के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
हार्मोन असंतुलन (Hormonal Imbalance) का अर्थ है शरीर में किसी भी हार्मोन का स्तर कम या ज्यादा होना। हार्मोन असंतुलन होने पर न सिर्फ हमारी शारीरिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं, बल्कि मानसिक स्थितियों पर भी हार्मोन असंतुलन का गहरा असर पड़ता है। अगर हमारे शरीर में हार्मोन के संतुलन को लेकर थोड़ी सी भी गड़बड़ी होती है, तो हम इस बात को नोटिस कर सकते हैं कि हमारे खाने-पीने की आदत और समय के साथ-साथ, सोने-जागने का भी समय अपने आप ही बदल जाता है। साथ ही, स्ट्रेस भी बढ़ने लगता है और शारीरिक रूप से हमेशा थकान महसूस करने के अलावा, मूड भी हमेशा चिड़चिड़ा बना रह सकता है। हमारे शरीर में कई तरह के हार्मोन्स पाए जाते हैं, जो अलग-अलग शारीरिक क्रियाओं के साथ, मानसिक स्थिति को कंट्रोल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हार्मोन्स एंडोक्राइन ग्रंथि (Endocrine System) से बनने वाले ऐसे रसायन होते हैं, जो खून के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचते हैं और शरीर को अलग-अलग कार्यों को करने के लिए ऑर्डर देते हैं। एक मानव शरीर में कुल 230 हार्मोन्स पाए जाते हैं। जिनमें से कुछ हार्मोन्स, एक-दूसरे हार्मोन्स के उत्पादन और प्रवाह को कंट्रोल करने का भी कार्य करते हैं। अगर इनमें से किसी भी हार्मोन के लेवल में कोई भी गड़बड़ी होती है, तो सबसे पहले शरीर की कोशिकाओं का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। सामान्य तौर पर देखा जाए, तो शरीर में हार्मोन असंतुलन उम्र, जीवनशैली, फिजिकल एक्टीविटीज आदि से आसानी से हो सकता है।
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मनुष्य के शरीर में कार्टिसोल नामक एक स्ट्रेस हार्मोन पाया जाता है, जो शरीर को मानिसक रूप से किसी खतरे की स्थिति में बचने के संकेत देता है। अगर इस कार्टिसोल हार्मोन का लेवल कम ज्यादो हो जाए, तो दिल की धड़कन का कार्य, ब्लड प्रेशर का लेवल और ब्लड में शुगर का लेवल कम या ज्यादा हो सकता है। एक शोध के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने मोबाइल फोन के इस्तेमाल को शरीर में कार्टिसोल के बढ़ते स्तर का सबसे बड़ा कारण बताया है। शोध के मुताबिक, यह दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स प्रभावित कर सकता है, जो हमारे निर्णय लेने और विचार करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा, शरीर में हार्मोन असंतुलन होने के कारण मूड में उतार-चढ़ाव, शरीर के अलग-अलग अंगों में सूजन, महिलाओं में मेनोपॉज, नपुंसकता, छोटा या बड़ा कद, दुबलापन या मोटापा, मुंहासे आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस तरह के शारीरिक बदलावों के अलावा हार्मोन असंतुलन मानसिक गतिविधियों में भी बड़ा बदलाव लाने के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है।
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हार्मोन असंतुलन (Hormonal Imbalance) के लक्षण इस बात पर निर्भर कर सकते हैं कि, आपके शरीर में कौन से हार्मोन या ग्रंथियों के कार्य करने की क्षमता प्रभावित हुई है। हार्मोन इंबैलेंस के लक्षण एक महिला और पुरुष के साथ, बालकों में लड़कियों और लड़कों में भी अलग-अलग हो सकते हैं। जिनका पता लगाने के लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैंः
बच्चों और व्यस्कों यानी सभी लोगों में हार्मोन असंतुलन के निम्न लक्षण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
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महिलाओं में हार्मोन असंतुलन होने पर सबसे पहले उनमें पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) की समस्या देखी जा सकती है। इसकी समस्या पीरियड्स के साइकल से जुड़ी होती है। जिसके कारण पीरियड्स साइकल प्रभावित हो सकता है। जैसे- पीरियड्स न आना, बहुत जल्दी-जल्दी पीरियड्स आना आदि।
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निम्न लक्षणों के दिखाई देने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें, जिनमें शामिल हैंः
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हार्मोन असंतुलन होने के पीछे मल्टी फैक्टोरियल विकार हो सकता है। मल्टी फैक्टोरियल विकार की समस्या कई कारकों के संयोजन के कारण हो सकती है, जैसेः गलत खानपान, मेडिकल स्थिति, आनुवंशिक विकार, तनाव का स्तर और वातावरण आदि। इस तरह के कारण हार्मोन या ग्रंथि को आसानी से प्रभावित कर सकते हैं। हार्मोन असंतुलन के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हो सकते हैंः
इसके अलावा, महिलाओं में हार्मोन असंतुलन के कारण और पुरुषों में हार्मोन असंतुलन के कारण भी अलग-अलग हो सकते हैं, जैसेः
