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डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन से बचाने वाले इंडियन घरेलू नुस्खे और इलाज

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन से बचाने वाले इंडियन घरेलू नुस्खे और इलाज

    ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान तथा डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन की समस्या होती है। बवासीर, गर्भावस्था के हार्मोन, सर्जिकल क्ट्स और आयरन की अधिक खुराक प्रसव के बाद कब्ज के प्रमुख कारण माने जाते हैं। क्योंकि ये सब कारण प्रसव के दौरान पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाते हैं। डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन यानी कब्ज की समस्या को बहुत गंभीर नहीं माना जाता है।

    मां बनने के बाद कॉन्स्टिपेशन की समस्या होने पर हो सकता है कि मल के साथ खून आए या पेट और योनि के बीच एक ऐंठन-सी महसूस होती रहे। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की जांच कर इसका इलाज क्लिनिकल तरीके से करेगा। हालांकि, हैलो स्वास्थ्य अपने इस आर्टिकल में डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन (Postpartum Constipation) के कारण व इससे बचने के घरेलू उपाय बता रहे हैं। इन नुस्खों को अपनाकर आप डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन की समस्या से राहत प्राप्त कर सकती हैं।

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    डिलिवरी के बाद कब्ज के मुख्य कारण क्या हैं? (What are the main causes of constipation after delivery?)

    सिजेरियन सेक्शन (Cesarean section)

    सिजेरियन डिलिवरी में सर्जरी के दौरान इस्तेमाल किया जाने वाला एनेस्थेटिक्स डाइजेस्टिव सिस्टम को धीमा कर देता है जिससे स्टूल में पानी की मात्रा कम हो जाती है और यह कॉन्स्टिपेशन का कारण बनता है। 

    आयरन सप्लिमेंट्स (Iron supplements)

    खून की कमी के कारण ज्यादातर महिलाएं प्रसव के बाद एनीमिक हो जाती हैं। इसलिए उनके शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए आयरन की खुराक दी जाती है। जो नॉर्मल डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन की समस्या की मुख्य वजह बनती है।

    असिस्टेड डिलिवरी

    कॉम्प्लिकेशन की वजह से जब असिस्टेड डिलिवरी यानी फॉरसेप्स की मदद ली जाती है  तब फॉरसेप्स या वेंटहाउस जैसे उपकरणों के उपयोग से मसल्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। जिससे प्रसव के बाद कब्ज हो सकता है।

    मेडिकशन (Medication)

    मॉर्फिन, विकोडिन और पेरकोसेट जैसी पावरफुल मेडिशन भी पाचन तंत्र को धीमा कर सकती है। जिससे डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन की समस्या हो सकती है। 

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    हॉर्मोन

    गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टरॉन जैसे हॉर्मोन की उपस्थिति भी पाचन को धीमा कर देती है और आपको कब्ज का शिकार बना देती है। 

    प्रीनेटल विटामिन (Prenatal vitamins)

    जो महिलाएं स्तनपान करा रही होती हैं वे पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए मल्टी-विटामिन सप्लिमेंट्स का सेवन करती हैं। जिनमें कई मल्टी विटामिन्स सप्लिमेंट्स में आयरन की अत्यधिक मात्रा होती है जो डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन (Postpartum Constipation) का मुख्य कारण बनती है।

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    पाइल्स (Piles)

    कई महिलाओं को योनि प्रसव के बाद रक्तस्राव होता है जो दर्दनाक होता है। इसके कारण वे स्टूल को बाहर करने में असहज महसूस करती हैं। यह भी डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन की महत्वपूर्ण वजह बनती है।

    चिंता/एंग्जायटी (Anxiety)

    कई महिलाएं गर्भावस्था के दौरान चिंता और तनाव से ग्रस्त होती हैं जो मल त्याग को धीमा करती हैं। जिसके कारण उन्हें डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन का शिकार होना पड़ता है।

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    पेल्विक मसल्स का चोटिल होना

