backup og meta

कोविड-19: दिन रात इलाज में लगे एक तिहाई मेडिकल स्टाफ को हुई इंसोम्निया की बीमारी

कोविड-19: दिन रात इलाज में लगे एक तिहाई मेडिकल स्टाफ को हुई इंसोम्निया की बीमारी

कोरोना वायरस की महामारी को फैलने से रोकने के लिए जहां सभी देशों की सरकारें हरसंभव प्रयास कर रही हैं। वहीं, कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने और उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ दिन-रात ड्यूटी कर रहा है। आपको बता दें कि, कोविड- 19 के मरीज से संक्रमित होने का खतरा डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स को काफी ज्यादा होता है, क्योंकि वह 24 घंटे उनके इलाज और देखरेख के लिए उनके बीच ही मौजूद होते हैं। लेकिन, हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक कोविड- 19 के इलाज में लगे मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी की समस्या देखी जा रही है। आइए, जानते हैं कि आखिर यह स्टडी क्या कहती है और मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी क्यों हो रही है।

यह भी पढ़ें: Lockdown 2.0- भारत में 3 मई तक बढ़ा लॉकडाउन, 20 अप्रैल के बाद सशर्त मिल सकती है छूट

कोविड- 19 में लगे एक-तिहाई मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी

जर्नल फ्रंटियर्स इन साइकाइट्री (Journal Frontiers in Psychiatry) में प्रकाशित स्टडी में पाया गया कि, चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप सबसे ज्यादा होने के समय कोविड- 19 के इलाज में लगे एक-तिहाई मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी पाई गई। स्टडी के लिए 29 जनवरी से 3 फरवरी के समय जब चीन में कोरोना वायरस का प्रकोप सबसे ज्यादा था, तब वीचैट नाम के सोशल मैसेजिंग ऐप पर 1563 प्रतिभागियों से एक सेल्फ-एडमिनिस्टर्ड प्रश्नावली पूछी गई। इन 1563 प्रतिभागियों में डॉक्टर और नर्स, वार्ड बॉय आदि अन्य मेडिकल स्टाफ भी शामिल था। अध्ययन के दौरान सामने आया कि, 564 प्रतिभागियों यानी 36.1 प्रतिशत लोगों में इंसोम्निया के लक्षण देखे गए।

रिसर्च में सामने आई ये बातें

स्टडी के सह-लेखक प्रोफेसर बीन झांग के मुताबिक, ‘इंसोम्निया की बीमारी सामान्य रूप से कम समय तक परेशान करती है। लेकिन, कोविड- 19 जैसे वर्तमान संकट के लंबे समय तक चलने की वजह से यह मेडिकल स्टाफ में क्रोनिक इंसोम्निया का रूप ले सकती है, जो कि काफी चिंताजनक स्थिति होगी।‘ इस स्टडी में सामने आए परिणाम 2002 में सार्स (Severe Acute Respiratory Syndrome) की वजह से नर्सों में देखे गए इंसोम्निया के परिणाम के बराबर ही हैं। उस अध्ययन में, सार्स के मरीजों की वजह से 37 प्रतिशत नर्सों में इंसोम्निया की समस्या देखी गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि, किसी हेल्थ वर्कर की कोविड- 19 संक्रमण के कारण मौत होने के बाद की जाने वाली स्टडी के परिणाम और भी खतरनाक हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस के 80 प्रतिशत मरीजों को पता भी नहीं चलता, वो कब संक्रमित हुए और कब ठीक हो गए

मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी के साथ डिप्रेशन, चिंता जैसी मानसिक बीमारी भी

स्टडी में पाया गया कि कोविड- 19 के इलाज में लगे मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी के साथ डिप्रेशन, चिंता और ट्रॉमा की समस्या का खतरा भी अधिक है। इससे यह साफ होता है कि, कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज करने में जुटे मेडिकल स्टाफ को न सिर्फ इंफेक्शन जैसे शारीरिक बीमारी का खतरा है, बल्कि डिप्रेशन, चिंता और ट्रॉमा की समस्या भी हो सकती है। स्टडी में इंसोम्निया का शिकार मेडिकल स्टाफ के मुकाबले इंसोम्निया की समस्या न होने वाले हेल्थ वर्कर्स में चिंता, डिप्रेशन, ट्रॉमा की समस्या कम है। जहां इंसोम्निया से ग्रसित हेल्थ वर्कर्स में 87.1 लोगों को चिंता, डिप्रेशन और ट्रॉमा पाया गया, वहीं इंसोम्निया से ग्रसित न होने वाले हेल्थ वर्कर्स में इसका प्रतिशत 31 रहा।

इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने पाया कि, मेडिकल स्टाफ के जिन लोगों के पास सिर्फ हाई स्कूल या उससे नीचे के स्तर की शिक्षा है, उनमें डॉक्टर डिग्री की शिक्षा रखने वाले मेडिकल स्टाफ के मुकाबले इंसोम्निया का खतरा 2.69 गुणा ज्यादा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि, ऐसा शिक्षा के स्तर और कोविड- 19 के बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण हो सकता है।