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पुरुषों के पास भी एंडोक्राइन ऑर्गेन्स (Endocrine Organs) और चक्र होते हैं, जिससे उनमें भी हार्मोन असंतुलित हो सकता है।
निम्न स्थितियों में हार्मोन असंतुलन का खतरा बढ़ सकता है, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
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हार्मोनल इम्बेलेंस के कारणों का पता लगाने के लिए आपके डॉक्टर कई तरह के टेस्ट प्रक्रिया की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, टेस्ट से पहले आपके डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे और आपसे कुछ निजी सवाल पूछ सकते हैं, जैसेः
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आपकी शारीरिक स्थिति और लक्षणों के अनुसार आपके डॉक्टर आपको निम्न टेस्ट की सलाह दे सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
ब्लड टेस्ट से आपके शरीर में सभी हार्मोन्स के लेवल की मात्रा का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
पेल्विक टेस्ट महिलाओं के लिए होता है। इसके लिए डॉक्टर पैप स्मीयर (Pap smear) टेस्ट करेंगे जिसकी मदद से किसी प्रकार की असाधारण गांठ, सिस्ट या ट्यूमर आदि का पता लगाया जा सकता है।
अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया के दौरान गर्भाशय, अंडाशय, वृषण, थायरॉइड या पिट्यूटरी ग्रंथि की जांच की जा सकती है।
इसके अलावा डॉक्टर इमेजिंग टेस्ट की भी सलाह दे सकते हैं, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
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हार्मोन असंतुलन होने के जोखिम को कम करने और रोकथाम करने के लिए आपको आपके दैनिक जीवन से जुड़ी गतिविधियों में सुधार लाने की प्रक्रिया पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
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हार्मोनल असंतुलन का उपचार हार्मोनल इम्बेलेंस के कारणों पर निर्भर कर सकता है। जिसके तहत हर व्यक्ति या महिला और पुरुष में हार्मोनल इम्बेलेंस के उपचार की प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है, जिसमें शामिल हो सकते हैंः
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ऐसी महिलाएं जिन्हें हार्मोनल इम्बेलेंस के कारण मासिक धर्म के चक्र की अनियमितता की समस्या हो रही है, वे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन युक्त दवाओं के नियमित सेवन से मासिक धर्म चक्र के लक्षणों को नियंत्रित कर सकती हैं। हालांकि, इसका सेवन सिर्फ उन्ही महिलाओं के लिए उचित हो सकता है जो गर्भधारण के बारे में विचार न कर रही हों। इसके अलावा अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए गर्भनिरोधक की ओरल दवाओं की जगह पर वे, रिंग, पैच, गर्भनिरोधक इंजेक्शन और आईयूडी (IUD) की प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकती हैं। इनके इस्तेमाल से हार्मोनल इम्बेलेंस होने का जोखिम काफी कम हो सकता है।
हार्मोन रिप्लेसमेंट दवाओं की मदद से रजोनिवृत्ति (Menopause) से जुड़े गंभीर लक्षण, जैसे हॉट फ्लैशेस या रात में बहुत ज्यादा पसीना आने की समस्या को अस्थायी रूप से यानी कुछ समय के लिए कम किया जा सकता है।
अगर एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल में हुए उतार-चढ़ाव के कारण कोई महिला योनी में सूखापन के लक्षण महसूस करती है, तो उनके इस लक्षणों को दूर करने के लिए डॉक्टर एस्ट्रोजन क्रीम के इस्तेमाल के सेवन की सलाह दे सकते हैं। इस क्रीम को योनी के ऊतकों पर लगाया जा सकता है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन की ओरल खुरका भी योनी में सूखापन की समस्या को दूर कर सकती है।
एफ्लोरनीथाइन क्रीम चेहरे या शरीर के अन्य हिस्सों के अनचाहे बालों की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकती है। डॉक्टर इसकी सलाह विशेष रूप से उन महिलाओं को दे सकते हैं, जिनके चेहरे पर बाल उगने की समस्या है। इस क्रीम को चेहरे पर इस्तेमाल करने से नए बालों के उगने की गति को धीमा किया जा सकता है। हालांकि, यह क्रीम चेहरे पर उगे हुए बालों से छुटकारा नहीं दिलाती है।
मेटफोर्मिन दवा का सेवन टाइप-2 डायबिटीज के उपचार के लिए किया जा सकता है। यह दवा पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम) (PCOS) के लक्षणों के उपचार में भी मददगार हो सकती हैं। ये दवाएं एंडरोजन हर्मोन के स्तर को कम करती हैं और ऑव्युलेशन (डिंबोत्सर्जन) को बढ़ावा देने में मदद कर सकती हैं।
लेवोथायरोक्सिन युक्त दवाएं, जैसे सिंथोइड (Synthroid) और लेवोथायराइड (Levothroid) दवाएं हाइपोथायराॅयडिज्म के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं।
मेटफोर्मिन और लेवोथायरोक्सिन युक्त दवाओं का सेवन महिला और पुरुष दोनों के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।
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