परिचय
आंखों का सूखापन क्या है?
आंखों का सूखापन एक सामान्य समस्या है जो तब होती है जब आंखों में आंसू नहीं बनते हैं जिससे आंखों की नमी समाप्त हो जाती है। आंखों में पर्याप्त आंसू कई कारणों से नहीं बनते हैं। आंसू न बनने से आंखों में दर्द, बेचैनी, लालिमा और चुभन जैसी समस्याएं होती हैं। आमतौर पर एयर कंडीशन रुम, बाइक चलाते समय, एयरप्लेन में और कुछ घंटों तक लगातार कम्यूटर स्क्रीन पर देखने के कारण आंखों में आंसू की मात्रा कम हो जाती है। इलाज से बहुत आसानी से आंखों का सूखापन दूर किया जा सकता है।
इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
कितना सामान्य है आंखों का सूखापन होना?
आंखों का सूखापन एक कॉमन कंडिशन है। ये पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं पर अधिक प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में लाखों लोग आंखों के सूखेपन से पीड़ित हैं। वैसे तो आंखों का सूखापन किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति, यहां तक की एक स्वस्थ व्यक्ति को भी हो सकता है। लेकिन यह समस्या बूढ़े लोगों में अधिक पायी जाती है। साथ ही कुपोषित लोगों और शरीर में विटामिन ए की कमी वाले लोगों को भी आंखों का सूखापन हो सकता है। यह ध्यान रखें की आंखों से पानी आने की भी समस्या भी हो सकती है। आंखों से पानी आने की परेशानी को दूर करने के लिए दवा की आवश्यकता पड़ सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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लक्षण
आंखों का सूखापन के क्या लक्षण है?
आंखों का सूखापन आमतौर पर दोनों आंखों को प्रभावित करता है। कुछ लोगों में आंखों के सूखेपन के लक्षण शुरुआत में ही नजर आने लगते हैं जबकि कुछ लोगों में ये लक्षण देर से दिखायी देते हैं। समय के साथ आंखों के सूखेपन के ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
- आंखों में जलन
- आंखें लाल होना और चुभना
- आंखों में दर्द
- आंखों से पतला आंसू निकलना
- चिपचिपा म्यूकस निकलना
- आंखों में सेंसेशन
- कॉन्टैक्ट लेंस पहनने में परेशानी
- रात के समय ड्राइविंग में कठिनाई
- आंखों से धुंधला दिखायी देना
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से आंखें बहुत थकी हुई महसूस होती हैं जिससे पढ़ने या कंप्यूटर पर काम करने में परेशानी होती है। इस दौरान आंखों में धूल या गंदगी भरे होने का अनुभव होता है और आंखों में भारीपन महसूस होता है।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
- हवा या धुएं के प्रति आंखों का सेंसिटिव होना
- आंखें खुली रखने में कठिनाई
- प्रकाश के प्रति संवेदनशील
- आंख से दोहरी वस्तु दिखायी देना
ड्राई आई से पीड़ित कुछ लोगों की आंकों में बहुत तेज दर्द होता है और इसके कारण चिंता, चिड़चिड़ापन और गुस्से का अनुभव होता है तथा रोजमर्रा के कामों में कठिनाई हो सकती है। आंखें लाल होना या प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और दर्द आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकते हैं।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के आंखों पर ड्राई आई अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। अगर आपकी आंखें लगातार कई दिनों तक लाल रहती हैं या आंखों में दर्द, थकान और बेचैनी महसूस होती है तो तुरंत आंखों के डॉक्टर के पास जाना चाहिए। देर करने से आंखों का सूखापन गंभीर हो सकता है।
कारण
आंखों का सूखापन होने के कारण क्या है?
आंखों का सूखापन कई कारणों से होता है। दरअसल, आंसू की तीन परतें होती है। बाहरी परत ऑयली, बीच की परत वाटरी और सबसे अंदर म्यूकस की परत होती है। आंसू के विभिन्न तत्वों को उत्पन्न करने वाली ग्रंथियों में जब सूजन हो जाती है तब ये ग्रंथियां पानी, ऑयल और म्यूकस नहीं बनाती हैं जिसके कारण ड्राई आई सिंड्रोम हो सकता है। जब आंसू में ऑयल नहीं होता है तो ये जल्दी ही वाष्पित हो जाते हैं और आंखों की नमी समाप्त हो जाती है।
इसके अलावा आंखों का सूखापन अन्य कई कारणों से होता है:
- हार्मोन रिप्लेसमेंट थेर
- ठंडी हवा जैसे एयर कंडीशन या ड्राई एयर जैसे सर्दियों में हीटर के संपर्क में आने से
- एलर्जी
- लेजिक आई सर्जरी
- बर्थ कंट्रोल पिल्स या एंटी डिप्रेसेंट दवाओं से
- उम्र बढ़ने से
- लंबे समय तक कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से
- लंबे समय तक कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखने से
- लगातार कई घंटों तक पलकें न झपकाने से
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जोखिम
आंखों का सूखापन के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
अधिकांश लोगों में आंखों का सूखापन हल्का होता है जिससे भविष्य में गंभीर समस्याएं नहीं होती हैं लेकिन ड्राई आई के गंभीर लक्षण आंखों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। आंसू आंखों की सतह को इंफेक्शन से बचाते हैं। आंखों में पर्याप्त आंसू न बनने से आई इंफेक्शन हो सकता है।
आंखों के सूखेपन का इलाज न कराने से आंखों की सतह डैमेज हो सकती है, कॉर्निया में सूजन, अल्सर और आंखों की रोशनी कम हो सकती है। सिर्फ इतना ही नहीं आंखों का सूखापन रोजमर्रा के कार्य जैसे पढ़ना, लिखना और कंप्यूटर पर कार्य करना आदि प्रभावित हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
आंखों का सूखापन का निदान कैसे किया जाता है?
