के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
लेरिन्जाइटिस (Laryngitis) गले का एक रोग है। अगर कभी बात करने के लिए मुंह खोला जाए। लेकिन, मुंह से आवाज की जगह फुसफुसाहट या हलकी सी चीख निकले, तो यह लेरिन्जाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। लेरिन्जाइटिस के कुछ मामलों में, आवाज बहुत कम निकलती है। लेरिन्जाइटिस रोग कम समय या अधिक समय तक हो सकता है।
लेरिन्जाइटिस के अधिकांश मामलों में अस्थायी वायरल इन्फेक्शन (Viral Infection) या वोकल स्ट्रेन (Vocal strain) हो सकता है जो अधिक गंभीर नहीं होता।
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लेरिन्जाइटिस (Laryngitis) असल में अधिक बोलने, जलन या संक्रमण के कारण वॉयस बॉक्स (स्वरयंत्र) में होने वाली सूजन है। गले के स्वरयंत्र के अंदर वोकल कॉर्ड यानी स्वर रज्जु हैं, जो मांसपेशियों और कार्टिलेज (उपास्थि) को कवर करने वाले श्लेष्म झिल्ली के दो फोल्ड हैं। सामान्यतया, आपके वोकल कॉर्ड आराम से खुलते और बंद होते हैं। जिससे उनके हिलने से आवाज निकलती है। लेकिन, लेरिन्जाइटिसरोग होने पर वोकल कॉर्ड में सूजन और दर्द होती है इसके कारण गले से सही आवाज नहीं निकल पाती।
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ज्यादातर मामलों में, लेरिन्जाइटिस के लक्षण कम समय तक रहते हैं और ये किसी मामूली वायरस के कारण भी हो सकते हैं। लेकिन, कभी-कभी लेरिन्जाइटिस के लक्षण कुछ अधिक गंभीर या लंबे समय तक देखने को मिल सकते हैं। लेरिन्जाइटिस (Laryngitis) के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
अगर आपको निम्नलिखित समस्याएं हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए:
अगर बच्चों में निम्नलिखित समस्याएं हो तो तुरंत डॉक्टर के पास ले कर जाएं:
लेरिन्जाइटिस के अधिकतर मामले अस्थायी होते हैं और जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन, इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं।
अगर यह बीमारी तीन सप्ताह से अधिक समय तक है तो इसे क्रोनिक लेरिन्जाइटिस कहा जाता है। इससे वोकल कॉर्ड पर दवाब पड़ता है, उसमें घाव हो सकता है या वोकल कॉर्ड के विकास पर प्रभाव पड़ सकता है। इस घाव के कारण इस प्रकार हैं।
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इन तकनीकों का उपयोग कभी-कभी लेरिन्जाइटिस (Laryngitis) के निदान में मदद के लिए किया जाता है:
लरिंगोस्कोपी : आपके डॉक्टर आपकी वोकल कॉर्ड की एक प्रक्रिया के द्वारा जांच करेंगे जिसे लरिंगोस्कोपी कहा जाता है। इसका प्रयोग लाइट और छोटे शीशे के मदद से की जाती है या डॉक्टर फाइबर-ऑप्टिक लरिंगोस्कोपी भी कर सकते हैं।
बायोप्सी (Biopsy): यदि डॉक्टर को किसी भाग में समस्या दिखाई देती है तो वो बायोप्सी कर सकते हैं – इसमें टिश्यू का सैंपल लेकर एक माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है।
वोकल थेरेपी (Vocal therapy): अगर आपको यह समस्या आवाज के अधिक प्रयोग करने के कारण हो तो इस थेरेपी का प्रयोग किया जा सकता है।
कुछ मामलों में दवाईओं का प्रयोग करना पड़ सकता है जैसे:
डिस्क्लेमर
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