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इंटरनेट और मेंटल हेल्थ : बढ़ते इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ हेल्दी माइंड के टिप्स!

Written by डॉ. नीलम बेहेरे-कोलेकर · इंटेंसिव केयर · केईएम अस्पताल


अपडेटेड 21/07/2021

    इंटरनेट और मेंटल हेल्थ : बढ़ते इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ हेल्दी माइंड के टिप्स!

    कोविड महामारी के इस कठिन दौर में डिजिटल दुनिया (Digital World) विचित्र आकारों में ढल गई है। आज के समय में इंटरनेट और मेंटल हेल्थ जितना तकनीक ने लोगों के काम काे आसान बनाया है।उतना ही लोगों में बढ़ती हेल्थ प्रॉब्लम भी देखने को मिल रही है, जैसे कि सिर दर्द और तनाव आदि। इंटरनेट की लत इक्‍कीसवीं सदी की पीढ़ी को जकड़ रही है और इस महामारी (Pandemic) में हम उस पर ज्‍यादा निर्भर हो गये हैं।कोविड लॉकडाउन के दौरान भारत में हुए एक हालिया अध्‍ययन से पता चला है कि पढ़ने वाले 80% बच्‍चों या लोगों ने विविधतापूर्ण तीव्रता का और परेशानी देने वाला इंटरनेट का इस्‍तेमाल किया है। जानिए यहां इंटरनेट और मेंटल हेल्थ (Internet and Mental Health) में क्या संबंध है।

    इंटरनेट और मेंटल हेल्थ (Internet and Mental Health)

    आज के इस डिजिटल युग (Digital World) में इंटरनेट और मेंटल हेल्थ में बहुत गहरा संबंध है। यह जानना रोचक है कि इंटरनेट की लत के रोगी का पहला विवरण एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक के. एस.यंग ने वर्ष 1996 में प्रकाशित किया था। तब से, इंटरनेट की लत और डिजिटल के इस्‍तेमाल पर शोध तेजी से बढ़ा है। आमतौर पर इंटरनेट की लत का आशय किसी भी तरह की वेब ब्राउजिंग से हो सकता है या खास तरह से भी, जैसे ऑनलाइन वीडियो गेमिंग (Video Gaming), ऑनलाइन शॉपिंग, ऑनलाइन सोशल नेटवर्क्‍स (Social Networks) और ऑनलाइन पोर्नोग्राफी। ज्‍यादा गेमिंग अब इंटरनेशनल क्‍लासिफिकेशन ऑफ डिसीजेस (International Liaison Office of Defect)- 11 में आधिकारिक रूप से एक ‘रोग’ है। इंटरनेट की उपरोक्‍त लतों के साथ स्‍मार्ट फोन की लत से डिजिटल या गैजेट की लत (Gadget Addiction) का एक बड़ा उपसमूह बनता है और अब हमें इसे ‘डिजिटल ओवरयूज’ कहना चाहिये।

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    हालांकि, हम सभी इस पर सहमत हो सकते हैं कि डिजिटल का इस्‍तेमाल मददगार और फायदेमंद रहा है, विशेष तौर पर उसने सामाजिक-दूरी (Social Distancing) को, इस युग में एक-दूसरे से जुड़ने में लोगों की मदद की है। हममें से कई लोग घर से काम कर रहे हैं, इसलिये डिजिटल प्‍लेटफॉर्म्‍स ।द हमें आर्थिक रूप से यथावत रख रहे हैं और अकेलेपन में हमारे साथी हैं।

    डिजिटल के इस्‍तेमाल (Digital Uses) पर इन सकारात्‍मक और नकारात्‍मक मतों के अलावा ग्रे जोंस की पहचान करना बुद्धिमानी होगी, जहां हमारे द्वारा होने वाले डिजिटल का ‘अच्‍छा’ इस्‍तेमाल ‘बुरा’ बन जाता है। उपयोगी और हेल्थ में हो रहे नुकसान (Health Problem) के बीच, हमें एक रेखा बनानी होगी ! हम किस ओर हैं यह कैसे जानें? इसके लिये कुछ सुझाव नीचे दिये जा रहे हैं।

