कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए नेवले पर कर रहे हैं शोध
आज तक आपने चूहों पर शोध के बारे में सुना होगा। दक्षिण कोरिया में हुए एक अन्य शोध के अनुसार, कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में नेवले की एक प्रजाति को उपयोग में लाया जा सकता है। यह शोध जर्नल सेल होस्ट एंड माइक्रोब में प्रकाशित हुआ है। इसमें बताया गया है कि नेवले की प्रजाति पर कोरोना वायरस के संक्रमण का असर बिल्कुल इसानों जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने में नेवलों की काफी मदद ली जा सकती है।
कोरोना वायरस की इस वैक्सीन का बंदरों पर परीक्षण सफल रहा
चीन की राजधानी बीजिंग में दवा निर्माता कंपनी साइनोवैक बायोटेक का दावा है कि उसने 8 बंदरों को अपनी नई वैक्सीन की अलग-अलग डोज दी थी। तीन हफ्ते बाद उन्होंने बंदरों की वापस जांच की। जांच के लिए उन्होंने बंदरों के फेफड़ों में ट्यूब के जरिए वैक्सीन के रूप में कोरोना वायरस को डाला। लेकिन आठों बंदरों को कोरोना वायरस का संक्रामण नहीं हुआ। साइनोवैक बायोटेक के डायरेक्टर मेंग विनिंग ने बताया कि उन्होंने जिस बंदर को सबसे ज्यादा डोज दी थी उसके शरीर में कोरोना वायरस के किसी तरह के लक्षण नहीं पाए गए हैं। जबकि दूसरे बंदरों में हल्का सा असर दिखाई दिया था, जिसे उन्होंने कंट्रोल कर लिया। फिलहाल कंपनी ने 16 अप्रैल से इस वैक्सीन का ट्रायल इंसानों पर शुरू कर दिया है।
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कैसे फैला कोरोना वायरस?
कोरोना वायरस कैसे फैला इसे लेकर दुनियाभर में कई शोध हो रहे हैं। अब तक कई शोध में यह सामने आया है कि कहीं न कहीं इसकी उत्पत्ति चमगादड़ से हुई है। चीन में हुए एक शोध में यह बात सामने आई थी। अब अमेरिका यूनिवर्सिटी ऑफ सर्दन केलीफोर्निया की प्रोफेसर पाउली केनन ने बताया कि कोरोना वायरस और पिछले कई सालों में आए संक्रामक रोगों का संबंध वन्यजीवों से रहा है। केनन कहती हैं उन्हें संक्रमण की शुरुआत कैसे हुई इसके बारे में फिलहाल पर्याप्त जानकारी नहीं है लेकिन कोरोना वायरस घोड़े की नाल के आकार के चमगादड़ों से फैला है। कैनन ने शोध में पाया कि कोरोना वायरस चमगादड़ों के जरिए इंसन में पहुंचा और फिर ये दूसरे इंसान में होते हुए पूरी दुनिया में फैल गया।
इससे पहले भी कई शोध में यह बात सामने आई है। आपको बता दें, कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी। वुहान में एक सबसे बड़ी मीट मार्केट है, जहां जिंदा वन्यजीव बेचे जाते थे। कैनन ने बताया कि इसी तरह के संक्रमण कुछ साल पहले भी मर्स (MERS) और सार्स (SARS) के दौरान हुए थे। इनकी भी वजह यही जानवर थे।
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कोरोना वायरस से पहले चमगादड़ों से इंसान तक पहुंचे थे ये संक्रमण
कई शोध के अनुसार मर्स (MERS) वायरस भी चमगादड़ों से ऊंटों में फैला था और ऊंटों से इंसान तक पहुंचा था। इसी तरह सार्स (SARS) चमगादड़ों से बिल्लियों में फैला और वहां से इंसानों में पहुंचा था। रिसर्च टीम के वैज्ञानिकों का भी कहना है कि इबोला वायरस भी चमगादड़ों से इंसानों में आया था। केनन बताती हैं कि उन्हें शोध के दौरान कोरोना वायरस के कई जेनेटिक कोड मिले हैं जो चमगादड़ों में पाए जाते हैं।