कोलोरेक्टल कैंसर को बॉवेल कैंसर (Bowel Cancer), कोलन कैंसर (Colon Cancer) या रेक्टल कैंसर (Rectal Cancer) भी कहा जाता है । यह वो कैंसर है जो कोलन और रेक्टम को प्रभावित करता है। अगर किसी में इस समस्या का निदान होता है, तो उसके मन में भय या चिंता का होना सामान्य है। इसके निदान के बाद अक्सर मरीज के दिमाग में यही सवाल आता है कि अब इसके बाद इसका उपचार किस तरह से होगा? क्या इसका उपचार संभव है या नहीं। दरअसल इसका उपचार कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जिसमें उसकी स्टेज भी शामिल है। तो आज हम बात करने वाले हैं स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर (Stage 1 Colorectal Cancer) के बारे में। जानें इस बारे में विस्तार से। लेकिन, इसकी शुरुआत करते हैं कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) की जानकारी से।
कोलोरेक्टल कैंसर क्या है? (Colorectal Cancer)
कोलोरेक्टल कैंसर, कोलन या रेक्टम में शुरू होता है और इस कैंसर को कोलन या रेक्टम कैंसर भी कहते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह कहां शुरू हुआ है? कोलन कैंसर और रेक्टल कैंसर को एक ही माना जाता है क्योंकि इनकी कई विशेषताएं एक जैसी होती हैं। कोलोरेक्टल कैंसर आमतौर पर बुजुर्गों को प्रभावित करता है हालांकि यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। यह पहले कोशिकाओं के छोटे, नॉन -कैंसर्स (Non-Cancerous) यानि बिनाइन सेल्स (Benign Cells) के क्लंप्स (Clumps) के रूप में शुरू होता है, जिन्हें पॉलीप्स (Polyps) कहा जाता है। यह पोलिप्स, कोलन के अंदर बनते हैं। समय के साथ इनमें से कुछ पॉलीप्स कोलन कैंसर बन सकते हैं। यह पोलिप्स किन्हीं मामलों में कम और छोटे हो सकते हैं। इस कारण डॉक्टर नियमित रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट कि सलाह दे सकते हैं ताकि पोलिप्स में कैंसर के बदलने से पहले ही इस कैंसर की पहचान हो जाए और उन्हें रिमूव किया जा सके। अब जानिए क्या हैं इसके लक्षण।
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कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Colorectal Cancer)
स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर (Stage 1 Colorectal Cancer) से पहले इस समस्या के लक्षणों के बारे में जानकारी का होना भी जरूरी है। दरअसल शुरुआती स्टेज में रोगी को कोलोरेक्टल कैंसर का कोई लक्षण नजर नहीं आता है। लेकिन, इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- बॉवेल हैबिट्स में बदलाव (Changes in Bowel Habits)
- डायरिया या कब्ज (Diarrhea or Constipation)
- बॉवेल के पूरी तरह से खाली न होने की फीलिंग (Feeling that Bowel does not Empty Properly)
- रेक्टम से ब्राइट रेड ब्लड आना (Bright Red Blood from Rectum)
- पेट में दर्द और ब्लोटिंग (Abdominal Pain and Bloating)
- थकावट (Fatigue)
- अनएक्सप्लेंड वेट लोस (Unexplained Weight Loss)
- एनीमिया (Anemia)
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अगर डॉक्टर आपके रूटीन चेकअप के दौरान एनीमिया के लक्षण नजर आते हैं, तो वो आपको कोलोरेक्टल कैंसर की स्क्रीनिंग की सलाह दे सकते हैं। ऐसा माना जाता है की इस कैंसर से पीड़ित लगभग चालीस प्रतिशत लोगों में शुरुआती स्टेज में ही इस बीमारी के निदान हो जाता है। कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण कुछ अन्य हेल्थ कंडीशंस के जैसे भी हो सकते हैं। अगर आप इस कैंसर के लक्षणों को लेकर चिंता में हैं, तो आपको मेडिकल सलाह की जरूरत है। इस कैंसर का उपचार इसकी स्टेजेस पर निर्भर करता है। ऐसे में इस समस्या के सही उपचार के लिए रोगी में कैंसर की स्टेज का पता होना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर (Stage 1 Colorectal Cancer) के बारे में। लेकिन इससे पहले जान लेते हैं कोलोरेक्टल कैंसर की विभिन्न स्टेजेस कौन सी हैं?
