रेस्पिरेट्री ट्रैक्ट डिजीजेज या सांस संबंधी बीमारियों के कारण व्यक्ति को बहुत उलझन महसूस हो सकती है। ऐसा सांस ठीक तरह से न लेने पाने के कारण होता है। फेफड़ों संबंधी रोग, सर्दी-जुकाम के कारण सांस संबंधी बीमारी होना आम बात है। सांस संबंधी कुछ रोग ऐसे होते हैं, जो आमतौर पर लोगों में नहीं पाए जाते हैं। इसे रेयर लंग डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। सांस संबंधित रेयर डिजीजेज के बारे में कम ही लोगों को जानकारी होती है और इसका ट्रीटमेंट भी बहुत मुश्किल से मिलता है। जानिए क्या हैं सांस संबंधी अन्य डिजीजेज।
जानिए सांस संबंधी अन्य डिजीजेज (Other respiratory issues) के बारे में
सांस संबंधी अन्य डिजीजेज में पल्मोनरी वेस्कुलाइटिस, रेस्पिरेट्री रिलेटेड डिजीजेज (Respiratory diseases), ऑर्फन डिजीज (Orphan diseases), इडिपेथिक इओसिनोफिलिक क्रॉनिक निमोनिया आदि शामिल हैं। जानिए इन बीमारियों के बारे में।
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पल्मोनरी वेस्कुलाइटिस (PULMONARY VASCULITIS)
सांस संबंधी अन्य डिजीजेज पल्मोनरी वेस्कुलाइटिस का नाम शामिल है। पल्मोनरी वेस्कुलाइटिस लंग्स की ब्लड वैसल्स में पैदा हुई सूजन है। ये आमतौर पर पूरे शरीर को प्रभावित करने वाली बीमारी है, जिसके कारण विभिन्न ऑर्गन्स की वैसल्स में सूजन की समस्या हो जाती है। अगर बीमारी का सही समय पर इलाज न काराय जाए, पेशेंट को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर जांच के बाद पेशेंट का कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids), इम्यूनोसप्रेसेरिव ड्रग्स (Immunosuppressive drugs) और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी रक्सिमाब (Monoclonal antibody rituximab) आदि से ट्रीटमेंट करते हैं।
सांस संबंधी अन्य डिजीजेज: ऑर्फन डिजीज (Orphan diseases)
ऑर्फन डिजीज वो डिजीज हैं, जिनके बारे में अधिक रिचर्स नहीं हुई है और न ही अभी तक इसका ट्रीटमेंट उपलब्ध है। ऑर्फन डिजीज में लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (Lymphatic filariasis), अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस ( African trypanosomiasis), सिस्टोसोमियासिस ( Schistosomiasis), ट्रैकोमा (Trachoma), ओनोकोसेरोसिस (Onchocerciasis), लीशमैनियासिस ( leishmaniasis), चगास (Chagas disease) रोग आदि शामिल हैं।
इडिपेथिक क्रॉनिक इओसिनोफिलिक निमोनिया ( Idiopathic chronic eosinophilic pneumonia)
ये बीमारी कृमि संक्रमण या फिर अन्य हेल्थ कंडीशन की दवाओं को लेने के कारण हो सकता है। इस कारण से सांस लेने में बहुत अधिक दिक्कत हो सकती है। ये बीमारी अस्थमा से जुड़ी हुई है। इस कंडीशन के ट्रीटमेंट के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड (corticosteroids) का इस्तेमाल किया जाता है। ये बीमारी एक्यूट या शॉर्ट टर्म हो सकती है, जो एडल्ट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम के समान होती है। जिन लोगों ने स्मोकिंग की शुरूआत की है, उन्हें ये बीमारी अधिक परेशान कर सकती है।
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प्राइमरी सिलिअरी डिस्केनेसिया (Primary ciliary dyskinesia)
प्राइमरी सिलिअरी डिस्केनेसिया क्रॉनिक रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन है। ये बीमारी असामान्य सिलिया और फ्लागजला के कारण (Abnormal cilia and flagella) होती है। सिलिया बहुत छोटे फिंगर की दिखने वाले स्टिक होते हैं, जो सेल्स से चिपके रहते हैं। ये एयरवेज की लाइनिंग में पाए जाते हैं। ये बीमारी इनफर्टिलिटी का कारण भी बन सकती है। फ्लैगेला का मूवमेंट स्पर्म के फीमेल ऐग की ओर मूवमेंट के लिए जरूरी होता है। जब ये नहीं हो पाता है, तो इनफर्टिलिटी की प्रॉ़ब्लम होने लगती है।
पल्मोनरी एल्वोलर प्रोटीनोसिस (Pulmonary alveolar proteinosis)
ये डिसऑर्डर शरीर से एब्नॉर्मल इम्यून रिस्पॉन्स के कारण होते हैं, जब एक प्रकार का प्रोटीन लंग एयरसेक (Alveoli) में बनता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी के लक्षणों में खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ शामिल हो सकती है। ब्रोन्कोएल्विओलर लैवेज (Bronchoalveolar lavage) प्रोसीजर की मदद से इस बीमारी का पता चलता है। इस प्रोसेस में ब्रोंकोस्कोप (bronchoscope) नामक एक लंबी ट्यूब की मदद से फेफड़ों में तरल पदार्थ को निकाला जाता है और फिर उसकी जांच की जाती है।
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मल्टिपल सिस्टिक लंग डिजीज (Multiple cystic lung disease)
मल्टिपल सिस्टिक लंग डिजीज फेफड़ों में अल्सर के कारण होती है। इस कारण से सांस फूलना, कोलेप्स्ड लंग ( collapsed lung) और लॉन्ग टर्म रेस्पिरेट्री फेलियर शामिल है। इसमें दो कंडीशन शामिल हैं। लिम्फैंजियो लिओमायोमैटोसिस (Lymphangioleiomyomatosis) कंडीशन युवा महिलाओं में अधिक पाई जाती है। बर्ट-हॉग-ड्यूब सिंड्रोम (Birt-Hogg-Dube syndrome) की समस्या उन व्यक्तियों में अधिक होती है, जिनकी कोलैप्स्ड लंग (Collapsed lungs) की समस्या रही हो।
एल्वोलर हेमरेज सिंड्रोम (Alveolar Hemorrhage Syndrome)
इस बीमारी के कारण शरीर में खून की कमी तेजी से होने लगती है। ऐसा खांसी के साथ ब्लड आने पर होता है। एल्वोलर हेमरेज सिंड्रोम ब्रोन्कोएलेवलर लैवेज (Bronchoalveolar lavage) प्रोसीजर के दौरान डायग्नोज किया जाता है। लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) संक्रामक रोग के कारण भी एल्वोलर हेमरेज सिंड्रोम (Alveolar Hemorrhage Syndromes) हो सकता है।
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रेयर लंग डिजीज (Rare lung diseases) के क्या होते हैं कारण?
