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Rumination Syndrome: जानिए रुमिनेशन सिंड्रोम क्या है? जानिए रुमिनेशन सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इलाज क्या है!

Rumination Syndrome: जानिए रुमिनेशन सिंड्रोम क्या है? जानिए रुमिनेशन सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इलाज क्या है! 

मेंटल इलनेस की समस्या कई अलग-अलग तरह की होती हैं और इसी का एक प्रकार है रुमिनेशन सिंड्रोम (Rumination Syndrome)। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organisation) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम 2443 DALYs (डिसएब्लिटी-एडजस्टेड लाइफ इयर्स) प्रति 10000 पॉप्युलेशन है। ऐसा नहीं है कि मेंटल इलनेस की समस्या को दूर नहीं किया जा सकता। इसलिए यहां हम आपके साथ रुमिनेशन सिंड्रोम (Rumination Syndrome) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को शेयर करने जा रहें हैं। 

  • रुमिनेशन सिंड्रोम क्या है?
  • रुमिनेशन सिंड्रोम की समस्या किन लोगों में ज्यादा देखी जाती है?
  • रुमिनेशन सिंड्रोम के कारण क्या हैं?
  • रुमिनेशन सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
  • रुमिनेशन सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है?
  • रुमिनेशन सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है?
  • रुमिनेशन सिंड्रोम से बचाव कैसे संभव है?

चलिए रुमिनेशन सिंड्रोम (Rumination Syndrome) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।    

रुमिनेशन सिंड्रोम क्या है? (About Rumination Syndrome) 

रुमिनेशन सिंड्रोम (Rumination Syndrome)

रुमिनेशन सिंड्रोम को अलग-अलग मेडिकल टर्म जैसे रुमिनेशन डिसऑर्डर (Rumination disorder) या मेरिसिज्म (Merycism) भी कहा जाता है और यह फीडिंग एवं ईटिंग डिसऑर्डर है। रुमिनेशन सिंड्रोम की समस्या होने पर अनडायजेस्ट फूड का कुछ अंश व्यक्ति के मुंह में आ जाता है। मुंह में खाने का दाना आने की वजह से और एसिडिक महसूस ना होने की वजह से व्यक्ति उसे फिर से चबाकर निगल लेता है या फिर चबाकर बाहर फेंक देते हैं और वे ऐसा हर बार खाने के बाद करते हैं। रुमिनेशन सिंड्रोम या रुमिनेशन डिसऑर्डर होने पर पेट पेट से मुंह में वापस आने वाला खाने के दाने का स्वाद खराब या एसिडिक नहीं होता है इसलिए भी लोग उसे फिर से खा लेते हैं या चबाकर बाहर फेंक देते हैं।

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रुमिनेशन सिंड्रोम की समस्या किन लोगों में ज्यादा देखी जाती है? (Who gets rumination syndrome)

रुमिनेशन डिसऑर्डर की समस्या प्रायः बच्चों में या फिर ऐसे लोगों में होती हैं जिन्हें डेवलपमेंटल डिसएबलिटीज (Developmental disabilities) की समस्या होती है। वैसे रुमिनेशन डिसऑर्डर की समस्या उन लोगों में भी ज्यादा देखी जा सकती है जो अत्यधिक स्ट्रेस या एंग्जाइटी (Stress or anxiety) के शिकार होते हैं। 

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 रुमिनेशन सिंड्रोम के कारण क्या हैं? (Causes of Rumination Syndrome) 

क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार रुमिनेशन सिंड्रोम के कारण कई हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं- 

  • शर्मिंदगी (Embarrassment) महसूस करना। 
  • शरीर को संपूर्ण पोषण (Poor nutrition) नहीं मिल पाना। 
  • बढ़ने में विफल (Failure to grow) होना। 
  • शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलित (Electrolyte imbalance) होना। 
  • डिहाइड्रेशन (Dehydration) की समस्या होना। 
  • ट्रैकिया (Trachea) या लंग्स (Lungs) के एयरवेज में खाना चला जाना।   
  • निमोनिया (Pneumonia) की समस्या होना। 

ये ऊपर बताई गई स्थितियां रुमिनेशन सिंड्रोम के कारण में शामिल है। इसलिए रुमिनेशन सिंड्रोम के लक्षण को समझना जरूरी है, जिससे जल्द से जल्द इस डिसऑर्डर का इलाज शुरू किया जा सके। 

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रुमिनेशन सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Rumination Syndrome)

रुमिनेशन सिंड्रोम के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे: 

  • खाना खाने के बाद अगर फिर से मुंह में खाने का दाना आने पर फिर चबाकर खाना। 
  • पेट दर्द (Abdominal pain) महसूस होना। 
  • पेट हमेशा भरा-भरा महसूस (Feeling of fullness) होना। 
  • सांसों से बदबू (Bad breath) आना। 
  • जी मिचलाने (Nausea) की समस्या होना। 
  • बिनाकारण वजन (Weight loss) कम होना। 
  • अपच (Indigestion) की समस्या होना। 
  • होंठ फटने (Chapped lips) की समस्या होना। 
  • बच्चों में रुमिनेशन सिंड्रोम की समस्या होने पर उनमें बच्चों में गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स (Gastroesophageal reflux) के लक्षण नजर आ सकते हैं। 

