टस्टार कपल फरहान अख्तर(Farhan Akhtar) और शिबानी दांडेकर(Shibani Dandekar) दोनों ने हाल ही में क्रायोथेरेपी ट्रीटमेंट कराया है। फरहान अख्तर ने इंस्टाग्राम स्टोरी शेयर कर इसकी जानकारी दी। फरहान ने इसकी फोटो भी शेयर की। फरखान ने फोटो के कैप्शन में लिखा कि क्रायोथेरेपी … ठंड मुझे कभी परेशान नहीं करती।
फोटो में फरहान को इस ट्रीटमेंट के लिए काफी कम टेम्परेचर के चैम्बर में देखा जा सकता है। इसके अलावा शिबानी ने भी अपने इंस्टाग्राम पर कुछ वीडियो शेयर करते हुए इस थेरेपी को लेने का अनुभव शेयर किया। शिबानी ने लिखा कि यह बताया नहीं जा सकता कि इस थेरेपी से कितना आराम मिलता है। इस थेरेपी के लिए शिबानी तीन मिनट के माइनस डिग्री टेम्परेचर में रहीं।
[mc4wp_form id=’183492″]
क्रायोथेरेपी क्या है
क्रायोथेरेपी को कोल्ड थेरेपी भी कहते हैं। क्रायोथेरेपी ट्रीटमेंट के दौरान इंसान के शरीर को कुछ मिनटों के लिए काफी ठंडे तापमान में रखा जाता है। क्रायोथेरेपी ट्रीटमेंट शरीर के एक खास हिस्से या पूरे शरीर के लिए किया जा सकता है। इस थेरेपी को कई तरह से किया जा सकता है। इस थेरेपी में आइस पैक्स, आइस मसाज, कूलेंट स्प्रे और आइस बाथ का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पूरी बॉडी की क्रायोथेरेपी (whole body cryotherapy) में पूरे शरीर को काफी ठंडी हवा में कुछ मिनटों के लिए रखा जाता है। इस थेरेपी में एक काफी ठंडे चैंबर में गर्दन के नीचे से कुछ मिनट के लिए रखा जाता है। इस चैंबर में तापमान माइनस 200 डिग्री से 300 डिग्री फारेनहाइट तक जा सकता है। साथ ही इस थेरेपी के कई लाभ होते हैं।
क्रायोथेरेपी के एक सेशन से भी लोगों को इसके फायदे दिख सकते हैं। हालांकि, इसे रेगुलर कराने की सलाह दी जाती है। यहां तक कि कुछ एथलीट्स एक दिन में दो बार कोल्ड थेरेपी लेते हैं।
और पढ़ें: जानिए क्या होता है स्लीप म्यूजिक (Sleep Music) और इसके फायदे
क्रायोथेरेपी के फायदे
क्रायोथेरेपी एक फ्रीजिंग थेरेपी है, वैसे तो यह शरीर की कई समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। लेकिन कई बार यह किसी एक विशेष समस्या को ठीक करने के लिए की जा सकती है। इसका सबसे अधिक उपयोग दर्द को कम करने के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं क्रायोथेरेपी के फायदे क्या हैं?
क्रायोथेरेपी माइग्रेन के लक्षणों को करती है कम
कोल्ड थेरेपी से माइग्रेन में आराम मिलता है। क्रायोथेरेपी के कारण गर्दन के हिस्से की नर्व सुन्न हो जाती है, जिससे माइग्रेन की समस्या में आराम मिलता है। एक अध्ययन में सामने आया है कि गले को रैप करके दो आइसपैक रखने से माइग्रेन के दर्द में काफी राहत मिलती है। ऐसा माना जाता है कि यह इसलिए काम करता है क्योंकि इससे इन्ट्राक्रानियल वेसल्स(nerves) में जाने वाला खून ठंडा होकर पहुंचता है।
नर्व इरिटेशन होती है खत्म
कई एथलीट क्रायोथेरेपी का इस्तेमाल सालों पुरानी इंजरी को ठीक करने के लिए करते हैं। इसका एक कारण यह हो सकता है कि यह शरीर के उस हिस्से को सुन्न कर देता है, जिसमें दर्द रहता है, जिसकी वजह से आपको राहत मिलती है। साथ ही उस बॉडी पार्ट के सुन्न होने से नर्व इरिटेशन में आराम मिलता है। इस थेरेपी से दर्द और गंभीर चोटों में भी आराम मिल सकता है।
और पढें: ये 7 संकेत बताएंगे कि आप दोनों को कपल्स थेरेपी (couples therapy) की जरुरत है
मूड डिसऑर्डर को ठीक करने में मिलती है मदद
पूरे शरीर पर की जाने वाली क्रायोथेरेपी से शरीर के ठंडे टेम्परेचर में रहने से शारीरिक प्रभावों के साथ-साथ साइकोलॉजिकल हॉर्मोनल रिस्पॉन्स भी होते हैं। इसमें एड्रेनालाईन, नोराड्रेनालाईन और एंडोर्फिंस रिलीज होते हैं। यह मूड डिसऑर्डर और डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों पर पॉजीटिव प्रभाव डालते हैं। एक अध्ययन में सामने आया कि क्रायोथेरेपी थोड़े समय के डिप्रेशन से आराम देने में काफी प्रभावी हो सकता है।
क्रायोथेरेपी से अर्थराइटिस के दर्द में आराम
क्रायोथेरेपी से केवल चोट में ही आराम नहीं मिलता। कोल्ड थेरेपी से कुछ गंभीर समस्याओं में भी आराम मिल सकता है। कुछ शोधों में सामने आया कि कोल्ड थेरेपी से अर्थराइटिस के दर्द में भी आराम मिल सकता है। अर्थराइटिस में फिजियोथेरेपी, रिहेबिलेशन प्रोग्राम के अलावा कोल्ड थेरेपी से भी आराम मिलता है।
लो रिस्क ट्यूमर्स के इलाज में भी है कारगर
एक एरिया को टारगेट करके की जाने वाली क्रायोथेरेपी से कैंसर का भी इलाज किया जा सकता है। इन मामलों में इसे क्रायोसर्जरी भी कहते हैं। क्रायोसर्जरी में कैंसर सेल्स को फ्रीज कर दिया जाता है और उनके चारों ओर आइस क्रीस्टल रखे जाते हैं। आज इसे कुछ लो रिस्क कैंसर ट्यूमर्स के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्रोस्टेट कैंसर भी शामिल है।
और पढ़ें: क्या म्यूजिक और स्ट्रेस का है आपस में कुछ कनेक्शन?
