एक व्यक्ति का पल्स प्रेशर हमेशा एक जैसा रहे, यह जरूरी नहीं है। दिन भर में व्यक्ति का पल्स प्रेशर थोड़ा बहुत बदल सकता है। पल्स प्रेशर का घटना या फिर बढ़ना शारीरिक गतिविधियों पर भी निर्भर करता है जैसे कि फिजिकल एक्टिविटी, खाना या फिर कुछ पीना, बातें करना, हंसना आदि के दौरान पर प्रेशर में परिवर्तन हो सकता है। अगर आपको एक्यूरेट प्रेशर की जानकारी चाहिए, तो इसके लिए आपको दिन में दो बार पल्स की रीडिंग जरूर लेनी चाहिए। आपको रोजाना सेम टाइम में पल्स प्रेशर चेक करना चाहिए। आपको पल्स प्रेशर की कम से कम 2 रीडिंग 2 मिनट के अंतराल पर लेनी चाहिए और रोजाना आप जो भी पल्स प्रेशर ले रहे हैं, उसका रिकॉर्ड भी रखें। अगर आपको पल्स प्रेशर में अधिक अंतर नजर आता है, तो आपको डॉक्टर से इस बारे में परामर्श जरूर करना चाहिए।
सिस्टोलिक और डायस्टोलिक (systolic and diastolic blood pressure) प्रेशर के बीच में नैरो रेंज को नैरो पल्स प्रेशर के नाम से जाना जाता है। वहीं हाय पल्स प्रेशर को वाइड पल्स प्रेशर के नाम से भी जाना जाताहै। पल्स प्रेशर पर हाय ब्लड प्रेशर का भी प्रभाव दिखाई पड़ता है। हाय ब्लड प्रेशर ट्रीटमेंट के लिए ली जाने वाली दवाएं भी पल्स प्रेशर को प्रभावित करती हैं। नाइट्रेट का सेवन करने से सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों ही ब्लड प्रेशर लेवल पर प्रभाव पड़ता है। एक अध्ययन में यह भी पाया गया है कि फोलिक एसिड (Folic Acid) के साथ सप्लीमेंटेशन लेने से पुरुषों में सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अगर उन लोगों को कोई भी हेल्थ संबंधी कंडीशन नहीं है, तो भी उनमें यह बदलाव पाया गया है। आपको डॉक्टर से इस बारे में अधिक जानकारी लेनी चाहिए।
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पल्स प्रेशर को कैसे कर सकते हैं मैनेज?