यह भी पढ़ें: अगर जल्दी नहीं रुका कोरोना वायरस, तो ये होगा दुनिया का हाल

मेडिकल स्टाफ के साथ उनके परिवार को भी खतरा

चूंकि, हेल्थ वर्कर्स संक्रमित मरीजों के काफी पास रहकर कार्य व इलाज करते हैं, तो उनके इस संक्रमण के शिकार होने के बाद उनके परिवार वालों को भी इस कोविड- 19 संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसके साथ ही स्टडी में सामने आया कि मेडिकल स्टाफ को बिना ब्रेक लिए लगातार 12 घंटे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (Personal Protective Equipment, PPE) पहनकर कार्य करना होता है। वह ब्रेक इसलिए नहीं ले पाते, क्योंकि पीपीई को थोड़ी देर भी उतारकर संक्रमित मरीजों के बीच रहने पर संक्रमण का खतरा काफी हो सकता है। ऐसी खतरनाक और तनावग्रस्त जीवनशैली की वजह से उनमें इंसोम्निया और मानसिक समस्याएं ज्यादा दिख रही हैं।

यह भी पढ़ें: शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाकर कोरोना वायरस से करनी होगी लड़ाई, लेकिन नींद का रखना होगा खास ध्यान

[covid_19]

इंसोम्निया का इलाज

कोरोना वायरस की बीमारी की वजह से होने वाली मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी से अलग बात करें, तो यह समस्या किसी को भी हो सकती है। इसका इलाज दवाइयों, थेरेपी या जीवनशैली में बदलाव के साथ किया जाता है।

  • आप सोने से ठीक पहले कैफीन युक्त पेय पदार्थों को न पीएं।
  • रात को सोने से ठीक पहले एक्सरसाइज न करें।
  • सोने से पहले या बेड में मोबाइल, टीवी आदि गैजेट्स से दूरी बनाए रखें।
  • इसके अलावा वयस्कों में क्रोनिक इंसोम्निया की समस्या दूर करने के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें व्यक्ति के मानसिक समस्या को पहचानकर ठीक करने के प्रयास किए जाते हैं।
  • इंसोम्निया की समस्या के लिए स्लीप हाइजीन की भी मदद ली जा सकती है। इसमें आपकी नींद में बाधा डालने वाले कारणों को दूर किया जाता है। यह सभी ट्रीटमेंट मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

इस ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कोरोना से ज्यादा खतरा…

[covid_19]

मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी :कोरोना वायरस के भारत में मरीज (How many cases of coronavirus in India?)

मेडिकल स्टाफ को इंसोम्निया की बीमारी के अलावा भारत में कोविड- 19 के मरीजों का आंकड़ा जानते हैं। भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 14 अप्रैल 2020 को सुबह 8 बजे तक देश में 8988 कोरोना वायरस इंफेक्शन से संक्रमित मरीजों की पहचान कर ली गई है। जिसमें से 1035 का इलाज करने के बाद छुट्टी दे दी गई है, वहीं 339 लोगों की जान जा चुकी है। मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक भारत में संक्रमित मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या महाराष्ट्र में हो गई है, जहां 2334 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इसके बाद दिल्ली 1510 मामले और तमिलनाडु 1173 केस का नंबर आता है।

खाने में उन चीजों को शामिल करें, जिससे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है। साथ ही पूरी नींद लें। कोरोना वायरस महामारी को देश से खत्म करने के लिए आपको लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही मास्क व पर्सनल हाइजीन जैसी सावधानियों का पालन करना होगा। इसके अलावा, सिर्फ सरकार या हेल्थ एक्सपर्ट द्वारा दी गई जानकारी पर ही विश्वास करें। कोरोना वायरस के लक्षणों को अनदेखा न करें।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

और पढ़ें :-

कोरोना के दौरान सोशल डिस्टेंस ही सबसे पहला बचाव का तरीका

कोविड-19 है जानलेवा बीमारी लेकिन मरीज के रहते हैं बचने के चांसेज, खेलें क्विज

ताली, थाली, घंटी, शंख की ध्वनि और कोरोना वायरस का क्या कनेक्शन? जानें वाइब्रेशन के फायदे

कोराना के संक्रमण से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोना है जरूरी, लेकिन स्किन की करें देखभाल

[embed-health-tool-bmi]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

insomnia:http://whqlibdoc.who.int/hq/1993/WHO_MNH_PSF_93.2H.pdf?ua=1-Accessed on 14/4/2020

Insomnia: Definition, Prevalence, Etiology, and Consequences:https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC1978319/

Coronavirus (COVID-19) – https://www.cdc.gov/coronavirus/2019-ncov/index.html – Accessed on 14/4/2020

Coronavirus (COVID-19) – https://www.nhs.uk/conditions/coronavirus-covid-19/ – Accessed on 14/4/2020

Coronavirus disease 2019 (COVID-19) – Situation Report – 84 – https://www.who.int/docs/default-source/coronaviruse/situation-reports/20200413-sitrep-84-covid-19.pdf?sfvrsn=44f511ab_2 – Accessed on 14/4/2020

Novel Corona Virus – https://www.mohfw.gov.in/ – Accessed on 14/4/2020

More than one-third of medical staff responding to COVID-19 suffer from insomnia: Study – https://www.businessinsider.in/international/news/more-than-one-third-of-medical-staff-responding-to-covid-19-suffer-from-insomnia-study/articleshow/75135102.cms – Accessed on 14/4/2020

Everything You Need to Know About Insomnia – https://www.healthline.com/health/insomnia – Accessed on 14/4/2020

Current Version

03/06/2020

Surender aggarwal द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Bhawana Awasthi


संबंधित पोस्ट

ब्लड का पीएच कैसे होता है प्रभावित जानें?

ठंडा पानी पीने के जोखिम और लाभ क्या हैं?


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/06/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement