हार्ट यानी दिल को सर्वाइव करने के लिए सबसे जरूरी अंग माना जाता है। यह हमारे सर्कुलेटरी सिस्टम का हिस्सा है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त ब्लड को पंप करता है। लेकिन, कई बार हार्ट में कोई समस्या इसके काम करने में बाधा बन सकती है। हार्ट कंडिशंस में एक परेशानी को हार्ट पल्पिटेशन के नाम से जाना जाता है। हार्ट पल्पिटेशन हार्ट बीट से जुड़ा रोग है। आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating) के बारे में। खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating) से पहले हार्ट पल्पिटेशन (Heart Palpitation) किसे कहते हैं, यह जान लेते हैं।
हार्ट पल्पिटेशन क्या है? (Heart Palpitations)
कोई व्यक्ति हार्ट पल्पिटेशन (Heart Palpitation) की परेशानी तब महसूस कर सकता है, तब उसे ऐसा लगता है कि उसके दिल ने एक बीट को स्किप कर दिया है या उसे किसी अतिरिक्त बीट का अनुभव हुआ है। इसमें रोगी ऐसा महसूस करता है जैसे उसका हार्ट बहुत तेज या हार्ड बीट कर रहा है। इस परेशानी को रोगी छाती, गर्दन में भी महसूस कर सकता है। हालांकि, यह फीलिंग डरा देने वाली हो सकती है। लेकिन, यह गंभीर या नुकसानदायक नहीं मानी जाती है। समय के साथ यह परेशानी खुद ही ठीक हो जाती है। अधिकतर मामलों में इसका कारण स्ट्रेस और एंग्जायटी को माना जाता है। लेकिन, इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। दुर्लभ मामलों में पल्पिटेशन किसी गंभीर हार्ट कंडिशन का लक्षण हो सकता है। अब जानते हैं खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating) के बारे में।
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खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating): पाएं इसके बारे में पूरी जानकारी
अगर किसी को खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating) की समस्या का सामना करना पड़ता है, तो हो सकता है कि हाल ही में रोगी ने जो खाना खाया है या जिस पेय पदार्थ का सेवन किया है, वो इसका कारण हो। हालांकि, यह किसी अंडरलायिंग मेडिकल कंडिशन के कारण भी हो सकता है। जानते हैं कि खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitation) के क्या कारण हो सकते हैं।
खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स के कारण (Causes of Heart Palpitations After Eating)
जिस आहार और पेय पदार्थ का सेवन पीड़ित व्यक्ति ने किया हो, उसे इस समस्या का मुख्य कारण माना जाता है। इसके अलावा इसके अन्य कारण इस प्रकार हैं:
एल्कोहॉल (Alcohol)
व्यक्ति किसी खास आहार या पेय पदार्थ का सेवन करने के बाद इस समस्या का अनुभव कर सकता है। एल्कोहॉल को हार्ट रेसिंग और हार्ट रिदम में चैंजेस का मुख्य कारण माना जाता है। हालांकि, डॉक्टर्स को इस बात के बारे में पूरी जानकारी नहीं है कि एल्कोहॉल हार्ट को इस तरह से क्यों प्रभावित करती हैं। शोध यह भी बताते हैं कि कार्डियक एरिथमिया (Cardiac Arrhythmias) से पीड़ित लोगों को हार्ट पल्पिटेशन्स की संभावना अधिक रहती है।
कैफीन (Caffeine)
कैफीन वो दूसरा फूड जिसके बारे में डॉक्टर को लगता है कि यह भी हार्ट पल्पिटेशन का कारण बन सकती है। कैफीन युक्त आहार हैं कॉफी, एस्प्रेसो-बेस्ड ड्रिंक्स, सोडा, चाय, चॉकलेट, कुछ एनर्जी ड्रिंक्स आदि।
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इंडिविजुअल रिएक्शंस (Individual reactions)
खास खाद्य व पेय पदार्थों के प्रति लोगों के इंडिविजुअल रिएक्शंस भी हो सकती हैं, जिसके कारण विभिन्न लक्षण नजर आ सकते हैं। इन लक्षणों में हार्ट पल्पिटेशन्स भी शामिल हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर इस बात की सलाह देते हैं कि अगर कोई व्यक्ति किसी खास चीज का सेवन करने के बाद लक्षणों को नोटिस करे, तो उसके बाद उसे इस बात को मॉनिटर करना चाहिए कि कब वो उस चीज को खा या पी रहे हैं और उसके बाद वो कब हार्ट पल्पिटेशन (Heart Palpitation) के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं।
खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating): दवाईयां (Medications)
कुछ दवाईयां भी इस परेशानी का कारण हो सकती हैं। सर्दी-जुकाम, एलर्जी और अस्थमा की दवाईयों में फीनाइलेफ्रीन (Phenylephrine) या स्यूडोएफीड्रीन (Pseudoephedrine) होते हैं जो हार्ट रेट में बढ़ोतरी का कारण बन सकते हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोग ब्लड शुगर लेवल को लो करने के लिए इंसुलिन का इस्तेमाल करते हैं। अगर खाने के बाद अधिक इंसुलिन के इस्तेमाल के कारण ब्लड शुगर लेवल लो हो जाए, तो वो हार्ट पल्पिटेशन का अनुभव किया जा सकता है। कुछ एंटीबायोटिक्स भी इसकी वजह बन सकती हैं।
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सप्लीमेंट्स (Supplements)
कुछ लोग खाने से पहले या बाद में डायट्री सप्लीमेंट्स लेते हैं, इससे भी हार्ट रेट पर असर हो सकता है। जो न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट हार्ट रेट को प्रभावित कर सकते हैं, इनमें से कुछ प्रकार हैं:
- बिटर ऑरेंज (Bitter orange)
- एफीड्रा (Ephedra)
- जिनसेंग (Ginseng)
- वैलेरियन (Valerian)
यह तो थे खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating) के बारे में जानकारी। कुछ लोगों को खाने से पहले या बाद में सिगरेट स्मोकिंग की भी आदत होती है, जो इस परेशानी का कारण बन सकती है। कोकीन, निकोटीन और कैनाबिस को भी इसकी एक वजह माना जाता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। अब जानते हैं कि कैसे संभव है इस समस्या का निदान और उपचार?
