक हिमोटाइसिस ABO, Rh होने का रिस्क भी बढ़ जाता है। हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) परजैविक संक्रमण जैसे- मलेरिया (Malaria) या सेप्टिकिमीया के लिए भी जिम्मेदार होता है।
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
हीमोलिटिक एनीमिया का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Haemolytic Anemia)
हीमोलिटिक एनीमिया का पता लगाने के लिए सबसे पहले डॉक्टर आपका फिजिकल टेस्ट करते हैं। जिसमें वह आपकी मेडिकल हिस्ट्री चेक करते हैं और त्वचा व आंखों के पीलेपन को देखते हैं। हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) का पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट (Blood test) कराते हैं। जिसके रिपोर्ट और लक्षणों के आधार पर हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) से ग्रसित व्यक्ति का इलाज किया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर आपकी मेडिकल और पारिवारिक इतिहास के बारे में भी पूछ सकते हैं। इसके अलावा प्लीहा के आकार को जानने के लिए बायोप्सी, बोन मैरो एस्पिरेशन या अल्ट्रासाउंड कराते हैं।
हीमोलिटिक एनीमिया का इलाज कैसे होता है? (Treatment for Haemolytic Anaemia)
हीमोलिटिक एनीमिया का सटीक इलाज खून को चढ़ा कर किया जाता है। लेकिन, ऐसा बीमारी के कारणों पर निर्भर करता है। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर और जरूरत के हिसाब से ही हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) का इलाज करते हैं।
इसके अलावा हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) में आप खुद का बचाव कर के भी मलेरिया (Malaria) जैसे संक्रामक रोग से खुद को दूर कर सकते हैं।
निम्नलिखित तरह से भी इलाज किया जाता है। जैसे-
- रेड ब्लड सेल्स (RBC) के ट्रांसफ्यूजन से
- IVIG (इम्यूनोग्लोब्युलिन इंटरवेन्यूस्ली) की मदद से इलाज किया जाता है
- कर्टिकोस्टेरॉयड (Corticosteroid) की मदद ली जाती है
- सर्जरी
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घरेलू उपाय
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) की समस्या को शुरुआती वक्त में इग्नोर किया गया, तो व्यक्ति की परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए अगर हीमोलिटिक एनीमिया के लक्षण समझ आ रहें या आप महसूस करते हैं, तो इलाज में देरी ना करें। वहीं अगर आप हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic Anaemia) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।