backup og meta

सबका ध्यान कोरोना पर ऐसे में कोहराम न मचा दें बरसात में होने वाली बीमारियां

सबका ध्यान कोरोना पर ऐसे में कोहराम न मचा दें बरसात में होने वाली बीमारियां

जैसे-जैसे देश भर में ह्यूमिडिटी बढ़ रही है और देश के कई हिस्सों में बारिश शुरू हो गई है, वैसे-वैसे बरसात में होने वाली बीमारियां भी पैर पसारना शुरू कर सकती हैं। और विशेषज्ञों की माने तो महामारी के चलते किसी का ध्यान मच्छर और टिक मैनेजमेंट की तरफ नहीं जा रहा है, जिससे लोग लाइम रोग जैसी बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। स्वास्थ्य विभाग कोरोना वायरस को कम करने के लिए संसाधन डाल रहे हैं और पेस्ट कंट्रोल को सीमित करने के लिए मजबूर हो गए हैं। जैसे ही कोविड-19 हिट हुआ, सारी दूसरी मौसमी बिमारियों की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा है। दूसरी तरफ, कोविड-19 की प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने से पेस्ट कंट्रोल सर्विसेज में भी कमी आई है। इससे मच्छर और अन्य टिक्स इस बारिश के मौसम के दौरान बढ़ सकते हैं। इसी के साथ ही बरसात में होने वाली बीमारियां भी बढ़ सकती हैं।

हालांकि, कोरोना वायरस कीड़े द्वारा नहीं फैलाया जा सकता है। लेकिन, मच्छर और टिक्स कई अन्य हानिकारक बीमारियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए जाने जाते हैं, जिसमें वेस्ट नाइल वायरस (West Nile virus), लाइम रोग और पूर्वी इक्वाइन इंसेफेलाइटिस (ईईई) वायरस शामिल हैं। सीडीसी के अनुसार, 2004 से 2016 के दौरान 13 वर्षों में रिपोर्ट किए गए 640,000 से अधिक मामलों के साथ, संक्रमण का खतरा समय के साथ बढ़ गया है। वेक्टर जनित बीमारियां अमेरिका में तीन गुना बढ़ गई हैं। वहीं, 2019 में, ईईई के अधिक मामले सामने थे।

और पढ़ें : 10 रविवार के 10 मिनट कर सकते हैं डेंगू का सफाया

लाइम डिजीज (Lyme disease)

लाइम रोग, लाइम बोरेलियाऑसि‍स (Lyme Borreliosis) के नाम से भी जाना जाता है। लाइम रोग के लक्षण 3 से 30 दिनों के अंदर-अंदर दिखने लगते हैं। आमतौर पर इसके लक्षण फ्लू के लक्षणों से मिलते हैं। बुखार आना, ठंड लगना, त्‍वचा पर लाल चक्क्ते पड़ना, सिरदर्द, थकान, मांसपेश‍ियों में दर्द आदि संकेत देखने को मिलते हैं।

और पढ़ें : बुजुर्गों का इम्यून सिस्टम ऐसे करें मजबूत, छू नहीं पाएगा कोई वायरस या फ्लू

वेक्टर-जनित रोग

वेक्टर्स जीवित जीव हैं जो मनुष्यों के बीच या जानवरों से मनुष्यों के बीच संक्रामक रोगजनकों को संचारित कर सकते हैं। वेक्टर जनित बीमारियां परजीवी, वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारियां हैं जो वैक्टर द्वारा फैलती हैं। हर साल मलेरिया, डेंगू, सिस्टोसोमियासिस (schistosomiasis),  हयूमन अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस (human African trypanosomiasis), लीशमैनियासिस (leishmaniasis), चगास रोग (Chagas disease), पीत ज्वर (yellow fever), जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese encephalitis) और ऑन्कोसेरिएसिस (onchocerciasis) जैसी बीमारियों से 700,000 से अधिक मौतें होती हैं। ये रोग ट्रॉपिकल और सबट्रॉपिकल क्षेत्रों में सबसे अधिक है और ये ज्यादातर गरीब आबादी को प्रभावित करते हैं। 2014 के बाद से, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, येलो फीवर और जीका के प्रकोप से देश की एक बड़ी आबादी को पीड़ित किया है।

और पढ़ें : World Malaria Day : जानें क्या हैं मलेरिया के लक्षण, बचाव और इलाज ?

मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां

एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर मुख्य वेक्टर है। येलो फीवर, डेंगू बुखार, मायारो, चिकनगुनिया, जीका बुखार, रिफ्ट वैली फीवर (Rift Valley fever) और अन्य मच्छरों से फैलने वाले रोग हैं। इनमें डेंगू सबसे अधिक प्रचलित वायरल संक्रमण है। 129 से अधिक देशों में 3.9 बिलियन से अधिक लोगों को डेंगू से पीड़ित होने का खतरा है और हर साल अनुमानित डेंगू बुखार से 40,000 लोगों की मौत होती है। अचानक से तेज बुखार आना, अत्यधिक सिरदर्द होना, आंखों में तेज दर्द, थकान, मांसपेशियों और जोड़ों में तेज दर्द, उल्टी आना, त्वचा पर लाल निशान पड़ना, प्लेटलेट्स कम होना आदि डेंगू के मुख्य लक्षण हैं।

चिकनगुनिया

एशिया, अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप के 60 से भी ज्यादा देशों पाया जाता है। किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित करने वाला यह बुखार मच्छरों से फैलने वाले रोग में से एक है। वेक्टर-जनित रोग वायरस के संक्रमण के कारण होता है। संक्रमित मच्छर के काटने से आमतौर पर 4 और 8 दिनों के बीच दिखाई देते हैं। बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, जी मिचलाना, लाल चकत्ते, थकान, मांसपेशियों में दर्द जैसे कई चिकनगुनिया के लक्षण देखने को मिलते हैं।

और पढ़ें : डेंगू से बचाव के उपाय : इन 6 उपायों से बुखार होगा दूर और बढ़ेगा प्लेटलेट्स काउंट

येलो फीवर

पीला बुखार संक्रमित मच्छरों द्वारा प्रसारित एक तीव्र वायरल रक्तस्रावी बीमारी (हैमरैजिक रोग) है। पीड़ित कुछ रोगियों में पीलिया के लक्षण भी दिखाई पड़ते हैं। येलो फीवर के लक्षणों में बुखार, मतली, उल्टी, सिरदर्द, पीलिया, मांसपेशियों में दर्द और थकान शामिल हैं।

मलेरिया

मानसून और मलेरिया एक दूसरे के साथ बढ़ते हैं। जब बारिश होती है, तो पानी भरा रहता है जो कि मच्छरों के प्रजनन की प्रक्रिया में मदद करता है। ऐसे में भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बारिश के वक्त मलेरिया होने की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो परजीवियों के कारण होती है जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में पहुंच जाती है। 2018 में, दुनिया भर में मलेरिया के अनुमानित 228 मिलियन मामले थे। वहीं, 2018 में मलेरिया से होने वाली मौतों की अनुमानित संख्या चार लाख से ऊपर थी। बात की जाए विश्वभर की तो दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली मौतों का प्रतिशत 67% है। मलेरिया के लक्षण आमतौर पर बुखार, थकान, उल्टी और सिरदर्द हैं।

और पढ़ें : मलेरिया से जुड़े मिथ पर कभी न करें विश्वास, जानें फैक्ट्स

बरसात में होने वाली बीमारियां : कोल्ड और फ्लू

मानसून के दौरान होने वाले तापमान में भारी उतार-चढ़ाव के चलते शरीर बैक्टीरिया और वायरल के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप सर्दी और फ्लू होता है। यह वायरल संक्रमण का सबसे आम रूप है। इसलिए, शरीर की रक्षा के लिए, अत्यधिक पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए और प्रतिरक्षा को मजबूत करना चाहिए। इससे शरीर जारी विषाक्त पदार्थों के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करके कीटाणुओं से लड़ सकता है और काफी हद तक दूसरी भी सीजनल बिमारियों (seasonal diseases) से बचा जा सकता है।

लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis)

मौसमी बीमारियों में लेप्टोस्पायरोसिस ऐसी ही एक डिजीज है जो मानसून के दौरान बढ़ जाती है। साल 2013 में भारत में इस रोग ने पैर पसारे थे। अब हर साल इस बीमारी के कारण लगभग पांच हजार से ज्यादा लोग इसके प्रभाव में आते हैं। लेप्टोस्पायरोसिस जानवरों के यूरिन-स्टूल से फैलने वाले लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया की वजह से होती है। इससे इंसान के साथ-साथ यूरिन के संपर्क में आने से पालतू जानवर और चूहे भी संक्रमित होते हैं। बारिश के मौसम इस इंफेक्शन के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। हाई फीवर (आमतौर पर 38 और 40 ° C (100.4-104 ° F) के बीच होता है), अचानक सिरदर्द, ठंड लगना, मतली और उल्टी, भूख में कमी, पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों में दर्द, खांसी आदि इसके आम लक्षण हैं।

