backup og meta

क्या पेंटोप्रोजोल, ओमेप्रोजोल, रैबेप्रोजोल आदि एंटासिड्स से बढ़ सकता है कोविड-19 होने का रिस्क?

क्या पेंटोप्रोजोल, ओमेप्रोजोल, रैबेप्रोजोल आदि एंटासिड्स से बढ़ सकता है कोविड-19 होने का रिस्क?

जी हां आप सही पढ़ रहे हैं। हार्ट बर्न और एसिडिटी की दवाएं (प्रोटोन पंप इंहिबिटर-पीपीआई) आपके लिए कोरोना वायरस का रिस्क बढ़ा सकती हैं। प्रोटोन पंप इंहिबिटर (पीपीआई) ऐसी दवाएं हैं, जो आपके पेट की परत में ग्रंथियों द्वारा बनाए गए एसिड के सीक्रेशन को रोकते हैं। ये दवाएं सामान्यत: हार्ट बर्न और एसिड रिलेटेड डिसऑर्डर के लिए दी जाती हैं। नीचे दी गई दवाएं प्रोटोन पंप इंहिबिटर हैं।

  1. पेंटोप्रोजोल (Pantoprazole)
  2. ओमेप्रोजोल (Omeprazole)
  3. रैबेप्रोजोल (Rabeprazole)
  4. लांसोप्रोजोल (Lansoprazole)
  5. इसोमेप्रोजोल (Esomeprazole)
  6. डेक्सलांसोप्रोजोल (Dexlansoprazole)

ये दावा विश्व विख्यात अमेरिकन जनरल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में छपी एक स्टडी में किया गया है। लॉस एंजेलिस में सीडर्स-सिनाई मेडिकल सेंटर के मेडिसिन विभाग से एमडी, एमएसएचपीएम, क्रिस्टोफर वी अलमारियो कहते हैं, “हमने पाया है कि पीपीआई से कोरोना होने के चांसेज बढ़ सकते हैं। प्रोटोन पंप इंहिबिटर (पीपीआई) का दिन में दो बार उपयोग आपके कोरोना पॉजिटिव होने के चांजेस बढ़ा देता है। हम इस बात पर जोर देंगे कि पीपीआई का उपयोग केवल तब किया जाना चाहिए, जब क्लीनिकली इसे सबसे कम डोज पर लेने की सलाह दी जाए।”

और पढ़ें: Ranitidine : रेनिटिडाइन क्या है? जानिए इसके उपयोग और साइड इफेक्ट्स

शोधकर्ताओं ने 3 मई से 24 जून 2020 तक 53,130 रोगियों का ऑनलाइन सर्वेक्षण किया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कैसे पीपीआई ने एक साथ रहने वाले अमेरिकियों के लिए COVID-19 का जोखिम बढ़ा दिया है।

उन सर्वेक्षणों में से, 3,386 रोगियों ने पॉजिटिव COVID-19 परीक्षण की सूचना दी। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने दिन में एक बार या दो बार पीपीआई का उपयोग किया, बाकी लोगों की तुलना में उनका कोविड 19 रिजल्ट पॉजिटिव आया। हिस्टामाइन-2  रिसेप्टर एंटागोनिस्ट (Histamine 2-receptor antagonists-H2RA) लेने वाले रोगियों में ये रिस्क नहीं देखा गया। इन हिस्टामाइन-2  रिसेप्टर एंटागोनिस्ट दवाओं में सीमेटिडिन, रेनिटिडिन, फैमोटिडीन इत्यादि दवाएं शामिल हैं।

और पढ़ें: गैस की दवा रेनिटिडिन (Ranitidine) के नुकसान हैं कहीं ज्यादा, उपयोग करने से पहले जान लें

प्रोटोन पंप इंहिबिटर (पीपीआई) का उपयोग बंद कर देना नहीं है सही

‘इस स्टडी का मतलब ये नहीं है कि लोगों को अपनी पीपीआई मेडिसिन को बंद कर देना चाहिए।” ये कहना है ब्रेनन एमआर स्पीगेल, एमडी, एमएसएचएस, प्रोफेसर इन रेसिडेंस ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ सीडर्स- सिनाई मेडिकल सेंटर एवं डेविड गेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन और यूसीएलए फील्डिंग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ का।

वे आगे कहते हैं, “पीपीआई काम करते हैं और ज्यादातर मामलों में, उनके लाभ जोखिमों से ज्यादा होते हैं। हमेशा की तरह पीपीआई खुराक को संशोधित करने के लिए क्या, कब और कैसे लेना है, ये निर्णय मरीजों के व्यक्तिगत जोखिम-लाभ के अनुपात के आंकलन पर आधारित होना चाहिए। किसी भी दवा के साथ इनका उपयोग क्लीनिकल इंडिकेशन के आधार पर सबसे कम प्रभावी खुराक के रूप में किया जाना चाहिए। साथ ही H2RAs (एच 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स- H2- Receptor blockers) को एसिड-संबंधित स्थितियों के लिए ऑल्टरनेटिव ट्रीटमेंट के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। “

और पढ़ें: कैंसर रिस्क को देखते हुए जेनेरिक जेंटैक पर प्रतिबंध, पेट से जुड़ी समस्याओं में होता है उपयोग

पीपीआई कैसे बढ़ा सकते हैं कोरोना का रिस्क?

PPI medicines - पीपीआई से कोरोना

इसका एक कारण है कि हमारे पेट में एसिड होता है, जो पाचन तंत्र में प्रवेश करने से पहले रोगजनकों को मारने का काम करता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के सह-प्रधान संपादक डॉ स्पीगेल ने बताया, “3 से कम गैस्ट्रिक पीएच में कोरोना वायरस आसानी से नष्ट हो जाते हैं, लेकिन ये न्यूट्रल पीएच में जीवित रहते हैं, जिसमें ओमेप्राजोल और एसोमप्राजोल जैसी दवाओं द्वारा बनाई गई सीमा शामिल है। जो कि प्रोटोन पंप प्रोटोन पंप इंहिबिटर मेडिसिन हैं।”

और पढ़ें: पेट में जलन कम करने वाली एंटासिड दवाइयों पर वार्निंग लेबल लगाना होगा जरूरी

वे आगे कहते हैं कि हमने  COVID -19 के जोखिम पर पीपीआई (PPI) का उपयोग करने का एक बड़ा प्रभाव पाया। दिन में दो बार पीपीआई दवाओं की खुराक ने COVID-19 का चार गुना जोखिम बढ़ा दिया, लेकिन हमने कम शक्तिशाली H2RA (हिस्टामिन 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स एंटागोनिस्ट – Histamine 2 receptor antagonist) के साथ कोई संबंध नहीं पाया।

इन प्रोटोन पंप प्रोटोन पंप इंहिबिटर मेडिसिन के बारे में ध्यान रखनेवाली बात ये हैं कि इन्हें हमेशा डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए। इन दवाओं को आठ सप्ताह से अधिक समय के लिए नहीं लेना चाहिए। लम्बे समय तक इन एंटासिड्स दवाओं के इस्तेमाल से आपको गम्भीर साइड इफेक्ट्स भुगतने पड़ सकते हैं।

और पढ़ें: खुद ही एसिडिटी का इलाज करना किडनी पर पड़ सकता है भारी!

क्या प्रोटोन पंप इंहिबिटर रयूमेटाइड अर्थराइटिस का कारण भी बन सकते हैं?

इसी तरह एलिमेंटरी फार्माकोलॉजी एंड थेरेप्यूटिक्स में प्रकाशित शोध के अनुसार, प्रोटोन पंप प्रोटोन पंप इंहिबिटर का नियमित उपयोग महिलाओं में रयूमेटाइड अर्थराइटिस (संधिशोथ) के जोखिम में वृद्धि से जुड़ा था।

चीन के अस्पताल में प्रेसिजन मेडिसिन सेंटर के यिहांग पैन और सहकर्मियों ने लिखा कि आंत के माइक्रोबायोटा का प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य पर प्रभाव पड़ता है, जो आरए (रयूमेटाइड अर्थराइटिस) के रोगजनन पर प्रभाव डाल सकता है। पीपीआई का दीर्घकालिक उपयोग आंतों के डिस्बिओसिस के माध्यम से आरए (रयूमेटाइड अर्थराइटिस) के साथ जुड़ा हो सकता है, हालांकि, इसका प्रमाण अस्पष्ट है।

क्या प्रोटोन पंप इंहिबिटर किडनी की समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं?

कुछ अध्यानों में ये बात सामने आई है कि पीपीआई (PPI) का लम्बे समय तक इस्तेमाल करनेवाले लोगों में क्रॉनिक किडनी डिसीज होने का रिस्क इन दवाओं के सेवन से पहले की तुलना में अधिक बढ़ जाता है। पीपीआई (PPI) के इस्तेमाल से रोगियों में अक्यूट इंटस्टाइटल नेफ्राईटिस होने का खतरा देखा गया है। इस समस्या से किडनी में सूजन बढ़ जाती है, जो किडनी को डैमेज कर सकती है। यदि सही समय पर इसका इलाज ना कराया जाए, तो व्यक्ति को आगे चलकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसका मतलब ये नहीं है कि जो लोग पीपीआई (PPI) दवाओं का सेवन कर रहे हैं, उन्हें किडनी डिसीज से जूझना ही पड़ेगा। लेकिन इस बात को ध्यान में रख कर चलना चाहिए कि पीपीआई (PPI) दवाओं सेकिडनी की समस्याएं हो सकती है।

और पढ़ें: सेल्फ मेडिकेशन (Self Medication) से किडनी प्रॉब्लम को न्यौता दे सकते हैं आप

पीपीआई का यूज करते वक्त इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • अगर आपको एसिडिटी या इससे मिलते-जुलते कुछ लक्षण नजर आते हैं, तो पीपीआई जैसी मेडिसिन का उपयोग हमेशा डॉक्टर की सलाह पर करें।
  • अगर आपकी उम्र 60 साल या इससे ज्यादा है या कोई हेल्थ कंडिशन है, तो आपको एक्सट्रा केयर करने की जरूरत है।
  • कभी ये दवाएं खुद से न लें। इन दवाओं का डोज और इन्हें दिन में कितनी बार लेना है ये डॉक्टर निर्धारित करता है। इसमें अपने हिसाब से कोई बदलाव न करें।
  • जैसा डॉक्टर ने कहा है उसे ही फॉलो करें।

भारत में बढ़ता कोरोना ग्राफ

आपको बता दें कि पूरे विश्व में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। भारत विश्व में कोरोना संक्रमितों के मालमे में दूसरे नंबर पर आ गया है। भारत में एक बार फिर से लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। भारत में कोविड-19 के मरीजों की संख्या 56 लाख से अधिक हो गई है। वहीं इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 90 हजार से ज्यादा है। अच्छी बात ये है कि इस महामारी से बचकर निकले वाले लोगों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है।

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमें ज्यादा सर्तकता रखनी चाहिए, जितनी हम पहले रख रहे थे, लेकिन अब हो उल्टा रहा है। लोगों के मन से कोरोना का डर निकलता जा रहा है और वे लापहवाही बरत रहे हैं। जैसे: मास्क न लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करना और बिना किसी वजह के बाहर निकलना। स्वच्छता का ध्यान रखना, बार-बार हाथों को सैनिटाइज करना आदि कामों में भी अब कमी आ रही है। यही कारण है कि कोरोना की रफ्तार बढ़ रही है। कोरोना से बचने के लिए सरकार द्वारा बताई गई गाइडलाइंस को फॉलो करना बेहद जरूरी है।

उम्मीद करते हैं कि आपके लिए यह लेख उपयोगी साबित होगा और पीपीआई से काेराेना संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। जरूरत पड़ने पर आपको घबराने की बजाय डॉक्टर की सलाह के अनुसार इन दवाओं का सेवन करना चाहिए, जिससे आपकी समस्या का निदान हो सके। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल है, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Proton pump inhibitors (PPIs) | https://www.aboutgerd.org/medications/proton-pump-inhibitors-ppis.html/ | Accessed on 11th September, 2020

Increased Risk of COVID-19 Among Users of Proton Pump Inhibitors (PPIs) | https://www.newswise.com/coronavirus/increased-risk-of-covid-19-among-users-of-proton-pump-inhibitors-ppis/ | Accessed on 11th September, 2020

https://journals.lww.com/ajg/Documents/AJG-20-1811_R1(PUBLISH%20AS%20WEBPART).pdf/ | Accessed on 11th September, 2020

Severe clinical outcomes of COVID-19 associated with proton pump inhibitors: a nationwide cohort study with propensity score matching | https://gut.bmj.com/content/early/2020/07/30/gutjnl-2020-322248/ | Accessed on 11th September, 2020

Proton pump inhibitor use doubles risk for COVID-19 | https://www.healio.com/news/gastroenterology/20200707/proton-pump-inhibitor-use-doubles-risk-for-covid19 | Accessed on 11th September, 2020
Complications of Proton Pump Inhibitor Therapy | https://www.gastrojournal.org/article/S0016-5085(17)35623-8/fulltext?referrer=https%3A%2F%2Fpubmed.ncbi.nlm.nih.gov%2F28528705%2F/ | Accessed on 11th September, 2020
kidney disease | https://www.kidney.org/atoz/content/acid-reflux-and-proton-pump-inhibitors | Accessed on 11th September, 2020

Adverse Effects of Proton Pump Inhibitors—Evidence and Plausibility | https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6829383/#:~:text=Numerous%20side%20effects%20of%20proton,%2C%20liver%20disease%2C%20and%20fractures/ | Accessed on 11th September, 2020

Proton Pump Inhibitors and COVID-19: Confusing Status Quo | https://journals.lww.com/ajg/Fulltext/2021/10000/Proton_Pump_Inhibitors_and_COVID_19__Confusing.44.aspx | Accessed on 31st December 2021

Increased Risk of COVID-19 Among Users of Proton Pump Inhibitors | https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC7473791/ | Accessed on 31st December, 2021

Current Version

31/12/2021

Toshini Rathod द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

COVID-19 वैक्सीन : क्या सच में रूस ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना ली है?

कोरोना वायरस कम्युनिटी स्प्रेड : आईएमए ने बताया भारत में कोरोना का सामुदायिक संक्रमण है भयावह


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 31/12/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement