‘श्रद्धा सुनो ना तुम्हें पता है शर्माजी का बेटा तो बड़ा तेज निकला उसकी एक बड़े कंपनी में जॉब लग गई है और एक अपना बेटा है, इसे अभी तक नौकरी नहीं मिली है।’ यह सब विनोद सुन रहा था। विनोद के माता-पिता अपने बेटे को सीधे तौर पर कुछ बोल तो नहीं रहें थें लेकिन, वह सब समझ रहा था। विनोद के ऊपर सीधे तौर से दवाब पड़ रहा था।
देखा जाए तो हमसभी अपने जीवन में चल रहे किसी न किसी तरह के प्रेशर (दबाव) की बात करते हैं। ठीक उसी तरह से कई लोग सेल्फ पीयर-प्रेशर के शिकार हो जाते हैं। अगर सेल्फ-पीयर प्रेशर को सामान्य भाषा में समझा में कहा जाए तो ‘कोई व्यक्ति अगर कुछ कर रहा है और उसे देखकर खुद भी वही करने की इच्छा या जिद होना सेल्फ-पीयर प्रेशर कहलाता है।’ दरअसल यह ऐसी स्थिति है जिसमे व्यक्ति खुद-ब-खुद दवाब में आ जाता है। इसका सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोनों ही पड़ता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि आखिर क्या होता है सेल्फ-पीयर प्रेशर।
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अगर एक फ्रेंड अपने किसी दूसरे फ्रेंड को यह कहे की तुम अभी पढ़ाई क्यों कर रहे हो, एग्जाम में अभी काफी समय है। तुम हमारे साथ चलो हमसभी एक साथ सिगरेट पिएंगे। इसे स्पोकेन पीयर प्रेशर कहा जाता है। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को बोल कर प्रभावित करता है, जिसका दूसरे व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा भी हो सकता है की सामने वाला व्यक्ति सकारात्मक प्रभाव भी आप पर डाले। जैसे मैं पढ़ रहा हूं तुमभी पढ़ लो।
अगर कोई बच्चा या वयस्क सिर्फ अपने किसी साथी या घर के सदस्यों को देखकर किसी गलत आदत का शिकार हो जाता है जैसे एल्कोहॉल का सेवन करना या सिगरेट पीना आदि तो इसे अनस्पॉकेन पीयर-प्रेशर कहेंगे। वहीं ऐसा भी हो सकता है की सामने वाला व्यक्ति पढ़ाई करने के लिए किसी दूसरे इंसान को प्रेरित कर सके।
इससे खासकर बच्चे प्रभावित होते हैं। बच्चे जैसा अपने सामने देखते हैं ठीक वैसा ही करने लगते हैं। इसलिए हम कई बार यह भी कहते हैं की बच्चे के सामने झगड़ा मत करो या बुरे शब्दों को नहीं बोलें।
सहकर्मी का दबाव हमेशा नकारात्मक ही नहीं होता है। कभी-कभी यह किशोरों के बीच जीवन में सफल होने के लिए नए शौक, खेल, स्वास्थ्य विवेक या एक फिर एक दृढ़ संकल्प पैदा करता है।
एडल्ट पीयर-प्रेशर वयस्कों में होता है। जब कोई व्यक्ति अपने सामने वाले व्यक्ति को देखकर कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ने वाली जैसे सिगरेट पीना या एल्कोहॉल का सेवन करना शुरू कर दे तो इसे एडल्ट पीयर-प्रेशर कहते हैं।
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सबसे पहले खुद को थोड़ा वक्त दें। अपने आपको समझें और सोचे ये दबाव (प्रेशर) किसी और की वजह से नहीं बल्कि खुद की वजह से तो नहीं हो रहा है। अपने माता-पिता, भाई-बहन या किसी और व्यक्ति से खुलकर बात करें। अत्यधिक दबाव में आकर आप अपना ही नुकसान करेंगे और तो और यह किसी अन्य बीमारी को भी न्योता देने के लिए काफी हो सकता है।
हालांकि ऐसी मिथ है की सभी पीयर प्रेशर नकारात्मक होते हैं लेकिन, पीयर प्रेशर अच्छा भी हो सकता है अगर यह किसी व्यक्ति को उनके कम्फर्ट जोन से बाहर निकालता है और उन्हें नई चीजों की खोज करने का मौका देता है।
सेल्फ-पीयर प्रेशर के शिकार बच्चे या स्कूल जाने वाले बच्चे भी हो सकते हैं।
कई बार हम किसी के दवाब में आकर गलत आदते करना शुरू कर देते हैं। जैसे सिगरेट पीना, एल्कोहॉल पीना या फिर कोई अन्य कार्य जिसे नहीं करना चाहिए। अगर आप पर कोई नुकसान पहुंचाने वाले काम का प्रेशर बना रहा है, तो उसे सीधे शब्दों में मना कर दें। वैसे ऐसी में अगर आप सामने वाले व्यक्ति के बातों को नजरंअदाज करना सीखें और अगर तभी वो व्यक्ति आपको सिगरेट या एल्कोहॉल के लिए दवाब डालते हैं तो उन्हें साफ-साफ मना कर दें.
अब तक आप ये बात समझ ही गए होंगे कि प्रेशर हमेशा नकारात्मक यानी निगेटिव ही नहीं होता है। अगर इसे पॉजिटिव वे में लिया जाए तो बच्चे हो या फिर टीनएजर्स, काफी कुछ नया सीख भी सकते हैं। आप इस बात को ऐसे समझिए कि अगर स्कूल में बच्चे के ऊपर कोई प्रोजेक्ट समय पर देने का प्रेशर है तो इस कारण वो अपना काम समय पर करेगा। पेरेंट्स को बच्चों की गतिविधियों से खुद को अपडेट रखना होगा। स्कूल में क्या हो रहा है या फिर कॉलेज में क्या एक्टिविटी चल रही है। पेरेंट्स को न्यू टेक्नोलॉजी से भी अपडेट रहना होगा ताकि उन्हें मालूम हो कि उनका बच्चा क्या कर रहा है या किस तरह का प्रेशर वो फील कर रहा है। जब भी पेरेंट्स को फील हो कि बच्चे पर पड़ने वाला प्रेशर नकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहा है तो पेरेंट्स को तुरंत उसे रोकने का प्रयास करना चाहिए। पीयर प्रेशर को कम करने के लिए आप रेगुलर अपने टीनएज से उस विषय से संबंधित बात कर सकती हैं और साथ ही उसकी एक्टिविटी की अपडेट भी ले सकती हैं।
अगर बच्चा खुद को अकेला महसूस करेगा तो वो गलत दिशा की ओर भी जा सकता है। पेरेंट्स का साथ बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करता है। बच्चों की कमी गिनाने के साथ ही उनकी हौसलाफजाई भी करें। पेरेंट्स का बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम उन्हें कई प्रकार के प्रेशर से बचाने का काम कर सकता है।सेल्फ-पीयर प्रेशर की समस्या बच्चों में न हो इसलिए उन्हें हां और नहीं बोलना दोनों सिखाएं। दरअसल बच्चों को गलत आदतों से होने वाले नुकसान के बारे में भी जरूर समझाएं। माता-पिता को अपने बच्चों से हमेशा खुलकर बात करना चाहिए। माता-पिता के साथ पेरेंट्स को एक दोस्त भी अपने बच्चों के साथ बनना चाहिए। दोस्त की तरह पेश आने से आपका बच्चा आपसे आपके अनुपस्थिति में हुई बातों को आपसे शेयर करेगा। दरअसल जिस तरह बच्चे को सबसे पहली शिक्षा घर से मिलती है थी वैसे ही अगर आप अपने बच्चों के पेरेंट्स और दोस्त दोनों रहेंगे तो वह आपके सामने अपने विचारों को रखेगा। ऐसा करने से बच्चा सेल्फ-पीयर प्रेशर की समस्या से बच सकता है।
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सेल्फ-पीयर प्रेशर के कारण कोई भी व्यक्ति या बच्चा निम्नलिखित गलत आदतें अपना सकता है। जैसे-
अगर आप सेल्फ-पीयर प्रेशर से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको सेल्फ-पीयर प्रेशर से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट करें।
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Current Version
28/08/2020
Nidhi Sinha द्वारा लिखित
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
Updated by: Bhawana Awasthi
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr Sharayu Maknikar