सामान्य तौर पर दिल की अच्छी सेहत के लिए हेल्थ एक्सपर्ट्स शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को 150 मिग्रा/डी.एल. से नीचे बनाए रखने की सलाह देते हैं। इसके अलावा 150 से 199 को बॉर्डरलाइन माना जाता है। इसका लेवल इससे अधिक होने पर यानी 200 से 499 के बीच होने की स्थिति को हाई ट्राइग्लिसराइड्स (High Triglycerides) कहा जा सकता है। इसके अलावा, 500 या उससे अधिक लेवल को वेरी हाई वेल्यू माना जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए कई तरह की स्थितियां के जोखिम का कारण बन सकता है।
हाई ट्राइग्लिसराइड्स (High triglycerides) क्या है?
हाई ट्राइग्लिसराइड्स को मेडिकल भाषा में हाइपरट्राइग्लिसरीडीमिया कहा जाता है। यह एक अस्वस्थ मेडिकल कंडीशन होती है। ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का फैट होता है, जो हमारे खून में पाया जाता है। इसी फैट की मदद से हमारा शरीर एनर्जी उत्पन्न करता है। एक स्वस्थ्य शरीर के लिए ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा शरीर के लिए बेहद जरूरी होती है। अगर शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ जाए तो यह कई गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है। हाई ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल अधिक बढ़ने पर धमनियां ब्लॉक हो सकती हैं। जिससे जान जाने का भी जोखिम भी हो सकता है। इसके अलावा, शरीर में हाई ट्राइग्लिसराइड्स की समस्या होने से हाई ब्लड प्रेशर और हाई ब्लड शुगर का जोखिम भी एक साथ बढ़ने लगता है। ऐसी स्थिति होने पर व्यक्ति के कमर पर फैट जमने लगता है और गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल (HDL) घटने लगता है। जो हाई ट्राइग्लिसराइड्स या एलडीएल के लेवल को और अधिक बढ़ने में मदद कर सकता है। ऐसी स्थिति को मेटाबोलिक सिंड्रोम कहा जाता है।
हालंकि, हाई ट्राइग्लिसराइड्स के गंभीर होने पर ही मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा हो सकता है, जो डायबिटीज, ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट डिजीज होने के खतरों को बढ़ा सकता है। सामान्य तौर पर, ट्राइग्लिसराइड्स हमारी फैट कोशिकाओं में जमा होती है। जो खाना खाने की प्रक्रिया के दौरान हार्मोन्स के जरिए शरीर में उत्पन्न होती है। अधिक कैलोरी वाले आहार के सेवन से भी हाई ट्राइग्लिसराइड्स का खतरा भी बढ़ सकता है।
होने के क्या स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं?
हाई ट्राइग्लिसराइड्स होने से निम्न स्वास्थ्य जोखिम का खतरा बढ़ सकता हैः
- लीवर से जुड़ी समस्याएं
- पैंक्रियाज (अग्नाशय) से जुड़ी समस्याएं
- ह्रदय से जुड़ी समस्याएं
हालांकि, कई अध्ययनों को लेकर विशेषज्ञों में इस बात को लेकर मरभेद हैं कि, हाई ट्राइग्लिसराइड्स के कारण दिल से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
लेकिन, अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ओबेसिटी की समस्या है, तो उनमें हाई ट्राइग्लिसराइड्स की स्थिति होने की संभावना अधिक हो सकती है।
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हाई ट्राइग्लिसराइड्स (High triglycerides) के लक्षण क्या हैं?
हाई ट्राइग्लिसराइड्स के लक्षण क्या हो सकते हैं, इसके बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। लेकिन, अगर फैमिली हिस्ट्री के कारण इसका जोखिम अधिक बढ़ सकता है।
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कारण
हाई ट्राइग्लिसराइड्स के क्या कारण हो सकते हैं?
गुड एच.डी.एल. शरीर की धमनियों की सफाई करता है। लेकिन, अगर ट्राइग्लिसराइड्स का कारण धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं। हाई ट्राइग्लिसराइड्स के निम्न कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
- ओबेसिटी
- डायबिटीज
- थायरॉयड (हाइपोथायरॉयडिज्म)
- किडनी से जुड़ी बीमारी
- जितनी कैलोरीज बर्न नहीं होतीं, उससे ज्यादा कैलोरी की मात्रा खाना
- अधिक मात्रा में शराब पीना
कुछ तरह की दवाएं भी ट्राइग्लिसराइड्स का लेवल बढ़ा सकती हैं। इन दवाओं में शामिल हैं:
- टेमोक्सीफेन
- स्टेराइड
- बीटा ब्लॉकर्स
- एस्ट्रोजन
- गर्भनिरोधक गोलियां
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निदान
हाई ट्राइग्लिसराइड्स के बारे में पता कैसे लगाएं?
