किडनी इन्फेक्शन एक ऐसी समस्या है, जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। किडनी इन्फेक्शन आपकी किडनी से जुड़ा होता है। किडनी शरीर का एक ऐसा अंग हैं, जो यूरिन पास करने के पूरे तंत्र को नियंत्रित करता है। किडनी इंफेक्शन होने कि स्थिति में आपको कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में किडनी इन्फेक्शन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताएंगे।
किडनी इन्फेक्शन क्या है?
किडनी इन्फेक्शन (pyelonephritis) एक प्रकार का यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन (UTI) है, जो आमतौर पर यूरेथ्रा या ब्लैडर से शुरू होता है और एक या दोनों किडनी तक पहुंच जाता है। किडनी इन्फेक्शन होने पर तत्काल चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ती है। किडनी इन्फेक्शन का समुचित इलाज न होने पर यह स्थाई रूप से किडनी डैमेज कर देता है। इसके अतिरिक्त, किडनी का संक्रमण होने पर बैक्टीरिया आपकी ब्लड स्ट्रीम में पहुंच सकता है, जिससे जानलेवा संक्रमण हो सकता है। किडनी इन्फेक्शन के इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाइयां दी जाती हैं। कई बार किडनी इन्फेक्शन होने पर अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है।
बॉडी में किडनी क्यों है महत्वपूर्ण?
किडनी का प्रमुख कार्य बॉडी से कचरे को निकालना और ब्लड से अतिरिक्त पानी को लेना होता है। यह हमारे यूरिनरी ट्रैक्ट का हिस्सा होते हैं, जो तरल कचरा (लिक्विड वेस्ट) बनाते हैं और बॉडी से बाहर निकालते हैं। यह किसी कार्य के एक्सहॉस्ट सिस्टम की तरह कार्य करता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि बॉडी से कचरा बाहर की तरफ प्रवाहित हो। यूरिनरी ट्रैक किडनी, यूरेटर्स (Ureters) यह एक पतली ट्यूब होती है, जो दोनों किडनी में लगी होती है। यह ब्लैडर तक यूरिन लेकर जाती है। यूरेथ्रा (Urethra) ब्लैडर से यूरिन को बॉडी से बाहर निकालने वाली ट्यूब होती है। इन सभी अंगों में यदि बैक्टीरिया या इन्फेक्शन फैल जाता है तो इसे यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन कहा जाता है।
किडनी के संक्रमण के ज्यादातर मामलों में आपके ब्लैडर में सबसे पहले संक्रमण फैलता है। आमतौर इसमें दर्द होता है, लेकिन यह गंभीर नहीं होता है। यदि बैक्टीरिया यूरेटर्स (Ureters) तक बैक्टीरिया पहुंच जाते हैं तो आपको किडनी इन्फेक्शन हो जाता है। उचित इलाज के आभाव में यह किडनी का संक्रमण जानलेवा हो सकता है।
और पढ़ें: प्रेग्नेंसी में फ्रीक्वेंट यूरिनेशन क्यों होता है?
किडनी इन्फेक्शन के लक्षण
किडनी इन्फेक्शन के लक्षण निम्नलिखित हैं:
- यह समस्या होने पर आपके पेशाब में ब्लड या पस आ सकता है।
- यह दिक्कत होने पर आपको बुखार और सर्दी लग सकती है।
- यदि आपको किडनी का संक्रमण हुआ है तो आपको भूख नहीं लगेगी।
- लोअर बैक, साइड या ग्रोइन में दर्द
- पेट दर्द या उल्टी
- कमजोरी या थकावट
उपरोक्त लक्षणों के अलावा आपको ब्लैडर इन्फेक्शन के लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
- यूरिन पास करते वक्त दर्द या जलन होना।
- बार बार यूरिन पास करने का दबाव यहां तक कि ब्लैडर खाली होने पर भी ऐसा अहसास हो सकता है।
- यूरिन का क्लाउडी या उसमें दुर्गंध आना।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी किडनी के संक्रमण के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको ब्लैडर इन्फेक्शन की समस्या है तो तुरंत डॉक्टर से सहायता मांगे। यह स्थिति किडनी इन्फेक्शन में तब्दील हो सकती है।
और पढ़ें: यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का इलाज कैसे करें? जानिए इससे जुड़ी सावधानियां
किडनी इन्फेक्शन के कारण
यूरेथ्रा में बैक्टीरिया के प्रवेश करने और ब्लैडर में इसके पुनः पनपने से किडनी का संक्रमण हो जाता है। इसके बाद यह इन्फेक्शन किडनी तक पहुंच जाता है। हालांकि, बैक्टीरिया कई तरीकों से किडनी तक पहुंच सकता है।
किडनी इन्फेक्शन के कारण निम्नलिखित हैं:
- टॉयलेट हाइजीन: टॉयलेट जाने और टॉयलेट पेपर से एनस (Anus) को साफ करने के बाद भी गुप्तांग इन्फेक्शन के संपर्क में आ सकते हैं। ऐसा होने की स्थिति में यह आपकी किडनी तक पहुंच सकते हैं। संक्रमित टॉयलेट इस्तेमाल करने पर किडनी इन्फेक्शन हो सकता है। यह एनस के जरिए बॉडी में प्रवेश कर सकता है। बैक्टीरिया के कोलोन (Colon) पर कब्जा करने पर अक्सर यह किडनी इन्फेक्शन का कारण बनता है।