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खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स(Heart Palpitations After Eating): कैसे संभव है इसका निदान?
हार्ट पल्पिटेशन (Heart Palpitation) का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके बाद उसकी फिजिकल जांच की जाती है और रोगी से उनकी मेडिकल हिस्ट्री और लाइफस्टाइल के बारे में भी जाना जाता है। इसके अलावा उन्हें ब्लड टेस्ट और कुछ अन्य टेस्ट की सलाह भी दी जा सकती है, जैसे:
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
- हॉल्टेर मॉनिटरिंग (Holter monitoring)
- चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray)
- इवेंट रिकॉर्डिंग (Event recording)
- एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
इसके बाद इसके इलाज के बारे में विचार किया जाएगा। आइए, जानें इस समस्या के उपचार के बारे में।
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हार्ट पल्पिटेशन का उपचार (Treatment for heart palpitations)
हार्ट पल्पिटेशन का सबसे लाभदायक ट्रीटमेंट ऑप्शन इस बात पर निर्भर करता है कि इसका कारण क्या है? अगर डॉक्टर को लगता है कि यह समस्या आपकी सेहत के लिए गंभीर खतरा नहीं है, तो वो आपको अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव के लिए कहेंगे। उदाहरण के लिए अगर आप खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating) का अनुभव करते हैं, तो आपको अपनी फूड हैबिट्स को रिकॉर्ड करने और ट्रिगर्स पर नजर रखने से लाभ होगा। भविष्य में इन्हें नजरअंदाज करना भी इस परेशानी से राहत पाने में फायदेमंद है। अन्य लाइफस्टाइल चेंजेज जैसे स्मोकिंग और एल्कोहॉल छोड़ना आदि से भी रोगी को मदद मिल सकती है।
किंतु,अगर रोगी के लिए यह समस्या गंभीर है, तो डॉक्टरों रोगी को बीटा ब्लॉकर (Beta-blocker) या कैल्शियम चैनल ब्लॉकर (Calcium channel blocker) की सलाह दी जाती है। यह एंटीएरिदमिक ड्रग्स (Antiarrhythmic drugs) हैं। इससे शरीर में ब्लड फ्लो सुधरता है, जिससे हार्ट रेट इवन और रेगुलर रहती है। अक्सर यह दवाएं कुछ ही घंटों में मददगार साबित होती हैं। लेकिन एरिथमिया (Arrhythmia) से जुड़ी कंडिशंस को सही होने में कई महीनों से सालों तक का समय लग सकता है।
अगर रोगी को यह समस्या लाइफ थ्रेटनिंग हो, तो डॉक्टर डिफाइब्रिलेटर (Defibrillator) या पेसमेकर (Pacemaker) की सलाह दे सकते हैं, ताकि हार्ट को फिर से सामान्य रिदम में जाने में मदद मिल सके। इन उपचारों से रोगी को तुरंत फायदा होता है। डॉक्टर रोगी में हार्ट पल्पिटेशन (Heart Palpitation) का इलाज जारी रखने के लिए कुछ दिन या कुछ साल रोगी को लगातार मॉनिटर कर सकते हैं।
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यह तो थी जानकारी खाने के बाद हार्ट पल्पिटेशन्स (Heart Palpitations After Eating) के बारे में। यह समस्या आमतौर पर कुछ ही समय में खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन, कुछ मामलों में यह समस्या कुछ मिनटों या उससे भी अधिक समय तक रह सकती है। इसके साथ ही रोगी छाती में दर्द का अनुभव भी कर सकता है। ऐसा हो सकता है कि यह समस्या किसी मेडिकल कंडिशन के कारण हो जैसे एनीमिया, डिहायड्रेशन, ब्लड लॉस, लो ब्लड शुगर लेवल आदि।
ऐसे में इन रोगों के इलाज से भी हार्ट पल्पिटेशन (Heart Palpitation) का इलाज हो सकता है। अगर आप स्ट्रेस में हैं तो कुछ थेरेपीज जैसे योगा, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग आदि से भी रोगी को लाभ होगा। इसके साथ ही अधिक से अधिक तरल पदार्थों के सेवन की भी सलाह दी जाती है। इस समस्या से संबंधित अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य बात करें।
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