कैंसर की बीमारी तेजी से फैलने वाली बीमारी है। कैंसर की बीमारी के कारण तेजी से सेल्स डिवाइड होती है और ट्यूमर बनाने का काम करती हैं। फेफड़े के कैंसर के दो मुख्य प्रकार स्मॉल सेल लंग कैंसर (Small cell lung cancer ) और नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (non-small cell lung cancer) होते हैं। अगर व्यक्ति का सही समय पर इलाज हो जाए, तो इस समस्या से निपटा जा सकता है। अगर कैंसर की बीमारी शुरुआती अवस्था में पता न चल पाए, तो इसका ट्रीटमेंट करने में परेशानी हो सकती है। अगर कैंसर आखिरी स्टेज में पहुंच जाता है, तो शरीर के विभिन्न ऑर्गन को प्रभावित कर सकता है। बीमारी का ट्रीटमेंट करने से पहले बीमारी को डायग्नोज करना बहुत जरूरी होता है। आइए जानते हैं कि लंग कैंसर ट्रीटमेंट (Lung cancer treatment) से पहले बीमारी को कैसे किया जाता है डायग्नोज।
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लंग कैंसर ट्रीटमेंट (Lung cancer treatment) से पहले जानिए इसका डायग्नोसिस
लंग कैंसर की संभावना उन लोगों को अधिक होती है, जो लोग स्मोकिंग करते हैं। अधिक उम्र और ज्यादा स्मोकिंग के कारण इस कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में बीमारी के लक्षण दिखने पर बीमारी को डायग्नोज करना बहुत जरूरी हो जाता है। लंग कैंसर को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट जैसे कि एक्स-रे, सिटी स्कैन आदि कराने की सलाह देते हैं। साथ ही बायोप्सी भी की जा सकती है। इसमें एब्नॉर्मल सेल्स को निकाला जाता है और उन्हें चेक किया जाता है। वहीं जिन लोगों को कफ की अधिक समस्या होती है, उन लोगों के कफ का टेस्ट किया जाता है। इसे स्प्यूटम साइटोलॉजी (Sputum cytology) के नाम से भी जाना जाता है। डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी के अलावा भी कई तरीकों से बायोप्सी कर सकते हैं।
लैब या प्रयोगशाला में परीक्षण के बाद ही आपको इस बारे में जानकारी मिलती है कि आपको किस प्रकार का फेफड़ों का कैंसर है। डॉक्टर डायग्नोसिस करने के बाद ही पेशेंट का ट्रीटमेंट करते हैं। पेशेंट को कौन-सा ट्रीटमेंट दिया जाएगा, यह कैंसर के प्रकार पर भी निर्भर करता है। आइए जानते हैं कैसे लंग कैंसर ट्रीटमेंट (Lung cancer treatment)किया जाता है।
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लंग कैंसर ट्रीटमेंट (Lung cancer treatment) कौन-से हैं?
फेफड़ों के कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर सर्जरी, रेडियोथेरिपी, कीमोथेरेपी, टारगेटेड ड्रग थेरिपी, स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडियोथेरेपी (Stereotactic body radiotherapy), इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy )आदि की मदद ले सकते हैं। ट्रीटमेंट के दौरान पेशेंट की हेल्थ को भी देखा जाता है। अगर पेशेंट की बहुत ज्यादा तबीयत खराब है, तो ऐसे में कुछ ट्रीटमेंट को इग्नोर कर दिया जाता है। आइए जानते हैं लंग कैंसर ट्रीटमेंट के बारे में।
लंग कैंसर ट्रीटमेंट: सर्जरी
सर्जरी के दौरान सर्जन टिशू के उन हिस्सों को हटाने का काम करता है, जो कैंसर से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इस दौरान फेफड़ों कुछ हेल्दी टिशू भी हट जाते हैं। वेज रिसेक्शन (Wedge resection) के दौरान फेफड़ों के छोटे से हिस्से को हटाने का काम किया जाता है, जिसमें ट्यूमर उपस्थित होता है। सेगमेंटल रिसेक्शन (Segmental resection) के दौरान लंग के बड़े हिस्से को हटाया जाता है लेकिन पूरे लोब को हटाने का काम नहीं किया जाता है। वहीं लोबेक्टोमी के दौरान लंग के पूरे लोब को हटाने का काम किया जाता है। पूरे फेफड़े को हटाने के लिए न्यूमोनेक्टॉमी की प्रोसेस अपनाई जाती है।
