परिचय
शतावरी (Asparagus) क्या है?
शतावरी को सतावर, सतावरी, सतमूल, सतमूली या शतावर और अंग्रेजी में एस्पेरेगस (Asparagus) भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम ऐस्पैरागस रेसिमोसस (Asparagus racemosus) है। शतावरी एस्पेरेगसी (Asparagaceae) कुल का एक औषधीय गुणों वाला पौधा होता है। मूल रूप से यह भारत और श्रीलंका के साथ-साथ हिमालय के क्षेत्रों में भी पाया जाता है। शतावरी का पौधा एक लता के रूप में बढ़ता है, जो एक से दो मीटर लंबी हो सकती है।
इसकी शाखाएं कांटेदार होती हैं, जो बाद में पत्तियां बन जाती हैं और इन्हें क्लैडोड्स (Cladodes) कहा जाता है। इसकी जड़ें गुच्छों के रूप में होती हैं। आयुर्वेद में शतावरी को ‘औषधियों की रानी’ कहा जाता है। इसकी गांठ या कंद का इस्तेमाल कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार के लिए किया जा सकता है।
हम में से अधिकतर लोगों को शतावरी की पहचान होगी। सामान्य तौर पर लोगों के बीच शतावरी शारीरिक शक्ति बढ़ाने और वजन घटाने वाली एक जड़ी-बूटी के तौर पर जानी जाती है। रिपोर्ट की मानें, तो भारत में विभिन्न औषधियों को बनाने के लिए हर साल लगभग 500 टन सतावर की जड़ों का इस्तेमाल किया जाता है।
इसकी जड़ों का स्वाद हल्का मीठा होता है। इसकी बेल या झाड़ के नीचे कम से कम 100 से अधिक जड़ें होती हैं। ये जड़ें लगभग 30 से 100 सेमी तक लंबी और एक से दो सेमी तक मोटी हो सकती हैं।
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शतावरी के प्रकार (Types of Asparagus)
अन्य औषधियों की तरह शतावरी के भी कई प्रकार होते हैं। मुख्य तौर पर इसके तीन प्रकार हैं। जिनके अपने विशेष गुण हो सकते हैंः
हरी शतावरी (Green Asparagus)
हरी शतावरी मुख्य रूप से भारत में पाई जाती है। वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, सूरज की रोशनी में इसका विकास होने के कारण इसका रंग हरा होता है, जिसकी वजह से इसे हरी शतावरी कहा जाता है।
सफेद शतावरी (White Asparagus)
सफेद शतावरी और हरी शतावरी दोनों विशेषताओं के मामले में एक जैसी ही होती हैं। हालांकि, ये बाहरी रूप में अलग-अलग होती हैं, इसलिए इन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह मिट्टी के अंदर ही उगाई जाती, इसलिए इसका रंग सफेद होता है। मिट्टी के अलावा इसे छायादार स्थानों पर भी उगाया जा सकता है। हालांकि, इसके विकास के लिए इसे सूरज की रोशनी से दूर रखना होता है।
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बैंगनी शतावरी (Purple Asparagus)
बैंगनी शतावरी सबसे अलग किस्म की शतावरी होती है। अन्य किस्मों के मुकाबले इसमें अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाया जाता है, जिसकी वजह से इसका रंग बैंगनी होता है।
शतावरी (Asparagus) का उपयोग किस लिए किया जाता है?
शतावर या शतावरी का इस्तेमाल स्त्रियों से संबंधित विभिन्न स्वास्थ्य रोगों जैसे बच्चे के जन्म के बाद मां के स्तनों में दूध न बनना, महिलाओं में बांझपन की समस्या, गर्भपात का खतरा आदि के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, जोड़ों के दर्द और मिर्गी के लक्षणों को कम करने के लिए भी शतावरी का इस्तेमाल करना लाभकारी साबित हो सकता है। आइये जानते हैं और किस तरह की स्वास्थ्य स्थितयों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता हैः
हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) के उपचार के लिए
शतावरी के गुण इसे मूत्रवर्धक के रूप में भी प्राकृतिक रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके इस्तेमाल से शरीर में अतिरिक्त नमक और तरल पदार्थों को साफ किया जा सकता है, जिससे किडनी का स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है। इसलिए इसके औषधीय गुण एडिमा और उच्च रक्तचाप (हाय ब्लड प्रेशर) की समस्या का उपचार करने में मदद कर सकते हैं।
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प्रजनन समस्याओं के उपचार में मदद करे
शतावरी महिलाओं में प्रजनन संबंधी समस्याओं और बांझपन के उपचार में मददगार साबित हो सकती है। इसमें स्टेरॉइडल सैपोनिन होते हैं, जो एस्ट्रोजन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं और रक्त को साफ करने और हॉर्मोन के संतुलित रखने में शरीर की मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा यह पीएमएस (प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) के लक्षणों को कम करने, मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन और मूड स्विंग के लक्षणों को भी कम करने में मदद कर सकती है। साथ ही, अगर कोई महिला अपने मेनोपॉज (Menopause) की साइकिल के लक्षणों को कम करना चाहती है, तो वह भी अपने डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन कर सकती हैं।
वजन घटाने में मदद करे
शतावरी में कैलोरी की मात्रा काफी कम पाई जाती है, जो आपके बढ़ते वजन को आसानी से कंट्रोल करने में मदद करती है।
कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए
शतावरी में उपस्थित सल्फोराफेन (Sulforaphane) की मात्रा कैंसर सेल्स के विकास को खत्म कर सकता है। इसमें उच्च मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इन्फ्लमेट्रीज गुण होते हैं, जो कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
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डायबिटीज के उपचार में
शतावरी का इस्तेमाल एक एंटीडायबिटिक के रूप में भी किया जा सकता है। कई अध्ययनों के अनुसार, इसके सेवन से शरीर में एंटी हाइपर ग्लाइसेमिक क्रिया को बढ़ाने का काम तेज होता है। यह एक प्रक्रिया है, जो खून में ग्लूकोज की मात्रा को कम करता है। जिससे डायबिटीज के उपचार के साथ-साथ उसके जोखिम को भी कम किया जा सकता है।
मस्तिष्क की देखभाल करने के लिए
शोध के मुताबिक, शतावरी (Asparagus) में मौजूद पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, ओमेगा-3, विटामिन बी6 और राइबोफ्लेविन ब्रेन के विकास में मदद कर सकते हैं, जिससे डिप्रेशन जैसी समस्या को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा, इसके विटामिन बी6 के गुण ब्रेन के विकास के साथ-साथ इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बना सकता है।
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यूटीआई के उपचार में
इसमें विटामिन ए की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जिस वजह से यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या के उपचार के लिए भी शतावरी का इस्तेमाल किया जा सकता है।
एंटीऑक्सिडेंट गुण
शतावरी के जड़ में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं।
इसके अलावा, इन निम्न स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता हैः
- माइग्रेन की समस्या में
- खांसी और बुखार के उपचार के लिए
- हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए
- अनिद्रा की समस्या दूर करने के लिए
- हैंगओवर उतारने के लिए
- शरीर में स्टोन बनाने के जोखिम को कम करने के लिए
- एंटी डिप्रेशन
- एंटीडायरियाल
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शतावरी (Asparagus) कैसे काम करता है?
