किसी भी महिला को गर्भाशय पॉलिप्स (Uterine Polyps) हो सकती है, सामान्यतः यह गर्भाशय के अंदर ही होती है, लेकिन कभी-कभी योनि में गर्भाशय (गर्भाशय ग्रीवा) के मुंह पर ही हो जाते है। गर्भाशय पॉलिप्स ज्यादातर उन महिलाओं में होते है जो रजोनिवृत्ति (Menopause) से गुजर रही है या इसे पूरा कर चुकी हैं। हालांकि, आजकल कम उम्र की महिलाओं को भी पॉलिप्स हो जाती हैं। इस आर्टिकल में जानें गर्भाशय पॉलिप्स से जुड़ी सभी बातें।
गर्भाशय पॉलिप्स (Uterine Polyps) होने के कारण
किसी महिला को गर्भाशय में गांठ होने पर डॉक्टर भी सटीक कारण नहीं बता पाते है कि महिलाओं में गर्भाशय पॉलीप होने का कारण क्या है? लेकिन कई बार महिलाओं में गर्भाशय पॉलिप्स हार्मोन के स्तर में बदलाव से भी हो सकती है। पीरियड्स के दौरान हर महीने महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है और गिरता है। यह गर्भाशय की लाइन को मोटा करता है, और पीरियड्स के दौरान बह जाता है, लेकिन यह लाइन अगर हद से अधिक बढ़ जाएं तो पॉलीप का निर्माण करती है। कुछ कारक पॉलीप होने की संभावना को बढ़ा देती है, जैसे उम्र। गर्भाशय पॉलीप 40 से 50 साल की उम्र में सामान्यतः होती है। यह रजोनिवृत्ति (Menopause) से पहले और उसके दौरान होने वाले एस्ट्रोजन के स्तर में बदलाव के कारण हो सकती है। कई बार महिलाओं में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और स्तन कैंसर की दवा टैमोक्सीफेन लेने से भी गर्भाशय पॉलीप की संभावना बढ़ जाती है।
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गर्भाशय पॉलिप्स (Uterine Polyps) के लक्षण
अगर छोटा गर्भाशय में गांठ है तो जरूरी नहीं कि लक्षण दिखाई दें। कभी-कभी एक पॉलीप होने पर भी लक्षण नहीं दिखाई देता। गर्भाशय में गांठ होने पर ज्यादातर पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग होने के लक्षण दिखाई देते है। इसके अलावा यह निम्न लक्षण भी दिखाई दे सकते है-
- गर्भाशय में गांठ होने पर पीरियड्स अनियमित हो जाते है, अगर किसी महिला के पीरियड्स अनियमित है तो उसमें गर्भाशय में गांठ होने की आशंका रहती है।
- जब किसी महिला को गर्भाशय पॉलीप होती है तो उसे पीरियड्स आने से पहले ही ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होने लगती है।
- गर्भाशय में गांठ होने पर रजोनिवृत्ति के बाद योनि से खून बहने लगता है। अगर किसी महिला के साथ इस तरह की समस्या है तो उसे गर्भाशय पॉलीप हो सकती है।
- गर्भाशय में गांठ होने पर गर्भधारण करने में परेशानी आती है। अगर कोई महिला गर्भधारण नही कर पा रही है तो उसका कारण गर्भाशय पॉलीप भी हो सकता है।
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गर्भाशय पॉलिप्स (Uterine Polyps) से जुड़े जोखिम
इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल के ओनोकोलॉजी विभाग के डाॅक्टर राहुल कुमार चौहान कहना है कि ज्यादातर केस में गर्भाशय में गांठ कैंसर नहीं होते है। लेकिन कभी-कभी एक छोटी-सी कोशिका भी बाद में कैंसर में बदल जाती है। यदि आप रजोनिवृत्ति से गुजर रही है तो कैंसर और पॉलीप की संभावना ज्यादा है। पॉलीप के लक्षण गर्भाशय के कैंसर की तरह ही होते है, इसलिए यदि आपको कोई लक्षण दिखाई दे रहा है तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। पॉलीप इनफर्टिलिटी का कारण भी बन जाती है। इससे गर्भवती होने में समस्या और गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है।
