कार्डिएक मसल टिश्यू (Cardiac muscle tissue) को स्ट्रेंथ और फ्लेक्सिबिलिटी इसके इंटरकनेक्टेड कार्डिएक मसल सेल्स और फाइबर्स से मिलती है। अधिकतर मसल्स सेल्स में एक न्यूक्लियस होता है लेकिन कुछ में यह दो होते हैं। न्यूक्लियस में सेल्स के सभी जेनेटिक मटेरियल होते हैं। कार्डिएक मसल सेल्स में माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria) भी होता है, जिसे अधिकतर लोग “सेल्स का पावरहाउस कहते हैं। ये ऐसे ऑरगॅनेल्स (organelles) हैं, जो ऑक्सीजन और ग्लूकोज को एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (Adenosine triphosphate) के रूप में एनर्जी में परिवर्तित करते हैं। कार्डिएक मसल सेल्स माइक्रोस्कोप में देखने पर स्ट्राइप्ड यानी धारीदार लगते हैं। ये स्ट्राइप्स अल्टेरनेटिंग फिलामेंट्स के कारण होती हैं, जिनमें मायोसिन (Myosin) और एक्टिन प्रोटीन (Actin proteins) होते हैं।
गहरे रंग की धारियां मोटे फिलामेंट्स को दर्शाती हैं, जिनमें मायोसिन प्रोटीन होता है। पतले, हल्के फिलामेंट्स में एक्टिन होता है। जब कार्डिएक मसल सेल्स कॉन्ट्रैक्ट होते हैं तो मायोसिन फिलामेंट, एक्टिन फिलामेंट्स को एक दूसरे की तरफ खींचता है, जो सेल्स के श्रिंक होने का कारण बन सकता है। एक सिंगल मायोसिन फिलामेंट दोनों तरफ दो एक्टिन फिलामेंट से जुड़ता है। यह मसल टिश्यू की सिंगल यूनिट बनाता है, जिसे सार्कमेयर (Sarcomere) कहा जाता है।
इंटरकलेटेड डिस्कस, कार्डिएक मसल सेल्स को जोड़ती है। इंटरकलेटेड डिस्क के अंदर गैप जंक्शंस एक कार्डिएक मसल सेल्स यानी मायोकार्डियम से दूसरे में इलेक्ट्रिकल इम्पल्सेस को रिलीज करते हैं।
डेसमोसोमस (Desmosomes) इंटरकलेटेड डिस्क के भीतर मौजूद अन्य स्ट्रक्चर हैं। ये कार्डिएक मसल फाइबर को एक साथ रखने में मदद करते हैं। अब जानते हैं कि कार्डिएक मसल टिश्यू (Cardiac muscle tissue) को किन कंडिशंस से प्रभाव पड़ता है?
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कार्डिएक मसल टिश्यू (Cardiac muscle tissue) को कौन सी कंडिशंस प्रभावित करती हैं?