आंखों के सूखेपन का पता लगाने के लिए डॉक्टर आंखों की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
- शिमर टेस्ट (Schirmer test) से यह पता किया जाता है कि मरीज की आंख में कितनी तेजी से आंसू बनता है। इसके लिए आंख की निचली पलकों पर पेपर की स्ट्रिप रखी जाती है और पांच मिनट पर यह देखा जाता है स्ट्रिप आंसू से कितनी भीगी है।
- स्लिट लैंप टेस्ट या बायोमाइक्रोस्कोप टेस्ट के जरिए मरीज की आंखों में आंसू की मात्रा का पता लगाया जाता है।
- आंसू की क्वालिटी का पता लगाने के लिए अन्य टेस्ट किये जाते हैं जिनमें आई ड्राप में विशेष डाई मिलाकर आंखों की सतह में समस्या का पता लगाया जाता है। डॉक्टर कॉर्निया में स्टेनिंग पैटर्न का पता लगाते हैं और देखते हैं कि आंसू कितनी देर में वाष्पित होता है।
आंखों के सूखेपन का निदान बहुत बारीकी से किया जाता है क्योंकि इसके कारणों के आधार पर ही ड्राई आई सिंड्रोम का इलाज किया जाता है।
आंखों का सूखापन का इलाज कैसे होता है?
आंखों के सूखेपन को इलाज से ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में आंखों का सूखापन के असर को कम करते हैं।आंखों के सूखेपन के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
- आंख की पलकों की सूजन को दूर करने और ऑयल ग्लैंड से आंसू में ऑयल स्रावित करने के लिए मरीज को एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है। आंखों के सूखेपन के लिए ज्यादातर एंटीबायोटिक दवाओं को ओरली लिया जाता है जबकि कुछ दवाओं का उपयोग आईड्रॉप के रुप में किया जाता है।
- आंखों की कॉर्निया की सतह पर सूजन को दूर करने के लिए साइक्लोस्पोरिन या कार्टिकोस्टीरॉइड आई ड्रॉप दी जाती है। ये आईड्रॉप आंखों के अंदर की सूजन को दूर कर आंसू बनाने में मदद करते हैं।
- आंखों में आंसू की मात्रा बढ़ाने के लिए कोलिनर्जिक्स दवा दी जाती है। यह दवा गोली, जेल और आईड्रॉप के रुप में उपलब्ध है।
- इसके अलावा स्पेशल कॉन्टैक्ट लेंस लगाने से आंखों में नमी बनी रहती है। वार्म कम्प्रेस या आई मास्क का रोजाना उपयोग करने से बंद ऑयल ग्रंथियां खुल जाती हैं और आंखों में पर्याप्त आंसू बनने लगता है। लाइट थेरेपी और आईलिड मसाज से भी आंखों के सूखेपन का इलाज किया जाता है।
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घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे आंखों का सूखापन को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
अगर आपको आंखों का सूखापन है तो आपके डॉक्टर गर्म हवा से बचने के लिए चश्मा लगाने की सलाह देंगे। साथ ही कंप्यूटर का इस्तेमाल करते समय या टीवी देखते समय पलकों को बार-बार झपकाना चाहिए। ड्राई आई से बचने के लिए धूम्रपान नहीं करना चाहिए और धुएं वाली जगहों पर नहीं रहना चाहिए। आंखों की पलकों को रोजाना गुनगुने पानी में कॉटन डुबोकर साफ करना चाहिए और साफ हाथों से पलकों पर सर्कुलर मोशन में मसाज करने के साथ ही आईलिड्स ग्लैंड से म्यूकस को साफ करते रहना चाहिए। आंखों का सूखापन होने पर डॉक्टर ओमेगा 3 फैटी एसिड और ओमेगा 6 फैटी एसिड से समृद्ध आहार लेने की सलाह देते हैं जो ड्राई आई के जोखिम को कम करने में मदद करता है। निम्न फूड्स में ओमेगा 3 फैटी एसिड और ओमेगा 6 फैटी एसिड की की अधिक मात्रा पाई जाती है:
- कैनोला ऑयल
- अखरोट
- अलसी का बीज
- सोयाबीन
- ऑलिव ऑयल
- लौकी के बीज
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।