पूरी दुनिया में करीब 20 लाख लोग कोविड-19 महामारी से संक्रमित हैं और आशंका जताई जा रही है कि भयानक कोरोना महामारी के कारण मरने वाले लोगों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक हो सकती है। चीन के वुहान से शुरू हुई यह बीमारी आज पूरे संसार को आतंकित किए हुए है। वुहान में जब इस महामारी ने अपना प्रकोप दिखाया था, तो उस समय ऐसी कई खबरें आई थीं कि कोरोना वायरस सांपों से फैल रहा है, कोई कह रहा था कि यह चूहा से फैलता है। अधिकांश रिपोर्ट यह भी बता रही थी कोविड-19 महामारी फैलने का कारण चमगादड़ है। जब से लोगों को यह पता चला है कि चमगादड़ से इतनी खतरनाक बीमारी हो सकती है, तब से लोग चमगादड़ से बहुत अधिक डरने लगे हैं। ऐसी ही एक डराने वाली खबर अब अपने देश में भी देखी गई है। जानकारी मिली है कि भारतीय चमगादड़ की दो प्रजातियों में भी बैट कोरोना वायरस पाए गए हैं।
भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस (BtCoV) की पहचान
दुनिया का कोई भी वैज्ञानिक अब तक कोरोना वायरस का इलाज नहीं ढूंढ़ पाया है। अब तक न तो इसकी कोई दवा बनी है और न ही वैक्सीन बना है। यही कारण है कि कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में लोग मरते जा रहे हैं। ऐसे में भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस पाए जाने के भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन से पूरे देश में कौतूहल का माहौल पैदा हो गया है।
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भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस की पहचानः 10 राज्यों में किया गया शोध
इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने भारत के 10 राज्यों के चमगादड़ों के सैंपल लिए। इनमें से चार राज्यों के चमगादड़ों की दो प्रजातियों में बैट कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि हुई है। जानकारी के अनुसार, ये चमगादड़ रौजेत्तुस और टेरोपस प्रजाति के हैं। कुल 25 चमगादड़ बैट कोव पॉजिटिव देखे गए हैं।
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भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस की पहचानः तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी और केरल में मिले चमगादड़
आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी और केरल में चमगादड़ की प्रजातियों में बैट कोरोना वायरस (BtCoV) होने की पुष्टि हुई है। हालांकि बैट कोरोना वायरस वर्तमान में फैले कोविड-19 वायरस से अलग है।
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भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस की पहचानः मानव को बीमार बनाने की पुष्टि नहीं
चार राज्यों में बैट कोरोना वायरस मिलने से हुई घबराहट पर पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) की वैज्ञानिक और इस विषय पर अध्ययन करने वाली मुख्य लेखिका डॉ. प्रज्ञा डी. यादव ने बताया, “तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, पुदुचेरी और केरल में बैट कोरोना वायरस जरूर मिले हैं, लेकिन अभी तक इस बात का पुष्टि नहीं हुई है कि बैट कोरोना वायरस से मानव जीवन को कोई खतरा है या इस वायरस से मनुष्यों को किसी तरह की बीमारी हो सकती है।”
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भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस की पहचानःकोविड-19 महामारी से कोई संबंध नहीं
डॉ. प्रज्ञा डी. यादव ने बताया, “चमगादड़ का शरीर एक तरह से वायरस का घर होता है और इसलिए चमगादड़ों में स्वाभाविक रूप से कई प्रकार के वायरस पाए जाते हैं। इससे पहले केरल में ही साल 2018 और 2019 में इसी टेरोपस प्रजाति के चमगादड़ों में निपाह वायरस भी मिला था, लेकिन अब तक यह नहीं पता चल सका है कि भारत में मिलने वाले बैट कोरोना वायरस चमगादड़ का कोविड-19 महामारी से कोई संबंध है।”