- महिला होना: पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ब्लैडर इन्फेक्शन होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। यह किडनी के संक्रमण में बदल जाता है। चूंकि, महिलाओं का यूरेथ्रा (Urethra) छोटा होता है, जिससे संक्रमण यूरिनरी ट्रैक के हिस्से में आसानी से पहुंच जाता है।
- यूरिनरी केथेटर (Urinary catheter): यूरिनरी केथेटर एक ट्यूब होती है, जो यूरिन को बाहर निकालने के लिए यूरेथ्रा के जरिए ब्लैडर में डाली जाती है। ऐसे में यूरिनरी केथेटर से यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इससे इन्फेक्शन होता है।
- किडनी स्टोन: किडनी स्टोन से पीढ़ित व्यक्तियों में किडनी का संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। किडनी की आंतरिक लाइनिंग पर घुले हुए मिनरल्स जम जाते हैं, जो किडनी स्टोन का रूप लेते हैं।
- प्रोस्टेट बड़े होना: जिन पुरुषों के प्रोस्टेट बढ़े हुए होते हैं, उन्हें किडनी इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है।
- कमजोर इम्यून सिस्टम: कुछ लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे उनकी त्वचा पर फंगल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो जाता है। अक्सर यह इन्फेक्शन ब्लडस्ट्रीम में पहुंच जाता है और किडनी पर हमला करता है।
- सेक्शुअली एक्टिव महिलाएं: यदि सेक्सुअल इंटरकोर्स करते वक्त यूरेथ्रा में जलन होती है तो यूरिनरी ट्रैक में बैक्टीरिया के फैलने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। यह बैक्टीरिया किडनी तक पहुंच जाता है और इन्फेक्शन का कारण बनता है।
किडनी इन्फेक्शन की रोकथाम के उपाय
- इस समस्या को रोकने में पानी काफी अहम माना जाता है। यूरिन पास करते वक्त फ्लूड आपकी बॉडी से बैक्टीरिया को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।
- यूरिन न रोकें: यूरिन पास करने का अहसास होते ही आपको तुरंत यूरिन पास करना है। यूरिन पास करने में किसी भी प्रकार की देरी न करें।
- इंटरोकस करने के बाद ब्लैडर को खाली करें। सेक्स करने के बाद तुरंत यूरिन पास करने के लिए जाएं। इससे यूरेथ्रा से बैक्टीरिया साफ हो जाते हैं और इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता है।
- सफाई का ध्यान: यूरिन पास करने के बाद आगे से पीछे की तरफ उचित तरीके से वाइप करें। इससे यूरेथ्रा तक बैक्टीरिया के पहुंचने को रोका जा सकता है।
और पढ़ें: पब्लिक टॉयलेट यूज करने पर होने वाली योनि इंफेक्शन से कैसे बचें?
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि आपके यूरिन में ब्लड आता है या किडनी इन्फेक्शन का शक है तो आपको तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, यूटीआई इन्फेक्शन होने पर और इसके लक्षणों में सुधार न आने पर आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
किडनी इन्फेक्शन का इलाज
- इस समस्या का इलाज इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। यदि इन्फेक्शन हल्का है तो इलाज के पहले चरण में डॉक्टर आपको ओरल एंटीबायोटिक दवाइयां दे सकता है। यूरिन टेस्ट के बाद बैक्टीरियल इन्फेक्शन की विशेष जानकारी मिलने पर इन दवाइयों में बदलाव किया जा सकता है।
- आमतौर पर दो या इससे अधिक हफ्तों तक आपको एंटीबायोटिक दवाइयों का सेवन करना पड़ सकता है। इलाज पूरा होने पर आपका डॉक्टर यूरिन कल्चर टेस्ट करा सकता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि इन्फेक्शन पूरी तरह ठीक हो गया है और दोबारा न फैले। यदि जरूरत पड़ी तो आपको एंटीबायोटिक दवाइयों का एक अन्य कोर्स और करना पड़ सकता है।
- गंभीर स्थिति में आपको अस्पताल में भर्ती किया जा सकता है। इस दौरान आपको इंट्रावेनस (intravenous) एंटीबायोटिक दवा और इंट्रावेनियस फ्लूड्स दिए जा सकते हैं।
- कई मामलों में ब्लॉकेज या यूरिनरी ट्रैक में समस्या वाले आकार को ठीक करने के लिए सर्जरी की जा सकती है। इससे नए किडनी इन्फेक्शन को रोका जा सकता है।
और पढ़ें: Artificial Kidney : जल्द ही किडनी ट्रांसप्लांट की जगह प्रयोग होगी आर्टिफिशियल किडनी
अंत में हम यही कहेंगे कि किडनी के संक्रमण में उपरोक्त बातों का ध्यान रखना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर अपने डॉक्टर से सहायता मांगें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।