के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
भारत के कई राज्यों में मुख्य रूप से सिंघाड़ा (Singhara) की एक अलग पहचान पाई जा सकती है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, सिंहाड़ा, सिंघाणा, लिंग नट, डेविल पॉड, बैट नट और भैंस नट भी कहा जाता है। इसे वॉटर चेस्टनट (Water chestnut) और वाटर कालट्रॉप (Water Caltrop) भी कहते हैं। सिंघाड़ा का वानास्पतिक नाम ट्रापा नटान्स (Trapa natans) है। यह ओनाग्रेसी (Onagraceae) प्रजाति से संबंधित होता है। इसकी खेती तालाबों में की जाती है। इसके आटे का इस्तेमाल लोग उपवास में खाने के लिए भी करते हैं। इसका पौधा एक लता होती है जो पानी में पसरने वाली होती है। इसका फल तिकोने आकार का होता है। जिसके सिर पर सींगों की तरह दो कांटे होते हैं। भारत के अलावा, चीन में भी मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल खाने में किया जाता है।
इसके फल के ऊपर एक मोटी परत का छिलका होता है, जिसे हटाकर इसे खाया जा सकता है। इसके गूदे को सुखाकर और फिर उसे पीसकर उससे बनाए गए आटे का इस्तेमाल विभिन्न तरह के पकवान बनाने में किया जा सकता है। इसके आटे को गिरी का आटा भी कहा जाता है। इसकी खेती के लिए कीचड़ युक्त जमीन का होना जरूरी होता है। पानी के अंदर इसकी जड़े बहूत दूर तक फैलती हैं। यह कंकरीली या बलुई जमीन में नहीं उग सकता है। इसके पत्ते तीन अंगुल चौड़े कटावदार होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं।
सिंघाड़ा को एक शरीर को ठंडक प्रदान करने वाला, वीर्य बढ़ाने वाला, मलरोधक, वातकारक, मोटापा दूर करने वाला, सेक्स की इच्छा बढ़ाने वाला और योनि से जुड़ी समस्याओं को दूर करने वाली औषधी माना जाता है। आमतौर पर इसे सर्दियों के मौसम में पाया जा सकता है। इसका फल स्टार्च युक्त होता है। जापानी में, इस पौधे को हिशी कहा जाता है जिसका अर्थ है लोजेंज या हीरे के आकार का। भारत, चीन और जापान के अलावा 40 से अधिक देशों में इसकी खेती की जाती है। इसके बीज में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जो दर्द को कम करने वाला, ब्रेस्ट साइज बढ़ाने वाला, बुखार कम करने वाला, भूख बढ़ाने वाला और शारीरिक कमजोरी दूर करने वाला होता है। साथ ही, यह दस्त से भी आराम दिला सकता है।
भारत में मुख्य रूप से यह इन राज्यों में इसकी खेती की जाती हैः
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सिंहाड़ा या सिंघाड़ा का इस्तेमाल निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में किया जा सकता है, जिसमें शामिल हैंः
डायरिया की समस्या होने पर इसके पाउडर का सेवन किया जा सकता है।
अगर दांतों के हिलने या दांतों में कैविटी की समस्या है, तो सिंघाड़े का सेवन से इस समस्या से राहत मिल सकता है। निकलवाए गए दांत के स्थान पर दर्द से राहत पाने के लिए उस स्थान पर इसका पेस्ट लगाने से दर्द में राहत मिलती है। इसमें दर्द कम करने की क्षमता होती है।
वात दोष के बढ़ने के लिए अनिद्रा की समस्या होना सबसे आम माना जाता है। वात दोष को गैस की समस्या कही जाती है। इसके अलावा तनाव की वजह से भी अनिद्रा की समस्या हो सकती है। सिंघाड़े में शरीर को ठंड़ा बनाए रखने के गुण होते हैं, जो वात को शांत करने में मदद कर सकता है जो तनाव कम करने और अच्छी नींद में मदद कर सकता है।
टीबी के लक्षणों से राहत पाने के लिए भी सिंघाड़ा लाभकारी माना जाता है।
अगर किसी को बार-बार प्यास लग रही है या गला सूखने की समस्या हो रही है, सिंघाड़ा खाने से राहत मिल सकता है। इसके लिए आप सिंघाड़े का बीज या इसका काढ़ा बनाकर भी सकते हैं।
अक्सर पित्त या कफ दोष के बढ़ जाने के खुजली जैसी समस्या हो सकती है। जिसे दूर करने के लिए सिंघाड़े का सेवन करना लाभकारी साबित हो सकता है।