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भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस की पहचानःचीन के वुहान से निकली चमगादड़ वाली थ्योरी
चीन के वुहान में जब कोरोना वायरस ने अपना प्रकोप दिखाया था, तो उस समय दुनिया भर के वैज्ञानिक कोविड-19 महामारी के फैलने के कारणों को लेकर कई तरह के कयास लगा रहे थे। इन्हीं कयासों में से एक चमगादड़ वाली थ्योरी थी, जो पूरी दुनिया में उस समय चर्चा में आई थी।
डॉ. यादव के शोध के बाद यह थ्योरी सच होती दिख रही है। इससे उन लोगों की बातों को बल मिल रहा है, जो यह मान रहे थे कि चमगादड़ों में ऐसे खतरनाक वायरस हो सकते हैं, जिससे इंसान बीमारी हो सकता है या ये वायरस इंसानों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं।
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भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस की पहचान या नए खतरे की आशंका
कई बार यह रिपोर्ट भी आई है कि कोविड-19 वायरस चमगादड़ से किसी दूसरे जानवर या पक्षी में पहुंचा है और उस जानवर या पक्षी से यह वायरस इंसानों में आया। हालांकि यह केवल एक आशंका है, लेकिन वुहान से कोविड-19 महामारी के फैलने के कारणों पर इस तरह के कई कयास लगातार लगाए जा रहे हैं।
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भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस की पहचानःनिपाह वायरस भी चमगादड़ से इंसानों में पहुंचा था
इसी तरह का एक अध्ययन पहले भी सामने आ चुका है, जिसमें बताया गया था कि निपाह वायरस भी चमगादड़ के जरिए ही इंसानों में पहुंचा था। ऐसे में भारत के चार राज्यों के चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस के मिलने के बाद, चमगादड़ों से इंसानों में बीमारी के फैलने की कहानी को बल मिलने लगा है।
यह भी आशंका जताई जा रही है कि जिस तरह केरल में साल 2018 और 2019 में टेरोपस प्रजाति के चमगादड़ों में निपाह वायरस मिलने की पुष्टि हुई थी। कहीं इसका संबंध कोविड-19 महामारी के कारणों से तो नहीं है। कहीं ये चमगादड़ भी कोरोना वायरस फैलने के कारण तो नहीं बने हैं।
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कोविड-19 महामारी के कारण डरे हुए हैं दुनिया भर के लोग
हालांकि मौजूदा समय में चमगादड़ों का अन्य जीवों और इंसानों से संपर्क का कोई तथ्य नहीं मिला है, लेकिन वर्तमान समय में दुनिया भर में जिस तरह से कोविड-19 महामारी के कारण लोगों की जान जा रही है और यह वायरस जिस तरह से लगातार लोगों को बीमार बना रहा है, उससे सभी देश और वहां के नागरिक काफी डरे हुए हैं।
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चमगादड़ जैसे जीवों पर निगरानी रखना बेहद जरूरी
इस रिसर्च के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है कि यह अध्ययन भारतीय चमगादड़ों में कोरोना वायरस के होने या इसके प्रसार को समझने की दिशा में एक सही कदम था, लेकिन जरूरी है कि समय-समय पर चमगादड़ जैसे अनेक प्राणियों पर निगरानी रखी जाए और इनसे लोगों के बीमार होने की संभावना की भी जांच की जाए।
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भारतीय चमगादड़ों में बैट कोरोना वायरस की पहचानः चीन में चमगादड़ को खाते हैं लोग
चीन में लोग चमगादड़ को खाते हैं, तो संभव है कि इससे ये वायरस सीधे इंसानों के शरीर में पहुंच जाए, लेकिन भारत के लोग चमगादड़ को नहीं खाते। ऐसे में यह पता लगाना जरूरी है कि क्या बिना खाए भी चमगादड़ के शरीर से ये वायरस इंसानों में पहुंच सकते हैं। अगर ऐसा संभव है, तो चार राज्यों की दो प्रजातियों में बैट कोरोना वायरस के मिलने की घटना को खतरे की घंटी कहना गलत नहीं होगा।
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