शतावरी में कई महत्वपूर्ण रासायनिक घटक पाए जाते हैं, जिनमें शामिल हैंः
- पॉलिसाइक्लिक एल्कालॉइड
- स्टेराइडल सैपोनिन
- शैटेवैरोसाइड ए
- शैटेवैरोसाइड बी
- फिलियास्पैरोसाइड सी
- आइसोफ्लेवोंस
- विटामिन ए
- विटामिन बी6
- विटामिन सी
- विटामिन ई
- फोलेट
- आयरन
- जिंक
- कैल्शियम
- प्रोटीन
- फाइबर
प्रति 100 ग्राम शतावरी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की मात्रा
- पानी – 93.22 ग्राम
- एनर्जी – 20 kcal
- प्रोटीन – 2.20 ग्राम
- फैट – 0.12 ग्राम
- कार्बोहायड्रेट – 3.88 ग्राम
- फाइबर – 2.1 ग्राम
- शुगर – 1.88 ग्राम
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प्रति 100 ग्राम शतावरी में मिनरल्स की मात्रा
- कैल्शियम – 24 मिग्रा
- आयरन – 2.14 मिग्रा
- मैग्नेशियम- 14 मिग्रा
- फॉस्फोरस – 52 मिग्रा
- पोटैशियम – 202 मिग्रा
- सोडियम – 2 मिग्रा
- जिंक – 0.54 मिग्रा
प्रति 100 ग्राम शतावरी में विटामिन्स की मात्रा
- विटामिन सी – 5.6 मिग्रा
- थायमिन – 0.143 मिग्रा
- रिबोफ्लेविन – 0.141 मिग्रा
- नियासिन – 0.978 मिग्रा
- विटामिन बी6 – 0.091 मिग्रा
- विटामिन ई – 1.13 मिग्रा
प्रति 100 ग्राम शतावरी में लिपिड्स की मात्रा
- टोटलसैचुरेटेड – 0.040 ग्राम
- टोटलपॉलीअनसैचुरेटेड – 0.050 ग्राम
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उपयोग
शतावरी (Asparagus) का उपयोग करना कितना सुरक्षित है?
शतावरी या इसके पाउडर (Asparagus powder) का इस्तेमाल करना एक औषधीय रूप में लाभकारी माना जाता है। हालांकि आपको इसका सेवन हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर ही करना चाहिए। कुछ स्वास्थ्य स्थितियों में चिकित्सक इसके साथ अन्य जड़ी-बूटियों के भी सेवन की सलाह दे सकते हैं, जो इसके गुण को बढ़ा सकते हैं। आपको इसके ओवरडोज की मात्रा से भी बचना चाहिए। सिर्फ उतनी ही खुराक का सेवन करें, जितना आपके डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया गया हो।
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साइड इफेक्ट्स
शतावरी के साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं? (Side effects of Asparagus)
अधिकांश अध्ययनों के मुताबिक, शतावरी का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित हो सकता है। वैसे तो इससे किसी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव के मामले नहीं मिलते हैं, अगर मिले भी तो बहुत ही कम होते हैं। हालांकि, इसके सेवन से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे-
- इसमें पोटैशियम (Potassium) की अधिक मात्रा पाई जाती है। इसके ओवरडोज से शरीर में पोटैशियम की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे हाइपरकलीमिया का जोखिम हो सकता है। इसके कारण सांस लेने में दिक्कत और सीने में जलन की समस्या हो सकती है।
- इसके ओवरडोज से खून में कैल्शियम (Calcium) की अधिक मात्रा हो सकती है, जो हाइपरक्लेसेमिया (Hyperplasia) का कारण बन सकती है। इससे उल्टी और थकावट की स्थिति हो सकती है।
अगर आपको इसके अलावा किसी भी अन्य तरह के साइड इफेक्ट्स दिखाई दें, तो इसका सेवन तुरंत बंद करें और अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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खुराक
शतावरी को लेने की सही खुराक क्या है? (Dose of Asparagus)
शतावरी का इस्तेमाल आप विभिन्न रूपों में कर सकते हैं। इसकी मात्रा आपके स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और लिंग के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जा सकती है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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उपलब्ध
यह किन रूपों में उपलब्ध है?
- जड़ (Roots)
- जड़ से बनाया गया काढ़ा
- पत्तियां
- पेस्ट
- पाउडर
नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और जानें प्राकृतिक दोष क्या है?
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