कोल्ड थेरेपी डिमेंशिया और अल्जाइमर को करती है कम
क्रायोथेरेपी डिमेंशिया और अल्जाइमर के इलाज में भी कारगर साबित हो सकती है। हालांकि, इसे लेकर अभी कई शोध किए जाने बाकी हैं। जिनसे यह पता लगाया जा सके कि यह कितनी कारगर है और इसके इस्तेमाल की रणनीति तैयार की जा सके। ऐसा माना जाता है कि यह डिमेंशिया और अल्जाइमर के इलाज में अपने एंटी ऑक्सीडेटिव और एंटी इनफ्लेमैटरी प्रभावों के कारण मददगार साबित होती है। अल्जाइमर की अवस्था में यह ऑक्सीडेटिव और इनफ्लेमैटरी स्ट्रेस रिस्पॉन्स के कारण यह थेरेपी काम करती है।
स्किन की समस्याओं को भी करती है दूर
क्रायोथेरेपी से डर्मेटाइटिस और स्किन की दूसरी समस्याओं में मदद मिल सकती है। डर्मेटाइटिस एक क्रोनिक स्किन की बीमारी है। डर्मेटाइटिस से स्किन में रूखापन और खुजली होने लगती है। क्रायोथेरेपी से एंटी ऑक्सीडेंट्स लेवल बेहतर होता है। साथ ही खून में इंफ्लेमेशन को कम करता है। ऐसे में यह थेरेपी डर्मेटाइटिस में काम करती है। एक अन्य चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि यह थेरेपी मुंहासों और स्किन की अन्य परेशानियों में भी मदद करती है।
और पढ़ें: बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना और उनकी मेंटल हेल्थ में है कनेक्शन
स्तन कैंसर के लिए क्रायोथेरेपी
आइस बॉल थेरेपी, क्रायोथेरेपी का ही एक प्रकार का हिस्सा माना जाता है। जिसका उपयोग स्तन कैंसर के उपचार के लिए भी किया जाता है। आइस बॉल थेरेपी में सुई के माध्यम से स्तन के अंदर मौजूद कैंसर की गांठ में बहुत ज्यादा ठंडी गैस डाली जाती है। ऐसा इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि अधिक ठंडक पाने से ट्यूमर असरहीन हो जाता है। इस थेरेपी की मदद से कैंसर को बढ़ाने वाले ऊतक को खत्म किया जा सकता है। जिससे कैंसर के जोखिम कम हो सकते हैं।
क्रायोथेरेपी के रिस्क और साइड इफेक्ट्स
क्रायोथेरेपी का सबसे कॉमन साइड इफेक्ट्स बॉडी पार्ट्स का सुन्न होना, झनझनाहट, स्किन का लाल होना और स्किन में जलन होना है। हालांकि, ये सारे साइड इफेक्ट्स कुछ समय के लिए होते हैं और इसके बाद खुद ही ठीक हो जाते हैं। अगर 24 घंटे के अंदर आपको इन साइड इफेक्ट्स से राहत नहीं मिलती, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही क्रायोथेरेपी के सेशन को कभी भी निर्धारित समय से ज्यादा न लें। पूरे शरीर के लिए ली जाने वाली क्रायोथेरेपी आम तौर पर चार मिनट के लिए ली जाती है। वहीं आइस पैक थेरेपी को बीस मिनट से ज्यादा नहीं लेना चाहिए। साथ ही आईस पैक से थेरेपी लेने पर आईस को टावल में लपेटें, इससे स्किन को नुकसान नहीं होगा। डायबिटीज या इस तरह की किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित लोगों को क्रायोथेरेपी नहीं लेनी चाहिए। साथ ही हो सकता है कि इन लोगों को इसके फायदे भी पूरी तरह से न हो, इसके उलट उन्हें नर्व डैमेज की समस्या हो सकती है। बिना किसी चिकित्सक सलाह के क्रायोथेरेपी लेने के बारे में न सोचें।
[embed-health-tool-bmi]