परिभाषा
फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer) क्या है?
फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer) तब होता है, जब फेफड़ों के टिश्यू असामान्य गति से बढ़ते हुए एक ट्यूमर का निर्माण करते है। शरीर में फेफड़े सांस लेने में मदद करते हैं और आपके शरीर के बाकी हिस्सों को ऑक्सीजन (Oxygen) पहुंचाते हैं। WHO के अनुसार, कैंसर से होने वाली मौतों का आमतौर से पाया जाने वाला कारण फेफड़ों का कैंसर है। फेफड़ों का कैंसर रोगी को कमजोर और बीमार बना देता है।
फेफड़ों के कैंसर (Lung cancer) के कई प्रकार हैं, लेकिन कैंसर के ट्यूमर के आकार के आधार पर इनके नाम दिए गए हैं।
स्मॉल सेल फेफड़े का कैंसर (Small Cell Lung Cancer): माइक्रोस्कोप से देखने पर इस कैंसर के सेल्स काफी छोटे दिखाई देते है। यह बहुत मुश्किल से मिलने वाला कैंसर है, फेफड़े के कैंसर वाले आठ में से एक व्यक्ति को स्माल सेल कैंसर होता है। यह कैंसर बहुत तेजी से बढ़ता है।
नॉन-स्मॉल सेल फेफड़े का कैंसर (Non Small Cell Lung Cancer): इस कैंसर के सेल्स “स्मॉल सेल फेफड़ों के कैंसर’ से बड़े होते हैं। आमतौर पर यह कैंसर ज्यादा पाया जाता है। लगभग 8 में से 7 लोगो को इस प्रकार का कैंसर होता है। इसके सेल्स स्माल सेल कैंसर की तरह तेजी से विकसित नहीं होते हैं और इसका उपचार भी अलग होता है।
नॉन स्मॉल सेल फेफड़े का कैंसर के प्रकार है:
- एडिनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)
- लार्ज सेल कार्सिनोमा (Large cell carcinoma)
- स्क्वामस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma)
साधारण तौर पर फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer) कितना आम है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, फेफड़े का कैंसर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है, जिसके कारण 2012 में 1.59 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई थी। अगले दशक तक इस संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। यह रोगियों को किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है। इससे होने वाले खतरों को कम करके इस पर रोक लगाई जा सकती है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें। कोई भी फेफड़े का कैंसर का शिकार हो सकता है। लेकिन, सिगरेट पीना और धुएं के संपर्क में आने से इसकी आशंका और बढ़ जाती है। इसके अलावा अगर कोई शख्स लगातार जहरीले केमिकल और टॉक्सिक हवा में सांस ले रहा है, तो यह भी फेफड़ों के कैंसर होने का एक कारण हो सकता है। शख्स जहरीली हवाओं के संपंर्क में काफी समय से पहले आया हो, तो भी उसे फेंफड़ों के कैंसर होने का जोखिम बना रहता है।
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लक्षण (Lung Cancer symptoms)
फेफड़े का कैंसर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Lung Cancer)
फेफड़े का कैंसर के अधिकांश लक्षण फेफड़ों में ही पाए जाते हैं, पर आप अपने शरीर में इन लक्षणों को कहीं भी महसूस कर सकते है, क्योंकि कैंसर (Cancer) शरीर के अन्य भागों में भी फैल जाता है (डॉक्टरी भाषा में इसे मेटास्टेसाइज कहा जाता है। इन सभी लक्षणों की गंभीरता भी अलग अलग होती है। कई बार लक्षण महसूस नहीं होते हैं, बस थकान महसूस होती हैं, लेकिन वो लक्षण जिन पर ध्यान देना चाहिए, वे हैं:
- सीने में तकलीफ या दर्द
- ना खत्म होनेवाली खांसी जो समय के साथ और खराब हो जाती है
- सांस लेने में तकलीफ
- घरघराहट की आवाज
- बलगम में खून
- आवाज का बैठना
- निगलने में परेशानी
- भूख में कमी
- अकारण वजन कम होना
- थकान लगना
- फेफड़ों में सूजन या जकड़न
- फेफड़ों के मध्य छाती के अंदर सूजन या बढ़े हुए लिम्फ नोड्स (ग्रंथियां)
फेफड़ों का कैंसर एक खतरनाक स्थिति है, जिससे गंभीर परेशानियां हो सकती हैं।
फेफड़ों के कैंसर की जटिलताओं के कारण:
- खांसी के साथ खून का आना
- फेफड़ों के कैंसर की एडवांस स्टेज के कारण दर्द
- छाती में फ्लूइड
कुछ लक्षण ऊपर नहीं लिखे गए हो सकते है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
इस बारे में र्किटिकल केयर विभाग के डॉक्टर विपिन भ्रामरे का कहना है कि हमारे हार्ट और फेफड़े एक-दूसरे से संबंधित हैं, बहुत की ड्रेमेटिक वे में। इन दोनों का ही काम, हमारे शरीर में ऑक्सिजन के संचार के जुड़ा है। लेकिन इसमें आयी गड़बड़ी कई कारणों से हो सकती है। इसमें गड़बड़ी होने के बहुत से कारण हो सकते हैं और उनसे कई प्रकार की दिक्कतें भी। यदि आपको सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है तो आपका दिल और फेफड़े दोनों ही स्वस्थ्य हैं। यदि आपकों सांस लेने में कठनाई हो रही है, तो इसके कई कारण हो सकते हैं। फेफड़े और श्वसन तंत्र की समस्याओं में शामिल हैं, जैसे कि किसी प्रकार का इंफेक्शन (Infection) , एलर्जी (Allergy), ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) और अस्थमा की समस्या। सांस फूलने का मतलब यह भी हो सकता है कि दिल की कोई बीमारी भी हो सकती है।
अपने डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
यदि आपके पास ऊपर दी गई सूची के अनुसार कोई लक्षण है या कोई प्रश्न हैं, तो कृपया तुरंत अपने डॉक्टर से मिले हर किसी का शरीर अलग तरह से काम करता है। डॉक्टर के साथ मिलकर आपकी अवस्था के अनुसार आपके लिए सबसे बेहतर क्या है, ये जान कर सही चिकित्सा लें।
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कारण (Lung Cancer causes)
फेफड़े का कैंसर का कारण क्या है? (Cause of Lung Cancer)
फेफड़े का कैंसर विषाक्त पदार्थों के कारण विकसित हो सकता है। इनमें सबसे आम कारण सिगरेट, पाइप या सिगार पीना है। धूम्रपान से फेफड़ों के कैंसर का खतरा तब तक रहता है, जब तक व्यक्ति धूम्रपान छोड़ न दे। अगर वे धूम्रपान बंद कर देते हैं, तो इसका खतरा कम हो सकता है।
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नीचे दिए इस मॉडल से लंग कैंसर को आसानी से समझा जा सकता है।
खतरे के कारण :
- पहले या वर्तमान में धूम्रपान की आदत।
- दूसरे लोगो द्वारा किये धूम्रपान का असर (सेकंड हैंड स्मोक)
- परिवार के सदस्य को फेफड़ों के कैंसर (Lung cancer) होना
- दूसरे कारणों के लिए की गयी रेडियो थेरेपी से छाती क्षेत्र प्रभावित होना ।
- कार्य स्थल में, विषाक्त पदार्थों जैसे एस्बेस्टस, क्रोमियम, निकल, आर्सेनिक, कालिख या टारके साथ संपर्क होना
- घर या कार्य स्थल में रे-डॉन के संपर्क में आना।
- प्रदूषित वातावरण में रहना।
- आनुवंशिक या ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (HIV) के कारण कमजोर इम्यून सिस्टम होना
- बीटा कैरोटीन का इस्तेमाल और भारी धूम्रपान करने वाला होना।
निदान और उपचार
फेफड़े का कैंसर का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Lung Cancer)
यह पता लगाने के लिए कि फेफड़े का कैंसर (Lung cancer) है या नहीं, डॉक्टर आपके शरीर में पाए जाने वाले लक्षणों का परीक्षण करता है और शारीरिक टेस्ट भी करता है, जैसे कि आपकी सांस लेने की प्रक्रिया को सुनना, ताकि पता चल सके की सीने में कोई ट्यूमर तो नहीं है। उसके बाद डॉक्टर आपके मेडिकल इतिहास के बारे में यदि आपने धूम्रपान किया है, या परिवार के किसी व्यक्ति ने धूम्रपान किया है जानने की कोशिश करता है। साथ ही आपके काम के माहौल के बारे में भी पूछ सकते हैं, ताकि वह जान सके की क्या आप धूम्रपान या अन्य विषाक्त पदार्थों के संपर्क में हैं, जो आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कैंसर (Cancer) की पहचान के लिए आपका डॉक्टर कुछ परीक्षणों की सलाह देता है जैसे आपके फेफड़ों को देखने के लिए इमेजिंग परीक्षण (स्पाइरल सी-टी स्कैन, पीईटी स्कैन) ट्यूमर की पहचान करने के लिए और थूक की जांच के लिए साइटोलॉजी नामक लैब टेस्ट आदि। आपका डॉक्टर पक्के तौर निर्णय देने के लिए आपका बायोप्सी टेस्ट भी करा सकता है। बायोप्सी का मतलब है कि कैंसर कोशिकाओं को माइक्रोस्कोप से देखने के लिए फेफड़े के टिश्यू का एक छोटा सा नमूना लेना। नमूना प्राप्त करने के कई तरीके हैं:
ब्रोंकोस्कोपी: सैंपल लेने के लिए मुंह या नाक के माध्यम से फेफड़ों तक एक पतली ट्यूब का उपयोग किया जाता है ।
बायोप्सी : छाती के टिश्यू का नमूना लेने के लिए छाती में एक छोटी सी सुई डाली जाती है। दर्द को रोकने के लिए उस जगह को सुन्न कर दिया जाता है।
थोरेसेंटिस: इसमें भी सुई का ही इस्तेमाल किया जाता है, परन्तु आपके फेफड़ों से कोशिकाओं को लेने के बजाय, फेफड़ों के आसपास के तरल पदार्थ को कैंसर कोशिकाओं की जांच के लिए लिया जाता है।
थोरैकोटॉमी: यह फेफड़े के कैंसर के डाइग्नोस का एक आखिरी तरीका होता है, जो सर्जरी के रूप में होता है, जिसका उपयोग केवल तब किया जाता है, जब निदान का कोई अन्य तरीका नहीं बचता है।
लंग कैंसर के निदान के लिए इमेजिंग स्टडी
इमेजिंग स्टडी के दौरान कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Computed tomography) सीटी स्कैन और पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (positron emission tomography)या पीईटी स्कैन ( PET SCAN) से कैंसर के साथ फेफड़े के ऊतकों के क्षेत्रों का पता चल सकता है। हड्डी के स्कैन से भी कैंसर के विकास का पता चल जाता है। डॉक्टर स्कैन का यूज ट्रीटमेंट की प्रोग्रेस के दौरान भी यूज कर सकते हैं। साथ ही कैंसर वापस न आएं, इसके लिए भी चेकअप किया जाता है।
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लंग कैंसर के निदान के लिए टिशू सैम्पलिंग
अगर डॉक्टर को इमेजिंग स्टडी के दौरान कोई घाव की जानकारी मिलती है तो संभावित कैंसर की कोशिकाओं के टेस्ट के लिए फेफड़ों के टिशू का नमूना लिया जाता है। टिशू का कितना भाग टेस्ट के लिए लिया जाएगा, ये घाव पर निर्भर करता है। डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी(bronchoscopy)के दौरान स्पेशल लाइट, थिन कैमरे का यूज किया जाता है। ऐसा करने से डॉक्टर को घाव को देखने और नमूना प्राप्त करने में हेल्प मिलती है। फेफड़ों में घाव की सही से पहुंच न होने की स्थिति में इंसेसिव सर्जिकल प्रोसीजर का उपयोग किया जाता है।ऐसे में थोरैकोस्कोपी( thoracoscopy) या वीडियो-असिस्टेड थोरैसिक सर्जरी(video-assisted thoracic surgery)की जाती है।