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कोलोरेक्टल कैंसर की विभिन्न स्टेजेस (Stages of Colorectal Cancer)
कोलोरेक्टल कैंसर की स्टेजेस इस बात के बारे में बताती हैं कि यह कैंसर कितना फैला है। स्टेज के बारे में जान कर ही डॉक्टर इसके सही उपचार को चुन सकते हैं। इसकी कई स्टेजेस होती हैं, जो इस प्रकार हैं:
- स्टेज 0 (Stage 0) : यह सबसे शुरुआती स्टेज और इसे कार्सिनोमा (Carcinoma) के नाम से भी जाना जाता है। जहां कैंसर केवल कोलन या रेक्टम की इनर लेयर में होता है।
- स्टेज 1 (Stage 1) : इस स्टेज का अर्थ है कि कैंसर कोलन या रेक्टम की इनर लेयर के माध्यम से बढ़ चुका है लेकिन रेक्टम या कोलन की वॉल के परे नहीं फैला है।
- स्टेज 2 (Stage 2) : इस स्टेज का मतलब है कि कैंसर रेक्टम या कोलन की वॉल के माध्यम से या वॉल में फ़ैल गया है लेकिन आसपास की लिम्फ नोड्स (Lymph Nodes) तक नहीं पहुंचा है।
- स्टेज 3 (Stage 3) : स्टेज 3 का अर्थ है कि कैंसर लिम्फ नॉड्स तक पहुंच गया है लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों तक नहीं पहुंचा है।
- स्टेज 4 (Stage 4) : स्टेज 4 का मतलब है कि कैंसर शरीर के अन्य भागों तक फैल चुका है जैसे लिवर और लंग्स।
कई बार उपचार से कैंसर को रिमूव कर दिया जाता है, लेकिन कुछ एरिया या शरीर के अन्य भागों में यह समस्या फिर से हो सकती है। इसे रीकरंट कैंसर (Recurrent Cancer) कहा जाता है। अब जानिए स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर (Stage 1 Colorectal Cancer) के बारे में।
स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर क्या है? (stage 1 colorectal cancer)
स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर तब होता है, जब कैंसर्स सेल्स कोलन की वॉल में अधिक गहराई तक ग्रो हो चुके होते हैं। लेकिन, यह अभी कोलन के परे या लिम्फ नोड्स के पास नहीं फैले होते। ऐसे में इनका उपचार संभव होता है। अब जानिए किस तरह से संभव है स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर (Stage 1 Colorectal Cancer) का उपचार?
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स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर का उपचार किस तरह से हो सकता है? (Treatment of Stage 1 Colorectal cancer)
स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर (Stage 1 Colorectal Cancer) का अर्थ है कि यह कोलन कि यह आसपास के अंगों या लोकल लिम्फ नोड्स तक नहीं फैला होता। इस स्टेज के नब्बे प्रतिशत रोगी सिर्फ सर्जरी से ही ठीक हो जाते हैं और रीकरंट कैंसर का अनुभव नहीं करते हैं। इसके उपचार के तरीके इस प्रकार हैं:
सर्जरी (Surgery)
स्टेज 0 की तरह स्टेज 1 में भी सर्जरी ही एकमात्र उपचार है, जिसकी इस स्टेज पर जरूरत पड़ती है। अगर मरीज इतना स्वास्थ्य न हो कि उसकी सर्जरी की जाए तो उपचार के लिए अन्य तरीकों को भी अपनाया जा सकता है जैसे कीमोथेरेपी (Chemotherapy) या रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy)। इसके बारे में आपके डॉक्टर निर्धारित करते हैं।
पॉलीपेक्टोमी (Polypectomy)
कोलोनोस्कोपी के दौरान एक लोकल एक्ससीजन (Local excision) कैंसरयुक्त पॉलीप को हटा सकता है। यदि वह पॉलीप पूरी तरह से हटा दिया गया है, और हटाए गए टुकड़े के किनारों पर कोई कैंसर नहीं है, तो आगे के उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन, अगर पॉलीप को हाय ग्रेड (High Grade) माना जाता है। इसका अर्थ है कि इसके किनारों पर कैंसर्स सेल्स मिलते हैं या एक ही टुकड़े में पोलिप्स को पूरी तरह नहीं रिमूव किया गया है, तो अतिरिक्त प्रक्रियाओं की जरूरत हो सकती है।
पार्शियल कोलेक्टॉमी (Partial Colectomy)
ऐसे कैंसर के लिए जो पॉलीप में नहीं हैं, उनके कोलन के कैंसर्स पोरशन को रिमूव करने के लिए यह सर्जरी की जाती है।
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स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर की ट्रीटमेंट टाइमलाइन क्या है? (Treatment Timeline of Stage 1 Colorectal Cancer)
इसकी टाइमिंग इस बात पर निर्भर करती है कि पोलिप्स के लिए हाय ग्रेड या पार्शियल कोलेक्टॉमी (Partial Colectomy) की जरूरत है। आम भाषा में कहा जाए तो स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर (Stage 1 Colorectal Cancer) के उपचार में 1 से 6 महीने लग सकते हैं। स्टेज 0 का निदान होने पर ही डॉक्टर मरीज को बार-बार कोलोरेक्टल कैंसर स्क्रीनिंग की सलाह देते हैं, ताकि जल्दी निदान और उपचार हो सके।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार कोलोरेक्टल कैंसर के विकास में इस कैंसर की फॅमिली हिस्ट्री भी एक रिस्क फैक्टर हो सकती है। इसके साथ ही क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन बॉवेल डिजीज (Chronic Inflammation Bowel Disease), फिजिकल इनएक्टिव रहना (Physical Inactivity), मोटापा (Obesity), स्मोकिंग (Smoking), अधिक अल्कोहल (Excess Alcohol) आदि भी इसके जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ फैक्टर हैं। कोलोरेक्टल कैंसर से बचें के कुछ टिप्स इस प्रकार हैं :
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कोलोरेक्टल कैंसर से बचने के आसान तरीके क्या हैं?
