परिचय
हाइपोकैल्शियमिया क्या है?
हाइपोकैल्शियमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में कैल्शियम की मात्रा बहुत कम हो जाती है। शरीर में कैल्शियम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने का काम करता है। इसी के साथ ही मांसपेशियों के लिए लाभदायक भी होता है। हाइपोकैल्शियमिया होने पर दिल और दिमाग का सामान्य गति से काम करना मुश्किल होता है। यह थायरॉइड की समस्या का कारण भी बनता है।
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कितना आम है हाइपोकैल्शियमिया?
यह बीमारी आम है या दुर्लभ, इस बारे में डॉक्टर आपको बेहतर ढंग से बता पाएंगे। इसलिए हाइपोकैल्शियमिया (हाइपोकैल्सीमिया) बीमारी के बारे में डॉक्टर से परामर्श करें।
लक्षण
हाइपोकैल्शियमिया के सामान्य लक्षण क्या हैं?
बच्चों में हाइपोकैल्शियमिया (हाइपोकैल्सीमिया) के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है इसलिए बच्चों के शरीर में चुनचुनी या कंपन पैदा हो सकती है। वहीं वयस्कों में हाइपोकैल्सीमिया के ये लक्षण महसूस हो सकते हैं:
- रूखी त्वचा
- हाथ, पैर या होंठ में झुनझुनी
- मांसपेशियों में ऐंठन
- दौरे पड़ना
- चेहरे में मरोड़ होना
- मांसपेशी में कमजोरी महसूस होना
- धीमी गति से दिल की धड़कना
- याददाश्त कमजोर होना
- मांसपेशियों में जकड़न
- चिंता, अवसाद या चिड़चिड़ापन होना
- बोलने या निगलने में कठिनाई
- थकान
- पागलपन
- दिमाग में समस्या
- हार्ट में समस्या
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हाइपोकैल्शियमिया के लंबे समय तक दिखने वाले लक्षण:
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर दिए लक्षणों में कुछ भी नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हर मनुष्य का शरीर अलग-अलग तरह से काम करता है इसलिए बीमारी का सही पता डॉक्टर ही लगा सकते हैं।
कारण
हाइपोकैल्शियमिया के कारण क्या हैं?
हाइपोकैल्सीमिया का सबसे आम कारण हाइपोपैराथायरॉइडिज्म (hypoparathyroidism) है। यह तब होता है जब शरीर में
पैराथायरॉइड हार्मोन (पीटीएच) की मात्रा औसत से कम हो जाती है। कम पीटीएच स्तर आपके शरीर में कैल्शियम को कम कर देता है। हाइपोपैरथायरॉयडिज्म मां-बाप से बच्चों को मिली हुई बीमारी हो सकती है। इसके अलावा यह बीमारी थायरॉइड को
सर्जरी करके निकालने या कैंसर का परिणाम हो सकती है।
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हाइपोकैल्शियमिया (हाइपोकैल्सीमिया) के अन्य कारणों में शामिल हैं:
- आहार में पर्याप्त कैल्शियम या विटामिन डी नहीं होना
- संक्रमण
- कुछ दवाएं, जैसे कि फेनिटोइन (phenytoin), फेनोबार्बिटल (phenobarbital) और रिफैम्पिन (rifampin)
- तनाव
- चिंता
- ज्यादा व्यायाम
- अनियमित मैग्नीशियम या फॉस्फेट का स्तर
- गुर्दे की बीमारी
- दस्त, कब्ज या आंतों में कोई बीमारी जो आपके शरीर को कैल्शियम को ठीक से अवशोषित
करने से रोकते हैं
- शिशुओं के मामले में, माँ को मधुमेह है तो बच्चे में हाइपोकैल्सीमिया की बीमारी हो सकती है।
जाेखिम
क्या चीजें हैं जो हाइपोकैल्शियमिया की संभावना को बढ़ा सकती हैं?
विटामिन डी या मैग्नीशियम की कमी वाले लोगों को हाइपोकैल्शियमिया का खतरा होता है। अन्य जोखिम कारकों में शामिल हैं।
- लंबे समय से कब्ज की बीमारी होना
- पेनक्रियाज में जलन होना
- किडनी खराब होना
- लिवर फेल होना
- घबराहट होना
- नवजात शिशुओं को इसका ज्यादा जोखिम होता है क्योंकि उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। यह विशेष रूप से जिन मांओं को मधुमेह होता है, उनसे बच्चों में आ जाता है।
इलाज
हाइपोकैल्शियमिया का परीक्षण कैसे किया जा सकता है?