लैब टेस्टिंग
एक डॉक्टर फेफड़ों के कैंसर की जांच के लिए थूक परीक्षण या रक्त परीक्षण भी कर सकता है। लैब टेस्टिंग के माध्यम से डॉक्टर लंग कैंसर के प्रकार का पता लगाता है और साथ ही एडवांस कैंसर के बारे में भी पता लगाता है।
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फेफड़े का कैंसर का इलाज (Treatment for Lung Cancer)
फेफड़े का कैंसर का इलाज कई तरह से किया जाता है, जो फेफड़े का कैंसर के प्रकार पर और वह कितनी दूर तक फैल चुका है पर निर्भर होते है। नॉन-स्मॉल सेल फेफड़ों के कैंसर वाले लोगों का इलाज सर्जरी, कीमोथेरिपी की प्रक्रिया, रेडिएशन, लक्षित चिकित्सा या इन सभी उपचारों के संयोजन से किया जा सकता है तथा स्मॉल सेल फेफड़ों के कैंसर वाले लोगों को आमतौर पर रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी के साथ इलाज किया जाता है।
सर्जरी: डॉक्टर्स एक निर्धारित स्टेज तक ही सर्जरी का सहारा लेते हैं। डॉक्टर्स सर्जरी को तभी तक चुनते हैं, जब तक कि कैंसर फेफड़ों से ज्यादा फैला न हो। आमतौर पर 10 से 35 प्रतिशत लंग कैंसर का ट्यूमर ही सर्जरी के जरिए निकाले जा सकते हैं। लेकिन, यहां यह ध्यान देने की जरूरत है कि सर्जरी हर बार इसके निदान की गारंटी नहीं देती। ट्यूमर के फैलने के बाद इसके वापस विकसित होने की संभावना बनी रहती है।
कीमोथेरिपी (Chemotherapy): कैंसर को कम करने के लिए विशेष दवाओं का उपयोग किया जाता है। ये दवाइयां आपके द्वारा ली जाने वाली गोलियां या आपकी नसों में दी जाने वाली दवाएं या कभी-कभी दोनों हो सकती हैं।
विकिरण चिकित्सा: कैंसर के संक्रमण को खत्म करने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणों (एक्स-किरणों के समान) का उपयोग किया जाता है।
लक्षित चिकित्सा: कैंसर कोशिकाओं (Cancer cells) के विकास और प्रसार को रोकने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है, चाहे ये आपके द्वारा ली जाने वाली गोलियां हो या आपकी नसों में दी जाने वाली दवाएं।
कैंसर की चिकित्सा मुख्य रूप से फेफड़ों के कैंसर के प्रकार और अवस्था पर निर्भर करती है। आप एक से अधिक प्रकार की ट्रीटमेंट को चुन सकते हैं।
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जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार (Lung Cancer Home Remedies)
तुरंत धूम्रपान का त्याग
फेफड़े का कैंसर की पहचान होने के बाद सबसे पहले सिगरेट से छुटकारा पाना चाहिए। यदि आपको पैसिव स्मोक के कारण फेफड़ों का कैंसर है, तो आपको धूम्रपान करने वाले व्यक्ति से बात करनी चाहिए और उन्हें खुद उनके लिए, और आपके लिए धूम्रपान छोड़ने के लिए कहना चाहिए। यदि आप अपने कार्य स्थल में विषाक्त पदार्थों के संपर्क में हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि इसके कारण कोई और बीमार न हो जाए प्रबंधक या अपने बॉस से बात करें।
सेकेंड हैंड स्मोकिंग
जिस तरह से स्मोकिंग के कारण फेफड़े के कैंसर का खतरा रहता है, ठीक उसी तरह से सेकेंड हैंड स्मोकिंग भी खतरनाक होती है। अगर आपके घर में कोई अन्य व्यक्ति स्मोकिंग करता है तो उसका धुआं जिस व्यक्ति के पास जा रहा है, उसे भी कैंसर का उतना ही खतरा रहता है।
