के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar
वाइल्ड मिंट एक जड़ी-बूटी है। इसकी पत्तियों का उपयोग औषधि बनाने के लिए किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मेंथा अरवेंसिस (Mentha arvensis) है। कोल्ड, कफ दस्त और मासिक धर्म में इसकी चाय पीना फायदेमंद होता है।
कई रिसर्च में पाया गया है कि वाइल्ड मिंट में उच्च मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होते हैं। एक रिसर्च के अनुसार, इसमें पाए जाने वाला मेथनॉल अर्क कोशिकाओं को नष्ट होने से कवच प्रदान करता है।
वाइल्ड मिंट कई तरह की डाइजेस्टिव परेशानियों को दूर करता है। चूहों पर किए गए एक शोध के मुताबिक, इसके तेल को देने पर उनमें दस्त की परेशानी दूर होते देखी गई।
वाइल्ड मिंट की पत्तियां स्किन एलर्जी को दूर करती हैं। मिंट में एक रसायन पाया जाता है जो फंगस और बैक्टीरिया को कंट्रोल और शरीर से बाहर करने का काम करता है।
वाइल्ड मिंट मतली और अपच से भी निजात दिलाता है। ये पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के साथ पेट में दर्द से भी राहत दिलात है।
इंटरनेशनल ब्रेस्टफीडिंग जर्नल के अनुसार, मिंट वॉटर पीने से स्तनपान कराने वाली महिलाओं के निप्पल में दरार और दर्द को रोका जा सकता है।
सांसों से आने वाली बदबू को दूर करने में भी ये मददगार है। ये मुंह से बैक्टीरिया को दूर करता है। ये लार को बनाने और मुंह को नम रखने में मदद करता है। इसलिए ताजे मिंट के पत्ते को चबाने या खाने से मुंह से आने वाली बैड स्मेल की समस्या भी ठीक हो सकती है।
इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टीज खून को साफ करने का काम करता है।
कैंसर ट्रीटमेंट और बचाव के लिए भी इस मिंट का प्रयोग किया जाता है। स्टडी के अनुसार इसमें मौजूद तत्व ब्रेस्ट कैंसर जैसी अन्य कैंसर के इलाज में मददगार साबित होता है।
इस मिंट के पत्ते में विटामिन-ई और विटामिन-डी की मौजूदगी स्किन को हेल्दी रखने में मददगार होता है। डेड स्किन को भी फिर से बेहतर बनाने में इस मिंट की अहम भूमिका होती है। इसलिए इसके सेवन से त्वचा जवां-जवां रहती हैं और त्वचा संबंधी कोई भी परेशानी दूर हो सकती है।
मिंट के पत्ते को अदरक के साथ उबाल कर इस पानी के सेवन से सर्दी-जुकाम की परेशानी ठीक हो सकती है। दिन में एक से दो बार इस पानी का सेवन किया जा सकता है। यही नहीं अगर जोड़ों के दर्द की समस्या है, गले में खरास है या फिर कफ की परेशानी है तो ऐसी स्थिति में भी इसका सेवन किया जा सकता है।
अगर आपको कब्ज की परेशानी है तो चावल में मिंट के पत्ते, गोल मिर्च, नमक और इमली के पेस्ट को मिलाकर बनाया गया चावल खाने से कब्ज की परेशानी दूर हो सकती है लेकिन, अगर ऐसा करने से लाभ नहीं मिलता है तो डॉक्टर से सलाह लें। कब्ज की वजह से अन्य शारीरिक परेशानी शुरू हो सकती है।
आयुर्वेद के अनुसार मिंट के कुछ पत्तों को आग में गर्म कर इसे थोड़ा नॉर्मल होने के बाद शरीर के जिस हिस्से में परेशानी है वहां सेकें। ऐसा करने से अर्थराइटिस की परेशानी में लाभ मिलेगा।
इन परेशानियों में भी मददगार:
वाइल्ड मिंट में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-फंगल और एंटी-ऑक्सीडेटिव प्रोपर्टीज होती हैं जो गले में खराश से लेकर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परेशानियों से निजात दिलाता है। ये कैसे काम करता है इसे लेकर ज्यादा शोध नहीं किए गएहैं। इसपर अभी अधिक शोध की जरूरत है।
सीमित मात्रा में वाइल्ड मिंट का सेवन ज्यादातर सभी के लिए सेफ है। अपने चिकित्सक या फार्मासिस्ट या हर्बल एक्सपर्ट से परामर्श करें, यदि:
किसी भी हर्बल सप्लिमेंट के सेवन करने के नियम उतने ही सख्त होते है जितने कि अंग्रेजी दवा के। सुरक्षा के लिहाज से अभी इसमें और अध्ययन की जरूरत है। पुदीने के इस्तेमाल से होने वाले फायदे से पहले आपको इसके खतरों को समझ लेना चाहिए। ज्यादा जानकारी के लिए अपने हर्बल एक्सपर्ट से बात कीजिए।
जरूरी नहीं सभी में ऊपर बताए गए साइड इफेक्ट नजर आएं। साइड इफेक्ट दूसरे प्रकार के भी हो सकते हैं जो लिस्ट में न हो। अगर आपको साइड इफेक्ट को लेकर कोई शंका या चिंता है तो अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से बात करें।
इस हर्बल सप्लिमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और अन्य कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
यह निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है। जैसे-
अगर आप इस मिंट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
डिस्क्लेमर
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Dr. Shruthi Shridhar