के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) का ट्यूमर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो रीढ़ की हड्डी के किसी भाग में हो सकता है। यह ट्यूमर रीढ़ की हड्डी के भीतर विकसित होता है और गर्दन, कमर या सीने के पीछे के भाग में से किसी को भी प्रभावित कर सकता है। स्पाइनल ट्यूमर दो तरह का हो सकता है। पहला बिनाइन और दूसरा मैलिग्नेंट। जो ट्यूमर कैंसरस नहीं होते हैं, उन्हें बिनाइन कहा जाता है। ये ट्यूमर बहुत तेजी से आकार में बढ़ते हैं, लेकिन यह शरीर के अन्य अंगों में नहीं फैलते हैं। ये ट्यूमर भले ही कैंसरस नहीं होते हैं लेकिन ये नुकसानदेह हो सकते हैं। मैलिग्नेंट ट्यूमर कैंसरस होते हैं। बिनाइन के विपरीत मैलिग्नेंट ट्यूमर शरीर के अन्य अंगों में फैल सकते हैं।
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स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर को इंट्राड्यूरल ट्यूमर भी कहते हैं जो स्पाइनल कॉर्ड या ड्यूरा (स्पाइनल कॉर्ड को ढकने वाली परत) में शुरू होता है। रीढ़ की हड्डियों को प्रभावित करने वाले इस ट्यूमर को वर्टिब्रल ट्यूमर (vertebrae tumor) कहते हैं।
स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर आमतौर पर दो प्रकार के होते हैं। पहला इंट्रामेड्यूलरी ट्यूमर (Intramedullary tumor) और दूसरा एक्सट्रामेड्यूलरी ट्यूमर (Extramedullary tumor)। इंट्रामेड्यूलरी ट्यूमर वो होता है, जो स्पाइनल कॉर्ड की कोशिकाओं में शुरू होता है। एक्सट्रामेड्यूलरी ट्यूमर स्पाइनल कॉर्ड को ढकने वाली परत में होता है। देखा जाए तो यह ट्यूमर स्पाइनल कॉर्ड के अंदर विकसित नहीं होता है लेकिन यह स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव डाल सकता है। इससे दूसरी कई परेशानियां हो सकती हैं। साथ ही यह कार्यक्षमता में बाधा डाल सकता है।
स्पाइनल ट्यूमर से दर्द, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं या कभी कभी पैरालाइसिस होने की भी संभावना रहती है। कई बार यह विकलांगता का कारण बन सकता है व जानलेवा साबित हो सकता है। इसके उपचार में सर्जरी, रेडिएशन थेरिपी, कीमोथेरेपी व अन्य दवाएं शामिल हैं।
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रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर अलग-अलग लक्षण पैदा कर सकते है, खासकर जब ट्यूमर बढ़ता है। ट्यूमर आपकी रीढ़ की हड्डी, नर्व रूट्स (nerve roots), रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर सकते हैं। ट्यूमर के संकेत और लक्षण निम्नलिखित में से शामिल हो सकते हैं:
पीठ दर्द स्पाइनल ट्यूमर का एक सामान्य प्रारंभिक लक्षण है। दर्द आपकी पीठ से आगे आपके कूल्हों, पैरों, पैरों या बाहों तक भी फैल सकता है और समय के साथ-साथ इलाज के साथ भी बिगड़ सकता है।
पीठ दर्द के कई कारण हो सकते हैं। ज्यादातर मामलो में पीठ दर्द ट्यूमर के कारण नहीं होता है। लेकिन रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर के लिए शुरुआती निदान और उपचार महत्वपूर्ण है। पीठ दर्द की शिकायत है तो अपने चिकित्सक को एक बार जरूर दिखाएं, यदि
यदि आप निम्नलिखित लक्षण का अनुभव करें तो बिना देरी करें डॉक्टर को दिखाएं:
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यह स्पष्ट नहीं है कि अधिकांश स्पाइनल ट्यूमर क्यों विकसित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे दोषपूर्ण जीन एक भूमिका निभाते हैं। हालांकि इसे लेकर कोई पर्याप्त जानकारी नहीं है कि यह आनुवंशिक दोष होते हैं या समय के साथ विकसित होते हैं। हो सकता है ये वातावरण में किसी चीज के कारण हो सकते हैं जैसे कि कुछ रसायनों के संपर्क में आने से।
स्पाइनल ट्यूमर नीचे बताए गए विकारों में काफी आम है:
न्यूरोफायब्रोमैटोसिस 2 (Neurofibromatosis 2)
यह एक अनुवांशिक विकार है जिसके कारण श्रवण शक्ति में मदद करने वाली तंत्रिकाओं के आस-पास ट्यूमर विकसित होता है। इसमें एक या दोनों कानों की सुनने की क्षमता को हानि हो सकती है। न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस 2 वाले कुछ लोग स्पाइनल कैनाल ट्यूमर भी हो सकता है।
वॉन हिपेल-लिंडॉ डिजीज (Von Hippel-Lindau disease)
यह दुर्लभ किस्म का मल्टीसिस्टम विकार है। यह मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं के ट्यूमर, आंख के रेटिना, रीढ़ की हड्डी में रक्त वाहिका और कई अन्य प्रकार के ट्यूमर से भी जुड़ा है।
