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Post Traumatic Stress Disorder (PTSD) : पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 10/07/2020

Post Traumatic Stress Disorder (PTSD) : पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) क्या है?

पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) मानसिक स्थिति को दर्शाता है, इसमें अक्सर पिछली बातों को याद कर पीड़ित पैनिक हो उठते हैं। PTSD की समस्या से पीड़ित हमेशा परेशान, चिंतित, घबराया और डरा हुआ महसूस करते हैं। कई बार पीड़ित पुरानी घटनाओं जैसे किसी की मौत या दुर्घटना को याद कर भी डर जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में पीड़ित को संभालना कठिन हो जाता है। लेकिन, ऐसा नहीं है की इस समस्या से निजात न मिले। इसलिए बेहतर देखरेख और इलाज से पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से छुटकारा पाया जा सकता है।

कितना सामान्य है पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर ?

पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर बड़ी समस्या या बीमारी नहीं है। पुरुषों की तुलना में पीटीएसडी महिलाओं में ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं ज्यादा संवेदनशील होती हैं। पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर किसी भी उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकता है, यहां तक की बच्चों में भी। पीटीएसडी के कारणों को समझकर इसे ठीक किया जा सकता है। बेहतर इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।

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पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के लक्षण क्या हैं?

पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के कुछ सामान्य लक्षण:

इन लक्षणों के अलावा और भी लक्षण हो सकते हैं। इसलिए स्थिति बिगड़ने से पहले डॉक्टर से मिलना जरूरी है।

डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

मेंटल कंडीशन के मरीज डॉक्टर से मिलना भी नहीं चाहते हैं। लेकिन, पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का इलाज किया जाता है और इस समस्या से छुटकारा भी पाया जाता है। इसलिए लक्षण या परेशानी समझ आने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वैसे निम्नलिखित लक्षणों से भी पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर को समझा जा सकता है:

  • अगर आप पुरानी घटनाओं को याद कर परेशान होते हैं।
  • अगर आप बहुत ज्यादा नकारात्मक सोंच रखते हैं।
  • आप अपनी परेशानी, घबराहट या डर को कम नहीं कर पा रहे हैं।
  • खुद को नुकसान पहुंचाने की सोंच रखना (आत्महत्या के बारे में सोचना)।
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    किन कारणों से होता है पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर?

    PTSD के कारण अभी साफ नहीं है की आखिर ऐसा क्यों होता है। लेकिन, अगर कोई परेशानी या अप्रिय घटना पहले हो चुकी है तो उनके बारे में सोंचना और परेशान रहना एक वजह हो सकती है। कई बार पीड़ित किसी अपने चाहने वाले की मौत की वजह से या फिर खुद उनके साथ यौन हिंसा जैसी घटना हो सकती है।

    कुछ और भी कारण हैं पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के:

    • अत्यधिक चिंतित रहना या डिप्रेशन में रहना।
    • बचपन से ही तनाव या किसी सदमे में रहना।
    • स्वभाव की वजह से।
    • आप (पीड़ित) जैसी सोंच रखते हैं उसी तरह से शरीर में हॉर्मोन और केमिकल्स बनते हैं। इसलिए सकारात्मक सोंच रखना अत्यंत जरूरी है।
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    किन कारणों से बढ़ता है पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का खतरा?

    पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर कई कारणों से बढ़ सकते हैं। लेकिन, कुछ ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर की परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती है। उन कारणों में शामिल है:

    • भावुक महसूस करना।
    • लंबे वक्त से सदमे में रहना।
    • मिलिट्री या कोई अन्य पेशा जिसकी वजह से हमेशा परेशान रहना।
    • एंग्जाइटी या डिप्रेशन की परेशानी।
    • हमेशा फैमली या दोस्तों से पॉजिटिव रेस्पॉन्स रखना।
    • मेंटल हेल्थ प्रॉब्लेम या पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से अगर ब्लड रिलेशन में कोई पीड़ित है तो ऐसी स्थिति में भी PTSD का खतरा बढ़ जाता है।