    डिलिवरी के समय पेल्विक मसल्स पर दबाव पड़ता है। कई मामलों में इनमें भारी खिंचाव आ जाता है। पेल्विक मसल्स स्टूल पास होने वाले हिस्से को कंट्रोल करती हैं। खिंचाव या चोटिल होने की स्थिति में महिला का गैस पास करने में नियंत्रण कम हो जाता है। साथ ही वे स्टूल पास करने में दिक्कत महसूस करती हैं जो कारण का कारण बनता है

    थकावट और कब्ज में संबंध

    दक्षिणी दिल्ली के लाजपत नगर में स्थित सपरा क्लीनिक की गायनोकॉलोजिस्ट डॉक्टर एसके सपरा के मुताबिक, ‘कई बार डिलिवरी में लंबा वक्त लग जाता है, जिसके चलते महिला शारीरिक रूप से थक जाती है।  जिसके चलते वह दो से तीन दिन तक वॉशरूम नहीं जाती हैं। दूसरी तरफ टांकों में दर्द के डर से वह एक या दो दिन वॉशरूम जाने से कतराती हैं। इसकी वजह से उनका स्टूल सख्त हो जाता है, जिससे उन्हें कब्ज की समस्या हो जाती है।’ नियमित रूप से पेट न साफ होने के चलते महिलाओं को कब्ज की समस्या हो जाती है।

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    प्रोजेस्टेरोन की वजह से कब्ज

    प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को प्रेग्नेंसी हार्मोन के नाम से जाना जाता है। गर्भ ठहरने के लिए यह हार्मोन जरूरी होता है लेकिन, यह पाचन तंत्र पर भी असर डालता है। प्रेग्नेंसी के दौरान या बाद में यह पेट की आंतों के कार्य को धीमी कर देता है, जिससे खाने में मौजूद न्यूट्रिएंट को सोखने की प्रक्रिया लंबा चलती है।

    आंतों की मोबिलिटी धीमी होने से यह कब्ज का रूप ले लेती है। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन यह कार्य प्राकृतिक रूप से करता है क्योंकि, इस दौरान आपकी बॉडी में न्यूट्रिएंट की मांग बढ़ जाती है। आंतों की मोबिलिटी को धीमा कर यह न्यूट्रिएंट्स को ज्यादा समय तक आंतों में बनाए रखता है।

    एनसीबीआई में वर्ल्ड जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी नाम से एक शोध प्रकाशित किया गया। शोध के मुताबिक, बॉडी में प्रोजेस्टेरोन का लेवल कम होने से आंतों की गतिशीलता बढ़ जाती है जबकि, इसका स्तर ज्यादा होने से यह रुक जाती है। शोध में यह भी पाया गया कि सेंट्रल नर्वस सिस्टम के अलावा दूसरे अंग जैसे यूटरस ब्लड में ऑक्सीटोसिन को रिलीज करते हैं। यह आंतों की गतिशीलता में अवरोध पैदा कर सकता है।

    डॉक्टर सपरा ने कहा कि कब्ज कितने दिनों तक रहता है इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो सकता है। हर महिला के मामले में इसका असर अलग-अलग होता है। यदि सही उपचार किया जाए तो यह डिलिवरी के कुछ दिनों बाद ही इससे निजात मिल सकती है। डॉक्टर सपरा ने हेलो स्वास्थ्य से खास बातचीत में डिलिवरी के बाद कब्ज की समस्या से निपटने के लिए कुछ आसान उपाय भी बताए। हालांकि, इन उपायों का असर आपके डाइजेशन सिस्टम की स्थिति और बवासीर जैसी समस्याओं में अलग-अलग हो सकता है।

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    डिलिवरी के बाद महिलाओं में कब्ज से बचने के घरेलू नुस्खे (Home remedies to avoid constipation after delivery)

    डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन एक गंभीर हेल्थ कंडिशन नहीं है और निम्नलिखित घरेलू उपचारों द्वारा इसकी रोकथाम की जा सकती है।

    1. डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन (constipation after delivery) में फलों का जूस है लाभदायक

    कई अध्ययनों से पता चला है कि फल जैसे- सेब और नाशपाती आदि में सोर्बिटोल नामक एक पदार्थ होता है जो कब्ज को कम करने में सहायक होता है। डॉक्टर से बात करके यह सुनिश्चित करें कि कौन से फल का सेवन आपके लिए सही है और उसी के अनुरूप फ्रूट जूस पिएं या फल खाएं।

    2. प्रसव के बाद कब्ज (constipation after delivery) :पानी 

    पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मल का सूखापन कम होता है और कब्ज की समस्या में राहत मिलती है। इसलिए डिलिवरी के बाद बॉडी में पानी की कमी न होने दें। आपको दिन में सात से आठ ग्लास पानी पीना चाहिए। आप चाहे तो पानी में नमक और शक्कर भी मिला सकती हैं। गर्मियों में ये शरीर में पानी की कमी नहीं होने देगा। 

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    3. मालिश

    मालिश कब्ज दूर करने का एक आसान तरीका है। बड़ी आंत के विभिन्न हिस्सों की मालिश करने से इसकी दीवारों को मजबूत करने और मल (स्टूल) को ढीला करने में मदद मिलती है। डिलिवरी के बाद कब्ज में राहत दिलाने के लिए इस उपाय को भी अपनाया जा सकता है। जिन महिलाओं की नॉर्मल डिलिवरी होती है, वो महिलाएं पेट के साथ ही शरीर के अन्य हिस्सों की मालिश भी करवाती हैं, जो कि लाभकारी होता है।

    लेकिन जिन महिलाओं के सी-सेक्शन के जरिए बच्चा पैदा हुआ है, उन्हें मालिश न कराने की सलाह दी जाती है। आप इस बारे में डॉक्टर से भी सलाह ले सकती हैं। 

    4. नैचुरल लैक्सेटिव भी डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन में है लाभदायक

    लैक्सेटिव बॉवेल मूवमेंट को प्रेरित करने के लिए जाना जाता है। डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन से राहत के लिए एक नैचुरल लैक्सेटिव का उपयोग कर सकती हैं। जैसे- प्रून्स, फ्लैक्स सीड तथा नारियल पानी आदि आपको पोस्टपार्टम कॉन्स्टिपेशन से छुटकारा दिलाएगा।

    5.  डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन हो गया हो तो लें प्रोबायोटिक्स (Take probiotics if you have constipation after delivery)

    हालांकि प्रसव के बाद होने वाले कब्ज में प्रोबायोटिक किस प्रकार सहायक है इस पर शोध जारी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रोबायोटिक्स को मल त्याग में सहायता करने और स्टूल को सॉफ्ट बनाने में सहायक पाया गया है। आप खाने में दही का सेवन करें। अगर आपको डॉक्टर ने हल्का आहार लेनी सलाह दी है तो मूंग की खिचड़ी में दही मिलाकर खा सकती हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करें और उसके बाद ही इनका सेवन करें। 

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    6. प्रसव के बाद कब्ज (constipation after delivery) :अदरक की चाय डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन से देगी राहत

    अदरक की चाय भूख और पाचन को बढ़ावा देने में मदद करती है। अदरक की चाय भी डिलिवरी के बाद होने वाले कॉन्स्टिपेशन से राहत दिला सकती है। हालांकि, अगर आप डायबिटीज की रोगी हैं तो इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए। क्योंकि यह मधुमेह की दवा के अब्सॉर्प्शन को प्रभावित कर सकती है। अगर आपको अदरक से एलर्जी है तो आप अदरक का सेवन बिल्कुल भी न करें। 

    7. प्रसव के बाद कब्ज :हाई फाइबर डाइट लें

    डिलिवरी के बाद महिलाएं कुछ कारणवश तुरंत वॉशरूम नहीं जा पाती। इसकी वजह से स्टूल टाइट हो जाता है। कई मामलों में उन्हें ड्रिप से आहार दिया जाता है। इस स्थिति में उनकी बॉडी में फाइबर की कमी हो जाती है। फाइबर स्टूल को मुलायम बनाने का काम करता है, जिससे वह रेक्टम कैनाल से आसानी से बाहर आ जाता है। डिलिवरी के बाद कब्ज होने पर महिलाओं को सबसे पहले अपनी डायट का ध्यान रखना चाहिए। उन्हें खाने में अधिक फाइबर वाली हरी सब्जियां, फल, ओट्स और सलाद खूब खाना चाहिए। नॉर्मल डिलिवरी के बाद महिलाओं को खास परहेज नहीं बताया जाता है, जबकि सी-सेक्शन के बाद महिलाओं को कुछ समय के लिए परहेज बताया जाता है। आप डॉक्टर से इस बारे में जानकारी लें आपके लिए क्या खाना सही रहेगा।

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    8. प्रेशर आने पर तुरंत वॉशरूम जाएं

    डॉक्टरों की मानें तो डिलिवरी के बाद महिला के बाॅवेल मूवमेंट में अनियमित्ता आ जाती है। यदि खाना खाने के तुरंत बाद उन्हें प्रेशर का अहसास होता है तो उन्हें तत्काल वॉशरूम जाना चाहिए। ऐसा न करने पर आंतों में हुआ कॉन्ट्रैक्शन शायद दोबारा न हो। इसलिए बेहतर होगा कि प्रेशर का अहसास होते ही इसे रोकने या दबाने की कोशिश ना करें।

    9. हाई फाइबर डाइट लें

    डॉक्टर सपरा ने कहा कि से पहले और डिलिवरी के बाद महिलाएं कुछ कारणवश तुरंत वॉशरूम नहीं जा पाती हैं। इसकी वजह से स्टूल टाइट हो जाता है। ज्यादातर मामलों में उन्हें ड्रिप से ही आहार दिया जाता है। इस स्थिति में उनकी बॉडी में फाइबर की कमी हो जाती है। फाइबर स्टूल को मुलायम बनाने का काम करता है, जिससे वह रेक्टम कैनाल से आसानी से बाहर आ जाता है। कब्ज होने पर महिलाओं को सबसे पहले अपनी डाइट का खास ध्यान रखना है। उन्हें अपने खाने में अधिक फाइबर वाली हरी सब्जियां, फल, ओट्स और सलाद खूब खाना है।

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    10.  डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन की है समस्या तो करें नींबू पानी का सेवन

    नींबू पानी में हाई एसिड कंटेंट पाया जाता है जो डाइजेस्टिव सिस्टम को तेज करने में मदद करता है और कब्ज से राहत दिलाता है।

    11. बॉडी को एक्टिव रखें

    कई बार शरीर का लंबे वक्त तक सक्रिय न रहने से डाइजेशन सिस्टम प्रभावित होता है। खासतौर से डिलिवरी के बाद जब पहले ही आप कब्ज से जूझ रही होती हैं। इस दौरान यदि आप अपनी बॉडी को हल्का-फुल्का एक्टिव रखती हैं तो आंतों को गतिशीलता में सुधार आता है। इसका मतलब यह हुआ कि आंतों के कार्यों में कम से कम बाधा आती है। इसके लिए आप हल्की वॉक पर जा सकती हैं। यदि डिलिवरी सामान्य हुई है तो आप साइकिलिंग भी कर सकती हैं। इससे आपकी पेल्विक मसल्स भी एक्टिव होंगी और आंतों में गतिशीलता आएगी।

    यदि एनस से ब्लीडिंग भी हो रही हो या डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन की शिकायत तीन सप्ताह से अधिक समय तक है तो डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि सिजेरियन के बाद कब्ज एक आम समस्या है। जिसे आहार और जीवनशैली में बदलाव करके कम किया जा सकता है।

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    डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या होने की दवा

    कई ओटीसी दवाओं की मदद से पोस्टपार्टम कॉन्स्टिपेशन से आराम पाया जा सकता है। ज्यादातर महिलाएं डिलीवरी के बाद बल्किंग एजेंट जैसे मेटाम्यूसिल या सिट्रसल प्रकार के पाउडर वाले फाइबर लेने शुरू करती हैं।

    इन दवाओं को कम खुराक से शुरू किया जाता है और फिर धीरे-धीरे इनकी डोज बड़ा दी जाती है। जबतक कब्ज की समस्या से छुटकारा न मिल जाए। बेहतर परिणामों के लिए इन दवाओं का सेवन कुछ सप्ताह तक करना पड़ सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

    अगर कब्ज की स्थिति धीरे-धीरे उत्पन्न हुई है तो उसके कारण होने वाली ब्लोटिंग और पेट में दर्द से राहत मिल सकती है।

    मल को मुलायम बनाने वाली दवाएं जैसे कोलेस एक प्रभावशाली और सुरक्षित विकल्प माना जाता है। यदि आपको इसके बाद भी मदद की जरूरत पड़ती है तो मीरालैक्स या मिल्क ऑफ मैग्नीशिया जैसे आरामदायम लैक्सेटिव का उपयोग करें। इससे पेट में जमा हुआ तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है। हालांकि, अगर आप पोस्टपार्टम कॉन्स्टिपेशन लैक्सेटिव का इस्तेमाल करने वाली हैं तो ध्यान रहे की आपको काफी अधिक मात्रा में पानी पिने की जरूरत पड़ सकती है।

    सही लैक्सेटिव और पानी की पर्याप्त मात्रा के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।  सेना या कैस्कारा वाले लैक्सेटिव का इस्तेमाल न करें क्योंकि यह कुछ समय के बाद अपना प्रभाव दिखाना बंद कर देते हैं।

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    डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन (constipation after delivery) की समस्या से बचने के लिए करें एक्सरसाइज

    डिलिवरी के बाद कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए घरेलू उपाय के साथ ही आपको एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। एक्सरसाइज की हेल्प से भी कब्ज की समस्या से राहत पाई जा सकती है। ये सच है कि डिलिवरी के तुरंत बाद महिला के लिए एक्सरसाइज करना पॉसिबल नहीं होता है, लेकिन कुछ समय का अंतराल लेकर एक्सरसाइज की जा सकती है। बेहतर होगा कि इस बारे में आप डॉक्टर से सलाह जरूर लें। हम आपको यहां ऐसी कुछ एक्सरसाइज के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको कब्ज की समस्या से राहत दिला सकती हैं।

    डिलिवरी के तुरंत बाद महिला के लिए चलना बहुत मुश्किल काम होता है। महिला की अगर नॉर्मल डिलिवरी हुई है तो भी उसे चार से पांच दिन का समय चलने में लग सकता है, चुंकि टांकों की वजह से दर्द अधिक महसूस होता है। ऐसे में एक से दो हफ्ते का समय लेने के बाद वॉकिंग से शुरूआत की जा सकती है। आप पहले दिन 15 मिनट की वॉक से शुरूआत कर सकते हैं। अगर आपको ठीक महसूस होता है तो वॉक आधे घंटे तक जरूर करें। आप रोजाना वॉक करें, इससे कॉन्स्टिपेशन की समस्या से राहत मिल सकती है।

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    डिलीवरी के बाद कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए करें योग

    स्टमक मसल्स की एक्सरसाइज करने से पेट को बहुत राहत पहुंचती है। कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए डिलिवरी के बाद योग जरूर करें। योग में आप मार्जरी आसन यानी कैट पोज (Cat Pose) और बीतिलासन यानी काऊ पोज (Cow Pose) योग करें और गहरी सांस लें। मार्जरी आसन में बिल्ली की तरह आकृति बनाते हुए पीठ में खिचांव लाएं।

    वहीं बीतिलासन यानी काऊ पोज में हैंड और नी को नीचे रखें और बैक को डाउनवर्ड पुजिशन में रखें। ऐसा करने से स्टमक नीचे की ओर आएगा। इस पुजिशन को लगभग पांच बार दोहराएं। अगर आपको इस योग को करने में परेशानी हो रही है तो आप एक या दो बार करके धीरे-धीरे इसकी शुरूआत करें।

    ट्रायंगल पोज कब्ज की समस्या से दिलाएंगा राहत

    ट्राइगल शेप एक्सरसाइज की हेल्प से डायजेस्टिव जूस रिलीज होता है और साथ ही बाउल मूवमेंट सक्रिय होता है जिससे कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। अपने पैरों को आपको करीब 2 से 3 फीट तक फैलाना होगा, जिससे पैर और कूल्हे ट्राइगल शेप बनाएं। अब एक हाथ को ऊपर की ओर उठाएं और दूसरे हाथ को जमीन से टच कराएं। आप इस पोज को आराम से करें और जल्दबाजी न करें।

    आपने जो हाथ जमीन में साधा है, उस पर आपको शरीर के कुछ हिस्से का वजन भी महसूस होगा। आप इस पोज को 30 सेकेंड तक करें और फिर साइड चेंज कर दें। अगर आपने पहली बार में दाएं हाथ को जमीन में रखा था तो अब बाएं हाथ को जमीन में साधे और दाएं हाथ को ऊपर की ओर उठाएं।

    फॉरवर्ड बेंड या उत्तानासन (uttanasana)

    कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए उत्तानासन ( uttanasana) महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस आसन को करने से पेट में जोर पड़ता है और बाउल मूवमेंट तेज होता है। इस आसन को करने से बॉडी के डिफरेंट पार्ट में खिंचाव आता है। अगर डिलिवरी के बाद महिला बिना किसी परेशानी के इस आसन को कर पा रही है तो ये वाकई कॉन्स्टिपेशन की समस्या से राहत दिला सकता है।

    फॉरवर्ड बेंड या उत्तानासन घुटने और जांघों को भी मजबूत करता है।अगर इस आसन को रोजाना किया जाए तो डिलिवरी के बाद होने वाले कमर दर्द से भी छुटकारा मिल सकताहै। आप पहले सीधे खड़े हो जाएं। फिर दोनों पैरों को मिलकर दोनों हाथ ऊपर की तरफ रखें। कमर के हिस्से को अब नीचे की तरफ झुकाएं। अब आपके कमर के ऊपर का पूरी हिस्सा जमीन की ओर है और अब आप अपने हाथों से अपने पैर को छूने की कोशिश कर सकते हैं। आपको नीचे झुकने में दर्द का एहसास हो सकता है, लेकिन धीमे-धीमे इस आसान को करें ताकि आपको बिना परेशानी के लाभ मिल सके।

    कब्ज की समस्या है तो इन बातों का रखें ख्याल

    अगर आपको हल्के प्रेशर का एहसास हो रहा हो तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। पहले थोड़ा टहलें या फिर आप चाहे तो थोड़ी कॉफी भी पी सकती हैं। आप जबरदस्ती टॉयलेट में जाकर प्रेशर बनाने की कोशिश न करें। राइट मूमेंट का इंतजार करें। अगर आप इंडियन टॉयलेट का यूज कर रहे हैं तो बेहतर है, वरना वेस्टर्न स्टाइट वाले टायलेट में आप स्टूल के ऊपर पैर रखकर बैठें। अधिक प्रेशर न लगाएं, वरना आपको टांकों में दर्द भी हो सकता है। अगर आपको फिर भी अधिक समस्या हो रही है तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से परामर्श करें।

    डिलिवरी नॉर्मल हो या फिर सिजेरियन, प्रसव के बाद कब्ज की समस्या आम होती है। अगर आप योग या फिर एक्सरसाइज करने की हालत में नहीं है तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऐसे में आप अपने खानपान पर ध्यान दें और फाइबर युक्त खाना खाएं। आपको कुछ दिनों बाद खुद महसूस करेंगे कि कब्ज की समस्या से धीरे-धीरे ठीक हो रही है। हम उम्मीद करते हैं कि डिलिवरी के बाद कॉन्स्टिपेशन विषय पर आधारित यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित होगा। डिलिवरी के बाद कब्ज से बचना चाहती हैं तो इन उपायों को अपनाएं। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

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