हाई ट्राइग्लिसराइड्स का निदान करने के लिए आपको सबसे पहले अपने दैनिक आहार पर ध्यान देना चाहिए। आमतौर पर इसका सबसे मुख्य कारण आहार में फैट की मात्रा अधिक शामिल करना हो सकता है। इसके अलावा अगर आप लंबे समय तक बैठने वाली जॉब करते हैं, तो भी आपको इसका खतरा अधिक हो सकता है। इसलिए इसका पता लगाने के लिए सबसे पहले आपको अपनी लाइफ स्टाइल से जुड़ी बातों पर गौर करना चाहिए।
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सामान्य तौर पर, ट्राइग्लिसराइड्स लेवल की जांच करने के लिए आपके डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। अगर आपको ऐसी कोई समस्या नहीं भी, तो भी आपको छह माह या एक साल में एक बार जरूर अपने खून की जांच करवानी चाहिए।
रोकथाम और नियंत्रण
हाई ट्राइग्लिसराइड्स को कैसे रोका जा सकता है?
ट्राइग्लिसराइड्स के हाई लेवल से बचने के लिए आप निम्न बातों पर ध्यान दे सकते हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
- आपको अपनी डायट में गुड फैट शामिल करना चाहिए। जैसे- दही, मक्खन, मलाई आदि।
- इसके अलावा कुछ प्रकार के फलों में भी गुड फैट जाया जाता है, जिसमें शामिल हैं- एवोकैडो। आप अपने डॉक्टर से इस बारे में अधिक परामर्श करके अपनी डायट को गुड़ फैट में बदल सकते हैं।
- साथ ही, आपको डीप फ्राईड, ट्रांस फैट और जंक फूड के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि, इनमें शामिल फैट बर्न नहीं हो पाता है। जिसे खाने से आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ सकता है।
- हर दिन कम से कम 1 हजार कदम पैदल चलना चाहिए।
- अपने डेली रूटीन में वर्कआउट, व्यायाम, योग आदि को शामिल करना चाहिए।
- अगर आप अधिक समय तर बैठे रहने वाले जॉब करते हैं, तो कुछ समय या हफ्ते में एक से दो दिन डांसिंग, जॉगिंग, जुम्बा, एरोबिक्स आदि के लिए समय निकाल सकते हैं।
- अगर आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने के तरीकों पर विचार करें।
- अपनी डाइट में शुगर की मात्रा सीमित करें।
- हमेशा एक्टिव लाइफ स्टाइल पर ध्यान दें।
- स्मोकिंग न करें।
- एल्कोहल का सेवन न करें।
- सेक्सुअल लाइफ के लिए गर्भनिरोधक दवाओं की जगह अन्य सुरक्षित विकल्प को अपनाएं।
उपचार
हाई ट्राइग्लिसराइड्स का उपचार कैसे किया जाता है?
हाई ट्राइग्लिसराइड्स का उपचार करने के लिए निम्न विधियां अपनाई जा सकती हैं, जिनमें शामिल हो सकते हैंः
- फाइब्रेट्स ट्राइग्लिसराइड्स के हाई लेवल को कम करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही, ये कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड और मछली का तेल ट्राइग्लिसराइड्स को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकते हैं। आप अपने डॉक्टर की सलाह पर फिश ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, कुछ प्रकार के पौधों से ओमेगा -3 एसिड प्राप्त किया जा सकता है, उनके सेवन के बारे में आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
- ट्राइग्लिसराइड्स के बड़े लेवल को कम करने के लिए शरीर में निकोटिनिक एसिड के उत्पादन पर भी ध्यान दिया जा सकता है। इसके उत्पादन के लिए आप डॉक्टर की सलाह पर दवाओं का सेवन कर सकते हैं।
- खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सुधराने के लिए स्टैटिन का सेवन किया जा सकता है।
- इसके अलावा एचोथ्रेक का सेवन भी कर सकते हैं। यह दवा हाई कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने और ट्राइग्लिसराइड्स को नियंत्रित करने में मददगार हो सकती है।
- इन दवाओं के अलावा, आपके डॉक्टर आपके लिए स्टैटिन, एटोकोर, एटोरवा की भी सलाह दे सकते हैं।
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