स्कूल और कॉलेज के दिनों में सभी को कूल और स्मार्ट दिखने का शौक होता है। ये उम्र ऐसी होती है जब हम हर उस चीज को ट्राई करना चाहते हैं जो कि हमें मना की जाती है। ये वो समय होता है जब कॉलेज के हॉस्टल और कैंटीन में ठंड की रात का चाय और सुट्टा चल रहा होता है। ऐसे में कई लोग इस नशे की आदत के चपेट में आ जाते हैं। हैलो स्वास्थ्य से बातचीत के दौरान कुछ लोगों ने अपने अनुभव बांटे और बताया की स्मोकिंग (Smoking) और नशे की आदत आखिर उन्हें कैसे लगी और वे आजतक इसे छोड़ क्यों नहीं पाए हैं।
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केस स्टडी 1 : शौक के चलते लग गई लत!
विकास बहुत ही अच्छे पद पर कार्यरत हैं। आज भी अपने कॉलेज के दिनों के बारे में बात करते समय उनका चेहरा खिल जाता है। लेकिन कॉलेज के वक्त लगी स्मोकिंग (Smoking) की आदत ने उनकी सेहत पर गहरा प्रभाव डाला है। वे कहते हैं कि कॉलेज में सभी दोस्तों के साथ उन्होंने एक बार शौक के चलते स्मोकिंग (Smoking) ट्राई किया था जिसके बाद वे इसे छोड़ने में कामयाब नहीं हुए। जब भी उन्होंने इस आदत को छोड़ने की कोशिश की उन्हें सफलता नहीं मिली। स्मोकिंग (Smoking) छोड़ने पर उन्हें सिरदर्द, सीने में जलन और एपेटाइट (Appetite) संबंधी परेशानी को भी झेलना पड़ा।
केस स्टडी 2 : दोस्तों ने कहा एक बार से कुछ नहीं होता!
बड़े बिजनेसमैन सारांश कहते हैं कि शुरुआत में दोस्तों के साथ घूमने पर अक्सर उन्होंने मना किया। लेकिन कई बार सब स्मोकिंग (Smoking) कर रहे होते थे उस समय उन्हें मना करना अटपटा लगता था। एक बार दोस्तों के कहने पर उन्होंने एक बार स्मोकिंग (Smoking) की और धीरे – धीरे यह उनकी आदत बन गया।
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केस स्टडी 3 : नशे को बढ़ा देती है सिगरेट!
अक्सर लोग शराब के साथ सिगरेट पीते हैं। हैलो स्वास्थ्य से बातचीत के दौरान जब एक रेगुलर ड्रिंकर से पूछा गया कि उन्होंने सिगरेट और स्मोकिंग (Smoking) की शुरुआत कैसे की तो उनका कहना था कि शुरुआत उन्होंने शराब पीने से की थी। लेकिन जब उन्होंने शराब को सिगरेट के साथ पिया तो उसका नशा दुगना हो गया।
केस स्टडी 4 : सिनेमा का है बहुत बड़ा हाथ!
राकेश बताते हैं कि बचपन में सिनेमा देखते समय जब उन्होंने बड़े परदे पर हीरो को सिगरेट पीते हुए देखा तो उन्हें ये बहुत आकर्षक लगा। इसलिए उन्होंने उस हीरो की कॉपी करने के लिए सिगरेट पीना शुरू की। राकेश लंग की बीमारी से पीड़ित हैं। जब हमने उनसे ये पूछा कि उन्होंने कभी छोड़ने की कोशिश क्यों नहीं की तो उन्होंने बताया कि किसी भी नशे को करने से शरीर उसके लिए आदी हो जाता है।
अगर आप मेडिकल तौर पर समझना चाहें तो बात दरसल ये है कि हमारे शरीर में रिसेप्टर(Receptor) पाए जाते हैं। ये रिसेप्टर एक बार सक्रिय होने के बाद हमेशा सक्रिय रहते हैं और जितना अधिक आप नशा करते हैं उतना अधिक आपकी डोज बढ़ जाती है।
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केस स्टडी 5 : स्ट्रेस बस्टर की तरह काम करती है सिगरेट!
