कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Low Levels Of Cardio Activity And Prediction Of Metabolic Syndrome)
कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Low Levels Of Cardio Activity And Prediction Of Metabolic Syndrome) के संबंध में की गई स्टडी में एलटीपीए (leisure-time physical activity) एसोसिएशन और कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस के साथ ही मेटाबॉलिक सिंड्रोम के डेवलपमेंट के बारे में स्टडी की गई। स्टडी के बाद ये बात सामने आई कि विशेष रूप से, फिजिकल एक्टिविटी करने वाले लोगों में एक्सरसाइज न करने वाले पुरुषों की तुलना में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के डेवलप होने का खतरा कम होता है। ऐसे लोगों में कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस भी स्ट्रॉन्गली प्रोटक्टिव थी लेकिन ये मीडिएटिंग फैक्टर से इंडिपेंडेंट नहीं थी।
4 साल के फॉलो-अप में, 107 पुरुषों में मेटाबोलिक सिंड्रोम पाया गया था। सप्ताह में तीन घंटे से कम मॉडेरट या विगोरस एलटीपीए वाले पुरुषों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम की संभावना आधी रह गई थी। स्टडी के दौरान जिन 107 पुरुषों में 4 साल के फॉलो-अप के अंत तक मेटाबोलिक सिंड्रोम विकसित हुआ, वे 505 पुरुषों की तुलना में भारी और अधिक या हाय ब्लड प्रेशर से ग्रस्त थे। साथ ही वो लोगों डिस्लिपिडेमिक और हाइपरिन्सुलिनमिक (dyslipidemic, and hyperinsulinemic) थे, जिनके पास बेसलाइन में पहले से ही मेटाबॉलिक सिंड्रोम नहीं था। उनके ब्लड शुगर का स्तर थोड़ा ज्यादा था और साथ ही कार्डियोवस्कुल डिजीज की भी अधिक संभावना थी।
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मेटाबॉलिक सिंड्रोम से है बचना, तो बेहतर लाइफस्टाइल अपनाना है जरूरी!
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचने के लिए बेहतर लाइफस्टाइल अपनाना बहुत जरूरी है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण पेट की चर्बी बढ़ना, हाय ब्लड प्रेशर, हाय ब्लड शुगर और अनकंट्रोल्ड कोलेस्ट्रॉल की समस्या शामिल होती है। अगर इनका समय पर निदान कर लिया जाए, तो कई बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।