डर सबसे बुनियादी मानवीय भावनाओं में से एक है। यह नर्वस सिस्टम की एक हलचल है। जब हम शिशु होते हैं, तो जीवित रहने की प्रवृत्ति से लैस होते हैं, जब हम खतरे को महसूस करते हैं या असुरक्षित महसूस करते हैं, भय हमारी रक्षा करने में मदद करता है। यह हमें खतरे से सावधान करता है और इससे निपटने के लिए तैयार करता है। डर महसूस करना बहुत स्वभाविक है और कुछ स्थितियों में सहायक भी होता है, जैसे डर एक चेतावनी की तरह हो सकता है, एक संकेत जो हमें सावधान करता है। इस आर्टिकल में हम आपको डर से कैसे बचें के सवाल का जवाब देंगे। साथ ही, इसके कुछ सकारात्मक पहलुओं पर भी नजर डालेंगे।
डर कैसे काम करता है?
जब हम खतरे को भांप लेते हैं, तो मस्तिष्क तुरंत प्रतिक्रिया करता है और सिग्नल भेजता है, जो तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है। यह शारीरिक प्रतिक्रियाओं का कारण बनता है, जैसे तेज धड़कन, तेज सांस लेना और रक्तचाप में तेजी। शरीर को शारीरिक क्रिया (जैसे दौड़ना या लड़ना) के लिए तैयार करने के लिए मांसपेशियों के समूहों में रक्त पंप करता है। शरीर को ठंडा रखने के लिए त्वचा से पसीना निकलता है। कुछ लोगों को पेट, सिर, छाती, पैर या हाथों में सनसनी हो सकती है। डर की ये शारीरिक संवेदनाएं हल्की या मजबूत हो सकती हैं।
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डर क्या है? (what is fear?)
डर वह शब्द है, जिसका उपयोग हम अपनी भावनात्मक प्रतिक्रिया का वर्णन करने के लिए करते हैं, जो खतरनाक लगता है लेकिन, ‘डर’ शब्द का उपयोग दूसरे तरीके से भी किया जाता है: किसी ऐसे व्यक्ति का नाम लेने के लिए जिसे अक्सर डर लगता है। लोग उन चीजों या स्थितियों से डरते हैं, जो उन्हें असुरक्षित या अनिश्चित महसूस कराती हैं। उदाहरण के लिए, जो तैराक नहीं है, उसे गहरे पानी का डर हो सकता है। इस मामले में, डर मददगार है, क्योंकि यह व्यक्ति को सुरक्षित रहने के लिए सावधान करता है। सुरक्षित तरीके से तैरना सीखकर कोई भी इस डर को दूर कर सकता है। एक भय अच्छा हो सकता है यदि ये किसी चीज से सुरक्षित रहने के लिए सावधान करता है, जो खतरनाक हो सकती है। लेकिन, कभी-कभी डर अनावश्यक होता है और बेवजह सावधानी का कारण बनता है। आइए अब जानते हैं डर से कैसे बचें?
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डर से कैसे बचें?
डर से कैसे बचें? इसका जवाब काफी लोग जानना चाहते हैं। एक चिकित्सक किसी व्यक्ति को डॉग फोबिया के साथ यह भी बता सकता है कि कुत्ते से कैसे निपटा जाए, कुत्ते के पास होने पर व्यक्ति भयानक डर सकता है। लोगों से डर के बारे में बात करने से भी मदद मिल सकती है। जब लोगों को पता चलता है कि उन्हें जो डर है वह वास्तव में सच नहीं है, तो यह उन्हे एक बड़ी राहत हो सकती है। एक चिकित्सक डर के दौरान कुछ की जाने वाली क्रियाओं को सिखा सकता है, जैसे सांस लेने के विशिष्ट तरीके, मांसपेशी प्रशिक्षण या सुखदायक बातें। ये क्रियाएं लोगों को आशंकाओं का सामना करने में और सहज और साहसिक महसूस करने में मदद कर सकते हैं।
जैसा ही किसी भी इंसान को भयभीत करने वाली वस्तु या स्थिति की आदत होती है, उसका मस्तिष्क समायोजित हो जाता है और सामान्य प्रतिक्रिया करता है, जिसके कारण फोबिया दूर हो जाता है। जब इंसान डर को दूर करने का फैसला लेता है और सही कोचिंग और समर्थन प्राप्त करता है, तो डर उसके मन से बहुत जल्दी दूर हो सकता है।
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डर के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
