स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल (Sport and blood sugar level) एक दूसरे से कनेक्टेड हैं। स्पोर्ट एक्टिविटीज डायबिटिक्स के ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करती हैं। अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो आप स्पोर्ट्स या एक्सरसाइज में ज़रूर पार्टिसिपेट कर सकते हैं, बस आपको कुछ अतिरिक्त सावधानियां रखनी होगी और सुरक्षित तरीके अपनाने होंगे। हालांकि, स्पोर्ट या फिजिकल एक्टिविटी का ब्लड शुगर लेवल पर प्रभाव उसपे निर्भर लेता है कि आप कितने एक्टिव है, किस तरह के स्पोर्ट में भाग लेते हैं और कुछ दूसरे फैक्टर्स पर भी। इसकी वजह से ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि (Hyperglycemia) या कमी (Hypoglycemia) हो सकती है।
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल (Sport and blood sugar level) के कनेक्शन को इस आर्टिकल में विस्तार से समझाया जा रहा है। स्पोर्ट और फिजिकल एक्टिविटीज या वर्कआउट आपके ब्लड शुगर लेवल को 24 घंटे या इससे ज्यादा समय के लिए कम कर सकती हैं। साथ ही बॉडी को इंसुलिन के प्रति अधिक सेंसटिव बना देती है। स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल (Sport and blood sugar level) के कनेक्शन को समझने से पहले लिए हायपोग्लाइसीमिया और हायपरग्लाइसीमिया के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल: हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia)
हायपोग्लाइसीमिया को लो ब्लड शुगर (Low blood sugar) लो ब्लड ग्लूकोज (Low blood glucose) के नाम से जाना जाता है। शरीर में एनर्जी बरकरार रहे इसके लिए ग्लूकोज बेहद जरूरी है, जो खाद्य पदार्थों से अच्छे से प्राप्त किया जा सकता है। कार्बोहायड्रेट ग्लूकोज का मुख्य डायट सोर्स है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में अग्न्याशय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इंसुलिन हॉर्मोन जो अग्न्याशय द्वारा बनाया जाता है, कोशिकाओं को ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग करने में मदद करता है। वहीं ग्लुकागॉन हॉर्मोन भी रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है। जब पैंक्रियाज पर्याप्त ग्लुकागॉन का उत्पादन नहीं करता है तब ऐसी परिस्थिति में ब्लड शुगर का लेवल कम हो सकता है जो हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) का कारण बन सकता है।
हायपोग्लाइसीमिया के लक्षणों में शरीर का कांपना, चक्कर आना, सिर दर्द, बार-बार पसीना आना, भूख लगना, तेजी से दिल का धड़कना और त्वचा का रंग हल्का हो जाना शामिल हैं।
और पढ़ें: डायबिटीज में वेट लॉस एक्सरसाइज: आसानी से कर सकते हैं डायबिटीज पेशेंट इन 7 एक्सरसाइज
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल: हायपरग्लाइसेमिया (Hyperglycemia)
हाइपरग्लाईसेमिया, या उच्च रक्त ग्लूकोज, तब होता है जब ब्लड में बहुत अधिक शुगर होता है। यह तब होता है जब आपके शरीर में बहुत कम इंसुलिन (वह हॉर्मोन जो रक्त में ग्लूकोज को ट्रांसपोर्ट करता है) होता है, या तब जब आपका शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है। यह स्थिति अक्सर डायबिटीज से जुड़ी होती है। हाइपरग्लाईसेमिया उल्टी, अत्यधिक भूख और प्यास, तेजी से दिल की धड़कन, दृष्टि समस्याओं और अन्य लक्षण पैदा कर सकता है। अनुपचारित हाइपरग्लाईसेमिया गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल (Sport and blood sugar level)
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल (Sport and blood sugar level) के कनेक्शन को इस प्रकार समझें कि मॉडरेट एक्सरसाइज जैसे कि वॉकिंग और साइकलिंग ब्लड शुगर में कमी कर सकती हैं। वहीं रनिंग और फुटबॉल ब्लड ग्लूकोज लेवल को बढ़ाने का काम करती हैं। एनसीबीआई (NCBI) में छपी स्टडी के अनुसार लंबे समय से डायबिटीज का सामना कर रहे लोगों में एक्सरसाइज प्रोग्राम को शुरू करने से पहले डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन का मूल्यांकन किया जाना चाहिए और अगर कॉम्प्लिकेशन हों तो एक्सरसाइज को मॉडिफाय किया जाना चाहिए।
ये ना भूलें
जो एथलीट्स ओरल इंसुलिन या इंसुलिन इंजेक्शन का उपयोग करते हैं उनमें एक्सरसाइज इंड्यूस्ड हायपोग्लाइसेमिया का रिस्क होता है। ऐसा एक्सरसाइज के तुरंत बाद या कुछ समय बाद हो सकता है। इंसुलिन पर निर्भर एथलीट्स को एक्सरसाइज के पहले और बाद में ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करना चाहिए। साथ ही यह भी जरूरी है कि उन्हें हायपोग्लाइसेमिया के लक्षणों के बारे में पता हो और उनके पास तेजी से अवशोषित होने वाला ग्लूकोज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। इंसुलिन डिपेंडेट एथलीट्स को स्पोर्ट के पहले और बाद में कार्बोहायड्रेट युक्त फूड्स या सप्लिमेंट्स का सेवन करना चाहिए। खासकर अगर वह स्पोर्ट एक घंटे से ज्यादा चलने वाला है। आपका ब्लड शुगर लेवल स्पोर्ट के प्रति कैसे रिस्पॉन्स करता है इसके प्रति अवेयर होना जरूरी है।
और पढ़ें: डायबिटीज और स्ट्रोक: क्यों जरूरी है ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना?
