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कॉलेस्ट्रॉल का बढ़ना या घटना क्या शरीर के लिए होता है नुकसानदायक?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    कॉलेस्ट्रॉल का बढ़ना या घटना क्या शरीर के लिए होता है नुकसानदायक?

    कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) वैक्सी (waxy), वसा जैसा पदार्थ होता है, जो आपके शरीर की सभी सेल्स में पाया जाता है। शरीर को हॉर्मोन, विटामिन डी और डायजेशन में हेल्प करने वाले पदार्थ के निर्माण के लिए कुछ कॉलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है। जरूरी कॉलेस्ट्रॉल का निर्माण शरीर में हो जाता है। पशु से प्राप्त होने वाले फूड्स जैसे कि एग यॉक, मीट और चीज आदि में भी कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) पाया जाता है। ये कहा जा सकता है कि शरीर के लिए कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) जरूरी होता है लेकिन शरीर में अधिक मात्रा में कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) या कम मात्रा में कॉलेस्ट्रॉल आपको नुकसान पहुंचा सकता है। अधिक मात्रा में कॉलेस्ट्रॉल हार्ट के लिए नुकसानदायक होता है। हाई कोलेस्ट्रॉल हार्ट की ऑर्टरी में चिपक जाता है और एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) का कारण बनता है। हाई कॉलेस्ट्रॉल कोरोनरी आर्टरी को ब्लॉक कर कोरोनरी आर्टरी डिजीज का कारण बनता है। अगर ये कहा जाए कि कॉलेस्ट्रॉल शरीर के लिए जरूरी होता है लेकिन कम या ज्याजा मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। जानिए इस आर्टिकल के माध्यम से कि किस तरह से कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) काम करता है और कैसे ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।

    एचडीएल (HDL), एलडीएल (LDL) और वीएलडीएल (VLDL) लिपोप्रोटीन (lipoproteins) हैं। ये प्रोटीन और फैट का कॉम्बिनेशन होते हैं। लिपिड प्रोटीन से जुड़ता है, ताकि वो ब्लड के माध्यम से आगे जा सके। लिपोप्रोटीन का शरीर में महत्वपूर्ण कार्य होता है। एचडीएल हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (High density lipoprotein) है। इसे गुड कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) भी कहते हैं क्योंकि यह आपके शरीर के अन्य हिस्सों से कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को आपके लिवर में वापस ले जाता है। फिर लिवर आपके शरीर से कॉलेस्ट्रॉल को हटा देता है।

    एलडीएल (LDL) कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन होता है। ये बैड कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) कहलाता है। शरीर में अधिक मात्रा में एलडीएल (LDL) की मात्रा हार्ट आर्टरी में ब्लॉकेज कर सकती है।

    वीएलडीएल (VLDL) बहुत कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन होता है।वीएलडीएल को भी खराब कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) कहा जाता है क्योंकि ये आपके हार्ट को नुकसान पहुंचाने का काम करता है। वीएलडीएल और एलडीएल दोनों ही शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं लेकिन दोनों अलग होते हैं। वीएलडीएल ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) में ज्यादा मात्रा में ट्राइग्लिसराइड्स होता है।

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    हाय कॉलेस्ट्रॉल की समस्या क्यों होती है (What causes high cholesterol)?

    जब शरीर में जरूरत से ज्यादा कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की मात्रा पहुंचती हैं, तो हाय कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की समस्या हो जाती है। अगर खानपान की आदतों पर ध्यान न दिया जाए और एक्सरसाइज पर ध्यान न दिया जाए, तो शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता जाता है। बैड फैट का सेवन करने से लोगों को हाय कॉलेस्ट्रॉल की समस्या हो जाती है। कुछ मीट्स, डेयरी प्रोडक्ट, चॉकलेट, बेक्ड फूड और डीप फ्राइड फूड्स, प्रोसेस्ड फूड्स में सैचुरेटेड फैट्स (saturated fat) पाए जाते हैं। अन्य प्रकार के सैचुरेटेड फैट फ्राइड और प्रोसेस्ड फूड्स में पाए जाते हैं। इनका सेवन करने से शरीर में एलडीए यानी बैड कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है।

    फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण शरीर में बैड कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) का लेवल बढ़ता जाता है। अगर एक्सरसाइज और हेल्दी फूड्स को अपनाया जाए, तो शरीर से बैड कॉलेस्ट्रॉल के लेवल को कम किया जा सकता है।

    स्मोकिंग के शरीर में गुड कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) यानी एचडीएल (HDL cholesterol) का लेवल कम होने लगता है और बैड कॉलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है। कई बार अनुवांशिकी के कारण भी लोगों में कॉलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है। हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (Hypercholesterolemia) हाय कॉलेस्ट्रॉल का कारण बनता है। कुछ अन्य मेडिकल कंडीशन या मेडिसिन के कारण भी हाय कॉलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है।

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    हाय कॉलेस्ट्रॉल (High cholesterol) से क्या रिस्क हो सकते हैं?

    शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का लेवल (Cholesterol) बढ़ने पर आमतौर पर कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। जब शरीर में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा (Cholesterol) बढ़ जाती है, तो हार्ट के लिए खतरे की स्थिति उत्पन्न होने लगती है। कोरोनरी आर्टरी में ब्लड फ्लो में दिक्कत पैदा होने लगती है। अगर हार्ट की मसल्स ऑक्सीजन युक्त ब्लड का प्रवाह सही से नहीं कर पाती हैं, तो सीने में दर्द की समस्या पैदा होने लगती है। इसे एनजाइना (Angina) के नाम से जाना जाता है। कुछ लोगों को इस स्थिति में दिल का दौरा भी पड़ सकता है। कई परिस्थितियों में स्ट्रोक और पेरीफेरल आर्टिअल डिजीज ( Peripheral arterial disease.) का खतरा भी बढ़ जाता है।

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    इस बारे में एसएल रहेजा अस्पताल, माहिम की सलाहकार चिकित्सक और विशेषज्ञ-आंतरिक चिकित्सा की डॉक्टर परितोष बघेल का कहना है कि ऐसी स्थिति कुछ कंडिशन में हो सकती है, जैसे कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease), हार्ट अटैक (Heart Attack) या कुछ स्थितियां, जिसमें आपके दिल को पर्याप्त रक्त पंप करने कठनाई हो रही हो। इससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और हार्ट कमजोर होने लगता है। इस प्रकार, आपका हृदय कमजोर होने के साथ, पूरे शरीर में रक्त को प्रभावी ढंग से पंप करने में असमर्थ होने लगता है। फिर रक्त शरीर में जमा होने लगता है, जिसे हम क्लाॅट कहते हैं। जिससे सूजन हो जाती है और व्यक्ति को हृदय गति रुकने के खतरे बढ़ जाते हैं। ऐसा होने पर व्यायाम करते समय या चलने या कपड़े पहनने जैसी साधारण गतिविधियाें के दौरान भी सांस फूलने की समस्या हो सकती है।

    हाय कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) में रिस्क फैक्टर्स कौन से होते हैं?

    हाय कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को कई फैक्टर्स प्रभावित कर सकते हैं यानी विभिन्न प्रकार की चीजें हाय कॉलेस्ट्रॉल के लिए आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं। जानिए कौन से हैं वो फैक्टर्स।

    • उम्र बढ़ने के साथ ही कॉलेस्ट्रॉल का लेवल शरीर में बढ़ने लगता है। कम उम्र के लोगों में और बच्चों में भी हाय कॉलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है।
    • जिन लोगों के परिवार के इतिहास में हाय कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की समस्या रही है, उनमें भी ये हाय कॉलेस्ट्रॉल का खतरा बना रहता है।
    • जो लोग खानपान पर ध्यान नहीं देते हैं और एक्सरसाइज भी नहीं करते हैं, उन्हें हाय कॉलेस्ट्रॉल की समस्या से गुजरना पड़ सकता है। ओवरवेट लोग हाय कॉलेस्ट्रॉल के जोखिम में अधिक रहते हैं।
    • कुछ लोगों में जैसे कि अफ्रीकन अमेरिकंस में हाय एचडीएल और एलडीएल कॉलेस्ट्रॉल का लेवल होता है, वहीं गोरें लोगों में ऐसा नहीं होता है।

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    हाय कॉलेस्ट्रॉल का ट्रीटमेंट कैसे किया जा सकता है?