    बदलते जीवनशैली में बढ़ते तनाव की वजह से पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी परेशानी हो सकती है। वैसे PTSD की परेशानी बढ़ने के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

    • कॉम्बैट एक्सपोजर।
    • बचपन में नजरअंदाज किया गया हो।
    • शारीरिक आघात हुआ हो।
    • डराया या धमकाया गया हो।

    कई अन्य दर्दनाक घटनाएं भी PTSD की समस्या शुरू करने केलिए काफी है, जैसे प्राकृतिक आपदा, कार दुर्घटना, विमान दुर्घटना, अपहरण, आतंकवादी हमला या फिर इनसब से जुड़ी कोई अन्य घटना।

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    निदान और उपचार को समझें

    दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

    पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) का निदान कैसे किया जाता है?

    PTSD का निदान घटना घटने के कुछ दिनों बाद किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है की एक महीने तक का वक्त लग सकता है किसी भी घटना से निकलने के लिए। ऊपर बताए गए लक्षणों के आधार पर पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर समझा जा सकता है। ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर विकल्प होता है। लक्षण समझ आने पर डॉक्टर अपनी ओर से इलाज शुरू कर सकते हैं। इस दौरान कुछ बॉडी चेकप भी की जा सकती है। जिससे बीमारी कौन से स्टेज में है समझा जा सकता है।

    अगर कोई शारीरिक बीमारी नहीं पाई जाती है, तो आपको मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक या अन्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के पास भेजा जा सकता है जो विशेष रूप से मानसिक बीमारियों के निदान और उपचार के लिए प्रशिक्षित होते हैं। मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक स्थिति को समझते हुए इलाज शुरू करेंगे। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर पीटीएसडी का निदान कर सकते हैं।

    पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) का इलाज कैसे किया जाता है?

    PTSD का इलाज कर डॉक्टर आपको पहले की तरह स्वस्थ बना सकते हैं। PTSD से पीड़ित मरीजों को सबसे पहले साइकोथेरपी और दवाओं से इलाज शुरू किया जाता है। इससे आपके लक्षणों में सकारात्मक बदलाव आएगा। एक्सपर्ट आपको भी समझाएंगे की परेशानी के दौरान क्या करना चाहिए। इससे अगर आपको ड्रग्स या एल्कोहॉल की आदत है तो वह भी ठीक होगी और अगर डिप्रेशन या आप चिंतित रहते हैं तो इससे भी बाहर आ सकते हैं।

    पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर की समस्या दूर करने के लिए कॉग्नेटिव थेरिपी और एक्सपोजर थेरिपी की सलाह देते हैं। कॉग्नेटिव थेरिपी की मदद से यह समझना आसान हो जाता है की आप किस बात को लेकर परेशान हैं। एक्सपोजर थेरिपी की मदद से यह समझा जाता है की आप किस बात से परेशान हैं।

    इन थेरिपी के अलावा कुछ और भी थेरिपी हैं जिनकी मदद से इलाज किया जाता है।

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    कुछ जीवनशैली में बदलाव या घरेलू उपचार

    निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको PTSD से निपटने में मदद कर सकते हैं:

    • डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और धैर्य रखें।
    • PTSD के बारे में जानें। ऐसा करने से आपको यह समझने में मदद मिल सकती है कि आप क्या महसूस कर रहे हैं, और फिर आप प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने में मदद करने के लिए रणनीति तैयार कर सकते हैं।
    • पर्याप्त आराम करें, स्वस्थ आहार खाएं, व्यायाम करें और आराम करने के लिए समय निकालें
    • एल्कोहॉल या ड्रग्स का सेवन न करें। इसके सेवन से परेशानी बढ़ सकती है।

    यदि बीमारी से जुड़े कोई प्रश्न हैं, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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