कोलन कैंसर यानी कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal cancer) महिलाओं और पुरुषों में पाया जाने वाला तीसरा सबसे सामान्य कैंसर है। हालांकि, कोलन कैंसर के विकसित होने का लाइफटाइम रिस्क महिलाओं की तुलना में पुरुषों में थोड़ा ज्यादा है। लेकिन, पुरुषों और महिलाओं दोनों में कोलन कैंसर के लक्षण एक जैसे ही होते हैं। कोलन कैंसर उस कैंसर को कहा जाता है जब कोलन यानी लार्ज इंटेस्टाइन में सेल्स एब्नार्मली और आउट ऑफ कंट्रोल ग्रो होते हैं। इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) के बारे में। आइए जानें महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) के बारे में विस्तार से।
महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) क्या है?
यह तो आप जान ही गए होंगे कि कोलन कैंसर एक तरह का कैंसर है, जिसकी शुरुआत कोलन यानी लार्ज इंटेस्टाइन में होती है। कोलन डायजेस्टिव ट्रैक्ट का फाइनल पार्ट होता है। यह कैंसर अधिकतर बुजुर्गों को होता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। पुरुषों के साथ ही महिलाओं को भी यह समस्या हो सकती है। अगर कोलन कैंसर डेवलप होता है, तो कई ट्रीटमेंट मौजूद है जिनसे इसे कंट्रोल किया जा सकता है जिसमें सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और ड्रग ट्रीटमेंट आदि शामिल है। अब जानते हैं कि महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) के क्या लक्षण हो सकते हैं?
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महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) के लक्षण क्या है?
कोलन कैंसर की शुरुआत कोलन की वॉल्स में टाइनी ग्रोथ के रूप में होती है। इस ग्रोथ को पोलिप्स भी कहा जाता है। यह पोलिप्स आमतौर पर बिनाइन होता है, लेकिन अलग कैंसरस पोलिप्स फॉर्म होता है, तो कैंसर सेल्स कोलन या रेक्टम की लायनिंग में मूव कर सकते हैं और फैल सकते हैं। यही नहीं, कैंसर सेल्स ब्लडस्ट्रीम और लिम्फ सिस्टम में भी एंटर कर सकते हैं। अर्ली स्टेज में, कोलन कैंसर के कोई भी लक्षण नोटिस नहीं होते हैं। लेकिन, जिन लोगों में यह लक्षण नजर आते हैं, तो महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) के लक्षण वही होते हैं जो पुरुषों में देखे जाते हैं, और यह लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- कब्ज, डायरिया और बॉवेल हैबिट्स में बदलाव
- स्टूल में ब्लड या रेक्टल ब्लीडिंग
- पेट में दर्द और क्रैम्प्स
- एक सेंसेशन होना कि आपका बॉवेल पूरी तरह से खाली नहीं हुआ है
- अस्पष्ट वजन का कम होना
- थकावट, कमजोरी और एनर्जी लेवल में कमी
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महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) और मेंस्ट्रुएशन के लक्षण
महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) के कुछ लक्षण मेंस्ट्रुअल सायकल के सामान लग सकते हैं। उदाहरण के लिए अस्पष्ट थकावट और एनर्जी का कम होना प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual syndrome) के सामान्य लक्षण हो सकते हैं। यह एनीमिया के लक्षण भी हो सकते हैं, जो आप तब अनुभव करते हैं अगर आप मेंस्ट्रुअल पीरियड के दौरान बहुत अधिक ब्लड को लूज करते हैं। इसी तरह से कोलन कैंसर में होने वाले एब्डोमिनल क्रैम्प्स को मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स के साथ जोड़ा जा सकता है। इन क्रैम्प्स को गलती से एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) का लक्षण भी समझा जा सकता है।
अगर आप नियमित रूप से थकावट और एब्डोमिनल पेन का अनुभव कर सकते हैं जो मेंस्ट्रुअल सायकल से संबंधित नहीं हैं या अगर आप इन लक्षणों को पहली बार महसूस कर रहें हैं, भले ही वे आपके मेंस्ट्रुअल सायकल के लक्षणों जैसे हों। तो आपको अपने डॉक्टर से भी बात करनी चाहिए। अब जानिए क्या है इस समस्या के कारण?
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महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) के कारण क्या हैं?
डॉक्टर्स को इस बारे में जानकारी नहीं है कि इस कैंसर के कारण क्या हैं। आमतौर पर कोलन कैंसर की शुरुआत तब होती है, जब कोलन में हेल्दी सेल्स अपने डीएनए में परिवर्तन (म्यूटेशन) को डेवलप करते हैं। हेल्दी सेल्स ग्रो होते हैं और डिवाइड हो जाते हैं ताकि शरीर सही तरीके से काम कर सके। लेकिन अगर सेल का DNA डैमेज हो जाता है और कैंसर बन जाता है, तो सेल्स डिवाइड होना शुरू हो जाते हैं। यह तब भी होता है, जब नए सेल्स की जरूरत भी नहीं होती। जैसे ही सेल्स जमा होते हैं, वे एक ट्यूमर बनाते हैं।
समय के साथ कैंसर सेल्स आस-पास के सामान्य टिश्यूज पर आक्रमण करने और नष्ट करने के लिए विकसित हो सकती हैं और कैंसर सेल्स शरीर के अन्य हिस्सों में जाकर वहां डिपॉजिट फॉर्म कर सकती हैं। अब जानते हैं कि महिलाओं में कोलन कैंसर का निदान कैसे संभव है?