आपको अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
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स्पाइनल ट्यूमर रीढ़ की हड्डी को संकुचित कर सकते हैं, जिससे ट्यूमर के स्थान के नीचे मूवमेंट में नुकसान हो सकता है। कभी-कभी यह आंत्र और मूत्राशय के कार्य में परिवर्तन का कारण बन सकता है। इससे नर्व डैमेज भी हो सकती है। हालांकि अगर इस परेशानी को समय पर डायग्नोस कर लिया जाता है और अच्छे से इलाज किया जाता है तो भविष्य में होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। ट्यूमर किस जगह पर है यह भी बहुत मायने रखता है। अगर यह रीढ़ की हड्डी पर दबाव डालता है तो यह खतरनाक हो सकता है।
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दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
स्पाइनल ट्यूमर को कई बार अनदेखा कर दिया जाता है क्योंकि यह सामान्य नहीं है। इसके लक्षण कई दूसरी साधारण परेशानियों से मिलते हैं। इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि आपका डॉक्टर आपका सामान्य शारीरिक और स्नायविक दोनों तरह की जांच करें।
यदि आपके डॉक्टर को इस बात का संदेह है कि आपको स्पाइनल ट्यूमर हो सकता है तो निम्नलिखित परीक्षण निदान की पुष्टि करने और ट्यूमर के स्थान को पता लगाने में मदद कर सकते हैं:
स्पाइनल मैगनेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (Spinal magnetic resonance imaging): यह एम आर आई है जिसमें चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों की मदद से रीढ़ की हड्डी और नर्व्स की सटीक छवियां तैयार की जाती हैं। रीढ़ की हड्डी और उसके आस पास के ट्यूमर का पता लगाने के लिए इस टेस्ट को बेहतर माना जाता है। इस टेस्ट को करने के लिए हाथ की नसों में एक घोल सुई के जरिए डाला जाता है जो ऊतकों और संरचनाओं को तस्वीरों में साफ नजर आने में मदद करता है। (ब्रेन और स्पाइलन कॉर्ड से जुड़ी समस्याओं के बारे में पता लगाने के लिए सीएसएफ टेस्ट कराया जाता है।)
कुछ लोगों को एमआरआई स्कैनर के अंदर क्लॉस्ट्रोफोबिक महसूस हो सकता है या जोर से गड़गड़ाहट की आवाज से परेशानी हो सकती है। मशीन में होने वाले शोर से बचने के लिए आमतौर पर ईयरप्लग दिए जाते हैं।
सी टी स्कैन (CT Scan): इस टेस्ट में विकिरण की एक संकीर्ण किरण का उपयोग करके रीढ़ की विस्तृत छवियों का उत्पादन किया जाता है। इस टेस्ट को स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर का पता लगाने के लिए नहीं किया जाता है। कई बार स्पाइनल कॉर्ड और स्पाइनल कनाल में हुए अस्वाभाविक बदलाव को देखने के लिए कंट्रास्ट डाई इंजेक्ट को नसों में सुई के द्वारा दिया जाता है।
बोयोप्सी (Biopsy): स्पाइनल ट्यूमर कई तरह का होता है। इसके प्रकार का पता लगाने के लिए बायोप्सी एक मात्र तरीका है। इसमें एक छोटे ऊतक नमूने का माइक्रोस्कोप के तहत जांच की जाती है। बायोप्सी के नतीजे के आधार पर इलाज के विकल्प तय किए जाते हैं।
स्पाइनल ट्यूमर का ट्रीटमेंट ट्यूमर को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए किया जाता है लेकिन इसमें रीढ़ की हड्डी और आसपास की नसों को स्थायी नुकसान का जोखिम अधिक होता है। मरीज की उम्र और ओवरऑल हेल्थ का ध्यान रखते हुए डॉक्टर को ट्रीटमेंट करना चाहिए। ट्यूमर का प्रकार चाहे वह रीढ़ की हड्डी की संरचनाओं से उत्पनन् हुआ हो या फिर आपके शरीर में कहीं और से रीढ़ तक फैला हो, ट्रीटमेंट के दौरान इस पर विचार करना जरूरी है। आमतौर पर स्पाइनल ट्यूमर का उपचार इस तरह किया जाता है:
मॉनिटरिंग (Monitoring)
कुछ स्पाइनल ट्यूमर का पता उसके लक्षण नजर आने से पहले लगाया जा सकता है। यदि शरीर में छोटे ट्यूमर हैं और वो बढ़ नहीं रहे हैं और न ही किसी टिश्यू पर दबाव डाल रहे हैं तो भी उनपर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत होती है। डॉक्टर द्वारा की जाने वाली देखरेख के दौरान ट्यूमर की जांच के लिए वो आपको समय-समय पर सीटी और एमआरआई स्कैन के लिए कह सकते हैं।
सर्जरी (Surgery)
सर्जरी में ट्यूमर को हटाया जाता है। इसमें स्पाइनल कॉर्ड या आस-पास की नसों को क्षति होने का जोखिम होता है। यदि सर्जरी के दौरान ट्यूमर पूरी तरह से नहीं हटाया जाता है तो कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी की जाती है। इसकी सर्जरी कराने के बाद उबरने में कुछ समय लगता है।
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