अगर शारीरिक तौर पर आपको बहुत कमजोरी महसूस होती है, तो आप अपने दैनिक आहार में सिंघाड़े का सेवन शामिल कर सकते हैं। यह शरीर में ऊर्जा बढ़ने में मदद कर सकता है। इसमें पाए जाने वाले गुणों के कारण यह आसानी से पच भी जाता है। जिससे शरीर फुर्तीला भी बना रहता है।
कच्चे सिंघाड़े के बीज को सामान्य तौर पर एक फल के रूप में किया जाता है, क्योंकि उपवास के दौरान भारत में इसका खास सेवन किया जाता है। अगर किसी को बवासीर की समस्या है, तो बवासीर के दर्द और ब्लीडिंग की समस्या को कम करने के लिए सिंघाड़ा खा सकते हैं।
स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा सिंघाड़ा का सेवन ब्यूटी से जुड़ी परेशानियों को भी दूर कर सकता है। अगर आप बालों के झड़ने या कमजोर बालों से परेशान हैं, तो नियमित रूप से कच्चा सिंघाड़ा खाएं। बालों की यह समस्या आमतौर पर पित्त दोष के असंतुलित होने के कारण हो सकती है। ऐसे में सिंघाड़े के सेवन करना पित्त दोष कम करता है और बालों की जड़ों को पोषण पहुंचता है। इसमें पाए जाने वाले पोटैशियम, जिंक, विटामिन बी और विटामिन ई जैसे पोषक तत्त्व बालों के स्वस्थ्य विकार के लिए लाभकारी हो सकते हैं।
स्किन से जुड़ी परेशानियां जैसे त्वचा का काला पड़ना, झाईयां, कील-मुंहासे आदि की समस्या भी सिंघाड़े के सेवन से दूर किया जा सकता है। इस तरह की स्किन प्राब्लम्स आमतौर पर पित्त के अधिक बढ़ जाने के कारण हो सकता है। सिंघाड़े में पित्त को दूर करने और शरीर को ठंडा करने के गुण पाए जाते हैं जो त्वचा की सेहत को सुधारने में मदद कर सकता है।
डायबिटीज होने पर ब्लड शुगर कंट्रोल में रखना सबसे जरूरी होता है। सिंघाड़ा को प्राकृतिक तौर पर शुगर फ्री माना जाता है। जिसके सेवन से शरीर में शुगर की मात्रा को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।
मूत्र संबंधी समस्याएं जैसे, पेशाब करते समय जलन होना, दर्द होना या धीरे-धीरे यूरिन पान होना जैसी समस्याओं में सिंघाड़े का काढ़ा पीने से राहत मिलता है।
इसके अलावा, निम्न स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में भी सिंघाड़ा का सेवन करना लाभाकारी साबित हो सकता है, जिसमें शामिल हैंः
आयुर्वेद में सिंघाड़े के फल और पत्तों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, सिट्रिक एसिड, फॉस्फोरस, प्रोटीन, निकोटिनिक एसिड, मैंगनीज, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, जिंक, आयरन, पोटैशियम, सोडियम, आयोडीन, मैग्नीशियम जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
सिंघाड़ा शरीर को ठंडा बनाए रखने में मदद कर सकता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण पीलिया का उपचार कर सकते हैं। साथ ही, यह मूत्र संक्रमण का उपचार करने, अपच और मतली का उपचार करने में भी लाभकारी हो सकता है। यह खांसी की समस्या के साथ-साथ हाई ब्लड प्रेशर की समस्या में लाभकारी हो सकता है।
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आमतौर पर एक औषधी और बीज के तौर पर इसका सेवन का पूरी तरह से सुरक्षित माना जा सकता है। हालांकि, अगर आपको कोई गंभीर शारीरिक समस्या है, तो इसका सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी हो सकती है।
अधिक मात्रा में सिंघाड़ा का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। जिसके कारण निम्न स्थितियों की समस्या हो सकती है, जिसमें शामिल हैंः
अगर आपको इसके सेवन से कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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सामान्य तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति प्रति दिन संतुलित मात्रा में इसका सेवन कर सकता है। एक बात का ध्यान रखें कि सिंघाड़ा खाने के तुंरत बाद पानी न पीएं।
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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