    अगर आपके शरीर में अधिक मात्रा में कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) है, तो डॉक्टर आपको लाइफस्टाइल चेंज करने की सलाह देंगे और साथ ही कुछ मेडिसिन भी देंगे, ताकि कॉलेस्ट्रॉल के लेवल को कम किया जा सके। आपको डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए कि किस तरह से एलडीएल के लेवल को कम किया जा सकता है और एचडीएल के लेवल को बढ़ाया जा सकता है।

    • कुल कॉलेस्ट्रॉल: 200 मिलीग्राम / डीएल से कम
    • एलडीएल कॉलेस्ट्रॉल: 100 मिलीग्राम / डीएल से कम
    • एचडीएल कॉलेस्ट्रॉल: 60 मिलीग्राम / डीएल या अधिक

    एनिमल बेस्ड प्रोडक्ट लेने से शरीर में एलडीएल कॉलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है। आपको खाने में डेयरी प्रोडक्ट, वेजीटेबल्स ऑयल, कोकोनट ऑयल के साथ ही हाय कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) युक्त भोजन की मात्रा को सीमित या फिर बंद करना होगा। ऐसा करने से शरीर में कॉलेस्ट्रॉल लेवल को कम किया जा सकता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं।

    लो कॉलेस्ट्रॉल होने पर रिस्क फैक्टर्स क्या हो सकते हैं?

    जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि हाय कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के कारण हार्ट को खतरा बढ़ जाता है। जब शरीर में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम हो जाता है, तो कुछ हेल्थ रिस्क का खतरा बढ़ जाता है। इस बारे में अभी भी स्टडी चल रही है कि कैसे लो कॉलेस्ट्रॉल शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम कर सकता है। शरीमें लो एलडीएल होने पर निम्न बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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    कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) में इम्बैलेंस से निपटने के लिए खानपान का क्या रोल है?

    खानपान में यदि रखा जाए, तो कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ फूड्स को खाने से शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का लेवल सही रहता है। जानिए किन फूड्स को खाकर आप कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित कर सकते हैं।

    • व्होल ग्रेन्स जैसे कि ओट्स और जौ
    • नट्स और सीड्स
    • एवोकौडो
    • बीन्स
    • हेल्दी ऑयल जैसे कि सनफ्लावर, ऑलिव ऑयल
    • फैटी फिश
    • सोया
    • फ्रूट्स जैसे कि सेब नाशपाती, जामुन
    • ऑरेंज जूस

    कॉलेस्ट्रॉल में इम्बैलेंस होने पर लाइफस्टाइल कैसी होनी चाहिए?

    हेल्दी रहने के लिए लाइफस्टाइल का हेल्दी होना बहुत जरूरी है। अगर आप हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाते हैं, तो बहुत सी बीमारियों को पास आने से रोक सकते हैं। हाय कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) भी ऐसी ही समस्या है, जिसे खानपान और एक्सरसाइज के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। जानिए आपको हाय कॉलेस्ट्रॉल से बचने के लिए किन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है।

    • अपनी डायट को चेंज करें और उसमे सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट की मात्रा को नियंत्रित रखें।
    • शरीर के वजन को बढ़ने न दें वरना कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को नियंत्रित करने में दिक्कत हो जाएगी। आपको रोजाना वॉक के साथ ही एक्सरसाइज भी करनी चाहिए।
    • स्मोकिंग छोड़ दें। स्मोकिंग कॉलेस्ट्रॉल  लेवल (Cholesterol) पर बुरा असर डालती है। अगर आप स्मोकिंग नहीं छोड़ पा रहे हैं, तो डॉक्टर से भी मदद ले सकते हैं।
    • अगर लाइफस्टाइल चेंज करने से भी कॉलेस्ट्रॉल लेवल
    • (Cholesterol)
    • में सुधार नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर द्वारा बताई गई मेडिसिन का सेवन करें। डॉक्टर हार्ट रिस्क के अनुसार ही दवाइयां खाने की सलाह देते हैं।

    उपरोक्त बातों का ध्यान रख आप अपनी सेहत में सुधार कर सकते हैं। अगर आपको किसी भी प्रकार की शंका हो, तो डॉक्टर से इस बारे में जरूर परामर्श करें।

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    अगर खानपान में संयम रखा जाए और पौष्टिक आहार का सेवन किया जाए, तो हाय कॉलेस्ट्रॉल की समस्या से निजात पाया जा सकता है। उम्र बढ़ने के साथ ही हाय कॉलेस्ट्रॉल का जोखिम भी बढ़ने लगता है। बेहतर होगा कि आप रोजाना एक्सरसाइज के साथ ही फैट की बहुत कम मात्रा का सेवन करें। आप चाहे तो इस बारे में एक्सपर्ट से भी राय ले सकते हैं। डायट प्लान करते समय एक्सपर्ट से फैट इनटेक के बारे में जानकारी जरूर लें। आपको गुड कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और बैड कॉलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के बारे में जानकारी होनी चाहिए तभी आप खुद को स्वस्थ्य रख पाएंगे। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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    Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

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