ग्लियोब्लास्टोमा (Gliobastoma) किन कारणों से हो सकता है?
ज्यादातर कैंसर के कारणों का पता नहीं चलता है। कुछ फैक्टर्स होते हैं, जिनके कारण कैंसर या फिर ट्यूमर की संभावना बढ़ सकता है। ग्लियोब्लास्टोमा (Gliobastoma) के केस में भी यही बात लागू होती है। जब ब्रेन में अचानक से सेल्स खुद की संख्या बढ़ाने लगती हैं, तो ये ट्यूमर का निर्माण करता है। अगर आप पुरुष हैं और आपकी उम्र 50 साल से अधिक है, तो ब्रेन ट्यूमर या ग्लियोब्लास्टोमा होने की संभावना बढ़ जाती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स से भी परामर्श कर सकते हैं।
ग्लियोब्लास्टोमा के प्रकार (Types of glioblastoma)
ज्यादातर कैंसर के कारणों का पता नहीं चलता है। कुछ फैक्टर्स होते हैं, जिनके कारण कैंसर या फिर ट्यूमर की संभावना बढ़ सकता है। ग्लियोब्लास्टोमा (Gliobastoma) के केस में भी यही बात लागू होती है। जब ब्रेन में अचानक से सेल्स खुद की संख्या बढ़ाने लगती हैं, तो ये ट्यूमर का निर्माण करता है। अगर आप पुरुष हैं और आपकी उम्र 50 साल से अधिक है, तो ब्रेन ट्यूमर या ग्लियोब्लास्टोमा होने की संभावना बढ़ जाती है। ग्लियोब्लास्टोमा (Glioblastomas) को ग्रेड 4 एस्ट्रोसाइटोमा ट्यूमर (astrocytoma tumors) भी कहा जाता है। सभी ट्यूमर एक जैसे नहीं होते हैं। यानी उनके आकार में परिवर्तन होता है। ट्यूमर कैसे दिख रहे हैं, इस आधार पर उन्हें एक से लेकर चार के स्केल में मापा जाता है। ग्रेड के आधार पर पता चल जाता है कि ट्यूमर कितनी गति से बढ़ रहा है या फिर कोशिकाएं कितनी तेजी से अपनी संख्या बढ़ा रही हैं। ग्रेड 4 ट्यूमर को एग्रेसिव ट्यूमर कहा जाता है क्योंकि ये तेजी से ग्रो करता है और साथ ही तेजी से ब्रेन में फैलता है। ग्लियोब्लास्टोमा (Gliobastoma) दो प्रकार का होता है। पहला प्राइमरी ग्लियोब्लास्टोमा और दूसरा सेकेंड्री ग्लियोब्लास्टोमा।
प्राइमरी ग्लियोब्लास्टोमा (Primary glioblastoma) – इस प्रकार का ट्यूमर एग्रेसिव फॉम में रहता है और तेजी से ब्रेन में फैलता है।
सेकेंड्री ग्लियोब्लास्टोमा (Secondary glioblastoma) – सेकेंड्री ग्लियोब्लास्टोमा की ग्रोथ कम होती है और ये कॉमन नहीं होता है। ये लोअर ग्रेड से शुरू होता है। इसे लेस एग्रेसिव एस्ट्रोसाइटोमा (astrocytoma) कहते हैं। ब्रेन कैंसर के कुल पेशेंट में केवल दस प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें सेकेंड्री ग्लियोब्लास्टोमा की समस्या होती है। ये ट्यूमर 45 साल से अधिक उम्र के लोगों में होने की संभावना अधिक होती है।