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गर्भाशय पॉलिप्स (Uterine Polyps) के लिए परीक्षण
अगर डॉक्टर को किसी महिला में गर्भाशय में गांठ होने का संदेह होता है तो वह उसके गर्भाशय की जांच कर सकता है। कुछ मामलों में परीक्षण के दौरान ही पॉलिप को हटा देते है। पॉलिप की जांच के लिए निम्न परीक्षण किये जाते है।
1.ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (Trans vaginal Ultrasound)
इस जांच में योनि के अंदर एक पतली सी छड़ी जैसा उपकरण डाला है। यह ध्वनि तरंगों (Sound Wave) छोड़ता है और गर्भाशय के अंदर की छवियों को कंप्यूटर पर भेजता है।
2.हिस्टेरोसोनोग्राफी या सोनोहिस्टोग्राफी (Hysterosonography or Sonohysterography)
इस प्रक्रिया का इस्तेमाल चिकित्सक ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के दौरान करते है। योनि के अंदर कैथेटर जो कि एक पतली ट्यूब जैसा होता है उसको डाल कर गर्भाशय में खारे पानी को इंजेक्ट करती है। इस लिक्विड के जरिये अल्ट्रासाउंड के दौरान गर्भाशय की बेहतर छवि दिखाई देती है।
3.एंडोमेट्रियल बायोप्सी (Endometrial biopsy)
इसमें डॉक्टर गर्भाशय की लाइन से ऊतक का एक टुकड़ा लेकर इसमें कैंसर का परीक्षण करते है। इसमें एक नरम प्लास्टिक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है।
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गर्भाशय पॉलिप्स (Uterine Polyps) का इलाज – Treatment of Uterine Polyp
यदि किसी महिला को गर्भाशय पॉलिप्स हुई है तो इसके लिए दवाएं देकर इसे नियंत्रित करने की सलाह देंगे या फिर सर्जरी करके इसे अलग कर देंगे। यदि किसी महिला को रजोनिवृत्ति के बाद गर्भाशय पॉलीप हुआ है तो उसे गर्भाशय कैंसर होने की अधिक संभावना रहती है, ऐसे में डॉक्टर इसे हटाने की सलाह देंगे।
1.दवाओं से गर्भाशय पॉलीप का इलाज
दवाओं से गर्भाशय में गांठ का इलाज करने के लिए डॉक्टर प्रोजेस्टिन और गोनैडोट्रोपिन (Progestins and Gonadotropin) हार्मोन एगोनिस्ट दवाएं देते है जो हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। यह दवाइयां पॉलीप्स को सिकोड़ देती है। लेकिन दवा न लेने पर दोबारा लक्षण दिखाई देने लग जाते है।
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2.सर्जरी से गर्भाशय पॉलीप का इलाज-
जब किसी महिला को गर्भाशय पॉलिप्स होती है तो डॉक्टर उसे दवाओं से कंट्रोल करने की कोशिश करता है। लेकिन जब दवाओं से गर्भाशय पॉलीप का इलाज नही हो पाता है तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते है। सर्जरी के जरिये भी डॉक्टर पॉलीप को निकाल सकते है। ज्यादातर हिस्टेरोस्कोपी सर्जरी की जाती है जिसमें पेट में कट लगाने के बजाय इसमें पॉलीप्स को बाहर निकालने के लिए योनि के माध्यम से सर्जिकल उपकरण डाला जाता है और पॉलीप को बाहर निकाल दिया जाता है। यदि पॉलीप्स में कैंसर है तब पूरे गर्भाशय को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है, जिसे हिस्टेरेक्टॉमी कहा जाता है।गर्भाशय पॉलीप ज्यादातर महिलाओं में 20 से 70 वर्ष की उम्र में होता है। गर्भाशय पॉलीप गर्भाशय की आंतरिक दीवार से जुड़ी सतह है, जो बढ़ जाती है।
ध्यान दें
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको गर्भाशय पॉलीप के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो डॉक्टर से इस बारे में जानकारी जरूर प्राप्त करें। बिना डॉक्टर से सलाह किए किसी भी तरह की दवा का सेवन न करें।
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