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रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज का क्या है संबंध?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/11/2021

    रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज का क्या है संबंध?

    जब हम खाना खाते हैं, तो खाने के बाद डायजेशन की प्रक्रिया होती है। पाचन की प्रक्रिया के बाद खाना ग्लूकोस के रूप में हमें एनर्जी देता है। यह ग्लूकोस ब्लड के माध्यम से पूरे शरीर में पहुंचता है। पैंक्रियाज यानी अग्नाशय इंसुलिन हॉर्मोन बनाता है। यह इंसुलिन हॉर्मोन ब्लड में शुगर के लेवल को कंट्रोल करने का काम करता है। इंसुलिन हॉर्मोन की मदद से ही ब्लड में शुगर अधिक मात्रा में नहीं बनती है। अगर किसी कारणवश इंसुलिन हॉर्मोन सही मात्रा में  नहीं बन पाता है, तो ब्लड में शुगर का लेवल धीरे-धीरे बढ़ने लगता है और डायबिटीज की समस्या होती है। रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया में खाने के बाद ब्लड में शुगर का लेवल कम हो जाता है। रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज (Reactive hypoglycemia and exercise relation) एक दूसरे से संबंधित हैं।

    जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है, वह लोग जब खाना खाते हैं, तो उसके बाद उनके ब्लड में शुगर का लेवल अचानक से बढ़ जाता है। वहीं कुछ समय बाद सामान्य भी हो जाता है। यानी कि ब्लड शुगर अधिक या फिर कम होता रहता है। जिन लोगों को रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज (Reactive hypoglycemia ) की समस्या होती है, उनमें खाने के कुछ समय बाद ब्लड शुगर लेवल अचानक से कम हो जाता है। खाने के 4 घंटे बाद तक ब्लड में शुगर का लेवल गिरने लगता है। यह समस्या लो ब्लड शुगर से अलग है। अगर आप इंसुलिन या फिर अन्य ब्लड में शुगर को कम करने वाली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो ब्लड में शुगर का लेवल कम होता ही है। लोगों में रिएक्टिव हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या क्यों होती है, इसका कारण समझ पाना मुश्किल है। यह समस्या कहीं ना कहीं से भी संबंधित होती है। यानी कि ये समस्या कब हो रही है। आपने क्या खाया है आदि बातें भी इससे संबंधित हो सकती है।

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    रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज से पहले जानिए इस अंतर को!

    नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में प्रकाशित रिपोर्ट की मानें, तो डायबिटीज की बीमारी होने पर अगर इंसुलिन का सेवन जरूरत से ज्यादा किया जाए, तो हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) का खतरा बढ़ जाता है। हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) का खतरा होने पर ब्लड में शुगर का लेवल अचानक से कम हो जाता है।इंसुलिन (Insulin) या डायबिटीज की मेडिसिंस (Diabetes medicine) का सेवन करने के साथ ही डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। गलती से भी डायबिटीज की मेडिसिंस का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया,  हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) से अलग होती है। जानिए रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया (Reactive hypoglycemia) हो जाने पर क्या लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

    रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया के लक्षण (Symptoms of Reactive Hypoglycemia)

    रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज का संबंध (Reactive hypoglycemia and exercise relation)

    रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज

    अध्ययनों से पता चलता है कि 30% तक एथलीट रिएक्टिव हाइपोग्लाइसीमिया का अनुभव करते हैं। यानी रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज (Reactive hypoglycemia and exercise relation) एक -दूसरे से संबंधित है। ब्लड में शुगर के लेवल के कम हो जाने पर चक्कर का एहसास होना, कमजोरी लगना आदि लक्षण महसूस होते हैं। इसे बोनकिंग ( bonking) के रूप में भी जाना जाता है। अगर कोई एथलीट दौड़ता है, चो दौड़ के अंत में ब्लड में शुगर का लेवल कम हो जाना आम बात होती है। रिएक्टिव हाइपोग्लाइसीमिया की शुरुआत में व्यायाम के दौरान ब्लड में शुगर का लेवल (Blood sugar level) कम होने लगता है। आप प्रीवर्कआउट बोन को रोकने के लिए कुछ तरीके अपना सकते हैं। अगर आपको एक्सरसाइज के दौरान ही थका हुआ महसूस हो रहा है, तो आप डॉक्टर से भी इस बारे में बात कर सकते हैं।

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    एक्सरसाइज के पहले कॉर्बोहाइड्रेट को लेने की सलाह दी जाती है। वहीं कुछ स्टडीज में प्री एक्सरसाइज कार्बोहाइड्रेट (Pre-exercise carbohydrate) रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया (Reactive hypoglycemia) के कारण मानें जाते हैं। ऐसे में डॉक्टर लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स कार्बोहाइड्रेट को लेने की सलाह देते हैं। साथ ही इंसुलिन को अचानक से बढ़ाने वाले ग्लूकोज को भी न लेने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से बॉडी में बनने वाले कार्बोहाइड्रेट की प्रक्रिया कुछ धीमी हो जाती है। आपके कार्बोहाइड्रेट सेवन के पहले व्यायाम से भी फर्क पड़ सकता है। एक अध्ययन में, रिएक्टिव हाइपोग्लाइसीमिया उन एथलीटों में सबसे अधिक असरदार था, जिन्होंने एक्सरसाइज से 75 मिनट पहले कार्बोहाइड्रेट का सेवन किया था। जब केवल 15 मिनट पहले कार्बोहाइड्रेट लिया गया, तो कुछ लोग प्रभावित हुए, और एक्सरसाइज से पांच मिनट पहले या वार्म अप के दौरान कार्बोहाइड्रेट लेने पर कोई एथलीट प्रभावित नहीं हुआ। रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज (Reactive hypoglycemia and exercise relation) के संबंध में अधिक जानकारी आप डॉक्टर से ले सकते हैं।

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    रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज: अगर स्वस्थ्य होने पर दिखते हैं ये लक्षण, तो जरूर बताएं डॉक्टर को!

    अगर आप पूरी तरह से स्वस्थ है और एक्सरसाइज करने के दौरान अचानक आपको थकावट का एहसास होने लगता है, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए। आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए और साथ ही अपने ब्लड में शुगर लेवल की जांच भी करवानी चाहिए। अगर खाने के बाद या एक्सरसाइज (Excercise) के बाद आपके ब्लड में शुगर का लेवल अचानक से कम हो जाता है तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

    आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए कि एक्सरसाइज से पहले किस प्रकार के कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना चाहिए और किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप बिना जानकारी लिए एक्सरसाइज के पहले डाइट लेते हैं, तो हो सकता है कि आपको नुकसान पहुंचे। कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए आप ब्लड में शुगर के लेवल को कंट्रोल में रख सकते हैं।

    बेहतर लाइफस्टाइल अपनाकर और खान-पान पर ध्यान रखकर आप एक नहीं बल्कि कई बीमारियों से बच सकते हैं। डायबिटीज की बीमारी खराब लाइफस्टाइल का नतीजा होती है। आप अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने के लिए अच्छी नींद लेने के साथ ही पौष्टिक आहार को शामिल करें और साथ ही स्ट्रेस से बचें। ऐसा करने से आप एक नहीं बल्कि कई समस्याओं से बच सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज (Reactive hypoglycemia and exercise relation) के संबंध के बारे में जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको फिर भी उपरोक्त दिए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।

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    इस आर्टिकल में हमने आपको रिएक्टिव हायपोग्लाइसेमिया और एक्सरसाइज (Reactive hypoglycemia and exercise relation)  के बारे में  बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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