रेडॉन गैस के संपर्क में आने पर
मिट्टी में यूरेनियम के ब्रेकडाउन के कारण रेडॉन गैस प्रोड्यूस होती है। सांस लेने से रेडॉन गैस शरीर के अंदर पहुंच जाती है। आर्सेनिक, क्रोमियम और निकल आदि के शरीर में पहुंच जाने पर फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यदि कोई स्मोकिंग कर रहा है तो उस व्यक्ति को फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
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दर्द का प्रबंधन
दर्द का प्रबंध फेफड़ों के कैंसर प्रबंधन का सबसे जरूरी हिस्सा है। दर्द के इलाज के लिए आपको दवा दी जा सकती है। दर्द होते ही आपको उनका उपयोग करना होता है। आप अपने चिकित्सक से फेफड़ों के कैंसर के दर्द को नियंत्रित करने के लिए स्व-देखभाल के तरीकों को सीख सकते है ताकि आप दर्द का प्रबंधन कर सकें।
अन्य दर्द उपचार सहायक हो सकते हैं:
- विश्राम तकनीक
- बायोफीडबैक
- भौतिक चिकित्सा
- गर्म / या ठंडा पैक
- व्यायाम और मालिश ।
कैंसर के इलाज के बाद दर्द का प्रबंधन करने के लिए परिवार, दोस्तों और एक सहायता समूह का सहयोग आपके लिए एक बहुत बड़ी मानसिक मदद हो सकते है
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सांस की तकलीफ का प्रबंधन
आप सांस लेने के लिए अपने फेफड़ों का उपयोग करते हैं। इसलिए, फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer) होने पर आपको सांस लेने में कठिनाई होती है। आप सांस की तकलीफ को कम करने के लिए कुछ तरीके उपयोग कर सकते हैं:
अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो आप जल्दी ही थक जाएंगे। ऐसे में आप अपनी दिनचर्या में गैर जरूरी कामों को करने से बचें और जरूरी कामों में ऊर्जा का इस्तेमाल करें।
शुद्ध ऑक्सीजन में सांस लेने से आपके फेफड़े को ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नहीं होती है। यह सांस लेने की प्रक्रिया को मदद कर सकता है। फेफड़ों के आसपास का तरल पदार्थ आपके फेफड़ों पर दबाव डाल सकता है और आपके लिए सांस लेना कठिन बना सकता है। इसलिए आसानी से सांस लेने में आपकी मदद करने के लिए इस द्रव को बाहर निकाल दिया जाता है।
स्वस्थ जीवन शैली
व्यायाम और स्वस्थ आहार हमेशा स्वस्थ शरीर के लिए मूल कारण होता है। जितना हो सके उतना व्यायाम करने की कोशिश करें, लेकिन अपने आप पर इसका दबाव न करें। व्यायाम के दौरान श्वास को नियंत्रित करना सीखे ये फेफड़ों के कैंसर के रोगियों के लिए महत्वपूर्ण है।
यदि आपके कोई सवाल हैं, तो समाधान के लिए अपने डॉक्टर से मिले, जो आपकी अवस्था के अनुसार आपको उचित सलाह दे सकता है
योग: योग में आप डीप ब्रीथिंग और मेडिटेशन के साथ स्ट्रेचिंग करते हैं। योग की मदद से कैंसर से पीड़ित लोग अच्छी नींद भी ले सकते हैं।
आहार: पौष्टिक आहार लेना शरीर के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है। विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों के साथ एक स्वस्थ आहार चुनें। साथ ही एक्सरसाइज को भी अपने जीवन में स्थान दें। अगर आपको अपनी लाइफस्टाइल बदलनी है तो अचानक से शुरुआत न करें। रोजाना कुछ स्टेप्स को फॉलो करें।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।