ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या सीरियस कंडिशन मानी जाती है क्योंकि इसका शरीर पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है। अगर ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या को इग्नोर किया जाए तो इससे हेल्थ, इमोशन और कार्य क्षमता बाधित होती है। वैसे इस समस्या से निजात पाना इतना भी कठिन नहीं है और इसलिए आज इस आर्टिकल में ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज (Treatments for Eating disorders) और इससे जुड़ी खास जानकारी शेयर करेंगे।
- ईटिंग डिसऑर्डर क्या है?
- ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज कैसे किया जाता है?
- ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं?
चलिए अब ईटिंग डिसऑर्डर (Eating disorders) और ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज (Treatments for Eating disorders) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
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ईटिंग डिसऑर्डर क्या है? (About Eating disorders)
ईटिंग डिसऑर्डर को सामान्य शब्दों में आहार संबंधी विकार कहा जाता है और यह एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या होने पर व्यक्ति बहुत ज्यादा खाना या बहुत ही कम खाना खाने की आदतों का शिकार हो जाता है।
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ईटिंग डिसऑर्डर के काऱण होने वाली परेशानी क्या हैं? (Health issues due to Eating disorders)
ईटिंग डिसऑर्डर के काऱण निम्नलिखित परेशानियों का सामना किया जा सकता है। जैसे:
- एनोरेक्सिया (Anorexia)- यह एक ऐसी समस्या है जब लोगों को लगता है कि उनका वजन बढ़ जायेगा और इसी कारण से वो खाना कम खाते हैं।
- बुलीमिया (Bulimia)- बुलीमिया की समस्या से पीड़ित लोग जरूरत से ज्यादा खाना खाना शुरू कर देते हैं।
- पाइका (Pica)- पाइका बच्चों और गर्भवती महिलाओं में ज्यादा देखा गया है। अमूमन पाइका डिसऑर्डर कुछ समय के लिए ही होता है। वहीं मेंटल इलनेस के शिकार लोगों में पाइका की शिकायत ज्यादा देखी जाती है। कुछ लोगों में पाइका की शिकायत आंशिक न हो कर लंबे समय के लिए होती है। इस ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या के शिकार व्यक्ति वैसी चीजों को खाना शुरू कर देते हैं जिसे नहीं खाना चाहिए जैसे मिट्टी, बाल, धूल, बर्फ या साबुन।
- ज्यादा खाने का विकार (Binge eating disorder)- इस ईटिंग डिसऑर्डर की वजह से भी व्यक्ति में ज्यादा खाने की आदत होती है।
- एवोडेन्ट फूड इंटेक डिसऑर्डर (Avoidant food intake disorder)- एनोरेक्सिया की तरह ही इस डिसऑर्डर में भी व्यक्ति में वजन बढ़ने का खतरा बना रहता है।
- रुमिनेशन (Rumination)- इस डिसऑर्डर में उल्टी एवं डायजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी समस्या होती है जिसकी वजह से व्यक्ति के खान पान पर असर पड़ता है।
ये है अलग-अलग ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या।
इस सभी डिसऑर्डर को मेंटल हेल्थ से जोड़कर भी देखा जाता है, लेकिन अगर ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज (Treatments for Eating disorders) ठीक तरह से करवाया जाए तो इस डिसऑर्डर को दूर किया जा सकता है।
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ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatments for Eating disorders)
ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज अलग-अलग तरह से किया जाता है जैसे:
- ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज: आउटपेशेंट केयर (Outpatient care)- ईटिंग डिसऑर्डर के इलाज के दौरान आउटपेशेंट केयर के दौरान डॉक्टर से कंसल्टेशन किया जाता है। आउटपेशेंट थेरिपी प्रोग्राम (Outpatient therapy programs) है जिसमें पेशेंट से बात किया जाता है और उनके मेंटल इलनेस (Mental illness) और ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज किया जाता है।
- ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज: रेसिडेंशियल केयर (Residential care)- रेसिडेंशियल केयर एक तरह का लाइव ट्रीटमेंट है जिससे ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज किया जाता है। इस दौरान पेशेंट के हेल्थ कंडिशन (Health Condition) को मॉनिटर किया जाता है और मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट (Mental हेल्थ Expert) घर पर आकर ट्रीटमेंट करते हैं।
- ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज: पार्शियल हॉस्पिटलाइजेशन (Partial hospitalization)- पार्शियल हॉस्पिटलाइजेशन रेसिडेंशियल केयर की ही तरह है, लेकिन इस दौरान पेशेंट को कुछ वक्त के लिए एडमिट करने की जरूरत होती है और इस समय एक हेल्थ केयर पेशेंट पर लगातार ध्यान रखते हैं।
- ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज: इंपेशेंट केयर (Inpatient care)- जिन लोगों में आत्महत्या की प्रवृति, अस्थिर जीवन या फिर लाइफ थ्रेटनिंग के लक्षण होने पर इंपेशेंट केयर की जरूरत पड़ती है। वहीं व्यक्ति को हॉस्पिटल में एडमिट करने की जरूरत पड़ सकती है।
- ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज: मेडिकेशन (Medications)- ईटिंग डिसऑर्डर के इलाज के लिए सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इनहिबिटर्स (Selective Serotonin Reuptake Inhibitors [SSRIs]) एवं एंटीसीजर मेडिकेशन (Antiseizure medications) प्रिस्क्राइब की जाती है।
इन्हीं अलग-अलग तरहों से ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज (Treatments for Eating disorders) किया जाता है।
नोट : अपनी मर्जी से किसी भी तरह की दवाओं का सेवन ना करें क्योंकि दवाओं के सेवन से परेशानी गंभीर हो सकती है और व्यक्ति की स्थिति गंभीर हो सकती है।
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ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Eating disorders)
ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:
- अचानक वजन कम (Dramatic weight loss) होना।
- बॉडी स्ट्रक्चर और बॉडी वेट पर अत्यधिक ध्यान देना।
- बेहोशी, थकान और चक्कर आना।
- बार मूड में बदलाव आना।
- चिड़चिड़ापन महसूस होना।
- एंग्जाइटी (Anxiety) और डिप्रेशन (Depression) की समस्या होना।
- अत्यधिक एक्सरसाइज (Workout) करना।
- अत्यधिक खाना खाना या कम खाना।
- चक्कर (Dizziness) आना।
- हमेशा ठंड (Feeling cold) महसूस होना।
- समय पर नहीं (Sleep irregularities) सोना।
- पीरियड्स समय पर (Menstrual irregularities) नहीं होना।
- स्किन का रुखा (Dry skin) पड़ना।
- नाखून का पतला या ड्राय (Dry, thin nails) होना।
- बाल पतला (Thinning hair) होना।
- मसल वीकनेस (Muscle weakness) की समस्या होना।
- घाव भरने में (Wound healing) समय लगना।
- इम्यून सिस्टम (Immune system) ठीक नहीं होना।
ऐसे लक्षण ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms of Eating disorders) की ओर इशारा करते हैं। इसलिए इन परेशानियों को इग्नोर ना करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
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नोट : ईटिंग डिसऑर्डर (Eating disorders) की समस्या अगर किसी व्यक्ति में नजर आती है या ईटिंग डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms of Eating disorders) को आपसे कोई व्यक्ति जैसे फेमली मेंबर या फ्रेंड्स शेयर करते हैं तो इसे इग्नोर ना करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करने के साथ ही उस व्यक्ति की भी मानसिक तौर पर मदद करें। इस मेंटल इलनेस (Mental illness) के दौरान व्यक्ति अगर जरूरत से ज्यादा खाने की आदत या कम खाने की आदत के शिकार हो जाते हैं तो उनका मजाक ना बनायें बल्कि उन्हें समझाएं।
उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल में दी गई जानकारी महत्वपूर्ण लगी होगी और आपको ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज (Treatments for Eating disorders) से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में ईटिंग डिसऑर्डर (Eating disorders) या ईटिंग डिसऑर्डर का इलाज (Treatments for Eating disorders) से जुड़े कोई अन्य सवाल हैं, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे।
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