ये हैं कुछ अलग-अलग लक्षण जिनके आधार पर रुमिनेशन डिसऑर्डर की जानकारी मिल सकती है। इसलिए अगर रुमिनेशन डिसऑर्डर के लक्षण नजर आ रहें हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें। 

रुमिनेशन सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Rumination Syndrome)

मायो फाउंडेशन फॉर मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Mayo Foundation for Medical Education and Research) पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार रुमिनेशन डिसऑर्डर (Rumination disorder) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले पेशेंट से लक्षणों और तकलीफों की जानकारी लेते हैं, क्योंकि केसेस में डॉक्टर पेशेंट से बात कर, लक्षणों एवं तकलीफों को समझ जाते हैं इलाज शुरू करते हैं। वहीं कुछ केसेस ऐसे भी होते हैं जिन्हें डॉक्टर टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं। ये टेस्ट हैं-

  1. एसोफैगोगैस्ट्रोडोडोडेनोस्कोपी (Esophagogastroduodenoscopy)- इस टेस्ट की सहायता से एसोफेगस पेट और स्मॉल इंटेस्टाइन के ऊपरी हिस्से की जानकारी मिलती है। डॉक्टर इस दौरान यह भी मॉनिटर करते हैं कि कोई ऑब्स्ट्रक्शन तो नहीं हैं। अगर इस दौरान डॉक्टर को कोई संदेह होता है तो टिशू का सैम्पल (Tissue sample) लिया जाता है और उसे बायोप्सी (Biopsy) के लिए भेजा जाता है।  
  2. गैस्ट्रिक एम्प्टिव (Gastric emptying)- इस प्रक्रिया से डॉक्टर को यह पता चलता है कि पेशेंट के पेट से खाना खाली होने में कितना समय लगता है। इसके अलावा इस टेस्ट की मदद से यह भी समझें में आसानी होती है कि खाने को स्मॉल इंटेस्टाइन (Small intestine) और कोलोन (Colon) के बीच ट्रेवल करने में कितना वक्त लगता है। 

इन दोनों टेस्ट रिपोर्ट्स के आधार पर रुमिनेशन सिंड्रोम का इलाज शुरू किया जाता है। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर एक्स-रे (X-rays) भी किया जा सकता है।

रुमिनेशन सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Rumination Syndrome)

रुमिनेशन सिंड्रोम का इलाज निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है। जैसे:

  • बिहेवियर थेरिपी (Behavior therapy)- बिहेवियर थेरिपी एक्सपर्ट पेशेंट से बातचीत के जर‍िए उनके तनाव या परेशानी को दूर करते हैं। इस थेरिपी के अलग-अलग सेशन होते हैं। 
  • मेडिकेशन (Medication)- अगर रुमिनेशन डिसऑर्डर (Rumination disorder) की वजह से एसोफेगस को कोई नुकसान पहुंचा है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर इसोमेप्राजोल (Esomeprazole) या ओमेप्राजोल (Omeprazole) जैसी दवाएं प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। 

ये हैं रुमिनेशन डिसऑर्डर की समस्या को कंट्रोल करने और दूर करने के लिए ट्रीटमेंट के विकल्प। 

नोट: जिस तरह से शारीरिक परेशानी (Physical problem) को आप इग्नोर नहीं कर पाते हैं, ठीक वैसे ही अगर मेंटल इलनेस (Mental illness)  से जुड़ी समस्या होती है तो उसे भी इग्नोर ना करें। कई बार मानसिक परेशानियों को एक दूसरे के साथ शेयर करना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन ऐसी किसी भी परेशानियों को इग्नोर ना करें और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लें।

और पढ़ें : मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं कुछ ऐसे करती हैं हमें प्रभावित, जानिए कैसे करें इससे बचाव!

रुमिनेशन सिंड्रोम से बचाव कैसे संभव है? (How to prevent from Rumination Syndrome)

तनावपूर्ण स्थितियों को कंट्रोल कर रुमिनेशन डिसऑर्डर की समस्या से बचने में मदद मिल सकती है। 

उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल में दी गई जानकारी महत्वपूर्ण लगी होगी और आपको रुमिनेशन सिंड्रोम (Rumination Syndrome) से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में रुमिनेशन सिंड्रोम (Rumination Syndrome), रुमिनेशन डिसऑर्डर (Rumination disorder) या मेरिसिज्म (Merycism) ​से जुड़े कोई अन्य सवाल हैं, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे।

शारीरिक बीमारी हो या मानसिक परेशानी दोनों से ही दूर रहें। इस बदलते वक्त में तनाव की वजह से कई शारीरिक समस्या अपने आप मनुष्य को शरीर को अपना आशियाना बना लेती है। जबकि इन स्थिति से अपने आपको बचाये रखें। जानिए मेंटल हेल्थ को हेल्दी रखने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल दिल्ली के मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट के डायरेक्टर एवं हेड डॉ. समीर मल्होत्रा की क्या है राय इस नीचे 👇 दिए लिंक में।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Mental Health/https://www.who.int/india/health-topics/mental-health#:~:text=WHO%20estimates%20that%20the%20burden,estimated%20at%20USD%201.03%20trillion./Accessed on 15/07/2022

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Role of Vagal Tone in Rumination Syndrome/https://clinicaltrials.gov/ct2/show/NCT03912636/Accessed on 15/07/2022

Current Version

15/07/2022

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/07/2022

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