इसके बाद इसके इलाज के बारे में विचार किया जाएगा। आइए, जानें इस समस्या के उपचार के बारे में।
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हार्ट पल्पिटेशन का उपचार (Treatment for heart palpitations)
हार्ट पल्पिटेशन का सबसे लाभदायक ट्रीटमेंट ऑप्शन इस बात पर निर्भर करता है कि इसका कारण क्या है? अगर डॉक्टर को लगता है कि यह समस्या आपकी सेहत के लिए गंभीर खतरा नहीं है, तो वो आपको अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव के लिए कहेंगे। उदाहरण के लिए अगर आप खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating) का अनुभव करते हैं, तो आपको अपनी फूड हैबिट्स को रिकॉर्ड करने और ट्रिगर्स पर नजर रखने से लाभ होगा। भविष्य में इन्हें नजरअंदाज करना भी इस परेशानी से राहत पाने में फायदेमंद है। अन्य लाइफस्टाइल चेंजेज जैसे स्मोकिंग और एल्कोहॉल छोड़ना आदि से भी रोगी को मदद मिल सकती है।
किंतु,अगर रोगी के लिए यह समस्या गंभीर है, तो डॉक्टरों रोगी को बीटा ब्लॉकर (Beta-blocker) या कैल्शियम चैनल ब्लॉकर (Calcium channel blocker) की सलाह दी जाती है। यह एंटीएरिदमिक ड्रग्स (Antiarrhythmic drugs) हैं। इससे शरीर में ब्लड फ्लो सुधरता है, जिससे हार्ट रेट इवन और रेगुलर रहती है। अक्सर यह दवाएं कुछ ही घंटों में मददगार साबित होती हैं। लेकिन एरिथमिया (Arrhythmia) से जुड़ी कंडिशंस को सही होने में कई महीनों से सालों तक का समय लग सकता है।
अगर रोगी को यह समस्या लाइफ थ्रेटनिंग हो, तो डॉक्टर डिफाइब्रिलेटर (Defibrillator) या पेसमेकर (Pacemaker) की सलाह दे सकते हैं, ताकि हार्ट को फिर से सामान्य रिदम में जाने में मदद मिल सके। इन उपचारों से रोगी को तुरंत फायदा होता है। डॉक्टर रोगी में हार्ट पल्पिटेशन (Heart Palpitation) का इलाज जारी रखने के लिए कुछ दिन या कुछ साल रोगी को लगातार मॉनिटर कर सकते हैं।
यह तो थी जानकारी खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating) के बारे में। यह समस्या आमतौर पर कुछ ही समय में खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन, कुछ मामलों में यह समस्या कुछ मिनटों या उससे भी अधिक समय तक रह सकती है। इसके साथ ही रोगी छाती में दर्द का अनुभव भी कर सकता है। ऐसा हो सकता है कि यह समस्या किसी मेडिकल कंडिशन के कारण हो जैसे एनीमिया, डिहायड्रेशन, ब्लड लॉस, लो ब्लड शुगर लेवल आदि।
ऐसे में इन रोगों के इलाज से भी हार्ट पल्पिटेशन (Heart Palpitation) का इलाज हो सकता है। अगर आप स्ट्रेस में हैं तो कुछ थेरेपीज जैसे योगा, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग आदि से भी रोगी को लाभ होगा। इसके साथ ही अधिक से अधिक तरल पदार्थों के सेवन की भी सलाह दी जाती है। इस समस्या से संबंधित अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य बात करें।