कोलोरेक्टल कैंसर वाले कई लोगों के लिए ट्रीटमेंट कैंसर को दूर या कर सकता है। ट्रीटमेंट के अंत में तनावपूर्ण और रोमांचक दोनों प्रकार की स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इलाज खत्म होने के बाद आपको राहत मिल सकती है, लेकिन कैंसर के वापस आने की चिंता भी लगी रहती है।यदि आपको कैंसर हुआ है तो यह बहुत सामान्य है। कुछ लोगों के लिए कोलोरेक्टल कैंसर कभी भी पूरी तरह से दूर नहीं हो सकता है। लंबे समय तक कैंसर को ठीक करने के लिए कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरिपी या अन्य उपचारों के साथ रेग्युलर ट्रीटमेंट बहुत जरूरी हो जाता है। ये सिचुएशन वाकई दर्दनाक होती है। इस कारण से पेशेंट तनावपूर्ण रहता है।
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सर्वाइवरशिप केयर प्लान (survivorship care plan) है जरूरी!
कोलोरेक्टल कैंसर के साथ रहना किसी भी पेशेंट के लिए आसान नहीं होता है। कैंसर के ट्रीटमेंट के बाद सर्वाइवरशिप केयर प्लान (survivorship care plan) जरूरी होता है। सर्वाइवरशिप केयर प्लान (survivorship care plan) में कुछ गाइडलाइन रहती हैं, जिसके तहत हेल्थ की मॉनिटरिंग संबंधित जानकारियां होती हैं। पेशेंट को समय-समय पर अपना चेकअप कराना पड़ता है। अपने डॉक्टर से आपको सर्वाइवरशिप केयर प्लान (survivorship care plan) के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। इसमें कुछ बातें शामिल की जाती हैं जैसे कि टेस्ट के बारे में जानकारी आदि।
लॉग टर्म साइड इफेक्ट्स, जो कि ट्रीटमेंट के दौरान हुए हैं। उनकी लिस्ट और साथ ही डॉक्टर से संपर्क करने के बारे में जानकारी। आपको भविष्य में कुछ टेस्ट की भी जरूरत पड़ सकती है। जिसकी जानकारी इस प्लान में भी रहती है। आपको अपनी हेल्थ को इंप्रूव करने के लिए किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है, जो कि आपके दोबारा कैंसर होने के चांसेस को कम कर सकते हैं। इस बारे में भी इस प्लान में जानकारी दी जाती है। आपके प्राइमरी केयर प्रोवाइडर के साथ अपॉइंटमेंट और साथ ही हेल्थ केयर मॉनिटरिंग भी इसमें शामिल होती है। एक बार कैंसर का ट्रीटमेंट हो जाने के बाद भी आपको कुछ समय के अंतराल पर टेस्ट कराने की जरूरत पड़ती है। ऐसा करने से दोबारा कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है। अगर दोबारा कैंसर हो भी जाता है, तो उसे समय पर डायग्नोज कर लिया जाता है। ऐसा करने से पेशेंट बड़े खतरे से बच जाता है।