परीक्षण में पहला कदम आपके कैल्शियम के स्तर को जानने के लिए एक रक्त परीक्षण होता है। आपका डॉक्टर हाइपोकैल्शियमिया के संकेतों का परीक्षण करने के लिए मानसिक और शारीरिक परीक्षण का भी उपयोग कर सकता है। शारीरिक परीक्षण में ये अध्ययन शामिल हो सकते हैं:
- बालों का परीक्षण
- त्वचा का परीक्षण
- मांसपेशियों का परीक्षण
मानसिक परीक्षण मे शामिल हो सकते हैं:
- पागलपन
- उलझन
- चिड़चिड़ापन
- व्यवहार में बदलाव
आपका डॉक्टर च्वॉस्टेक (Chvostek) और ट्रूसो (Trousseau) के संकेतों के लिए भी परीक्षण कर सकता है, ये दोनों हाइपोकैल्शियमिया से जुड़े हैं। जब चेहरे पर टैप किया जाता है तो सेंसेशन होता है, ये च्वॉस्टेक का संकेत है। ट्रूसो का संकेत हाथ या पैरों में ऐंठन है। इसमें हाथ-पैरों में रक्त की आपूर्ति ठीक से नहीं होती है।
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हाइपोकैल्शियमिया का इलाज कैसे करें?
हाइपोकैल्शियमिया के कुछ मामले बिना इलाज के ही ठीक हो जाते हैं। वहीं हाइपोकैल्शियमिया के कुछ मामले गंभीर होते हैं और यहां तक कि जानलेवा भी हो सकते हैं।
अगर आपको तीव्र हाइपोकैल्शियमिया है तो डॉक्टर आपको नसों के जरिए कैल्शियम चढ़वाने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा हाइपोकैल्शियमिया के अन्य उपचारों में निम्न शामिल है –
दवाएं – हाइपोकैल्शियमिया के ज्यादातर मामलों को डायट में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है। अपनी डाइट में कैल्शियम, विटामिन डी या मैग्नीशियम सप्लिमेंट शामिल करें। इसके साथ ही आप चाहें तो इन सभी पोषक तत्वों से भरपूर आहारों का भी सेवन कर सकते हैं।
घर पर ध्यान रखें – सूरज की किरणों में कुछ समय बिताने से आपकी विटामिन डी की कमी पूरी हो जाएगी। सूरज के सामने बैठने की अवधि सभी के लिए विभिन्न हो सकती है। ऐसे में अपने डॉक्टर से परामर्श करना न भूलें। साथ ही सूरज की किरणों में जाने से पहले सनस्क्रीम का इस्तेमाल जरूर करें। सुबह की धूप स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है।
डॉक्टर से डायट और होम केयर के लिए सलाह लें।
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घरेलू उपाय
जीवनशैली में हाेने वाले बदलाव क्या हैं?
निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको हाइपोकैल्शियमिया से निपटने में मदद कर सकते हैं:
- आहार परिवर्तन के साथ कई हाइपोकैल्सीमिया मामलों का आसानी से इलाज किया जाता है। खाद्य पदार्थों के साथ कैल्शियम, विटामिन डी, या मैग्नीशियम की खुराक लेने से इसका इलाज करने में मदद मिल सकती है।
- धूप में समय बिताने से आपके विटामिन डी के स्तर में वृद्धि होगी। धूप की जरूरत सभी के लिए अलग-अलग होती है। यदि आप लंबे समय तक धूप में रहते हैं, तो सुरक्षा के लिए सनस्क्रीन का उपयोग जरूर करें। आपका डॉक्टर कैल्शियम-युक्त आहार के लिए कह सकता है ताकि इसके उपचार में मदद मिल सके।
- यदि आपके और कोई प्रश्न हैं, तो बेहतर समाधान के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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निष्कर्ष
हाइपोकैल्शियमिया के लक्षण आमतौर पर अपने आप चले जाते हैं। यह स्थिति बेहद कम मामलों में ही जानलेवा होती है। ज्यादातर मामलों में यह सही इलाज की मदद से ठीक हो जाती है। क्राॅनिक हाइपोकैल्शियमिया के मरीजों को दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है।
हाइपोकैल्शियमिया से ग्रसित लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम रहता है। क्योंकि इस स्थिति के कारण उनकी हड्डियां रक्त में कैल्शियम छोड़ने लगती हैं। इसकी अन्य जटिलताओं में किडनी स्टोन, किडनी फेल, दिल की अनियमित धड़कन और तंत्रिका प्रणाली में खराबी शामिल है।
अपने शरीर में कैल्शियम का स्वस्थ स्तर बनाए रखने से आप इस स्थिति को रोक सकते हैं। कैल्शियम युक्त आहर का सेवन करें और ज्यादा से ज्यादा विटामिन डी व मैग्नीशियम का सेवन करें। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।