रजत एक बड़ी कंपनी के मालिक हैं, वे कहते हैं कि कॉलेज के दिनों में उन्होंने सिगरेट एग्जाम के समय टेंशन दूर करने के लिए पीना शुरू किया था। धीरे- धीरे स्ट्रेस होने पर सिगरेट पीना उनकी आदत बन गई है। इस आदत को लेकर वे खुद भी बहुत परेशान हैं लेकिन अब ये आदत छोड़ पाना उनके लिए लगभग असंभव है।
कारण कोई भी हो स्मोकिंग (Smoking) आपकी सेहत के लिए हानिकारक है। अगर आप सिगरेट, बीड़ी, या फिर सुट्टा जैसी चीजों का इस्तमाल करते हैं तो हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारी की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। इसलिए अगर आप किसी बच्चे के माता -पिता हैं या किसी ऐसे को जानते हैं जो की उस उम्र से गुजर रहा है जब उसे ये लत लग सकती है तो उसे समझाएं कि भले ही वर्तमान में स्मोकिंग (Smoking) उसे दोस्तों के सामने कूल बना दे लेकिन लंबे समय के बाद उसे इसके हानिकारक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।
स्मोकिंग (Smoking) छोड़ने के फायदे क्या हैं?
दिल के दौरे का खतरा कम
डॉ. संजय सेठी की मानें तो “स्मोंकिग छोड़ने से शरीर पर बहुत अधिक अनुकूल प्रभाव पड़ता है। दिल के खतरे बढ़ाने में स्मोकिंग (Smoking) भी एक वजह हो सकती है। वहीं, जब इसकी आदत बंद हो जाए तो दिल दुरुस्त होने लगता है, क्योंकि शरीर में ऑक्सिजन का वितरण बेहतर हो जाता है।
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ब्लड सर्क्युलेशन ठीक होगा
अगर आप स्मोकिंग (Smoking) करना बंद कर दें, तो इसका फायदा सिर्फ 12 घंटों के अंदर ही देखा जा सकता है। स्मोकिंग (Smoking) छोड़ने से 12 घंटे के अंदर ही, कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बहुत कम हो जाता है, जिससे बाद शरीर के सभी हिस्सों में रक्त का संचार अच्छे से होने लगता है।
लंग कैंसर का खतरा नहीं
स्मोकिंग (Smoking) छोड़ने से फेफड़े स्वस्थ रहेंगे और लंग कैंसर का खतरा भी नहीं होगा। अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अनुसार, फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों में से 80 फीसदी से अधिक का कारण स्मोकिंग (Smoking) पाया जाता है। सिगरेट में 70 से अधिक हानिकारक कैंसर पैदा करने वाले रसायन होते हैं।
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नैचुरल गुलाबी बनेंगे होंठ
सिगरेट पीने के कारण होंठ अपने आप काले पड़ने लगते हैं। तो अगर गुलाबी होंठ चाहिए तो स्मोकिंग (Smoking) की लत बंद करनी होगी।
खांसी कम होगी
सिगरेट पीने से खांसी की समस्या होना काफी होता है। जिसे मेडिकल की भाषा में ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) कहा जाता है। इससे गले में सूजन हो जाती है और कफ जमने लगती है जिसकी वजह से सांस लेने में समस्या होती है। वहीं, स्मोकिंग (Smoking) बंद करने के बाद यह समस्या भी धीरे-धीरे खत्म होने लगती है।
स्मोकिंग (Smoking) छोड़ने के लिए निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी
अगर आप अचानक से स्मोकिंग (Smoking) छोड़ देते हैं तो आपको सिर में दर्द की समस्या और बेचैनी महसूस हो सकती है। ऐसे में तुरंत सिगरेट पीने का मन करेगा। निकोटीन शरीर में न पहुंच पाने के कारण क्रेविंग होती है। ऐसे में निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेना बहुत जरूरी होता है। स्टडी में ये बात सामने आई है कि जो लोग स्मोकिंग (Smoking) छोड़ने के लिए निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी अपनाते हैं, उन्हें कम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आप स्मोकिंग (Smoking) छोड़ने के लिए इनका इस्तेमाल कर सकते हैं,
- गम (Gum)
- पैच (Patches)
- स्प्रे (Sprays)
- इनहेलर (Inhalers)
- मीठी गोलियों (Lozenges)
पैच को बिना किसी फार्मेसी हेल्प के खरीदा जा सकता है। पैच शरीर में धीरे-धीरे निकोटीन की मात्रा को पहुंचाने का काम करते हैं। स्किन की हेल्प से निकोटीन शरीर में एब्जॉर्व होता है। ऐसा करने से शरीर को कुछ समय बाद कम निकोटीन की आवश्यकता होती है। फिर कुछ समय बाद लोगों को इस पैच की जरूरत नहीं महसूस होती है और स्मोकिंग (Smoking) की आदत छूट जाती है। कुछ लोग पैच को हमेशा लगाए रहते हैं। वहीं कुछ लोगों को रात में भी पैच की आवश्यकता महसूस होती है। आपको कब पैच लगाना चाहिए और कैसे लगाना चाहिए, इस बारे में डॉक्टर से जरूर पूछें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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