सांस संबंधी अन्य डिजीजेज या सांस संबंधित समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं लेकिन रेयर लंग डिजीजेज के कोई कारण नहीं होते हैं। करीब 80 प्रतिशत रेयर लंग डिजीज जैनेटिक फैक्टर के कारण होती हैं यानी इन्हें अनुवांशिक कहा जा सकता है। शरीर की किसी अन्य कंडीशन के इलाज के दौरान भी रेयर लंग डिजीज हो सकती है। साथ ही कुछ दवाओं का सेवन भी इस बीमारी का कारण बन सकता है। रेयर लंग डिजीजेज के बारे में अभी अधिक स्टडी नहीं हुई है। आप चाहे तो इस बारे में डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं।
फेफड़ों से संबंधित रेयर डिजीजेज का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?
दुर्लभ बीमारियों के उपचार में बहुत समस्याों का सामना करना पड़ता है। ऐसा अक्सर उस बीमारी के बारे में लिमिटेड रिचर्स के कारण होता है। रेयर डिजीजेज से पीड़ित लोगों की संख्या इतनी कम होती है कि ज्यादातर लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं होती है। फेफड़ों की अन्य कंडीशन का ट्रीटमेंट करने वाली दवाइयां लंग रेयर डिजीजेज के ट्रीटमेंट में यूज हो सकती हैं। सरकार की ओर से इस समस्या के समाधान के लिए कदम उठाएं जा रहे हैं। रेयर डिजीजेज का ट्रीटमेंट बहुत महंगा होता है, इसलिए पेशेंट के लिए इलाज कराना कठिन हो सकता है। अगर आपको सांस संबंधित बीमारी के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कई बार अन्य कंडीशन की दवा बीमारी में काम कर जाती है। कुछ दवाएं जो अन्य स्थितियों का इलाज करने के लिए उपयोग की जाती हैं उनका उपयोग फेफड़े के दुर्लभ रोगों के इलाज के लिए किया जाता है।
“इस बारे में र्किटिकल केयर विभाग के डॉक्टर विपिन भ्रामरे का कहना है कि सांस लेने में दिक्कत, तेज हार्ट बीट और सीने में दर्द के लिए भी तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता है आपको। ऐसे में बिल्कुल भी लेट न करें। दिल की समस्याओं का तुरंत निदान करना और फेफड़ों को भी बचाना जरूरी है। लेकिन, याद रखें कि ओवर-द-काउंटर दवा का उपयोग करके स्वमं कोई मेडिकेशन न करें। यह आपके लिए खतरनाक हो सकता है। अपने चिकित्सक से परामर्श करें और हृदय की अंतर्निहित स्थिति की जांच करवाएं।”
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बचना है लंग डिजीजेज से, तो इन बातों का रखें ध्यान
सांस संबंधित बीमारी से छुटकारा पाने के लिए आपको दवाइयों के सेवन करने के लिए साथ ही लाइफस्टाइल पर भी ध्यान देना चाहिए। पानी की उचित मात्रा का सेवन करने से म्यूकस ढीला हो जाता है।
- जिन लोगों को सांस संबंधित समस्याएं होती हैं, उन्हें सर्दी के मौसम में अधिक बचाव की जरूरत पड़ती है। आप सर्दियों में हल्के गुनगुने पानी का सेवन करें। आप चाहे तो हल्का नमक डाल कर भी एक बार पानी पी सकते हैं।
- नहाने के दौरान गर्म पानी का इस्तेमाल और भाप लेना आपको सांस संबंधित बीमारियों से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
- ऐसे स्थान में न जाएं, जहां कि हवा दूषित हो। दूषित हवा में सांस लेने में ज्यादा परेशानी होती है।
- आपको स्मोकिंग और एल्कोहॉल (Alcohol) से दूरी बनानी चाहिए।
- खाने में ताजे फल और सब्जियां शामिल करें। आप चाहे को सब्जियों का गरमागरम सूप भी ले सकते हैं।
- जिन दवाइयों या स्प्रे को डालने की सलाह दी गई है, उसका सही समय पर इस्तेमाल जरूर करें।
- अगर आपको किसी चीज से एलर्जी है, तो बेहतर होगा कि उसका इस्तेमाल बिल्कु भी न करें। आप अगर इनहेलर का इस्तेमाल करते हैं, तो उसे हमेशा साथ रखें।
आप सांस संबंधी बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।