- डर का ज्यादा होना इंसान को डिप्रेशन में भी ढकेल सकता है ऐसे में डर से कैसे बचे इसके लिए उपाय करना बेहद जरूरी हो जाता है
- अक्सर इंसान को डर उसकी नकारात्मक सोच के चलते लगता है जिससे वह अपना आत्म विश्वास तक खो देता है।
- डर का इतना बुरा असर पड़ता है कि कई बार व्यक्ति आत्महत्या के बारे में भी सोचने लगता है।
- डर से कैसे बचें? इस बात को व्यक्ति डील न कर पाने की वजह से अपने करीबी, परिवार, कार्यस्थल पर और दोस्तों से झूठ बोलना शुरू कर देता है।
- फियर का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि अगर डर अगर किसी के मन में घर कर जाए तो वह जीवन में आगे नहीं बढ़ पाता है।
- डर के मारे इंसान अपनी सही बात दूसरों के सामने कहने में हिचकिचाता है।
- डर के चलते अपने टैलेंट को दुनिया के सामने नहीं लाता है।
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डर से कैसे बचें? इसके लिए अपनाए ये टिप्स
डर का सामना करने के लिए नीचे बताए गए ये टिप्स फॉलो करें-
सकारात्मक (पॉजिटिव) सोच बनाएं
डर तभी लगता है, जब हम अपने मन में पुरानी चलती आ रही बातों पर विश्वास कर लेते है। हमको यही लगता है कि बस यही सच है, इसके अलावा कुछ हो नहीं सकता है। हम अपने मन को नेगेटिव थिंकिंग से भर लेते है, जिसके बाद कुछ पॉजिटिव सोचने के लिए जगह ही नहीं रहती है। इसलिए, डर से बचने के लिए अपने आप को पूरी तरह से पॉजिटिव रखें। जब अच्छा सोचेंगे तो अच्छा ही होगा। कहते है जैसा हम सोचते है वैसा ही होता है। हमारी सोच में इतना पॉवर होता है कि वो जैसा चाहे अट्रैक्शन के द्वारा करवा सकता है। पॉजिटिव सोच से डर जैसा शैतान दूर भागता है। इसके अलावा अपनी सोच पर काबू रखें। बैठे-बैठे कुछ भी न सोचते रहें। कई बार हमारी सोच ही हमारे लिए दुश्मन बन जाती है। इसके लिए सकारात्मक रहने के तरीके-
- पॉजिटिव सोच वाले लोगों के साथ रहें। उनसे बातें करे, उनके विचारों को जानें।
- पॉजिटिव बुक पढ़ें, पॉजिटिव वीडियो देखें। अच्छा पढने और देखने से सोच भी वैसी होती है।
- असफल होने से निराश न हों, पॉजिटिव थिंकिंग के साथ आगे बढ़ें।
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डर से कैसे बचें : भविष्य के बारे में न सोचें
कई बार व्यक्ति को आने वाले कल की चिंता सताती है जिसकी वजह से वह अपना आज भी खत्म कर लेता है। देखिए, भविष्य पर किसी का कोई जोर नहीं होता है। कल हमारे साथ क्या होगा यह कोई नहीं जानता है। इसलिए, कल क्या होगा? इसकी चिंता करना छोड़ दें। कल अपनी चिंता खुद करेगा, आज के लिए आज की बात करना ही काफी है। वर्तमान में जिएं, भविष्य के बारे में सोचने से हमारा आज भी खराब हो जाता है।
डर लगने पर गहरी सांस लें
डर से कैसे बचें? इसके लिए डर को दूर करने का यह उपाय बेहद प्रभावी है। जब भी किसी बात का डर सताए। वहीं पर बैठ जाएं, गहरी, लम्बी सांसे लें। लगभग पांच मिनट तक ऐसा करें, आप शांति और अच्छा महसूस करेंगें।
डर से कैसे बचें : डर पर जीत पाएं
जिस चीज या बात से आपको डर लगता है। उसकी एक लिस्ट बनाएं। फिर अपनी ताकतों की भी एक लिस्ट बनायें। कई बार हम खुद इस दिशा में नहीं सोचते है। आप अगर अपने विषय में ये सब जानेंगें तो आप उस तरह की किसी स्थिति में बेहतर तरीके से अपने आप को निकाल पाएंगे।
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डर से कैसे बचें : मेडिटेशन करें
मेडिटेशन, ध्यान करना बहुत होता है। दिन में 20 से 30 मिनट शांति में अकेले में बैठे। ध्यान लगाएं। इससे आपका मन शांत होगा और सकारात्मकता आएगी।
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