आहार में फाइबर बढ़ाने का मतलब है खाने में पौधों से मिलने वाली ऐसी चीज़ों को शामिल करना जिन्हें हमारा शरीर पचा नहीं सकता। वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट ऐसे खाद्य तत्व हैं जिन्हें शरीर पचा लेता है लेकिन फाइबर को शरीर नहीं पचा पाता। इसके बजाय यह पेट, छोटी आंत और कोलन से होता हुआ आखिर में शरीर से बाहर निकल जाता है।
कोलोरेक्टल कैंसर से होने वाली मौतों को रोकने के मामले में फाइबर वाले आहार की भूमिका पर पिछले 5-6 दशकों से काफी रिसर्च हो रहा है। पहले हुए बहुत सारे अध्ययनों और उनके मेटा-विश्लेषण ने कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज या रोकथाम के मामले में फाइबर से होने वाले फायदों या नुकसान के बारे में परस्पर विरोधी नतीजे दिखाए हैं, हालांकि अधिकांश ने फायदेमंद नतीजे ही दिखाए हैं। फाइबर के कारण कई तरह के फायदे मिलते हैं। ज्यादा फाइबर वाले आहार से मल बढ़ता है और मल आसान व जल्दी से शरीर से बाहर निकल जाता है (जिसके न होने पर कब्ज हो जाता है)। इसके होने से बड़ी आंत की कोशिकाओं का कार्सिनोजेनिक से संभावित संपर्क कम होता है।
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फाइबर और कोलन कैंसर के बारे में क्या कहते हैं अध्ययन?
कुछ अध्ययनों से पता चला है कि फाइबर आहार ’अपोप्टोसिस’ (पुरानी और अव्यवस्थित कोशिकाओं की तुरंत मृत्यु) को बढ़ावा देते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोक देते हैं। ज्यादा फाइबर वाले आहार विशेष रूप से अनाज और मोटे अनाज भी इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार, मोटापे की कम करने, शरीर में सूजन कम करने, खराब लिपिड कम करने आदि से कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने में अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावी होते हैं। इन सब में सुधार करने पर यह कोलो-रेक्टल कैंसर होने के बाद भी जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।
फाइबर में ब्यूटिरेट नामक महत्वपूर्ण यौगिक भी होता है, जिसके फर्मेन्टेशन से ट्यूमर माइक्रोएन्वायरमेंट (ट्यूमर के अंदर और आस-पास का वातावरण) मोड्यूलेट होता है। ब्यूटिरेट कैंसर कोशिकाओं के केन्द्र में जमा होता है जहां आनुवंशिक सामग्री जमा होती है। यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकता है।
कई अध्ययनों से पता चला है कि हर तरह का फाइबर कैंसर को रोकने में उतना अच्छा नहीं होता है। फलों, सब्जियों, या ओट्स की तुलना में अनाज और मोटे अनाज से मिलने वाले फाइबर को कोलोरेक्टल कैंसर कम करने में ज्यादा बेहतर पाया गया है। ये टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस और हृदय रोग को कम करने के साथ मौत की दर को भी कम करते हैं। इसके सटीक कारणों का पता नहीं है लेकिन यह उनमें पाये जाने वाले ज्यादा फाइबर के कारण हो सकता है।
कुछ अध्ययनों को छोड़कर पहले हुए ज्यादातर अध्ययनों से उनका लाभकारी प्रभाव ही सामने आया है, लेकिन फाइबर के पक्ष में कोई पक्का सबूत नहीं मिला है। जांच करने वाले कई लोगों को लगता है कि ये नतीजे पक्षपातपूर्ण हैं क्योंकि इन अध्ययनों पर व्यक्तिगत सोच और बहुत सारे उलझाने वाले कारकों का भी प्रभाव है। हालांकि हाल में हुई कई बेहतर अध्ययनों में भी फाइबर से होने वाले फायदों का पता चला है।