कोरोना वायरस पहली महामारी नहीं है, जिसने विश्व को हिलाकर रख दिया है। इससे पहले भी कई महामारी विश्व में कई लाख और करोड़ लोगों की जान गंवाने का कारण बन चुकी हैं। इसी तरह की एक महामारी थी ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) यानी टीबी। जो कि 1800 से लेकर 2000 तक कई करोड़ लोगों की जान ले चुका है। कोरोना वायरस से अलग टीबी एक बैक्टीरिया की वजह से होता है और यह एक हवा में फैलने वाली बीमारी है। जिससे साफ होता है कि एक समय में यह कोरोना वायरस से भी जानलेवा साबित हुई होगी। लेकिन, आपको बता दें कि 1950 के आसपास कई विकसित देशों ने इस महामारी पर नियंत्रण पाने में सफलता प्राप्त की, जिसमें अमेरिका भी शामिल था। अमेरिका ने टीबी से लड़ाई के लिए एक खास तरीका अपनाया था। क्या वह तरीका वर्तमान में फैल रही कोरोना वायरस की महामारी के लिए भी प्रभावी हो सकता है।
यह भी पढ़ें: अगर आपके आसपास मिला है कोरोना वायरस का संक्रमित मरीज, तो तुरंत करें ये काम
टीबी से लड़ाई से पहले जानते हैं टीबी के बारे में
जैसा कि हमने बताया कि टीबी कोरोना वायरस से अलग एक बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है और यह हवा के जरिए फैलती है। इसका मतलब है कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा बाहर छोड़ी गई सांस या खांसी के द्वारा निकले बैक्टीरिया किसी स्वस्थ व्यक्ति को टीबी से संक्रमित कर सकते हैं। हालांकि, कोविड-19 या किसी अन्य फ्लू के मुकाबले यह धीरे-धीरे शरीर को प्रभावित करती है, लेकिन इससे मरने वालों की संख्या काफी अधिक रही है। अगर टीबी का इलाज न किया जाए तो यह 80 प्रतिशत बीमार लोगों में मौत का कारण बन सकती है। टीबी से लड़ाई इस कारण बहुत मुश्किल हो गई थी, क्योंकि उस समय इसका प्रभाव काफी अधिक बढ़ गया था और इसे नियंत्रित करने के लिए कोई प्रभावशाली दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी। हालांकि, अब भी टीवी की वजह से गरीब देशों में हजारों जानें जाती हैं, लेकिन अधिकतर विकसित और विकासशील देशों ने इस बीमारी पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया है। जो कि मुख्यतः 1950 से लेकर 1970 के आसपास तक किया गया।
यह भी पढ़ें: शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाकर कोरोना वायरस से करनी होगी लड़ाई, लेकिन नींद का रखना होगा खास ध्यान
अमेरिका का टीबी से लड़ाई का तरीका क्या था
अमेरिका ने निष्कर्ष निकाला कि, टीबी को खत्म करने के लिए सभी की जिंदगी को अनिश्चितकाल के लिए रोक देना निष्कर्ष नहीं है। टीबी का फैलाव रोकने के लिए हमें सिर्फ अस्पतालों में चल रहे इलाज पर आश्रित नहीं रहना है, बल्कि हमें समाज में जाकर इसे जड़ से खत्म करना होगा, जहां लोग काम कर रहे हैं या रह रहे हैं। इसी नजरिए की मदद से अमेरिका जैसे विकसित देशों ने टीबी की बीमारी को रोका और एक समय में सबसे ज्यादा मौतों का कारण बनने वाले बैक्टीरिया को छोटे से संक्रमण के रूप में नियंत्रित कर लिया।
जानें क्या है सर्च, ट्रीट एंड प्रीवेंट
टीबी से लड़ाई में अमेरिका ने ‘सर्च, ट्रीट एंड प्रीवेंट’ नियम अपनाया, यानी ढूंढो, इलाज करो और रोकथाम करो। इस प्लान के अंतर्गत हेल्थ एजेंसियां घर-घर जाकर बीमार लोगों की तलाश करती थी और उनके संपर्क में आने वाले लोगों के बारे में भी पता लगाती थी और इसके बाद उनका स्किन टेस्ट और चेस्ट एक्सरे करवाती थी। इसके लिए अधिकतर समय वो मोबाइल वैन का इस्तेमाल भी करती थी। टीबी की पहचान हो जाने के बाद वह बीमार लोगों का पहले खाना, आराम और बेसिक नर्सिंग केयर और बाद में दवाइयों की मदद से इलाज करती थी। इसके बाद उन्होंने टीबी की रोकथाम के लिए प्रीवेंटिव थेरिपी अपनाई और गंभीर बीमार होने से पहले ही लोगों का इलाज किया। जिसके बाद अमेरिका जैसे कई देशों ने टीबी की रोकथाम काफी प्रभावशाली ढंग से की।
यह भी पढ़ें: अगर जल्दी नहीं रुका कोरोना वायरस, तो ये होगा दुनिया का हाल
टीबी से लड़ाई का तरीका कोरोना से निपटने में करेगा मदद?
