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जब ब्लड में पोटैशियम का स्तर सामान्य से कम हो जाता है तो इस स्थिति को पोटैशियम की कमी या हाइपोकैलिमिया (hypokalemia) कहते हैं। पोटैशियम एक मिनरल है जिसकी शरीर को सामान्य रुप से कार्य करने के लिए आवश्यकता होती है। पोटैशियम हमारे शरीर में कोशिकाओं तक इलेक्ट्रोलाइट सिग्नल को ले जाने में मदद करता है।
यह तंत्रिका और मांसपेशियों की कोशिकाओं, विशेष रूप से हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं के सही तरीके से कार्य के लिए जरुरी है। इसके अलावा यह ब्लड प्रेशर को भी बढ़ने से रोकने में मदद करता है। आमतौर पर हमारे ब्लड में पोटैशियम का स्तर 3.6 से 5.2 मिलीग्राम प्रति लीटर होता है। लेकिन जब इसका स्तर 2.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम हो जाता है तो तत्काल डॉक्टर के पास जाने की जरूरत होती है।
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पोटैशियम शरीर के लिए एक प्राइमरी इलेक्ट्रोलाइट है। हमारी बॉडी का सिर्फ 2 प्रतिशत पोटैशियम ही ब्लड में मौजूद रहता है। एक सर्वे के अनुसार अस्पताल में भर्ती होने वाले और डाईयूरेटिक दवाओं का सेवन करने वाले लगभग 21 प्रतिशत मरीजों के ब्लड में पोटैशियम की कमी पायी जाती है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में सबसे ज्यादा पोटैशियम की कमी पायी जाती है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर रक्त में पोटैशियम की सिर्फ थोड़ी सी कमी होती है तो व्यक्ति को इस समस्या के कोई लक्षण नहीं दिखायी देते हैं। लेकिन जब पोटैशियम का लेवल एक निश्चित स्तर से नीचे गिर जाता है तो इसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और पोटैशियम की कमी होने पर किडनी पर इसका असर दिखायी पड़ता है। व्यक्ति को बार-बार बाथरुम जाना पड़ सकता है और अधिक प्यास भी लग सकती है।
व्यक्ति को एक्सरसाइज के दौरान मांसपेशियों में गंभीर दर्द हो सकता है और कमजोरी महसूस हो सकती है। गंभीर स्थिति में मांसपेशियों में लकवा मार सकता है और श्वसन प्रणाली प्रभावित हो सकती है।
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इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षम के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर पोटैशियम की कमी अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
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पोटैशियम की कमी कई कारणों से होती है। आमतौर पर पाचन तंत्र (digestive tract) और किडनी में प्रॉब्लम होने से रक्त में पोटैशियम का स्तर बहुत तेजी से घटता है। इसके अलावा डायरिया, अधिक उल्टी, एड्रिनल ग्लैंड खराब होने, डाइयूरेटिक और एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन, शराब पीने, अधिक पसीना बहाने, डायबिटीज, और शरीर में फोलिक एसिड की कमी के कारण यह समस्या होती है। रक्त में पोटैशियम की कमी आमतौर पर खराब आहार का सेवन करने से नहीं होती है।
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पोटैशियम की कमी होने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अगर पोटैशियम की कमी अस्थायी है तो इससे मरीज को गंभीर समस्या नहीं होती है। लेकिन अगर लंबे समय तक ब्लड में पोटैशियम की भरपायी नहीं हो पाती है तो मरीज का ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, हृदय गति अनियंत्रित हो सकती है और कुछ गंभीर परिस्थितियों में मरीज की मांसपेशियां लकवाग्रस्त हो सकती हैं।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
पोटैशियम की कमी का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज से उसके स्वास्थ्य के बारे में विस्तार से जानते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
जिन मरीजों को अधिक उल्टी या डायरिया होती है उन्हें डिहाइड्रेशन और कमजोरी हो जाती है। ऐसे मरीजों के रक्त में पोटैशियम की कमी का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रालाइट लेवल टेस्ट की जाती है। इससे यह पता चलता है कि पोटैशियम की कमी होने का मुख्य कारण क्या है।
पोटैशियम की कमी का इलाज समस्या के निदान, बीमारी और मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में हायपोक्लोमिया के असर को कम किया जाता है। हायपोक्लोमिया के लिए तीन तरह की मेडिकेशन की जाती है :
इसके अलावा डॉक्टर मांसपेशियों में लकवा लगने पर मरीज को अधिक नमक और कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है। साथ ही डायट में बदलाव करने से भी पोटैशियम की भरपायी होती है।
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अगर आपको पोटैशियम की कमी हो गई है तो आपके डॉक्टर वह आहार बताएंगे जिसमें बहुत ही अधिक मात्रा में पोटैशियम पाया जाता हो। इसके साथ ही आपको पर्याप्त एक्सरसाइज करने के लिए भी कहा जा सकता है। निम्न फूड्स में पोटैशियम की अधिक मात्रा पाई जाती है:
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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