बॉडी में ब्लड शुगर लेवल बैलेंस रहना बेहद जरूरी है, क्योंकि ब्लड शुगर लेवल इम्बैलेंस होने से डायबिटीज के साथ-साथ अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज की समस्या पैंक्रियाज से सीक्रिट होने वाले इंसुलिन की मात्रा में कमी की वजह से होती है। कुछ स्थितियों में पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट करवाने की भी जरूरत पड़ती है। इसलिए आज इस आर्टिकल में पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia after pancreas transplantation) से जुड़े सवालों का जवाब जानेंगे।
और पढ़ें : Type 2 Diabetes and Levofloxacin: टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया: पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट और एक्सरसाइज के बाद ग्लूकोज, इंसुलिन एवं ग्लूकागोन लेवल (Glucose, Insulin and Glucagon Levels During Exercise in patients with Pancreas Transplant) से जुड़े क्या हैं रिसर्च?
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) एवं अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट और एक्सरसाइज के बाद ग्लूकोज, इंसुलिन एवं ग्लूकागोन लेवल (Glucose, Insulin and Glucagon Levels During Exercise in patients with Pancreas Transplant) में कोई बदलाव नहीं देखे गयें। दरअसल पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया की स्थिति समझने के लिए बाइसिकल एक्सरसाइज (Bicycle exercise) के दौरान 40 प्रतिशत तक VO2 में तेजी देखी गई। सिर्फ यही नहीं हाइपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia) और हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia) दोनों ही स्थिति में एक जैसे रिसल्ट देखे गयें।
रिसर्च के दौरान ग्लूकोज, इंसुलिन एवं ग्लूकागोन लेवल (Glucose, Insulin and Glucagon Levels after Pancreas Transplant) की जानकारी के लिए 6 ऐसे लोगों पर शोध की गई जिन्होंने पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट करवाया था और 6 हेल्दी लोगों को लिया गया। इनसभी से साइक्लिंग करवाई गई और ऑक्सिजन कंजम्प्शन पर ध्यान दिया गया।
और पढ़ें : Huminsulin N: जानिए डायबिटीज पेशेंट के लिए ह्युमिनसुलिन एन के फायदे और नुकसान
पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia after pancreas transplantation): कब पड़ती है पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट की जरूरत?
मेयो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) या टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की समस्या होने पर पैंक्रियाज के ठीक तरह से काम नहीं करने पर पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट (Pancreas transplant) की जरूरत पड़ सकती है। वैसे पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट की जरूरत कम पड़ती है। आवश्यकता पड़ने पर अगर पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट की जाती है, तो इससे इंसुलिन के निर्माण में मदद मिलती है, जिससे ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose Level) बैलेंस रह सकता है। इसलिए पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia after pancreas transplantation) की समस्या कम हो सकती है।
पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia after pancreas transplantation): कितना वक्त लगता है सर्जरी की जगह भरने में?
पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद कम से कम 3 सप्ताह का वक्त लगता है सर्जरी के दौरान लगाई गई स्टिचेस को ठीक करने में। इसके अलावा एक महीना या इससे भी ज्यादा वक्त लग सकता है मरीज को ठीक होने में।
और पढ़ें : डायबिटीज है! इन्सुलिन प्लांट स्टीविया का कर सकते हैं सेवन, लेकिन डॉक्टर के इजाजत के बाद!
पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया (Hypoglycemia after pancreas transplantation): सर्जरी के बाद आपकी डायट कैसी होनी चाहिए?
पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया के मरीजों को अपने डायट का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसलिए-
- 5 सर्विंग फ्रूट्स (Fruits) और वेजिटेबल (Vegetables) का सेवन करें।
- लीन मीट (Lean meat) का सेवन किया जा सकता है।
- मछलियों (Fish) का सेवन करें।
- साबुत अनाज (Whole grain) का सेवन करें।
- अपने डेली डायट में फाइबर रिच फूड (Fiber rich food) का सेवन जरूर करें।
- लो फैट मिल्क या अन्य डेयरी प्रॉडक्ट्स (Low fat milk and dairy products) का सेवन करें।
पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद डायट में इन सभी खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थों को शामिल किया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर से अपने डायट से जुड़ी जानकारी जरूर लें। हेल्थ एक्सपर्ट आपके हेल्थ कंडिशन (Health Condition) को ध्यान में रखते हुए आपको डायट (Diet) लिस्ट शेयर कर सकते हैं।
और पढ़ें : डेली एक्टिविटी और मॉडरेट एक्सरसाइज: टाइप 2 डायबिटीज के लिए कौन है बेहतर?
पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया: एक्सरसाइज से जुड़ी खास जानकरी
- ब्लड शुगर लेवल इमबैलेंस ना हो इसलिए पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट करवाने के कुछ दिनों बाद एक्सरसाइज करना जरूरी है। इसलिए-
- आपके संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी को अपने दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। हालांकि आप डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) या एक्सरसाइज (Workout) करें।
- पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया की समस्या ना हो इसलिए एक्सरसाइज करें। ऐसा करने से बॉडी को एनर्जी (Energy) मिलेगी और आप अच्छा महसूस करेंगे।
- पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट के बाद हायपोग्लाइसीमिया यानी ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) बैलेंस में रखने के लिए अपने डेली रूटीन में वॉकिंग (Walking) को जरूर शामिल करना चाहिए। सप्ताह में कम से कम 5 दिन आधे घंटे टहलने की आदत डालने से विशेष लाभ मिलता है।
इन ऊपर बताये बिंदुओं को ध्यान रखें और ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) बैलेंस बनाये रखें।
और पढ़ें : T1DM मरीजों में ब्लड ग्लूकोज लेवल और एक्सरसाइज से जुड़े क्या हैं रिसर्च?
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) उम्र के अनुसार अलग-अलग होते हैं। जैसे:
6-12 वर्ष (6 to 12 Years)
- फास्टिंग- 80-180 mg/dL
- खाना खाने के पहले- 90-180 mg/dL
- एक्सरसाइज के पहले- 150 mg/dL
- सोने के दौरान- 100-180 mg/dL
13-19 वर्ष (13 to 19 Years)
- फास्टिंग- 70-150 mg/dL
- खाना खाने के पहले- 90-130 mg/dL
- एक्सरसाइज के पहले- 150 mg/dL
- सोने के दौरान- 90-150 mg/dL
20 वर्ष से ज्यादा (Above 20 Years)
- फास्टिंग- 100 mg/dL
- खाना खाने के पहले- 70-130 mg/dL
- एक्सरसाइज के पहले- 180 mg/dL
- सोने के दौरान- 100-140 mg/dL
उम्र के अनुसार ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) की जानकारी। अगर ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव ज्यादा हो तो डॉक्टर से कंसल्ट करें।
और पढ़ें : टाइप 2 डायबिटीज मरीजों में कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम का क्या है कनेक्शन?
यहां हमने आपके साथ ब्लड शुगर लेवल से जुड़ी जानकारी शेयर की है। इसके साथ ही टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के कारणों को भी समझें जिससे ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) कंट्रोल रहे या आप इस बीमारी से दूर रह सकते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज की समस्या क्यों हो सकती है? (Cause of Type 2 Diabetes)
टाइप 2 डायबिटीज की समस्या निम्नलिखित कारणों की वजह से हो सकती है। जैसे:
- परिवार में टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की बीमारी पहले से होना।
- अत्यधिक वजन बढ़ना (Weight gain)।
- स्मोकिंग (Smoking) करना।
- असंतुलित आहार (Unhealthy diet) सेवन करना।
- एक्सरसाइज (Workout) नहीं करना।
- HIV जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए एंटी-सिजर्स, दवाएं और एचआईवी जैसी दवाओं का सेवन करना।
और पढ़ें : T1DM मरीजों में ब्लड ग्लूकोज लेवल और एक्सरसाइज से जुड़े क्या हैं रिसर्च?
अगर आप टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) और पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट और एक्सरसाइज के बाद ग्लूकोज, इंसुलिन एवं ग्लूकागोन लेवल (Glucose, Insulin and Glucagon Levels During Exercise in patients with Pancreas Transplant) या पैंक्रियाज ट्रांसप्लांट और ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level after Pancreas Transplant) से जुड़े सवालों का जवाब तलाश कर रहें थें, तो उम्मीद करते हैं कि यहां दी गई जानकारी आपके लिए लाभकारी होगी। वैसे अगर आप या आपके कोई भी करीबी डायबिटिक (Diabetic) हैं, तो उन्हें ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को बैलेंस बनाये रखने की सलाह दें, जिससे अन्य बीमारियों से दूर रहने में मदद मिल सकती है।
स्वस्थ रहने के लिए अपने डेली रूटीन में योगासन शामिल करें। यहां हम आपके साथ योग महत्वपूर्ण जानकारी शेयर कर रहें हैं, जिसकी मदद से आप अपने दिनचर्या में योग को शामिल कर सकते हैं। नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर योगासन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जानिए।
[embed-health-tool-bmi]