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल (Sport and blood sugar level) : परफॉर्मेंस को कर सकता है प्रभावित
बहुत ज्यादा और कम ब्लड शुगर लेवल आपकी एनर्जी के लेवल को भी प्रभावित कर सकता है। जिसका असर परफॉर्मेंस पर भी हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें। जो लोग इंसुलिन का उपयोग करते हैं उनका एनर्जी लेवल अच्छा रहता है जब उनका शुगर लेवल 5 और 11 mmol/l के बीच होता है।
टाइप 2 डायबिटीज वाले लोग यदि संभव हो तो ब्लड शुगर को स्ट्रिकली कंट्रोल में रखने का लक्ष्य रख सकते हैं। आपका डॉक्टर आपको सलाह दे सकता है कि खेल खेलते वक्त आपको ब्लड शुगर लेवल को किस स्तर पर रखना है क्योंकि आपकी रेंज इस बात पर निर्भर करेगी कि आप कौन सी दवा (यदि कोई हो) ले रहे हैं और आपकी हेल्थ कंडिशन कैसी है। जो बच्चे डायबिटीज से पीड़ित हैं उनके पेरेंट्स को ब्लड शुगर लेवल की लो और हाय रेंज के बारे में जानकारी होनी चाहिए और उन्हें अपने पास आसानी से उपलब्ध ग्लूकोज भी रखना चाहिए जो हायपोग्लाइसीमिया में काम आ सके। साथ ही टीचर्स को भी हायपोग्लाइसीमिया और हायपरग्लाइसीमिया के लक्षणों और रोकथाम के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
ब्लड शुगर लेवल और स्पोर्ट्स (Sport and blood sugar level) : इन बातों का रखें ख्याल
ये टिप्स एक्सरसाइज के दौरान डायबिटीज प्रॉब्लम्स को अवॉइड करने में मदद कर सकती हैं। स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन रखने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें।
और पढ़ें: पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर क्या है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar level) को चेक करें
आपका डॉक्टर आपको बताएगा कि आपको अपना ब्लड शुगर लेवल कब चेक करना है। स्पोर्ट एक्टिविटी से पहले और बाद में ब्लड शुगर लेवल को जरूर चेक करें।
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल: इंसुलिन (Insulin) का सही डोज लें
आपका डॉक्टर स्पोर्ट्स या एक्सरसाइज के दौरान इंसुलिन डोसेज को एडजस्ट कर सकता है। अगर आप इंसुलिन को इंजेक्ट करते हैं, तो हो सकता है कि स्पोर्ट से पहले बॉडी के उस हिस्से पर इंजेक्शन ना लगाना चाहें जिसका आप उपयोग करने वाले हैं। इससे इंसुलिन बहुत जल्दी अवशोषित हो सकता है। यदि आप इंसुलिन पंप पहनकर रखते हैं, तो ध्यान रखें कि यह एक्सरसाइज या स्पोर्ट के रास्ते में ना आए। जिससे यह डिसकनेक्ट नहीं होगा। पंप के बिना कैसे स्पोर्ट्स एक्टिविटीज में हिस्सा लिया जा सकता है इसके बारे में अपने डॉक्टर से पूछें।
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल: अच्छा खाएं (Eat right)
आपका डॉक्टर आपके मील प्लान को एडजस्ट करने में मदद कर सकता है क्योंकि मील का असर ब्लड शुगर लेवल पर होता है। डायबिटीज के लिए जरूरी डायट को फॉलो करें। रनिंग के लिए एक्सट्रा कार्ब्स का सेवन और रेसलिंग के लिए कम सेवन करने के लिए किसी प्रकार की भी डायट को फॉलो करना डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसा कुछ भी करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
और पढ़ें: टाइप 1 डायबिटीज के ब्रेन हेल्थ पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानिए यहां
स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल: अच्छी तरह से पैकिंग कर लें
अगर आप स्पोर्ट एक्टिविटी के लिए घर से बाहर जा रहे हैं तो अपनी टेस्टिंग सप्लाईज, मेडिकेशन, इमरजेंसी कॉन्टैक्ट नंबर, डॉक्टर का नंबर आदि अपने पास रखें। साथ ही अपने कोच और साथी खिलाड़ियों को भी इसके बारे में बता दें कि आपको डायबिटीज है।
उम्मीद करते हैं कि स्पोर्ट और ब्लड शुगर लेवल से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
[embed-health-tool-bmi]