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    इंटरनेट और मेंटल हेल्थ : कौन लोग इसके सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं? (Addiction)

    डिजिटिल उपकरणों की लत के शिकार केवल बच्चे ही नहीं, बल्कि बड़े भी सबसे ज्यादा हैं। उनमें से अधिकांश के साथ ‘पेरेंटल कंट्रोल’ आ डिजिटल की लत केवल बच्‍चों की समस्‍या (Child Problem) है! इस बारे में वयस्‍कों को भी सोचना चाहिये। हम सभी वयस्‍क डिजिटल उपकरणों का अत्‍यधिक इस्‍तेमाल कर रहे हैं। डिजिटल ओवरयूता है। जैसे किज कोई बच्‍चों का रोग नहीं है!

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    इंटरनेट और मेंटल हेल्थ :कितना इस्‍तेमाल करें? (Uses)

    यह अगला सवाल है। मैं कितने घंटों तक डिजिटल उपकरण का इस्‍तेमाल करता हूं? हममें से ज्‍यादातर लोगों ने यह समय नहीं जाना है। अब उस समय को जानने का समय है। अपने स्‍क्रीन टाइम का ध्‍यान रखें।

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    कितना इस्‍तेमाल अत्‍यधिक की श्रेणी में आता है?

    बहुत लोग इसे घंटे से मापते हैं, लेकिन आपकी जानकारी के लिये, अत्‍यधिक इस्‍तेमाल घंटों की कोई संख्‍या नहीं है। यह उपकरण या वेब का इस्‍तेमाल करने की विवशता का स्‍तर है, उपकरण छोड़ने पर आपको होने वाली अशांति, जिस स्‍तर पर आप डिजिटल दुनिया से जुड़ते हैं और असली दुनिया, उसके लोगों और कामों की उपेक्षा करते हैं। डिजिटल का अत्‍यधिक इस्‍तेमाल एक क्‍वालिटेटिव कॉन्‍सेप्‍ट है, न कि क्‍वांटीटेटिव। आप इन डिजिटिल उपकरणों से उतना ही जुडिए, जितना की आपको आवश्यकता हो। इससे आप अपनी हेल्थ को खराब होने से बचा पाएंगे। रात को सोते समय, खासतौर पर इससे बचना चाहिए।

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    इंटरनेट और मेंटल हेल्थ : कैसे बचें इससे होने वाले नुकसान से? (Precaution)

    हां, कई तरीकों से इसके नुकसान से बचा जा सकता है । डिजिटल ओवरयूज के मनोवैज्ञानिक प्रभाव पर भी बात होगी, लेकिन इसकी शारीरिक हानियों की सूची में आँखों की समस्‍या, देखने में कठिनाई, आँखों में पानी आना, जलन होना, नींद की समस्‍याएं (Sleeping Problem), जैसे अनिद्रा  (Insomnia), जागने के बाद तरोताजा महसूस न करना, बार-बार जाग जाना , आलस से भरी जीवनशैली (lazy lifestyle), जो मोटापे (Obesity), हायपरटेंशन (Hypertension), डायबिटीज (Diabetes) और हाॅर्मोन के असंतुलन (Hormone imbalance)का कारण है, मस्तिष्‍क के कार्यों में बाधा, जैसे खराब एकाग्रता और याद्दाश्‍त, पीठ में दर्द (Back Pain) और रीढ़ की समस्‍याएं, शामिल हैं। यह सूची बहुत बड़ी है।

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    यह निश्चित रूप से वजन वाला तर्क है। आप निश्चित रूप से सोशल मीडिया साइट को ब्राउज करना चाहेंगे, क्‍योंकि वह आपको खुशी, मजा और ऐसे कई एहसास देती है, जिन्‍हें आप ‘चाहते’ दिख रहे हैं। वेबसाइट या स्‍मार्ट उपकरण असल में आपके भीतर इस ‘चाहत’ को जगाने के लिये ‘बना’ होता है। लेकिन आपके कुछगुण भी आपको यह ‘चाहतें’ देते हैं।

    डिस्क्लेमर

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