शोध में वैज्ञानिकों ने देखा कि आइवरमेक्टिन दवाई के कारण केवल 24 घंटों में वायरस की संख्या में बहुत कमी हो गई। इतना ही नहीं, इसके अगले 24 घंटों में नोवल कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-19) पूरी तरह खत्म हो गया। वैज्ञानिकों ने यह परीक्षण पेट्री डिश में किया था। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस दवाई में शक्तिशाली एंटीवायरल तत्व होते हैं, जो लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है। वैज्ञानिकों ने शोध के अंत में पाया कि आइवरमेक्टिन की केवल एक खुराक ने वायरस को सफलतापूर्वक खत्म कर दिया। शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि कोविड-19 को 48 घंटे से भी कम समय में पूरी तरह से खत्म करना एक बेहतर परिणाम है।
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कोरोना वायरस का ड्रग आइवरमेक्टिन : शोध के परिणाम से उत्साहित हुए वैज्ञानिक
अभी दुनिया भर के वैज्ञानिक नोवल कोरोना वायरस संक्रमण को कम करने और कोविड-19 को खत्म करने के उपाय ढूंढ़ने में जुटे हैं, लेकिन अभी तक किसी को भी कामयाबी नहीं मिली है। इस परिस्थिति में इस अध्ययन की सफलता को दुनिया भर में आशा की किरण के रूप में देखा जा रहा है। इन वैज्ञानिकों की दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
कोरोना वायरस का ड्रग आइवरमेक्टिन : मानव परीक्षण की सफलता का इंतजार
शोधकर्ताओं का कहना है कि वैसे तो आइवरमेक्टिन दवाई मानव के उपयोग के लिए सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन इसका नोवल कोरोना वायरस संक्रमण वाले रोगियों पर कितना असर होता है, यह देखने की बात है। इस बात की जांच करना अभी बाकी है और जांच की जा रही है। अगर जांच में आइवरमेक्टिन दवाई का मानव परीक्षण सफल हो जाता है, तो यह कोरोना वायरस की दवा बन सकता है और इससे नोवल कोरोना वायरस संक्रमण को खत्म किया जा सकता है।
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कोरोना वायरस का ड्रग आइवरमेक्टिन : दवाई में न्यूक्लियर ट्रांसपोर्ट को रोकने की क्षमता
आइवमेक्टिन को लेकर शोधकर्ताओं का मानना है कि इसे कोरोना वायरस का ड्रग माना जा रहा है, क्योंकि इस दवाई में न्यूक्लियर ट्रांसपोर्ट को रोकने की क्षमता होती है और इसकी यही खूबी इसे कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी बनाती है। आसान शब्दों में इसे ऐसे समझें कि यह दवाई प्रोटीन को वायरस के अंदर गतिशील करने वाली प्रक्रिया को रोकने का काम करती है।