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कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम में क्या है संबंध, जानिए यहां

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/02/2022

    कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम में क्या है संबंध, जानिए यहां

    डायबिटीज की बीमारी ऐसी बीमारी है, जो किसी भी व्यक्ति को किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकती है। डायबिटीज की बीमारी के कारण ब्लड में शुगर का लेवल अनकंट्रोल्ड हो जाता है। जिन लोगों की लाइफस्टाइल अच्छी नहीं होती है, उनमें यह बीमारी होने का अधिक खतरा रहता है। डायबिटीज की बीमारी का आखिरकार मेटाबॉलिक सिंड्रोम से क्या मतलब है या क्या कनेक्शन है, इस बारे में कम ही लोगों को पता होता है। इस संबंध में कई स्टडी भी हो चुकी है, जो मेटाबॉलिक सिंड्रोम के होने या ना होने को लेकर की गई हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक स्टडी के बारे में जानकारी देंगे जिसमें कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Low Levels Of Cardio Activity And Prediction Of Metabolic Syndrome) का क्या कनेक्शन है, इस बारे में बताया गया है। आइए पहले जान लेते हैं कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम क्या होता है।

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    मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic Syndrome) से क्या है मतलब?

    कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Low Levels Of Cardio Activity And Prediction Of Metabolic Syndrome

    मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) एक क्लस्टर कंडीशन है, जो व्यक्ति में हार्ट डिजीज (Heart disease), स्ट्रोक और टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाने का काम करता है। इन कारणों से ब्लड प्रेशर का बढ़ना (increased blood pressure), हाय ब्लड शुगर, कमर के आसपास बॉडी फैट का बढ़ जाना, हाय ब्लड शुगर, शरीर का बढ़ा हुआ वेट, एब्नॉर्मल कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लीसराइड लेवल आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दी गई कंडीशन में किसी एक कंडीशन के होने का ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपको मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) की समस्या है। हां, अगर आपको इनमें से कोई भी बीमारी है, तो इसका मतलब ये हो सकता है कि आप सीरियस डिजीज के रिस्क में हैं।

    अगर आपको कोई भी एक बीमारी है, तो हो सकता है कि आपको अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाए। समय के साथ मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) का बढ़ना कॉमन हो जाता है। अगर आपको दी गई बीमारियों में से किसी का भी खतरा है या फिर कोई बीमारी है, तो आपको लाइफस्टाइल में सुधार करने की जरूरत है। अगर आप बीमारियों को इग्नोर करते हैं या फिर देरी करते हैं, तो आपकी समस्या बढ़ भी सकती है। जानिए कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Low Levels Of Cardio Activity And Prediction Of Metabolic Syndrome) के बारे में।

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    कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Low Levels Of Cardio Activity And Prediction Of Metabolic Syndrome)

    कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Low Levels Of Cardio Activity And Prediction Of Metabolic Syndrome) के संबंध में की गई स्टडी में एलटीपीए (leisure-time physical activity) एसोसिएशन और कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस के साथ ही मेटाबॉलिक सिंड्रोम के डेवलपमेंट के बारे में स्टडी की गई। स्टडी के बाद ये बात सामने आई कि विशेष रूप से, फिजिकल एक्टिविटी करने वाले लोगों में एक्सरसाइज न करने वाले पुरुषों की तुलना में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के डेवलप होने का खतरा कम होता है। ऐसे लोगों में कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस भी स्ट्रॉन्गली प्रोटक्टिव थी लेकिन ये मीडिएटिंग फैक्टर से इंडिपेंडेंट नहीं थी।

    4 साल के फॉलो-अप में, 107 पुरुषों में मेटाबोलिक सिंड्रोम पाया गया था। सप्ताह में तीन घंटे से कम मॉडेरट या विगोरस एलटीपीए वाले पुरुषों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम की संभावना आधी रह गई थी। स्टडी के दौरान जिन 107 पुरुषों में 4 साल के फॉलो-अप के अंत तक मेटाबोलिक सिंड्रोम विकसित हुआ, वे 505 पुरुषों की तुलना में भारी और अधिक या हाय ब्लड प्रेशर से ग्रस्त थे। साथ ही वो लोगों डिस्लिपिडेमिक और हाइपरिन्सुलिनमिक (dyslipidemic, and hyperinsulinemic) थे, जिनके पास बेसलाइन में पहले से ही मेटाबॉलिक सिंड्रोम नहीं था। उनके ब्लड शुगर का स्तर थोड़ा ज्यादा था और साथ ही कार्डियोवस्कुल डिजीज की भी अधिक संभावना थी।

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    मेटाबॉलिक सिंड्रोम से है बचना, तो बेहतर लाइफस्टाइल अपनाना है जरूरी!

    मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचने के लिए बेहतर लाइफस्टाइल अपनाना बहुत जरूरी है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण पेट की चर्बी बढ़ना, हाय ब्लड प्रेशर, हाय ब्लड शुगर और अनकंट्रोल्ड कोलेस्ट्रॉल की समस्या शामिल होती है। अगर इनका समय पर निदान कर लिया जाए, तो कई बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।

  • आपको रोजाना व्यायाम करना चाहिए। अगर आपने कभी व्यायाम नहीं किया है, तो आप रोजाना कुछ समय तक या कुछ घंटे तक वॉक भी कर सकते हैं। ऐसे करने आपके शरीर को बहुत लाभ मिलेगा। वॉक करने से या रोजाना पैदल चलने से शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी कम होती है।
  • आपको खाने में हेल्दी फूड शामिल करने चाहिए। आप कम सैचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रोल वाले फूड का सेवन कर सकते हैं। खाने में फलों, सब्जियों के साथ ही साबुत अनाज को भी शामिल करें।
  • अगर आपका बीपी हाय रहता है, तो समय-समय पर बीपी की जांच जरूर करवाएं।
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    • अगर स्मोकिंग करते हैं, तो आप उसे छोड़ देना चाहिए। ऐसा करने से आप कई बीमारियों से खतरे से बच सकते हैं
    • अगर आप रोजाना एक्सरसाइज करते हैं लेते हैं तो आपका अधिक वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है। वजन कम होने से कई बीमारियों की संभावना भी कम हो जाती है।
    • भले ही आजकल की लाइफस्टाइल बदल गई हो लेकिन नींद के साथ समझौता कभी ना करें। भले ही आप को जितना भी काम हो, उसे मैनेज करें लेकिन रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें। अच्छी नींद शरीर की कई बीमारियों को दूर रखने का काम करती है। अगर आप पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं लेंगे, तो आपको स्ट्रेस के साथ ही कई अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाएगा।

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    डायबिटीज की बीमारी को पूरी तरह से खत्म करना मुमकिन है लेकिन इसके लिए आपको कई नियमों को अपनाना पड़ेगा। बेहतर खानपान के साथ ही लाइफस्टाइल संबंधी कई सुधार भी करने होंगे। जिनमें रोजाना एक्सरसाइज बहुत अहम है। कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Low Levels Of Cardio Activity And Prediction Of Metabolic Syndrome) का संबंझ क्या है, इस बारे में डॉक्टर से भी अधिक जानकारी ले सकते हैं।

    इस आर्टिकल में हमने आपको कार्डियो एक्टिविटी का लो लेवल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Low Levels Of Cardio Activity And Prediction Of Metabolic Syndrome) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

    डिस्क्लेमर

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