दरअसल, कोरोना वायरस के कुछ मामले ऐसे भी सामने आ रहे हैं, जिसमें संक्रमित व्यक्ति के अंदर कोई लक्षण न दिखने पर भी उसके द्वारा यह बीमारी फैल रही है। ऐसे में यह महामारी काफी गंभीर रूप ले सकती है और इसके इलाज व रोकथाम में काफी समय लग सकता है। ऐसे में अमेरिका का टीबी से लड़ाई वाला सर्च, ट्रीट और प्रीवेंट वाला तरीका अपनाकर कोरोना वायरस को फैलने से काफी हद तक रोका जा सकता है। क्योंकि, इसे खत्म करने के लिए सिर्फ आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारेंटाइन सेंटर ही काफी नहीं है। कोरोना वायरस के कारण तेजी से दुनिया में बदलाव आ रहा है। बहुत जरूरी है कि सभी लोग सावधानी रखें।
[covid_19]
यह भी पढ़ें: क्या हवा से भी फैल सकता है कोरोना वायरस, क्या कहता है WHO
कोरोना वायरस से सावधानी
टीबी से लड़ाई के बाद पूरे विश्व के सामने कोरोना वायरस से सामना करने की चुनौती है। इस वजह से कोरोना वायरस इंफेक्शन से बचने के लिए भारत सरकार ने लोगों के लिए कुछ सलाह दी है। सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन के साथ इन एहतियात रूपी सलाह को फॉलो करने से आप कोरोना वायरस संक्रमण से काफी हद तक बच सकते हैं।
- हाथों का साफ होना बहुत जरूरी है, ताकि कोरोने के संक्रमण का खतरा कम हो जाए।
- बेवजह घर के बाहर निकलना खतरनाक हो सकता है। जब जरूरत हो तभी सुरक्षा के साथ घर के बाहर निकले।
- आंखों, नाक और मुंह के जरिए ही कोरोना का संक्रमण फैलता है, हाथों को साफ करके ही इन्हें छुएं।
- अगर आपको छींक या खांसी आती है तो मुंह में हाथ जरूर लगाएं या रूमाल का यूज करें।
- बुखार, खांसी या सांस लेने में दिक्कत आदि कोरोना के लक्षण हैं, इन्हें इग्नोर न करें।
- अगर आपको समस्या महसूस हो रही है तो लापरवाही न करें। तुरंत इस बारे में डॉक्टर को बताएं।
- मास्क का उपयोग जरूर करें। एल्कोहॉल बेस्ड हैंड रब या फिर साबुन का यूज कर पहले हाथ साफ करें और फिर मास्क को छुएं।
- मास्क को सावधानी से लगाना बहुत जरूरी है। मास्क को आगे की ओर से न छुएं।
- कपड़ें का मास्क दोबारा धोकर यूज किया जा सकता है।
- अगर मास्क डिस्पोजल है तो उसे डस्टबिन में फेंक दें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
और पढ़ें :-
कोरोना के दौरान सोशल डिस्टेंस ही सबसे पहला बचाव का तरीका
कोविड-19 है जानलेवा बीमारी लेकिन मरीज के रहते हैं बचने के चांसेज, खेलें क्विज
ताली, थाली, घंटी, शंख की ध्वनि और कोरोना वायरस का क्या कनेक्शन? जानें वाइब्रेशन के फायदे
कोराना के संक्रमण से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोना है जरूरी, लेकिन स्किन की करें देखभाल