यह तो थी स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर (Stage 1 Colorectal Cancer) के बारे में जानकारी। कोलोरेक्टल कैंसर या किसी भी कैंसर से बचाव संभव नहीं है। लेकिन, कुछ तरीकों से न केवल आप शुरुआती स्टेज में ही इसका निदान कर सकते हैं बल्कि इससे रिकवर होने में भी आपको आसानी होगी। यह कुछ तरीके इस तरह से हैं:
कोलोरेक्टल कैंसर स्क्रीनिंग (Colorectal Cancer Screening) : स्क्रीनिंग वो टेस्ट है जिससे लक्षणों के विकसित होने से पहले ही कैंसर का पता चल सकता है। कुछ कोलोरेक्टल स्क्रीनिंग टेस्ट (Colorectal Screening Test) से कोलन या रेक्टम में पोलिप्स को ढूंढा और रिमूव किया जा सकता है। पोलिप्स कैंसर नहीं होती हैं, लेकिन समय के साथ पोलिप्स में कैंसर की शुरुआत हो सकती है। ऐसे में इस बारे में डॉक्टर की सलाह लेना और नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट करना भी जरूरी है
सही आहार (Right Food) : अधिक से अधिक फल, सब्जियों और साबुत अनाज का सेवन करें। सही और संतुलित आहार से आप इस कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। अपने लिए सही डायट के बारे में जानने के लिए डॉक्टर और डायटिशन की मदद ले सकते हैं।
व्यायाम करें (Exercise) : अगर आप शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं हैं, तो आप में कोलोरेक्टल कैंसर के विकसित होने की संभावना अधिक होगी। लेकिन एक्टिव होने से आप को इसके जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी। इसलिए दिन में कुछ समय व्यायाम या सैर के लिए अवश्य निकालें।
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वजन को संतुलित रखें (Keep your Weight Right) : अधिक वजन का होना या मोटापा भी कोलन और रेक्टल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। सही आहार और फिजिकल एक्टिविटी से आप अपने वजन को सही रख सकते हैं। कई बार किसी हेल्थ कंडीशन के कारण भी आपका वजन बढ़ सकता है। ऐसे में पहले इस बीमारी का उपचार होना अनिवार्य है।
स्मोकिंग न करें (Don’t Smoke) : ऐसा माना जाता है कि अधिक धूम्रपान करने वाले लोगों में धूम्रपान न करने वाले लोगों की तुलना में कोलन और रेक्टल कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो उसे छोड़ दें। सेकंडहैंड स्मोकिंग (Secondhand Smoking) भी नुकसानदायक साबित हो सकती है इसलिए इससे भी बचे।
एल्कोहॉल की मात्रा सीमित करें (Limit Alcohol) : एल्कोहॉल को भी कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal Cancer) के अधिक जोखिम के साथ जोड़ा जाता है, ऐसे में एल्कोहॉल को छोड़ देना या इसका सीमित मात्रा में सेवन करना ही बेहतर है।
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उम्मीद है कि आप स्टेज 1 कोलोरेक्टल कैंसर (Stage 1 Colorectal Cancer) के बारे में जान गए होंगे। कैंसर की स्टेज से डॉक्टर कैंसर की गंभीरता का भी अंदाजा लगाते हैं और उसके लिए सही ट्रीटमेंट के बारे में भी निर्धारित करते हैं। यह स्टेजिंग ट्यूमर का साइज और यह शरीर के अन्य भागों में तो नहीं फैल गया है, यह भी जानकारी पाने में मदद करती है। ऐसा माना जाता है कि आहार,व्यायाम, वजन आदि आदतें कोलोरेक्टल कैंसर( Colorectal Cancer) के जोखिम से जुड़ी होती हैं। इनमें से कुछ को बदलना मुश्किल हो सकता है लेकिन इन्हें बदलने से न केवल आप कई तरह एक कैंसर के जोखिम से बच सकते हैं बल्कि कई गंभीर समस्याएं जैसे हार्ट डिजीज और डायबिटीज आदि से भी बच सकते हैं।