सर्जन जरूरत पड़ने पर सर्जरी के दौरान लक्षणों के आधार पर आपके चेस्ट से लिम्फ नोड्स को भी हटा सकते हैं। अगर आप का कैंसर लंग यानी कि फेफड़ों तक ही सीमित है, तो सर्जरी का विकल्प अपनाया जाता है। अगर आप का कैंसर बहुत बढ़ चुका है, तो ऐसे में डॉक्टर कैंसर सेल्स को कम करने के लिए कीमोथेरिपी या रेडिएशन थेरिपी को सर्जरी से पहले अपनाते हैं। कुछ मामलों में सर्जरी के बाद भी कीमोथेरिपी या रेडिएशन थेरेपी की सलाह दी जा सकती है। यह सभी ट्रीटमेंट के दौरान लक्षणों के आधार पर या फिर कंडीशन के अनुसार होता है। आप इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी ले सकते हैं।
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रेडिएशन थेरिपी
रेडिएशन थेरिपी का इस्तेमाल कैंसर सेल्स को मारने के लिए किया जाता है। इस दौरान अधिक पावर वाली बीम और प्रोटोन का इस्तेमाल किया जाता है। रेडिएशन के दौरान आपको एक टेबल में लिटाया जाता है, जहां पर एक मशीन आप के चारों ओर घूमती है। रेडिएशन को उस पॉइंट पर फोकस किया जाता है. जहां की सेल्स को खत्म करना होता है। एडवांस स्टेज लंग कैंसर वालों के लिए सर्जरी से पहले या सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरिपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर सर्जरी को ऑप्शन के तौर पर नहीं चुना जाता है, तो कई बार पेशेंट के लिए रेडिएशन थेरिपी या फिर कीमोथेरिपी भी अपनाई जा सकती है। रेडिएशन थेरिपी का इस्तेमाल कर दर्द से भी राहत पाई जा सकती है।
लंग कैंसर ट्रीटमेंट: कीमोथेरिपी
कीमोथेरिपी ट्रीटमेंट के दौरान कैंसर सेल्स को मारने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। कीमोथेरिपी ड्रग्स आर्म्स में वेंस के माध्यम से दिए जा सकते हैं। कई बार यह मौखिक रूप से भी दिए जा सकते हैं। कीमोथेरिपी सप्ताह भर या महीने भर या फिर कुछ समय के अंतराल में दी जाती है। कीमोथेरिपी का इस्तेमाल सर्जरी के पहले या सर्जरी के बाद कैंसर सेल्स को मारने के लिए किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल या तो अकेले या फिर रेडिएशन थेरिपी के साथ किया जाता है। यह कैंसर को कम करने के लिए इस्तेमाल की जाती है और कैंसर को फैलने से भी रोकने का काम करती है।
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लंग कैंसर ट्रीटमेंट: स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडियोथेरिपी
स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडियोथेरिपी का इस्तेमाल कैंसर के उन पेशेंट के लिए किया जा सकता है, जिन्हें स्मॉल लंग कैंसर (lung cancer) हुआ है या फिर जो लोग सर्जरी की सहायता नहीं ले सकते हैं। जिन लोगों को लंग कैंसर, फेफड़ों के साथ ही अन्य हिस्सों में फैल चुका है जैसे कि ब्रेन आदि, उनके लिए इस रेडियोथेरिपी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
लंग कैंसर ट्रीटमेंट: टारगेटेड ड्रग थेरिपी
टारगेटेड ड्रग थेरिपी का इस्तेमाल भी फेफड़ों के कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान किया जाता है। इस दौरान कैंसर सेल्स को टारगेट किया जाता है और उन्हें मारा जाता है। बहुत से टारगेटेड थेरिपी ड्रग इस दौरान इस्तेमाल किए जाते हैं। जिन लोगों को एडवांस कैंसर हुआ है, उनके लिए इस ट्रीटमेंट का इस्तेमाल किया जा सकता है। कुछ लोगों में जीन म्यूटेशन के कारण कैंसर सेल्स बनने लगती हैं, जिन्हें टारगेट कर खत्म किया जाता है। इस थेरिपी का इस्तेमाल करने से पहले लैब में टेस्ट कर लिया जाता है कि ड्रग की हेल्प से सेल्स को मारा जा सकता है या फिर नहीं।
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इम्यूनोथेरिपी
इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy) का इस्तेमाल कैंसर से लड़ने के लिए किया जाता है। इस दौरान शरीर के इम्यून सिस्टम का इस्तेमाल कैंसर से लड़ने के लिए किया जाता है। जब शरीर में कैंसर की समस्या होती है, तो इम्यून सिस्टम उससे नहीं लड़ पाता है लेकिन इम्यूनोथेरिपी की मदद से इस प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है।
इस आर्टिकल में हमने आपको लंग कैंसर ट्रीटमेंट (Lung cancer treatment) से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।