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महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) का निदान कैसे हो सकता है?
कोलन कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से मेडिकल हिस्ट्री और शारीरिक लक्षणों के बारे में जानते हैं। जैसे कि पहले ही बताया गया है कि महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) की स्थिति में नजर आने वाले लक्षण किसी अन्य समस्या का समान भी हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर कुछ टेस्ट्स की सलाह भी दे सकते हैं। इन टेस्ट्स का इस्तेमाल कोलन कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए किया जाता है।
कोलोनोस्कॉपी (Colonoscopy)
कोलोनोस्कॉपी वो प्रोसीजर है जिसमें एक लम्बी, फ्लेक्सिबल ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है। इस ट्यूब को एनस में इंसर्ट किया जाता है और कोलन में एक्सटेंड किया जाता है। इस ट्यूब के टिप पर एक छोटा कैमरा होता है जो डॉक्टर तक कम्प्यूटर स्क्रीन के माध्यम से इमेजेज भेजता है। अगर कोई पोलिप्स डिस्कवर होता है, तो उसे कोलोनोस्कोप के माध्यम से पास्ड विशेष उपकरणों के साथ हटाया जा सकता है। पोलिप्स को लैब में एनालाइज किया जा सकता है। प्रोसेस के इस पार्ट को बायोप्सी (Biopsy) कहा जाता है। अगर बायोप्सी से पता चले कि कैंसर प्रेजेंट है, तो अन्य टेस्ट्स भी कराए जा सकते हैं, जैसे:
जीन टेस्ट (Gene test)
यह टेस्ट खास तरह के कैंसर को पहचानने के लिए किया जाता है, क्योंकि इससे ट्रीटमेंट के बारे में सही डिसीजन लेने में मदद मिल सकती है।
कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Computed tomography)
कोलन के नजदीक के टिश्यूज की कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन से डॉक्टर को यह जानने में मदद मिलती है कि कैंसर स्प्रेड हुआ है या नहीं।
अल्ट्रासाउंड (Ultrasounds)
अल्ट्रासाउंड में साउंड वेव्स का इस्तेमाल होता है, इससे शरीर में टिश्यू की कंप्यूटर इमेज क्रिएट की जाती है। जिन महिलाओं को इस कैंसर का रिस्क अधिक होता है, उन्हें डॉक्टर जल्दी स्क्रीनिंग की सलाह देते हैं। अगर कोलोनोस्कॉपी (Colonoscopy) के दौरान पोलिप्स नहीं मिलता है, तो हर दस साल में इसकी सलाह दी जाती है। अगर एक या एक से अधिक पोलिप्स पाए जाते हैं, तो डॉक्टर आपके रिस्क फैक्टर के अनुसार फिर से स्क्रीनिंग कराने के लिए कह हैं। अब जानते हैं कि कैसे हो सकता है इसका उपचार?
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महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) का उपचार
महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) का उपचार के लिए अधिकतर तीन तरीके अपनाए जाते हैं। यही नहीं, इस कैंसर के रिस्क को कम करने के लिए हमें हेल्दी हैबिट्स अपनाने की सलाह दी जाती है। इस कैंसर के उपचार के तरीके इस प्रकार हैं:
- सर्जरी (Surgery): शुरुआती स्टेज में इस कैंसर को कैंसरस पोलिप्स को रिमूव कर के ट्रीट किया जा सकता है। लेकिन, जब डिजीज बढ़ती है, तो अधिक टिश्यू या कोलन के पार्ट्स को भी रिमूव करने की जरूरत हो सकती है।
- सिस्टमिक थेरपीज (Systemic therapies): कीमोथेरेपी के दौरान पावरफुल मेडिकेशन्स, कैंसर सेल्स को नष्ट कर देती हैं। इसकी सलाह अक्सर तब दी जाती है, अगर कैंसर लिम्फ नोड्स तक पहुंच गया हो। कई बार कीमोथेरेपी, सर्जरी से पहले की जाती है ताकि ट्यूरम को श्रिंक होने में मदद मिल सके। इसके अलावा टार्गेटेड थेरेपी या इम्यूनोथेरेपीज की सलाह भी दी जा सकती है।
- रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy): रेडिएशन थेरेपी के दौरान, पावरफुल बीम्स जैसे एक्स-रेज का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि कैंसरस ट्यूमर को शरिंक या डिस्ट्रॉय किया जा सके। इस थेरेपी की सलाह कई बार कीमोथेरेपी के साथ दी जा सकती है।
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यह तो थी महिलाओं में कोलन कैंसर (Colon Cancer in Women) के बारे में जानकारी। महिलाओं और पुरुषों के लिए कोलन कैंसर के लिए सर्वाइवल रेट एक जैसा है। इसका सर्वाइवल रेट इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर कितना फैल गया है। रोगी की और संपूर्ण हेल्थ भी महत्वपूर्ण फैक्टर है। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।