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अफेक्टिव डिसऑर्डर्स (Affective disorders) को कैसे किया जा सकता है कंट्रोल?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 04/07/2022

    अफेक्टिव डिसऑर्डर्स (Affective disorders) को कैसे किया जा सकता है कंट्रोल?

    अफेक्टिव डिसऑर्डर्स (Affective disorders) साइक्रेटिक डिसऑर्डर हैं जिन्हें मूड डिअसॉडर्स (Mood disorders) भी कहा जाता है। अफेक्टिव डिसऑर्डर के मुख्य प्रकारों में डिप्रेशन और बायपोलर डिसऑर्डर शामिल हैं। लक्षण हर व्यक्ति के हिसाब से अलग हो सकते हैं और ये माइल्ड से गंभीर तक हो सकते हैं। साइकाइट्रिस्ट और दूसरे मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Affective disorder) को डायग्नोस कर सकते हैं। साइकाइट्रिस्ट एवेल्यूशन के द्वारा इनके बारे में पता लगाया जा सकता है। ये डिसऑर्डर्स व्यक्ति की लाइफ को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि इनके लिए असरकारक ट्रीटमेंट्स उपलब्ध हैं। जिसमें दवाएं और साइकोथेरिपी शामिल हैं। इस लेख में जानिए इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।

    अफेक्टिव डिसऑर्डर के प्रकार (Types of affective disorder)

    अफेक्टिव डिसऑर्डर (Affective disorder) के दो प्रमुख प्रकार हैं जिसमें डिप्रेशन और बायपोलर डिसऑर्डर शामिल हैं।

    डिप्रेशन (Depression)

    डिप्रेशन एक मेडिकल टर्म है जिसमें व्यक्ति बहुत अधिक दुखी और निराश महसूस करता है और ऐसा लंबे समय के लिए होता है। अगर आपको डिप्रेशन है तो कई दिनों या हफ्तों के लिए एपिसोड्स का अनुभव आप करेंगे। डिप्रेशन के सबसे कॉमन प्रकार में निम्न शामिल हैं।

    मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Major depressive disorder)

    पहले इसे क्लिनिकली डिप्रेशन कहा जाता था। इसके लक्षणों में लंबे समय तक दुखी, निराश और मूड खराब होने का एहसास होता है। थकान भी इसका एक लक्षण है।

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    परसिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Persistent depressive disorder)

    इसे डिस्थीमिया भी कहा जाता है। इस प्रकार के डिप्रेशन में हल्के लक्षण होते हैं जो कि कम से कम 2 साल तक रह सकते हैं।

    सीजनल पैटर्न के साथ मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Major depressive disorder with seasonal patterns)

    इसे सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Affective disorders) भी कहा जाता है। डिप्रेशन का यह सबटाइप ज्यादातर उस समय में होता है जब सर्दी का मौसम शुरू होता है और दिन की रोशनी कम होती है। इसके अलावा कई प्रकार के डिप्रेशन हैं जो महिलाएं हॉर्मोनल चेंजेस के चलते लाइफ के कई स्टेजेज में महसूस करती हैं।

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    बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder)

    बायपोलर डिसऑर्डर एक मेंटल हेल्थ कंडिशन है जिसमें व्यक्ति को मूड में अत्यधिक बदलाव महसूस करता है। इन मूड चेंजेस में डिप्रेशन के एपिसोड के साथ मेनिया भी हो सकता है। कई प्रकार के बायपोलर डिसऑर्डर हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।

    अफेक्टिव डिसऑर्डर

    बायपोलर I (Bipolar I)

    बायपोलर I में मेनिया के एपिसोड्स दिखाई देते हैं जो 7 दिन में चले जाते हैं। इसके अलावा मरीज डिप्रेसिव एपिसोड्स भी महसूस कर सकता है जो दो हफ्ते या उससे अधिक दिन तक रह सकते हैं।

    बायपोलर II (Bipolar II)

    इस प्रकार में हल्के उन्माद (Mania) के साथ कम से कम 2 सप्ताह तक चलने वाले डिप्रेशन के एपिसोड शामिल हैं, जिसे हाइपोमेनिया कहा जाता है।

    साइक्लोथिमिया (Cyclothymia)

    बायपोलर डिसऑर्डर के इस माइल्ड फॉर्म में डिप्रेशन और हायपोमेनिया के पीरियड्स शामिल होते हैं, लेकिन प्रत्येक एपिसोड के लिए कोई स्पष्ट समयरेखा नहीं है। इसे साइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर भी कहा जाता है, यदि 2 साल या उससे अधिक समय तक हाइपोमेनिया और अवसाद का अनुभव किया है, तो इसका निदान किया जा सकता है।

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    अफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms of affective disorder)

    अफेक्टिव डिसऑर्डर (Affective disorders) के लक्षण व्यक्ति के अनुसार अलग हो सकते हैं। इसके कुछ प्रकारों के कुछ कॉमन संकेत हैं।

    डिप्रेशन (Depression)

    • लंबे समय तक दुखी रहना
    • चिड़चिड़ाहट और एंजायटी
    • थकान और ऊर्जा की कमी
    • सामान्य गतिविधियों में रूचि कम होना
    • सोने और खाने की आदतों में बदलाव
    • ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी
    • अपराध बोध महसूस करना
    • बिना किसी शारीरिक कारण के दर्द होना
    • आत्महत्या के विचार आना
    • असामान्य और बार-बार मूड में बदलाव आना

    बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder)

    डिप्रेसिव एपिसोड के दौरान मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर के लक्षण समान हो सकते हैं। मेनिया के दौरान व्यक्ति निम्न लक्षण महसूस कर सकता है।

    • कम नींद की जरूरत
    • अतिशयोक्तिपूर्ण आत्म-विश्वास
    • चिड़चिड़ापन
    • आक्रमक रवैया
    • खुद को बहुत अधिक महत्व देना
    • आवेग
    • लापरवाही
    • भ्रम या मतिभ्रम

    अफेक्टिव डिसऑर्डर के कारण (Causes of affective disorders)

    अफेक्टिव डिसऑर्डर के कारणों के बारे में ठीक से कुछ कहा नहीं जा सकता। न्यूरोट्रांसमीटर, या ब्रेन कैमिकल्स मूड को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। जब वे किसी तरह से असंतुलित हो जाते हैं, या आपके मस्तिष्क को ठीक से संकेत नहीं देते हैं, तो इसका परिणाम एक अफेक्टिव डिसऑर्डर हो सकता है। वास्तव में असंतुलन का कारण क्या है, यह पूरी तरह से ज्ञात नहीं है।

    जीवन की घटनाएं इफेक्टिव डिसऑर्डर्स को ट्रिगर कर सकती हैं। एक दर्दनाक घटना या व्यक्तिगत नुकसान डिप्रेशन या किसी अन्य अफेक्टिव डिसऑर्डर (Affective disorders) का कारण बन सकता है। शराब और नशीली दवाओं का प्रयोग भी एक जोखिम कारक है

    एक आनुवंशिक कारक भी प्रतीत होता है। यदि परिवार में किसी को इनमें से कोई एक डिसऑर्डर है, तो आपको भी इसके विकसित होने का अधिक खतरा है। इसका मतलब है कि वे वंशानुगत हैं। हालांकि, यह गारंटी नहीं है कि फैमिली हिस्ट्री होने पर व्यक्ति हमेशा ही अफेक्टिव डिसऑर्डर से प्रभावित होगा। बस उसका जोखिम बढ़ जाता है।

    अफेक्टिव डिसऑर्डर का निदान (Diagnosis of affective disorder)

    अफेक्टिव डिसऑर्डर का निदान करने के लिए कोई चिकित्सा परीक्षण नहीं हैं। निदान करने के लिए, एक मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल की मदद लेनी होगी। वह मनोरोग मूल्यांकन के जरिए डायग्नोस करने में मदद कर सकता है। वे इसके लिए पहले तय की गई गाइडलाइंस का पालन करेंगे। वे मरीज से उनके लक्षणों के बारे में पूछेंगे। साथ ही मेडिकल हिस्ट्री और फैमिली हिर्स्टी के बारे में भी सवाल किए जाएंगे। अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों को देखने के लिए कुछ परीक्षण किए जा सकते हैं।

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    अफेक्टिव डिसऑर्डर का इलाज (Affective disorder treatment)

    अफेक्टिव डिसऑर्डर (Affective disorders) के ट्रीटमेंट में दो ऑप्शन शामिल हैं जिसमें मेडिकेशन और थेरिपी शामिल हैं। ट्रीटमेंट में दोनों ऑप्शन्स को शामिल किया जाता है। कई एंटीडिप्रेसेंट दवाएं उपलब्ध हैं। अपने लिए कौन सी बेहतर है ये सर्च करने के लिए काफी प्रयास करने पड़ सकते हैं जो कम साइड इफेक्ट्स के साथ लक्षणों को दूर करने में मदद करे, लेकिन किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें।

    दवा के अलावा मनोचिकित्सा भी उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मरीज को डिसऑर्डर से निपटने में मदद कर सकता है और संभवतः इसको बढ़ाने वाले या योगदान करने वाले व्यवहारों को बदल सकता है। चिकित्सा और दवाओं के अलावा, कुछ प्रकार के अवसाद के इलाज में मदद के लिए सप्लिमेंट का उपयोग किया जा सकता है। इनमें विटामिन डी सप्लिमेंट और लाइट थेरिपी शामिल है, जिसकी आपूर्ति विशेष लैंप द्वारा की जाती है। इसके बारे में डॉक्टर रिकमंडेशन देंगे।

    याद रखें

    अपनी स्थिति के लिए कोई भी ओवर-द-काउंटर सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर कुछ जीवनशैली में बदलाव की भी सिफारिश कर सकता है, जिसमें नियमित व्यायाम, लगातार नींद पूरी करना और स्वस्थ आहार शामिल है। ये मरीज के मेडिकल ट्रीटमेंट्स को पूरा करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन इन्हें रिप्लेस नहीं करना चाहिए। ये ओवरऑल हेल्थ को अच्छा रखने के साथ ही तनाव से लड़ने में मददगार हैं।

    उम्मीद करते हैं कि आपको अफेक्टिव डिसऑर्डर (Affective disorders) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

    डिस्क्लेमर

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