और पढ़ें : मानसून में खाना कैसा होना चाहिए, किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

हैजा (Cholera)

हैजा एक संक्रामक बीमारी है जो विब्रियो कोलेरी नामक जीवाणु के कारण होती है। दूषित भोजन या पानी पीने की वजह से होता है। मौसमी बिमारियों में हैजा, डायरिया का कारण बनती है, जो डिहायड्रेशन और यहां तक ​​कि अगर अनुपचारित रहे तो मौत का भी कारण बन सकती है। गंभीर बीमारी वाले संक्रमित व्यक्ति में दस्त, उल्टी और लेग क्रैंप्स जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

टाइफाइड

टाइफाइड बुखार दूषित भोजन और पानी की वजह से होता है। यह साल्मोनेला टाइफी जीवाणु से फैलता है। लंबे समय तक बुखार, सिरदर्द, मतली, भूख न लगना और कब्ज या कभी-कभी दस्त जैसे कई लक्षण देखने को मिलते हैं। गंभीर मामलों में इससे ग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। हाल के अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में 11 से 21 मिलियन मामलों में एक लाख 28 हजार से लेकर एक लाख 61 हजार टाइफाइड से संबंधित मौतें हर साल होती हैं।

और पढ़ें : बच्चों में टाइफाइड के लक्षण को पहचानें, खतरनाक हो सकता है यह बुखार

हेपेटाइटिस ए

कई तरह की बरसात में होने वाली बीमारियों की तरह हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A) भी संक्रमण दूषित भोजन और पानी के कारण होता है जो मुख्य रूप से लिवर को प्रभावित करती है। हेपेटाइटिस ए के कुछ सामान्य लक्षण बुखार, उल्टी, दाने आदि दिखाई देते हैं। हालांकि, उचित स्वच्छता बनाए रखना इस स्थिति के जोखिम को कवर कर सकता है।

और पढ़ें : Hepatitis : हेपेटाइटिस क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

बरसात में होने वाली बीमारियां और उनसे बचाव

गर्म, आर्द्र और गीला मौसम सूक्ष्म जीवों के प्रजनन के लिए अनुकूल होता है जिससे इनकी संख्या में बढ़ोतरी बहुत तेजी से होती है। इससे कई तरह के श्वसन तंत्र के रोग और त्वचा में इंफेक्शन भी होता है।

  • जो लोग बीमार हैं उनसे क्लोज कॉन्टैक्ट से बचें।
  • किसी भी जगह जैसे-गमले, कूलर, छत आदि पर पानी न भरने दें।
  • सुरक्षित और साफ पानी पिएं।
  • उचित स्वच्छता बनाए रखें और खाने को ठीक तरीक से पकाएं।
  • नियमित अंतराल पर हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
  • घास वाले क्षेत्रों में जाते समय जूते, लंबी पैंट, मोजे और लंबी आस्तीन वाली शर्ट पहनें। साथ ही जितना हो सके ऐसी जगह जाने से बचने की कोशिश करें।
  • जरूरत पड़ने पर इंसेक्ट रिपेलेंट अप्लाई करें।
  • गार्डन में कीटनाशक का इस्तेमाल करें ताकि टिक्स वहां पनपने न पाएं।
  • इसके साथ ही हेल्दी हैबिट्स डेवेलप करें जैसे- शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, भरपूर नींद लें, स्ट्रेस मैनेज करें, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें और पौष्टिक आहार लें।

हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Dengue control. https://www.who.int/denguecontrol/mosquito/en/. Accessed On 23 June 2020

Yellow fever. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/yellow-fever#:~:text=Yellow%20fever%20is%20an%20acute,%2C%20nausea%2C%20vomiting%20and%20fatigue. Accessed On 23 June 2020

Malaria. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/malaria. Accessed On 23 June 2020

Leptospirosis. https://www.nhp.gov.in/disease/leptospirosis. Accessed On 23 June 2020

Vector-borne diseases. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/vector-borne-diseases. Accessed On 23 June 2020

Lyme Disease. https://www.cdc.gov/lyme/index.html. Accessed On 23 June 2020

Typhoid. https://www.who.int/immunization/diseases/typhoid/en/. Accessed On 23 June 2020

Cholera. https://www.nhp.gov.in/disease/digestive/intestines/cholera. Accessed On 23 June 2020

 

 

 

Current Version

16/08/2020

Shikha Patel द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Sanket Pevekar


संबंधित पोस्ट

अपनाएं ये टिप्स और पाएं मच्छरों से संपूर्ण सुरक्षा

घर में ही बनाएं मच्छर मारने की दवा, आसान है प्रॉसेस


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 16/08/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement